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https://twitter.com/wh0mi_/status/1379859167746265089अब इसकी तुलना में देश के दूसरे स्मारकों की दुर्दशा देखते हैं।
https://twitter.com/wh0mi_/status/1030338640142974976?s=19
https://twitter.com/pragya_barthwal/status/1379295118247653386पोलपोट के कम्यूनिस्ट दिवास्वप्न के अनुसार देश के सभी लोग किसान थे। बंदूक की नोंक पर शहरों को खाली कराया गया और शिक्षित प्रजाजनों को भी खेतों में मजदूरी करने गांवों में भेज दिया गया। इनमें डॉक्टर और प्राध्यापक जैसे लोग भी शामिल थे। विरोध का परिणाम सीने में बुलेट से मिलता था।
https://twitter.com/wh0mi_/status/1046974528709169155गांधी जी की हत्या के तुरंत बाद उनके ही अनुयायियों ने उनकी अहिंसा की विचारधारा को मार दिया।
https://twitter.com/wh0mi_/status/1179041967881084928?s=19
https://twitter.com/Mr_Siddharth/status/1310269553377644546सिर्फ शिवलिंग ही है जिसे खण्डित होने के बावजूद पूजा जाता है। इसका भी कारण है, कभी फुर्सत में चर्चा करेंगे।
https://twitter.com/playful__wave/status/1287788718120513537लेकिन वरुण की शर्त के अनुसार पुत्र का चेहरा देखने का मोह पूरा कर रोहित को वापस वरुण को सौंप देना आवश्यक था। हरीशचंद्र यह नहीं कर पाए, क्रोधित वरुण ने राजा को उदर-रोग का श्राप दिया। अब रोहित एक पुख्त पुरुष बन चुका था, उसने लोभी अजीर्गत से सौ गायों के बदले पुत्र शुनःशेप मांग लिया।
https://twitter.com/griwin9/status/1260544063159205888जिस पत्थर से 'गजघंटारवाघोषा' मतलब हाथी के गले में बंधी घंटी जैसी मधुर आवाज उठती है उसे पुंशिला कहते हैं। पुंशिला सम-चोरस होती हैं और देवप्रतिमा तथा शिवलिंग निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है। »»
https://twitter.com/IdamRashtram/status/1260221411957882880'त्रिभंग मुद्रा' में शरीर के तीन हिस्से बल खाते हैं। गर्दन, कमर और घुटनों को इतने आकर्षक तरीके से मोड़ा जाता है कि प्रतिमा की भाव-भंगिमा में एक उर्जा का आभास होता है। अप्सराओं के शिल्प अक्सर त्रिभंग मुद्रा में बनाए जाते हैं। »»
https://twitter.com/wh0mi_/status/1238284363571200000जब विजयनगर साम्राज्य, कृष्णदेव राय और अच्युत राय जैसे कुशल शासकों के बल और चातुर्य का प्रमाण बन चुका था और हम्पी जैसे नगर स्थापत्य कला की खूबसूरत मिसाल, तब हिन्दू धर्म के कीर्तिध्वज समान इस महाराज्य पर e-स्लाम का काला साया मंडरा रहा था। »»
https://twitter.com/wh0mi_/status/1032264811164389376इब्राहिम खान गर्दी, गोलंदाजी में फ्रांसीसीयों से प्रशिक्षित, दख्खण में निजाम का तौपची था जिसे युद्ध संधि के तहत मराठा सेना को सौंपा गया, फिर जीवन पर्यंत वह मराठों और राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। उसने उदगिर के युद्ध में निज़ाम के ख़िलाफ़ पेशवा की विजय में भारी योगदान दिया था। »»