बड़ौत में श्रुत देवी सरस्वती की प्रतिमा का लोकार्पण 20.1.16
विद्या की सोलह देवियों में अपना अहम स्थान रखने वाली श्रुत देवी सरस्वती मां की प्रतिमा बुधवार को बड़ौत के दिगंबर जैन डिग्री कालेज में 'विराजमान' की गई। राजस्थान के जयपुर में विश्व विख्यात मूर्तिकार हरि शंकर शर्मा द्वारा
बनाई गई यह प्रतिमा विश्व में इकलौती चतुर्भुज प्रतिमा है। अभी तक 8वीं से 11वीं शताब्दी तक खड़गासन प्रतिमाएं ही दुनिया में हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद डा. जेके जैन ने प्रतिमा का लोकार्पण किया। जैन आगमों व जैन साहित्यों में श्रुत का अर्थ श्रवण किया हुआ सम्यक ज्ञान बताया गया है।
जैन शास्त्र कहते हैं कि श्रुत केवली और केवली के ज्ञान में कोई अंतर नहीं होता। श्रुत केवली को जानने के लिए ज्ञान का उपयोग करना होता है, जबकि केवली को सब कुछ आर-पार दिखता है। यहां श्रुत को विद्या की सौलह देवियों में विशेष स्थान दिया गया है।
प्राचीन काल से इस देवी का वर्णन महज जैन शास्त्रों व जैन साहित्यों में ही मिलता है, लेकिन दुनिया में श्रुत देवी सरस्वती मां की चतुर्भुज प्रतिमा कहीं नहीं है। सोलह देवियों के इस रूप को लेकर बड़ौत की दिगंबर जैन हाईस्कूल एसोसिएशन ने श्रुत देवी सरस्वती मां की चतुर्भुज प्रतिमा तैयार
कराई है। शहजाद राय शोध संस्थान के कई वर्षों तक चले शोध के बाद इस प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा सका है। संस्थान के निदेशक अमित राय जैन बताते हैं कि जैन धर्म में विद्या की सोलह देवियों के अतिरिक्त एक श्रुत देवी भी हैं। जैन लोग ज्येष्ठ मास के शुक्ल पंचमी को जैन ज्ञानपंचमी या
श्रुत पंचमी भी कहते हैं और उस दिन श्रुत देवी व शास्त्रों की विधिवत पूजा का विधान दिगंबरों में है तथा कार्तिक मास की शुक्ल पंचमी को श्रुत देवी की पूजा का विधान और जैन परंपरा में है। लंबे शोध के बाद इस प्रतिमा को धरातल पर लाया गया है। अभी तक 8वीं से 11वीं शताब्दी तक की महाराष्ट्र,
कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान के जैन मंदिरों में खड़गासन प्रतिमाएं स्थापित हैं, लेकिन यह दुनिया में इकलौती चतुर्भुज श्रुत प्रतिमा है। जैन समुदाय में श्रुत प्रतिमा को विद्या की सबसे महत्वपूर्ण देवी माना गया है।
ये है बड़ा अंतर,
जैन बताते हैं कि वैष्णव परंपरा में सरस्वती मां की
प्रतिमा के हाथ में वीणा होती है, जबकि श्रुत सरस्वती देवी मां के एक हाथ में कमंडल होता है। इसके अलावा दूसरे हाथ में वैजयंती माला, तीसरे हाथ में ताड़ पत्र की पांडुलिपि और चौथे हाथ में कमल होता है। सिर के ऊपर भगवान महावीर स्वामी जी विराजमान हैं, जो अपने आप में एक अछ्वुत प्रतिमा है।
बनेगा अद्भुत मंदिर
जैन का कहना है कि इस प्रतिमा को स्थापित कराने में प्रबंध कमेटी के धनेंद्र कुमार जैन, धन कुमार जैन व अन्य कई लोगों का बड़ा सहयोग रहा है। पूर्व राज्यसभा सांसद डा. जेके जैन यहां पर अछ्वुत मंदिर बनाएंगे, जिसमें यह श्रुत प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
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