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I write stories. Stories of “Bhārata”. ✍️ @B_Parikrama ॥ Tapori »» Pramey »» Trushar ॥
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Jan 23, 2022 10 tweets 7 min read
हिंदू मन्दिरों के शिल्प तथा स्थापत्य, हमारी पौराणिक कथाओं के प्रसंग और हमारे पूर्वजों की शौर्य गाथाएँ अपने-आप में जीनव दर्शन के कितने ही रहस्य समेटे हुए हैं। »»

Badami Rock-cut cave temples
#OurTrueHistory @ShefVaidya ऐसे ही गृहस्थ जीवन से जुड़े रहस्यों को ढूंढने के प्रयास में, चलिए चलते हैं… महाबलीपुरम!

#OurTrueHistory @ShefVaidya
Jan 17, 2022 115 tweets 20 min read
सुबह से लगातार हो रही बारिश अभी थोड़ी थमी थी। यूनिवर्सिटी के साइंस कॉलेज का कैंपस शान्त था। ग्यारह बजने को थे। अब्बास सर का उबाऊ क्लास बन्क कर के मैं बाहर आ गया। सब स्टूडेंट्स क्लास अटेंड कर रहे हों तब इस समय कैंपस में बाहर रह कर प्रोफेसर्स के नजरों से बचे रहना मुश्किल था इसलिए… रोज़ की तरह मैं ग्राउंड फ्लोर से मैथ्स डिपार्टमेंट और फर्स्ट फ्लोर से बोटनी डिपार्टमेंट की सीढ़ियां चढ़ते हुए दुसरी मंजिल पर जूलॉजी डिपार्टमेंट पहुंच गया। जूलॉजी में विद्यार्थियों की संख्या कम होने के कारण यहां आवाजाही कम रहती थी…
Apr 8, 2021 8 tweets 3 min read
पहले इन्होंने हमारे देश को लूटा फिर कांग्रेसी सरकारों ने करोड़ों रुपए का मेकअप लगा कर इन्हीं के मकबरों को चकाचक चमकाया। वाह वाह करने वाले रेस्टोरेशन से पहले मकबरे की तस्वीर भी नहीं पहचान पाएंगे। »» अब इसकी तुलना में देश के दूसरे स्मारकों की दुर्दशा देखते हैं।

सबसे पहले बाजीराव प्रथम की समाधि।
Apr 6, 2021 4 tweets 2 min read
शस्त्रों की शक्ति बहुत बड़ी होती है। कंबोडिया में कम्यूनिस्टों ने सरहद पार से अवैध शस्त्र किसानों के हाथों में थमा दिए और सशस्त्र संघर्ष से स्वयं सत्ता प्राप्त कर उन्हीं किसानों का शोषण किया। आज भी कंबोडियाई तानाशाह पोल-पोट द्वारा किए गए नरसंहार के प्रमाण ज़मीन में से निकलते हैं। Image पोलपोट के कम्यूनिस्ट दिवास्वप्न के अनुसार देश के सभी लोग किसान थे। बंदूक की नोंक पर शहरों को खाली कराया गया और शिक्षित प्रजाजनों को भी खेतों में मजदूरी करने गांवों में भेज दिया गया। इनमें डॉक्टर और प्राध्यापक जैसे लोग भी शामिल थे। विरोध का परिणाम सीने में बुलेट से मिलता था।
Feb 13, 2021 89 tweets 17 min read
कुछ काम से शहर से बाहर जाना पड़ा, घर पहुंचने में देरी हुई। रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे और सूनसान रास्ते पर बाइक बंद हो गई। सोचा कि किसी सेफ जगह पर बाइक पार्क कर पैदल घर चला जाऊंगा। तब तक बाईक खींचने के अलावा कोई चारा नहीं था। फ़रवरी महिने में ठंड कम हो रही थी और… …और बाईक खींचने के कारण पसीना भी छूट रहा था। इयरफोन में मोहम्मद रफी का गाना चल रहा था तभी पीछे से आवाज आई “बाईक बंद हो गई है क्या?” पीछे मुड़कर देखा तो एक करीबन चालीस साल का आदमी बीड़ी फूंकते हुए बेफिक्र सा आ रहा था। सोचा कि यह भी सही है, बातें करते हुए रास्ता कट जाएगा। लेकिन…
Oct 2, 2020 5 tweets 2 min read
सन 1930 में 384 किलोमीटर की पैदलयात्रा कर गांधीजी दांडी पहुंचे और नमक सत्याग्रह किया यह बात हमें बढ़ा-चढ़ाकर बताई जाती है लेकिन दांडी यात्रा की फलश्रुति क्या है पता है?

