आंखें खोलिए अपनी और समझिए कि जड़े कितनी गहरी हैं.
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उत्तरप्रदेश में एक लड़की की लाश पर 15घंटे तक क़ब्ज़ा कर के उस लाश के सहारे दंगा करने की तैयारी कर रहे दंगाईयों से लाश छीनकर यूपी पुलिस जब उस लाश को जला देती है तो उत्तरप्रदेश में हाइकोर्ट आगबबूला हो जाता है. @Shawshanko
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मामले का स्वतःसंज्ञान ले लेता है.पुलिस और प्रशासन के सारे बड़े अधिकारियों को तलब कर लेता है.सवालों की झड़ी लगा देता है.लेकिन राजस्थान में जब कोई लाश नहीं बल्कि एक बूढ़ा पुजारी जिंदा जला दिया जाता है,महाराष्ट्र में दो बूढ़े साधुओं को पुलिस के घेरे में पीट पीटकर.@chitrapadhi
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मौत के घाट उतार दिया जाता है तो राजस्थान और महाराष्ट्र में हुई इन दोनों हत्याओं का स्वतः संज्ञान ना राजस्थान का हाइकोर्ट लेता है ना महाराष्ट्र का हाइकोर्ट लेता है.आखिर इसका कारण क्या है?
अब एक और उदाहरण देखिये.
उत्तरप्रदेश मेंCAAकानून के विरोध में दंगा बलवा. @Ramkailash123
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आगजनी हत्या करने वाले दंगाईयों बलवाइयों हत्यारों की फोटो वाले होर्डिंग जब उत्तरप्रदेश की सरकार लगाती है तो उत्तरप्रदेश में हाइकोर्ट आगबबूला हो जाता है.मामले का स्वतःसंज्ञान ले लेता है.और मामले को इतना जरूरी समझता है कि रविवार की छुट्टी के दिन.. @DKSinghSom@DrYashpalSingh9
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विशेष रूप से हाइकोर्ट की बेंच बैठ जाती है, उत्तरप्रदेश सरकार को ही अदालत में तलब कर लिया जाता है,हाइकोर्ट सवालों की झड़ी लगा देता है और उन होर्डिंग्स को हटाने का आदेश भी दे देता है.
लेकिन दिल्ली में जबCAAविरोधी दंगाई बलवाई एक मुख्य सड़क को महीनों तक जाम कर के बैठ जाते हैं
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लाखों लोगों का रास्ता कई महीनों तक जाम कर देते हैं,तब दिल्ली का हाइकोर्ट इस करतूत का कोई स्वतःसंज्ञान नहीं लेता है आखिर इसका कारण क्या है?देशके संविधान और कानून की किताब में क्या हर राज्य के लिए अलग अलग कानूनों की व्यवस्था की गयी है?यह सारे सवाल बतारहे हैं कि जड़े कितनी गहरी हैं!