रानी गाइदिन्ल्यू कितने लोग जानते हैं इनको?
शायद नागालैंड के लोगों या मणिपुर के लोगों को छोड़कर एक भी नहीं।
इनका जन्म 26 जनवरी 1915 को नंग्कओ ग्राम,रंगमई,मणिपुर में हुआ था।
इनके पिता कोबाई कबीले के नागाई की पुरोहिताई करते थे।
13 साल की उम्र में ये अपने चचेरे भाई के साथ हेरा आन्दोलन में जुड़ीं थीं जो कि मिशनरियोॆ के खिलाफ धर्म परिवर्तन को लेकर था।
29/08/1931 को जदोनांग को अंग्रेजों ने फां//सी दे दी।
फिर नागालैंड की दसवीं कक्षा में पढने वाली इस रानी ने आन्दोलन की बागडोर अपने हाथ में संभाली +
अंग्रेजों ने वहां गांव के गांव ज///ला दिये परन्तु आदिवासियों का विश्वास न डगा सके।
गोरिल्ला युद्ध की तकनीक जानने के चलते स्थान बदलकर काफी युद्ध किये रानी किला बनाना चाहती थी जिसमें 4000 सैनिक एकसाथ रह सकें परन्तु काम बीच में चलते ही अंग्रेजों ने युद्ध कर दिया +
17 अप्रैल 1932 को रानी को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी।
ध्यान देने वाली बात ये है कि रानी स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भी जेल में ही थीं इनको जेल से रिहा करने के लिये ब्रिटेन की संसद में सवाल उठाया गया तत्पश्चात् नेहरू सरकार ने इनको रिहा किया। ++
रानी को 1972 में ताम्रपत्र स्वतन्त्रता सेनानी,
1982 में पद्म भूषण,
1983 में विवेकानन्द सेवा पुरस्कार दिया गया।
एवम् 17 फरवरी 1993 को रानी की मृत्यु हो गयी।
इनकी स्मृति में दिल्ली के IIMC में बालिका छात्रावास बना हुआ है।
रानी को सादर नमन।