अंग्रेजों ने नमक-टैक्स कभी खत्म नहीं किया। 1946 में नेहरू की अंतरिम सरकार बनने तक भारतीय यह टैक्स चुकाते रहे। गांधी जी की हत्या के तुरंत बाद उनके ही अनुयायियों ने उनकी अहिंसा की विचारधारा को मार दिया।
Sep 28, 2020 5 tweets 2 min read
खण्डित मंदिरों और मुर्तियों की पूजा नहीं की जाती। हिन्दू धर्म में पवित्रता का महत्व म्लेच्छ जानते थे इसीलिए वे मन्दिरों का विध्वंस करने के बाद गर्भगृह में गौ-वध और ब्रह्महत्या आदि कृत्य करते ताकि फिर से वह मन्दिर पूजा-योग्य ना रहे। सिर्फ शिवलिंग ही है जिसे खण्डित होने के बावजूद पूजा जाता है। इसका भी कारण है, कभी फुर्सत में चर्चा करेंगे।
Jul 28, 2020 5 tweets 2 min read
ऋग्वेद के ऐतरेय ब्राह्मण में शुन:शेपाख्यान में हरीशचंद्र के पुत्रप्राप्ति का प्रसंग है। निःसंतान हरीशचंद्र ने संतानप्राप्ति के मोह में वरुण देव का आह्वान किया, वरुण देव ने सशर्त संतानप्राप्ति का वरदान दिया और रोहित का जन्म हुआ लेकिन… लेकिन वरुण की शर्त के अनुसार पुत्र का चेहरा देखने का मोह पूरा कर रोहित को वापस वरुण को सौंप देना आवश्यक था। हरीशचंद्र यह नहीं कर पाए, क्रोधित वरुण ने राजा को उदर-रोग का श्राप दिया। अब रोहित एक पुख्त पुरुष बन चुका था, उसने लोभी अजीर्गत से सौ गायों के बदले पुत्र शुनःशेप मांग लिया।
Jul 4, 2020 5 tweets 2 min read
रॉलेट एक्ट, सन 𝟏𝟗𝟏𝟗।

काले कानून के विरोध में गांधीजी ने सत्याग्रह का आह्वान किया। हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी समुदायों ने इसमें हिस्सा लिया। गांधीजी का दावा था कि "एक ही वर्ष में देश को स्वतंत्र करा देंगे।" लोग खुशी से झूम उठे और देशभर के बड़े शहरों में आंदोलन शुरू हुआ। »» बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल और एन्नी बेसेंट ने गांधी की योजना को सिरे से नकार दिया लेकिन गांधीजी बिना आंदोलन किए थोड़े ही मानने वाले थे। कुछ जगहों पर पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़पें हुईं और 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ। »»
May 22, 2020 7 tweets 3 min read
वैकुंठ मूर्ति।

