अर्थ –व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य होता है, व्यक्ति का परिश्रम ही उसका सच्चा मित्र होता है। क्योंकि जब भी मनुष्य परिश्रम करता है तो वह दुखी नहीं होता है और हमेशा खुश ही रहता है। #संस्कृत
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।।
अर्थ–व्यक्ति के मेहनत करने से ही उसके काम पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से उसके काम पूरे नहीं होते। जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरण स्वयं नहीं आता, उसके लिए शेर को परिश्रम करना पड़ता है।
अर्थ – जो व्यक्ति भिन्न-भिन्न देशों में यात्रा करता है और विद्वानों से सम्बन्ध रखता है। उस व्यक्ति की बुध्दि उसी तरह होती है जैसे तेल की एक बूंद पूरे पानी में फैलती है।
अर्थ–कानों में कुंडल से नहीं, अपितु ज्ञान की बातें सुनने से है।
हाथों की सुन्दरता कंगन से नहीं,बल्कि दान देने से है।
शरीर चन्दन से नहीं,परहित में किये कार्यों से शोभायमान है।🙏
अर्थ–घोड़े की शोभा उसके वेग से होती है और हाथी की शोभा उसकी मदमस्त चाल से होती है।नारियों की शोभा उनकी विभिन्न कार्यों में दक्षता के कारण और पुरुषों की उनकी उद्योगशीलता के कारण होती है। #संस्कृत 🙏
यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्।
एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति।।
अर्थ – जैसे एक पहिये से रथ नहीं चल सकता। ठीक उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है।
अर्थ–कोई अपरिचित व्यक्ति मदद करें तो परिवार के सदस्य की तरह महत्व दें,परिवार का सदस्य नुकसान दे तो उसे महत्व न दे।
जैसे शरीर के अंग बीमार हो जाये तो तकलीफ देती है पर जंगल की औषधी लाभ देती है।🙏
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा।।
अर्थ–जो माता पिता अपने बच्चो को शिक्षा से वंचित रखते हैं,ऐसे माँ बाप बच्चो के शत्रु के समान है।विद्वानों की सभा में अनपढ़ व्यक्ति कभी सम्मान नहीं पा सकता वह हंसो के बीच एक बगुले के सामान है। #संस्कृत 🙏
हम आपके सभी मनोभाव और प्रसन्नता को समझते हैं तथा मोदी जी के अद्भुत कार्यों की सराहना भी करते है किंतु आप तारीफ़ व अतिप्रसन्नता में उन्हें आदि शंकराचार्य, भगवान विष्णु के अवतार तथा किसी भी दैवी शक्ति से तुलना मत करीये यह आग्रह है।🙏😌
ऐसी मानसिकता गलत है।
व्यक्ति पूजा की मानसिकता के खिलाफ ही मोदी जी और गैर कांग्रेसी विचारधारा इस देश में संघर्ष किया है तथा किसी भी व्यक्ति को देश का पिता, देश की माँ, देश का चाचा और देश का पर्याय कहने पर पुरजोर विरोध किया है।
इसलिए अतिउत्साह में वही गलती न करे जो कुतर्क बेच कर औरो ने किया है।🙏😌
इतिहास मुल्यांकन करेगा और हमारी विचारधारा का विकास होते रहेगा तब मोदी जी उसके अग्रणी महान राष्ट्रवादी नेता के तौर पर जाने जाएंगे तथा हिंदू समाज बिल्कुल कहेगा की विशेष ईश्वरीय कृपा उनपर रही है।
पर अभी जो हम अतिउत्साह या किसी को खुश करने के लिए कह रहे हैं उसका गलत मतलब जा रहा है।
एक बहुत ब्रिलियंट लड़का था कार्तिक राजाराम सारी जिंदगी फर्स्ट आया. साइंस में हमेशा 100% स्कोर किया. अब ऐसे लड़के आम तौर पर इंजिनियर बनने चले जाते हैं, सो उसका भी सिलेक्शन IIT चेन्नई में हो गया. वहां से B Tech किया…👇
और वहां से आगे पढने अमेरिका चला गया और यूनिवर्सिटी ऑफ़ केलिफ़ोर्निया से MBA किया.
