"These instances of bipartisanship were all admirable and significant, and there was another precedent that was more admirable and significant still. This was the constitution of a national government at the time of Independence. Knowing the gravity of the... #Nehruvian🇮🇳♥️ 1/4
situation that faced them, Jawaharlal Nehru & Vallabhbhai Patel reached out to the most able individuals regardless of party affiliation. Although B.R. Ambedkar had been a bitter critic of the Congress for the past 20 years, he was asked to become law minister. #Nehruvian🇮🇳♥️
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Other major ministries were assigned to S.P. Mookerjee and R.K. Shanmukham Chetty, who had also been political opponents of the Congress. In acting as they did, the first PM of India and the first home minister of India set aside pride & prejudice and put the.. #Nehruvian🇮🇳♥️
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needs of the nation above those of their own party. The safeguarding of our hard-won freedom required Nehru and Patel to set aside the arrogance that comes with power and embrace the humility that patriotism mandates instead. And they did."
~Ramchandra Guha. #Nehruvian🇮🇳♥️
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#FreedomHouse और #V_Dem की रिर्पोटों ने मोदी सरकार की लोकतंत्र विरोधी करतूतों को देश दुनिया में उजागर कर दीया है।
#वी_डेम की डेमॉक्रेसी रिपोर्ट लोकतंत्र को 5 पैमानों पर मापती है।
*चुनावी प्रक्रिया कैसी है।
*देश में उदारता कितनी है।
*लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी कितनी है।
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*विचार-विमर्श का माहौल कैसा है।
और
*सरकार का रुख़ सबके प्रति समान है या नहीं।
ये रिपोर्ट लोकतंत्र को उसकी पूरी व्यावहारिक जटिलता के साथ देखती है ,केवल चुनाव होने को लोकतंत्र नहीं माना जा सकता, देश लोकतांत्रिक तरीके से चल रहा है या नहीं, यह देखा जाता है। 2/4 #SpeakUpForDemocracy
और #फ्रीडम_हाउस रिपोर्ट इस धारणा से संचालित होती है कि सभी लोगों के लिए स्वतंत्रता उदार लोकतांत्रिक समाजों में सबसे अच्छी तरह से हासिल की जाती है, और यह आकलन करती है कि सरकार के दावों की तुलना में रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लोग लोकतांत्रिक अधिकारों का कितना इस्तेमाल कर पाते है।
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बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% करके मोदी सरकार ने इसे 'निवेश प्रोत्साहन' कहते हुए, बीमा क्षेत्र में निवेश करने वाली विदेशी कं के प्रबंधन,स्वामित्व और नियंत्रण पर प्रतिबंध हटा देगी। मतलब,30-40 सालों से बीमाक्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश करनेवाली विदेशी कं अब,
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कानूनन भारत में कमाया हुआ मुनाफा विदेश लेकर जायेगी।
1956 में अपने राष्ट्रीयकरण के बाद से,#LIC ने सरकार से कभी कोई पैसा नहीं मांगा।
इसके विपरीत, सड़क, बिजली, सिंचाई, रेलवे और पंचवार्षिक योजना जैसे सार्वजनिक कार्यों में आज तक ₹ 29 लाख 84 हजार करोड़ का निवेश किया है। विदेशी कं
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सार्वजनिक हित में कम लाभ वाली विकास परियोजनाओं में #LIC की तरह में भरपूर निवेश नहीं करेंगी।
विदेशी पूंजी के हावी होने पर 'जनता का पैसा, जनता के कल्याण के लिए' की मूल संकल्पना ही नही बचेगी। सिर्फ शेयरधारकों के मुनाफे को प्राथमिकता मिलेगी,आम जनता की बचत असुरक्षित होगी।
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