आंखे खोल देने वाली एक पोस्ट मिली आप सबसे साझा कर रही हूँ
_वो दुकान आज भी है_
मेरे घर के पीछे एक छोटा सा हाता था उसमे पांच परिवार रहते थे जिनमे से एक ठाकुर एक ब्राह्मण और दो बनिया परिवार था। एक और झोपड़ी थी जो खाली पड़ी थी।बहुत छोटी थी इसलिए उसमें कोई रहता नहीं था।फिर एक दिन एक
रहीम चाचा वहां से गुजरे तो उनकी नजर उस झोपड़ी पर पड़ी और वो ठाकुर साहब से मिन्नते करने लगे कि उन्हें उस झोपड़ी में रहने की इजाजत दे दी जाये।हालांकि झोपड़ी खाली थी और रहीम चाचा निहायती सीधे आदमी थे उन्हें वो रहने खातिर दे दी गई। रहीम चाचा अपनी बेगम और तीन बच्चों के साथ रहने लगे और
वही आहाते के बाहर पंचर की एक दुकान खोल ली। रहीम चाचा के तीनों बच्चे बहुत अच्छे थे वो बाकी बच्चों के साथ घुलमिल गये। सब साथ-साथ खेलते देखते रहीम चाचा ने दूसरी शादी कर ली और पहली से पांच बच्चे तो थे ही दूसरी वाली से चार और हो गये। कुल जमा नौ बच्चे हो गये। हालांकि झोपड़ी छोटी थी तो
दिन भर बाहर चारपाई पर लेटे रहते और एक दिन एक टट्टर लगाकर पड़ोसी पंडित जी का आगन घेर लिया पंडित जी कुछ न बोले।हालांकि बच्चों ने मदरसे की तालीम ली और उनके मन में ये बात आ गई कि हिन्दु काफिर है।रहीम चाचा का छोटा बेटा दानिश रोज कुरान पढ़ता था वह ईमान का सख्त था।एक दिन अब्दुल की हाते
के बनिया के लड़के रमेश से गाड़ी खड़ी करने को लेकर लड़ाई हो गई।रमेश को रहीम चाचा के बच्चों ने घेर लिया और लाठी डंडों से पीटना शुरु कर दिया बनिया दौड़ा-दौड़ा रहीम चाचा के पास गया रहीम चलो नहीं तो तुम्हारे बच्चे मेरे बेटे को मार डालेंगे इतना सुनते ही रहीम चाचा दौड़े-दौड़े आये और
रमेश को बचा लिया और उसी समय अजान होने लगी रहीम चाचा और उनके बच्चे सभी शांत से खड़े हो गये। रहीम चाचा बड़े प्यार से रमेश के सर हाथ फेर रहे थे।मानो चेहरे से अल्ला का नूर टपक रहा हो दरियादिल इंसान कितना प्यार भरा है इनके दिल में। तबतक अजान खत्म हो गई रहीम चाचा ने बनिये से कहा जनाब
रमेश से कहिए गाड़ी कहीं और खड़ी करे। कल मौके पर मैं न हुआ तो क्या करेंगे, बच्चों का खून गरम है और रहीम चाचा के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। रमेश और अब्दुल साथ-साथ ही खेले थे रमेश एमबीए किया था उसके बाद उसने मोहल्ला छोड़ दिया पंडित और ठाकुर साहब की दो बेटियां जोधा- अकबर और पीके
जैसी फिल्मे देख कर लव जिहाद का शिकार हो गई।धीमे-धीमे मोहल्ले से सभी चले गये अपने मकानों पर लिख गये मकान बिकाऊ है जो भी खरीददार आता वो देखता जगह-जगह गदंगी पड़ी है मुर्गों के पंख पड़े हैं। बदबू सुंघ कर ही भाग जाता।फिर एक दिन चारों मकान रहीम चाचा के बेटों ने ताला तोड़कर कब्जा कर
ऐसे करके 250 से ऊपर लड़कियों के साथ हुई ये हरकत। ये लड़कियां किसी गरीब या मिडिल क्लास बेबस घरों से नहीं, बल्कि अजमेर के जाने-माने घरों से आने वाली बच्चियां थीं।
वो दौर सोशल मीडिया का नहीं पेड/ बिकाऊ मीडिया का था। फिर पच्चीस तीस साल पुरानी ख़बरें कौन याद रखता है ?
ये वो ख़बरें
थी जिन्हें कांग्रेसी नेताओं ने वोट और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए दबा दिया था !