अब इतना पढने के बाद तो वहां अच्छी नौकरी मिल ही जाती है. उसने वहां भी हमेशा टॉप ही किया. वहीं नौकरी करने लगा. 5 बेडरूम का घर उसके पास. शादी यहाँ चेन्नई की ही एक बेहद खूबसूरत लड़की से हुई .
…👇
एक आदमी और क्या मांग सकता है अपने जीवन में ? पढ़ लिख के इंजिनियर बन गए, अमेरिका में सेटल हो गए, मोटी तनख्वाह की नौकरी, बीवी बच्चे, सुख ही सुख।
लेकिन दुर्भाग्य वश आज से चार साल पहले उसने वहीं अमेरिका में, सपरिवार आत्महत्या कर ली….!👇
#श्रीमदभगवद्गीता के अनुरूप -
जो मनुष्य ब्रह्माके एक हज़ार चतुर्युगीवाले एक दिनको और सहस्त्र चतुर्युगीपर्यन्त एक रातको जानते हैं, वे मनुष्य ब्रह्माके दिन और रातको जाननेवाले हैं।
अब गणना बताते है-
सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि-मृत्युलोक के इन चार युगको एक चतुर्युगी कहते हैं। ऐसी एक हजार चतुर्युगी बीतने पर ब्रह्माजी का एक दिन होता है और एक हजार चतुर्युगी बीतने पर ब्रह्माजी की एक रात होती है। दिन-रात की इसी गणनाके अनुसार सौ वर्षों की ब्रह्माजी की आयु होती है।
गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं और वाल्मीकि रामायण में 24,000 श्लोक हैंl रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता हैl यह मंत्र इस पवित्र महाकाव्य का सार हैl गायत्री मंत्र को सर्वप्रथम ऋग्वेद में उल्लिखित किया गया हैl #गायत्री_मंत्र 🚩🙏
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राम और उनके भाइयों के अलावा राजा दशरथ एक पुत्री के भी पिता थेl
श्रीराम के माता-पिता एवं भाइयों के बारे में तो प्रायः सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि राम की एक बहन भी थीं, जिनका नाम “शांता” थाl वे आयु में चारों भाईयों से काफी बड़ी थींl
जब इंद्र देवता गोवर्धन वासियों पर क्रोधित हो गए थे और अपना गुस्सा दिखाने के लिए झमझम बरसने लगे थे। इतना बरसे कि कहर बरपा दिया, ना किसी को और, ना किसी को ठौर। पूरा गाँव जैसे डूब ही गया था कि सबने कन्हैया से बिनती की।
अब कन्हैया का तो था ही ऐसा कि किसी ने भी पुकारा और बस चल दिए। उस दिन भी कन्हैया को आना ही पड़ा। सीधे गए और गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिया अपनी कनिष्ठा पर और सारे गाँव वालों को खड़ा कर लिया उसके नीचे।
बस सात दिनतक बिना कुछ खाये-पिए कान्हा सबको संभाले रहे जबतक कि इंद्र थक कर हार नहीं मान लिए।अब कान्हा तो बढ़िया जमकर आठों पहर खाना खाया करते थे पर गाँव वालों को बचाने के लिए कुछ ना खाया ना पीया।बाद में गाँव वालों ने मिलकर सात दिन और आठ पहर छप्पन भोग बनाकर कान्हा को अर्पण करते दिए।
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सात महामानव चिरंजीवी हैं। यदि इन सात महामानवों और आठवे ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण किया जाए तो शरीर के सारे रोग समाप्त हो जाते है और 100 वर्ष की आयु प्राप्त होती है।