कमजोरी नहीं, पीएम मोदी का सबसे बड़ा हथियार है चुप्पी!
बंगाल में हो रही हिंसा पर चुप हैं
कोरोना पर लगे आरोपों पर चुप हैं
पीएम मोदी ने जब जब चुप्पी साधा है तब तब मजबूत होकर निकले हैं
ये पहली बार नहीं है, जब मोदी के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठे हैं, उनकी राजनीति को खत्म होता हुआ मान लिया गया है, उनको भयावह आलोचना का सामना करना पड़ा है या फिर उन पर पूरी तरह फेल होने का आरोप चस्पां किया गया है.
जब भी ऐसा मौका आया है, मोदी ने चुप्पी ही साधी है. जवाब दिया है तो अपने काम से, अपने प्रदर्शन से. जब भी उन्हें खत्म मान लिया गया, वो फीनिक्स जैसे तेजी से उठ खड़े हुए है और इस दौरान चुप्पी उनका सबसे बड़ा हथियार रही.
हर बड़ी चुनौती का सामना करते वक्त चुप रहे मोदी
जब गुजरात से 1995 में विदाई हुई थी तब भी खामोश रहे थे
गुजरात में पार्टी के अंदर के विरोधियों को भी चुपचाप निबटाया
पहले चुनाव की कड़ी चुनौती के समय भी शांत रहे
दंगों या मुठभेड़ के आरोपों पर भी चुप्पी साधे रखी,होने दिया अदालत का फैसला
चुनाव में हमलावर, बाकी समय में खामोशी
अमेरिका ने वीजा देने से मना किया, तब भी खामोश
आरोप लगते रहे,खामोश रहे,क्लीन चिट मिली तो कहा सत्यमेव जयते, यूपीए की थी मोदी को अंदर करने की साजिश
उरी और पुलवामा आतंकी हमला के बाद भी चुप रहे
पटखनी देने के लिए समय अपने हिसाब से चुनते हैं मोदी
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Have you remembered the ‘toolkit’ during Farmer’s protest & how anti India lobby worked worldwide? Now, when India is facing the pandemic, the same ecosystem is ready with new ‘toolkit’
Modi’s Rally, Kumbh & other Hindu Festivals (1/n)
They started target the Modi’s leadership (2/n)
Then, target was ‘Vaccine Maitri’ & Indian diplomacy (3/n)
कृषि विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनो से पास हो गया अब इस विधेयक का खेल देखिये।
कृषि विधेयक नोटबंदी पार्ट 2 है।
जैसे नोटबंदी से ब्लैक मनी का जखीरा दबाए रखने वाले नेस्तनाबूद हो गये थे, वैसे ही इस बिल से पंजाब और महाराष्ट्र के दो दिग्गज बर्बाद हो गये। #FarmersBill +
Via: Whatsapp
पंजाब के सुखबीर बादल और महाराष्ट्र के शरद पवार की बैंड ब्याज गई
सुखबीर के 'सुखबीर एग्रो' को कम से कम 5000 करोड़ सालाना की आय होती थी। वे एफ सी आई के और किसानों के बीच के कमिशन एजेंट थे। उनकी कंपनी को 2.5% कमिशन मिलता था। सारे वेयरहाउस उन्ही के थे। +
बगैर 'सुखबीर एग्रो' का ठप्पा लगे कोई किसान एक टन गेहूं एफ सी आई को बेच नहीं सकता था। एक झटके में सब बर्बाद हो गया।+
भ्रम: बिल किसान विरोधी है क्योंकि उन्हें कोई सुरक्षा नहीं प्रदान करता है
सच
•MSP के सुरक्षा जाल के साथ ये बिल उन विकल्पों को जोड़ेंगे जो किसानों के पास हैं
•कंपनियों के साथ बिक्री के लिए प्रत्यक्ष समझौते कर सकेंगे।
•खरीदार अच्छी फसल उपज के लिए आवश्यक साधन के लिए जिम्मेदार
भ्रम:किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के साथ अनुबंध करके खत्म कर देगी
सच:
•कई दशकों से कई राज्यों द्वारा अनुबंध खेती लागू किया गया है। जैसे - पंजाब, बंगाल में पेप्सिको, हरियाणा में SAB मिलर
•UPA सरकार ने भी अनुबंधित खेती को बढ़ावा दिया और राज्यों को इसे लागू करने के लिए राजी किया