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21 Nov, 22 tweets, 7 min read
सरकारी नौकरी कोई चाहता क्यों है
और
लोग सोचते क्या है इन नौकरी करने वालो के बारे में।
एक छोटी सी कोशिश है खुद भी समझने की (आपके विचारो से) और आपको भी एक बार सोचने पर विवश करने की कि क्यों आपने ये क्षेत्र चुना था
1/n
#StopPrivatisation
#SavePSBs
नेता ये सोचते हैं कि जिन्हें कही नौकरी नहीं मिलती वो सरकारी नौकरी पा जाते हैं।
आम जनता सोचती है सरकारी कर्मचारी चोर है ये काम नहीं करते और मुफ्त की खाते है।
जबकि एक शिक्षित युवा को ठीक से पता है कि कौन चोर हैं
कोन मुफ्त की खाता है
कोन योग्यता नहीं रखते
#StopPrivatisation
तो शुरू करते हैं
जिसकी आर्थिक स्थिति सिर्फ इतनी सी ही हो कि उसके घरवाले किसी तरह 10 वी पास करवा पाए और फिर बोले कि घर में तुम लोग 4 भाई बहिन हो और हम 2 लोग तुम्हारे मां बाप फिर तुम्हारे दादा दादी।
तुम घर में सबसे बड़े हो अगर तुम ही अपने पिताजी का हाथ नहीं बंटाओगे तो कोन करेगा
N/N
फिर वो लड़का सरकारी स्कूल से अपनी 12वी पूरी करता है सिर्फ इस शर्त पर कि इससे उसके पिताजी की छोटी सी दुकान पर दिए जाने वाले समय में कोई लापरवाही नहीं होगी।
क्योंकि उसे लगता हैं कि अगर किसी तरह पढ़ लिख कर उसे कोई छोटी सी भी नौकरी मिल गई तो उसके परिवार की ये स्थिति सुधर सकती है
N/N
ज्यादा अमीरी नहीं चाहिए उसे, बस इतना सा ही सपना है कि उस नौकरी के पाने के बाद वो भी अपने भाई बहिन को अच्छे स्कूलों से पढ़ा सके, उन्हें कोई रोजगार करने लायक बना सके।
जिस समाज में उसकी गरीबी के कारण कोई उसे इंसान भी नहीं समझता उस समाज में पहचान बनाने का जरिया है ये नौकरी।
N/N
और ये लड़का वो है जिसके पास आरक्षण भी नहीं है क्योंकि वो गलती से उच्च जाति के गरीब परिवार में जन्म लेता है।
अब 12वी के बाद उस बेचारे को कोन इंजीनियरिंग, डाक्टरी करवाएगा जिससे वो देश के लिए इनोवेटिव विचार दे सके या फिर आत्मनिर्भर बनकर कम्पनी खोलकर देश को रोजगार दे सके
N/N
इसलिए अब वो अपने शहर में काम ढूंढ़ता है जो उसे काम दे सके
उसके शहर में ऐसा कोई भी काम उसे नहीं मिलता है जिससे उसे आमदनी 10000 रू महीने से ज्यादा हो सके।
और वो भी तब मिलेगा उसे, जब उस कम्पनी में उस कम्पनी का कोई कर्मचारी उसकी रेफरेंस देने वाला हो।
N/N
सब जगह हाथ पैर मारने के बाद भी जब कोई काम नहीं मिलता है तब उसे एक रास्ता दिखता है - सरकारी नौकरी
जहा उसे कोई रेफरेंस देने की जरूरत नहीं होगी
जहा उसका शोषण नहीं होगा
जहा ये चिंता (उसका रोजगार या तो निजी मालिकों के चाहने पर होगा,
नहीं तो
नहीं होगा) नहीं होगी
N/N
इसलिए अब वो विश्वविद्यालय के दूरवर्ती ग्रेजुएशन कोर्स में दाखिला लेता है और साथ में घरखर्च के लिए कोई निजी संस्थान में नौकरी भी करता है जहा उसे 4000 रू महीना मिलते हैं और काम सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक।
तब किसी तरह जाकर वो अपनी पढ़ाई को जारी रख पाता है।
अब वो दिन आता है जब
N/N
उसकी डिग्री पूरी हो जाती हैं।
इस बीच वो केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं से ये समझ जाता है कि अगर इन परीक्षाओं में वो अप्लाई करेगा तो भर्ती भ्रष्टाचार या लेट लतीफी के कारण 3 से 4 सालो में पूरी होगी और सिर्फ 2 मौके मिलने के बाद वो आयु सीमा की वजह से
N/N
अयोग्य हो जाएगा
इसलिए वो बैंकिंग का रुख करता है क्योंकि उसे सिर्फ यही ऐसा सेक्टर नजर आता है जो एक साल के अंदर ही ज्वाइनिंग भी करवाता है और निष्पक्षता भी रहती है।
असली जद्दोजहद अब शुरू होती है
तैयारी शुरू होती हैं घर से ही