विष्णु के चार स्वरूपों को सम्मिलित करती वैकुंठ मूर्ति में मध्य में विष्णु, दोनों ओर नृसिंह और वराह, पीछे की ओर कपिल का मुख दर्शाया जाता है।शास्त्रानुसार यह अष्ट-हस्त है लेकिन आम तौर पर चार हाथ बताए जाते हैं जिनमें शंख, सुदर्शन चक्र, कौमोदकी गदा और पद्म होते हैं। » Image इस प्रतिमा में वराह सृजन का, विष्णु पालन का और नृसिंह संहार का प्रतिकात्मक चित्रण हैं। एक और मत ऐसा भी है जिसमें चार मुखों को अनुक्रम में वासुदेव, संकर्षण (बलराम), प्रद्युम्न और अनिरुद्ध को व्यक्त करते हैं। »»
May 14, 2020 6 tweets 2 min read
मन्दिरों में प्रतिमा निर्माण से पहले पत्थरों की परीक्षा की जाती है। मयमतम्, अग्नि पुराण और सूत्रधार-मण्डन जैसे ग्रंथों में पत्थरों की जांच के लिए नियम लिखे गए हैं और देवता मूर्ति प्रकरण के अनुसार पाषाण को तीन प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है। पुंशिला, स्त्रीशिला और नपुंसक शिला! » जिस पत्थर से 'गजघंटारवाघोषा' मतलब हाथी के गले में बंधी घंटी जैसी मधुर आवाज उठती है उसे पुंशिला कहते हैं। पुंशिला सम-चोरस होती हैं और देवप्रतिमा तथा शिवलिंग निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है। »»
May 13, 2020 5 tweets 3 min read
प्रतिमा विज्ञान में इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। आप जिस मुद्रा के बारे में बात कर रहे हैं उसे 'अभंग मुद्रा' कहते हैं। इसमें शरीर का कमर का हिस्सा थोड़ा सा बल खाया हुआ होने की वजह से एक पैर आगे की ओर बढ़ा होता है। »» 'त्रिभंग मुद्रा' में शरीर के तीन हिस्से बल खाते हैं। गर्दन, कमर और घुटनों को इतने आकर्षक तरीके से मोड़ा जाता है कि प्रतिमा की भाव-भंगिमा में एक उर्जा का आभास होता है। अप्सराओं के शिल्प अक्सर त्रिभंग मुद्रा में बनाए जाते हैं। »»
Mar 25, 2020 6 tweets 2 min read
सच्चाई यह है कि वैज्ञानिक कोरोना की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बना पाए हैं। इटली, स्पेन जैसे देश यह लड़ाई मानसिक रूप से हार चुके हैं & हमारे लिए भी यह अस्तित्व की लड़ाई इक्कीस दिनों से ज्यादा लंबी होने वाली है, यह हमारे संयम और सामर्थ्य की अग्निपरीक्षा है। तैयार रहिए, कमर कस लीजिए » वामपंथी और जिहादी ताकतें गिद्ध की तरह हमारे पराजय का उत्सव मनाने का मंसूबा पाले बैंठी हैं। पाश्चात्य देशों के साथ मिलकर यह लोग आपके मनोबल को तोडने का पूरा प्रयास करेंगे। ये लोग चाहते हैं कि आप घर से बाहर निकलें, पहचानिए इनके उद्देश्यों को…
Mar 14, 2020 10 tweets 3 min read
तालिकोट़ का युद्ध और हम्पी का विध्वंस!

सोलहवीं शताब्दी जब पांच मुस्लिम सल्तनतों ने हाथ मिलाकर दक्षिण भारत के सबसे सक्षम साम्राज्य विजयनगर पर धावा बोल दिया। यह छल-कपट और धोखे का एक ऐसा सबक था जिसे हर भारतीय को याद रखना चाहिए लेकिन कृतज्ञों के इस देश ने इस पराजय को भुला दिया! »» जब विजयनगर साम्राज्य, कृष्णदेव राय और अच्युत राय जैसे कुशल शासकों के बल और चातुर्य का प्रमाण बन चुका था और हम्पी जैसे नगर स्थापत्य कला की खूबसूरत मिसाल, तब हिन्दू धर्म के कीर्तिध्वज समान इस महाराज्य पर e-स्लाम का काला साया मंडरा रहा था। »»
Dec 28, 2019 12 tweets 3 min read
हजारों निर्दोषों की हत्या, सैंकड़ों स्त्रियों के बलात्कार, संपत्ति, मालमत्ता की लूट और महात्मा गांधी की इन सभी घटनाओं को मूक सहमति!