पुलिस के कुछ अधिकारियों और इक्का दुक्का महिला संगठनों की कोशिशों के बावजूद लड़कियों के परिवार आगे नहीं आ रहे थे। इस गैंग में शामिल लोगों के कांग्रेसी नेताओं और खूंखार अपराधियों तथा चिश्तियों से
कनेक्शन्स की वजह से लोगों ने मुंह नहीं खोला। बाद में फोटो और वीडियोज के जरिए तीस लड़कियों की शक्लें पहचानी गईं। इनसे जाकर बात की गई। केस फाइल करने को कहा गया। लेकिन सोसाइटी में बदनामी के नाम से बहुत परिवारों ने मना कर दिया। बारह लड़कियां ही केस फाइल करने को तैयार हुई। बाद में
अजमेर शरीफ चिश्ती दरगाह बलात्कार काण्ड
देश का सबसे बड़ा बलात्कार कांड का घिनोना सच जिसका कोर्ट ने फैसला अब सुनाया।
सन् 1992 लगभग 25 साल पहले सोफिया गर्ल्स स्कूल अजमेर की लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप जिन्हें लव जिहाद/प्रेमजाल में फंसा कर, न
केवल सामूहिक बलात्कार किया बल्कि एक लड़की का रेप कर उसकी फ्रेंड/भाभी/बहन आदि को लाने को कहा, एक पूरा रेप चेन सिस्टम बनाया, जिसमें पीड़ितों की न्यूड तस्वीरें लेकर उन्हें ब्लैकमेल करके यौन शोषण किया जाता रहा !
फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती, इस बलात्कार रेप
कांड के मुख्य आरोपी थे, तीनों अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम (केयरटेकर) के रिश्तेदार/वंशज तथा कांग्रेस यूथ लीडर भी ! फारूक चिश्ती ने सोफिया गर्ल्स स्कूल की 1 हिन्दू लड़की को प्रेमजाल में फंसा कर एक दिन फार्म हाउस पर ले जा कर सामूहिक
फोटो में जो वृद्ध गड़रिया है वास्तव में ये सेना का सबसे बड़ा राजदार था| पूरी पोस्ट पढ़ो| इनके चरणों मे आपका सर अपने आप झुक जाएगा, 2008 फील्ड मार्शल मानेक शॉ वेलिंगटन अस्पताल, तमिलनाडु में भर्ती थे। गम्भीर अस्वस्थता तथा अर्धमूर्छा में वे एक नाम अक्सर लेते थे - 'पागी-पागी!'
डाक्टरों ने एक दिन पूछ दिया “Sir, who is this Paagi?”
सैम साहब ने खुद ही brief किया...
1971 भारत युद्ध जीत चुका था, जनरल मानेक शॉ ढाका में थे। आदेश दिया कि पागी को बुलवाओ, dinner आज उसके साथ करूँगा! हेलिकॉप्टर भेजा गया। हेलिकॉप्टर पर सवार होते समय पागी की एक थैली नीचे रह
गई, जिसे उठाने के लिए हेलिकॉप्टर वापस उतारा गया था। अधिकारियों ने नियमानुसार हेलिकॉप्टर में रखने से पहले थैली खोलकर देखी तो दंग रह गए, क्योंकि उसमें दो रोटी, प्याज तथा बेसन का एक पकवान (गाठिया) भर था। Dinner में एक रोटी सैम साहब ने खाई एवं दूसरी पागी ने।
एक हकीकत 1971 की 😢
जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी उस समय फील्ड मार्शल मानेकशॉ आर्मी चीफ थे, इंदिरा गाँधी ने उन्हें पाकिस्तान पर चढाई करने का आदेश दिया...
इसके जवाब में जनरल मानेकशॉ ने कहा सैनिक तैयार हैे, पर उचित समय पर युद्ध करेंगे।
लेकिन इंदिरा गाँधी ने तुरंत चढाई करने
का आदेश दिया...
परंतु, उचित समय पर ही सेना ने चढ़ाई करके सिर्फ 13 दिनों में पूर्वी पाकिस्तान को बांगलादेश बना दिया...
उचित समय आने पर श्री मानेक्शा इंदिरा गाँधी से बोले..."मै आपके राजकाज में दखल नही देता.. वैसे ही आप भी सैन्य कार्यवाही में दखल मत दीजिये"...
इस के पश्चात 1971
के बाद से जनरल माणेकशा जी का वेतन बंद कर दिया गया...
परंतु, माँ भारती के इस सपूत ने कभी भी अपने वेतन की मांग नही की...
25 साल बाद जब वो हॉस्पिटल में थे तब एक दिन श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, राष्ट्रपति पद पर रहते उनसे मिलने गए...
उस वक्त बातचीत के दौरान ये बात राष्ट्रपति श्री