किताबे खरीदी जाती हैं
डेली अंग्रेजी अखबार शुरू होता है
N/N
मासिक पत्रिका खरीदी जाती हैं
ऑनलाइन प्रैक्टिस सेट लगाने के लिए कैफे जाया जाता है
कोचिंग करने वालों से टच बना कर रखा जाता है
इस सब में 6 - 9 महीने में ही 20000 रू स्वाहा हो जाते हैं
ये रकम 4000 रू महीने कमाने वाले के लिए बहुत होती है
और फिर उस साल चयन भी नहीं होता है
N/N
घरवालों द्वारा दी जाने वाली गालियों से होने वाली पीडा और अंधेरों भरी जिंदगी का डर ये निजीकरण की समर्थक कमेटियों के मेंबर और उसको सही दर्शाने वाले ये उद्योगपति क्या जाने।
ये दौर लगातार 3 साल चलता है अब तो घरवालों की ही नहीं युवक की भी हिम्मत टूट जाती है और कहीं से पैसों का
N/N
जुगाड करके फॉर्म अप्लाई करता है और तैयारी में पूरे जोर से जुट जाता है
क्योंकि उसे पता होता है कि अगर इस बार भी नौकरी नहीं मिली तो समाज तो क्या accept करेगा उसे, उसके घरवाले भी उसे accept नहीं करेंगे और जाकर मजदूरी ही करनी पड़ेगी।
हर बार की तरह प्री फिर मेंस भी निकल जाता है N/N
इंटरव्यू होता है और रिजल्ट आने पर उसकी किस्मत साथ नहीं देती हैं और वो वेटिंग लिस्ट में आ पाता है।
इस दौरान सरकार सरकारी बैंको को मर्ज कर देती हैं।
अब जब रिजल्ट आता है तो चयन मर्जिंग के बाद शेष बचे बैंकों में से एक में होता है इसलिए नहीं कि उसके अंक कम है बल्कि इसलिए
N/N
क्योंकि जिस बैंक में उसका चयन हुआ हैं उसने उसे अप्लाई किए जाने के दौरान मर्ज किए गए बैंकों की बजाए प्राथमिकता दी थी।
अब उसे थोड़ी पता था कि सरकार इन बैंको को मर्ज करेगी और बाकी दूसरे बैंको को प्राइवेट करेगी
खैर
अभी नौकरी पाने की खुशी भी नहीं मना पाए थे और ज्वाइनिंग का वेट कर
N/N
रहे थे कि बैंको के निजीकरण की खबरे उड़ा दी।
यहां डर निजीकरण से नहीं है
और रही बात सरकारी नौकरी की,
तो बैंक वाले तो पहले ही गधे की तरह काम करते हैं।
और अगर निजीकरण करना ही है @PMOIndia @FinMinIndia तो कुछ बैंकों का क्यू
सभी का कर दीजिए ना,
निजीकरण समाज के लिए इतना अच्छा तो है ही।
अगर आपका निजीकरण उस युवा को ये गारंटी दे सकता है कि उसकी इतनी मेहनत से पाई गई ये नौकरी रहेगी या नहीं रहेगी, उस संस्थान के लाभ के भूखे उद्योगपतियों की मनमर्जी पर निर्भर नहीं करेगा।
उस युवा को दी जाने वाली तनख्वाह, उसके भत्ते व उसके परिवार वालों (एक्सपायर हो जाने की स्थिति में)
N/N
को दी जाने वाली सुविधाएं नहीं रोकी जाएगी।
जनता को सरकारी बैंकों द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं अनवरत मिलती रहेगी
ग्रामीण क्षेत्रों में जनता को सेवाएं देने के कारण नुकसान में रहने वाली शाखाओं को बन्द नहीं किया जाएगा।
तब होने वाला निजीकरण सच में देश के लिए अच्छा है।
N/N
फिर एक नहीं @SecyDIPAM साहब सब सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दे
जब निजीकरण से किसी की नौकरियां नहीं जाएगी
ना जनता का शोषण होगा ना स्टाफ का।
तब निजीकरण अच्छा है
अगर आप ये गारंटी नहीं दे सकते तो नहीं चाहिए निजीकरण @FinMinIndia
एक भी बैंक का नहीं
#StopPrivatisation
#IndiaNeedsPSBs
N/N
क्योंकि साहब @PMOIndia
हर युवा देश सेवा करने के लिए फौज में भर्ती नहीं हो पाता।
उनके पास ये सार्वजनिक क्षेत्र ही है जो उनके सपनों को पूरा करते हैं।
अगर समाज में चोरी, डकैती, और असामाजिक काम बढ़ते हैं तो कहीं ना कहीं रोजगार सबसे बड़ी वजह होती हैं।
इसलिए युवाओं को इन संस्थानों में दिखने वाले उम्मीद के दीप को मत बुझने दीजिए।
#StopPrivatisation
#SavePSBs

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