मोपला- सरकारी पाठ्यक्रम में इसे विद्रोह कहा गया, कुछ लेखकों ने इसे दंगा कहा लेकिन प्रामाणिक रूप से कहें तो यह एक नृशंस नरसंहार था।
"मोपला नरसंहार" केरल मालाबार का रमणीय प्रदेश जहां नांबूद्री/नायर ब्राह्मण रहते थे लेकिन 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में श्रीरंगपटनम के हैदर/टीपू जैसे धर्मांध M की सेनाओं ने बारंबार आक्रमण कर धर्म परिवर्तन का लंबा दौर चलाया, स्थानिको की संपत्ति जमीनें हड़प ली गईं और ब्राह्मणों को खदेड़ दिया गया।
Nov 19, 2019 12 tweets 6 min read
वीरों की जन्मतिथि किसी को याद हो न हो पर शूरता से वो अपनी पुण्यतिथि को यादगार जरूर बना देते हैं, ऐसे ही एक बलिदानी थे शिवाजी महाराज के बालसखा नरवीर तानाजीराव मालुसरे, और इनके शौर्य की दास्तां जहां लिखी गई है वो बलिदान भूमि है 'सिंहगढ़'! शिवाजी महाराज के बचपन के मित्र थे तानाजी।बाल शिवाजी ने अपने अंगूठे का रक्त महादेव को चढ़ा कर ली हिंदवी स्वराज्य की प्रतिज्ञा और सोलह साल की उम्र में तोरणा गढ़ पर विजय जैसे प्रसंगों के साक्षी रहे थे अदम्य साहस से भरे तानाजी। »»
Oct 19, 2018 8 tweets 3 min read
आजकल हर #दशहरा को रावण का प्रशस्ति दिवस बनाया जा रहा है, कहा जा रहा है कि रावण महा ज्ञानी ब्राह्मण था, महा पण्डित था, उसने सीताजी को छुआ भी नहीं, और ना जाने क्या क्या ऊटपटांग तर्क दिये जाते हैं लेकिन अधूरा ज्ञान बडा खतरनाक होता है, क्यों? जानने के लिए आगे पढ़ें! »»» वाल्मीकि जी ने लिखा है कि स्वर्ग की अप्सरा रंभा के साथ बलात्कार करने की लालसा के बदले में रंभा के भाई नल-कुबेर ने उसे श्राप दिया था कि अगर बिना अनुमति उसने किसी भी स्त्री को भोगा तो तत्काल प्रभाव से उसकी मृत्यु हो जाएगी इसलिए सीता अपहरण के बावजूद वो उन्हें भोग नहीं पाया। »»»
Oct 1, 2018 11 tweets 2 min read
स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी द्वारा 1918 से 1948 तक किए गए आंदोलन उनका प्रभाव और परिणाम।

शॉर्ट में बोले तो गांधीजी के कर्मकांडों का कच्चा चिट्ठा 😎😎 पढें आगे थ्रेड में… 1) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश वाइसरॉय के आमंत्रण पर गांधीजी उनसे मिले और उन्हें भरोसा दिलाया कि ब्रिटिश ताज के रक्षा हेतु ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को ब्रिटिश सेना में शामिल करने के लिए अभियान चलाएंगे और युद्ध की समाप्ति तक राज की मदद के लिए कोई आंदोलन नही करेंगे।
Aug 22, 2018 10 tweets 3 min read
मान्यता है कि मुस्लिम आक्रमकों के सामने लडने वाले हिंदू योद्धा थे और हिंदू सेनाओं में कभी मुस्लिम शामिल नहीं हुए लेकिन यह मान्यता तथ्यों से परे है छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर पेशवाओं और मेवाड़ के महाराणा प्रताप के लिए राष्ट्रवादी मुसलमानों ने अपने प्राणों का बलि दिया है। »» इब्राहिम खान गर्दी, गोलंदाजी में फ्रांसीसीयों से प्रशिक्षित, दख्खण में निजाम का तौपची था जिसे युद्ध संधि के तहत मराठा सेना को सौंपा गया, फिर जीवन पर्यंत वह मराठों और राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। उसने उदगिर के युद्ध में निज़ाम के ख़िलाफ़ पेशवा की विजय में भारी योगदान दिया था। »»