निजीकरण की तमाम बहस के बावजूद सरकारी नौकरी का मोह जाता नही,
क्यूं??
वजह ये है कि सरकारी नौकरी एक तिलिस्मी चाभी है जो एक निम्नवर्गीय व्यक्ति को भी समाज के इलीट क्लास में पहुचने का रास्ता दिखाता है,
सदियों से जो दबे कुचले वंचित गरीब रहे है, जिनके बाप बड़े व्यवसायी, बड़े किसान, प्रोपर्टी होल्डर नही है, जो बेटे को बड़ी विरासत दे जाएं, और कहें बेटा डर मत मैं हूं न तुम्हारा भविष्य सिक्योर है,
सरकारी नौकरी उन लोगो की लाइफलाइन और जीवन को बेहतर बनाने का मौका है.,
जो जानते है कि उनके पास इतनी पूंजी नही की बडा व्यवसाय खड़ा कर सके, 4 दुकान किराए पर लगाकर बिना मेहनत कमा खा सके.,और इज्जत के साथ जी सके,
वो आम आदमी ये जानता है, की अपना अतीत और माता पिता वो बदल नही सकता, पर उसकी मेहनत और सरकारी नौकरी उसकी किस्मत बदल सकती है,
इसलिए वो हाड़तोड़ परिश्रम करता है, जिस युवा दौर में उसके साथी, महंगी बाइक कार में सड़क के चौराहों रेस्टोरेंट में लड़कियां घुमा रहे होते है, वो छोटे शहर में 600Rs से 1000Rs के कमरे में रात 2 बजे तक अपनी आँखें खराब कर रहा होता है, मैकडोनाल्ड डोमिनोज़ कौन कहे,
सड़क के ढाबे पर खाने के पहले भी दो बार सोचता है कि उसके पिता कैसे ये सब खर्च मैनेज कर रहे होंगे, वो जिंदगी का सबसे बड़ा दाव खेलता है, जो बड़े बड़े दिग्गजों के बस की नही होती, 18 साल से 30 साल की गोल्डन age बन्द कमरों की किताबों पर कुर्बान कर देता है,
बिना यह सोचे कि जॉब नही मिली तो वो क्या करेगा, साहब जिंदगी के 18 20 साल सिर्फ एक उम्मीद पर झोंक देना मज़ाक नही होता,,
ऐसा भी नही होता कि सब सफल हो, दहाई और सैकड़ो की संख्या में सीट होती है, और लाखों की संख्या में फॉर्म होते है,
जनरल obc sc st और घपले,रिश्वत,कोर्ट का रिस्क होता
है, फिर भी वो लड़ता है, सिर्फ एक उम्मीद पर, की जॉब मिल जाएगी और लाइफ संवर जाएगी,
इसलिए सरकारी नौकरी वालो को दी जाने वाली सैलरी उनके 15 20 साल के
तप का फल है उनकी जॉब उनके इलीट क्लास में घुसने का रास्ता है, क्योंकि जॉब मिलते ही, वो दोस्त जो नजरें चुरा कर निकल जाते थे,
वो गर्व से बताते है कि मेरा दोस्त आईएएस बन गया, यार काम करवा दो,
जिन घरों की दहलीज पर घुस नही सकते थे, वहाँ से शादी के रिश्ते आने लगते
है, जिन्होंने कभी आपके बाप से भी तू कह कर बात की हो, वो आप कहने लगते है,
जिन घरों में खाने को ठीक से अनाज नही होता था,
वो भी एयरपोर्ट पर 135/ की चाय पिते है,
साहब,अमीरों को फर्क नही पड़ता, उनकी लाइफ को बेहतर बनाने के 100
रास्ते वो खुद बना सकते है, या सरकार या जुगाड़ बना देती है पर गरीब का क्या वो तो ले देकर सरकारी नौकरी को ही अपनी सबसे बड़ी सीढी समझता है,
निजीकरण अच्छा हो सकता है,,
पर क्या वो गरीब को ये सम्मान दे पाएगा,, क्या निजीकरण के बाद एक गरीब का बच्चा महंगे कॉलेज से mbbs md इंजीनियर अफसर बन पाएगा,,
अगर नही, तो सरकारी संस्थानों के निजीकरण को रोकिए, इसलिए नही क्योंकि आप गरीब है,
इसलिए भी क्योंकि आप मिडिल क्लास है,और ये निजीकरण एक ऐसे व्यवस्था बनाता है
जिसमे अमीर और ताकतवर होते जाते है, और बाकी
कमजोर, भरोसा न हो तो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की फी पता कर लीजियेगा, और अपनी जेब टटोलकर देखिएगा की बच्चे को एडमिशन दिला पाएंगे क्या??? जवाब अपने आप मिल जाएगा कि सरकारी संस्थान क्यों जरूरी है...
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Vedas-Puranas-Smriti
Many people claim Hinduism is regressive and patriarchal, and that it does not allow widow Remarriage. That's wrong, let's see how.
या पूर्वं पतिं वित्त्वाऽथान्यं विन्दतेऽपरम् । पञ्चौदनं च तावजं ददातो न वि योषतः
- Atharva Veda (9.5.27)
A woman who marries another man after death of husband should do Panchaudana Yajna .....
This mantra clearly talks about remarriage of widow