पिछले कुछ दिनों से देश की दशा देखते हुए सोचा आप लोगो से मैं भी कुछ मन की बात करू, जो इस प्रकार है
राजनैतिक पंडितो का मानना है की चुनाव लोकतंत्र की आवश्यकता है, इसलिए चाहे कुछ भी हो जाए, चुनाव नहीं रुकने चाहिये ।
संविधान निर्माताओं ने ऐसी अप्रत्याशित अवस्थाओं के लिए संविधान में काफी कुछ लिखा है, लेकिन उससे किसी को क्या लेना देना?
आईटी सेल बस एक मराठी भाषी राज्य के कंधे पर बन्दूक रखकर ऐसी गोलियाँ दाग रहा है जो लाखो की भीड़ को सही साबित कर रही है।
आईटी सेल आजकल किसी विश्वविद्यालय से काम थोड़ी है, हर सरकारी विश्वविद्यालय की तरह महत्वपूर्ण प्रश्नो के आने पर गलत की तुलना गलत से करके अपने गलत को सही साबित कर देता है।
राजनीति विज्ञान पढ़ते हुए मैंने ये सीखा था के एक लीडर का काम लीड करना होता है, अब जब लीडर ही गर्व के साथ लाखो
के जनसैलाब को सम्बोधित करके बड़े गर्व से इस बात को प्रचारित करे, तो जनता किस दिशा में जाएगी ये आप लोग खुद सोचकर देखे
चलिए बहुत अच्छा है देशहित में वे बस चार घंटे सोते है, हम इसी से संतुष्ट हो जाते हैं। सुबह जनसभा से ताली पिटवाकर शाम को आठ बजे आकर ये बोलना के जनता ढिलाई कर रही है
ये हिपोक्रिसी की सीमा नहीं है तो क्या है ?
पूर्वांचल की बात करू तो वहां पर ये विषाणु प्रचंड विकराल रूप ले चुका है, स्वयं प्रधान सेवक जी के लोकसभा क्षेत्र में हालत ख़राब है। इस बार डॉक्टर्स या विश्वसनीय संस्थानों की बात माने तो हर आयु वर्ग को ये विषाणु अपनी चपेट में ले रहा है।
इसलिए ये मेरा आग्रह है के कृपा करके सबलोग सावधानी बरतें।
प्रधानसेवक जी या मोटा भाई जी को छींक भी आई तो इनको पास डॉक्टर्स की पूरी फ़ौज है, भले ही वो फ़क़ीर हैं और कभी भी झोला लेकर चल दे सकते हैं लेकिन सोचिये, आपको या आपके परिवार को कभी खुदा ना ख़ास्ता कभी कुछ हुआ तो चाहे
पूरे शरीर पर फूल का टैटू गुदवा रखा हो, अस्पताल में एक बिस्तर तक मिलना, कौन बनेगा करोड़पति में सात करोड़ जीतने से ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
किस राज्य में क्या हो रहा है इसपर डायलाग मारने से पहले अपने अगल बगल एवं अपने खुद के स्वास्थ्य पर ध्यान दें क्योकि आपके घर में चूल्हा आईटी सेल नहीं जलाता।
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