भाग-1) ये कहानी नहीं हकीकत है।
👇👇👇👇👇👇👇 #क्षत्राणी_किरणमई की
अकबर की महानता का गुणगान तो कई इतिहासकारों ने किया है लेकिन अकबर की ओछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है।अकबर अपने गंदे इरादों से प्रतिवर्ष दिल्ली में #नौरोज़_का_मेला आयोजित करवाता था।
भाग-2) इसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था।
अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्रमुग्ध कर देती,उसे दासियाँ छल कपट से अकबर के सम्मुख ले जाती थी।
एक दिन नौरोज़ के मेले में #महाराणा_प्रताप सिंह की भतीजी, छोटे भाई #महाराज_शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट
भाग-3) देखने के लिए आई!
जिनका नाम #बाईसा_किरणमई था।
जिनका विवाह बीकानेर के #पृथ्वीराज जी से हुआ था!
बाईसा किरणमई की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर क़ाबू नहीं रख पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से ज़नाना महल में बुला लिया।
भाग-4) जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणमई को स्पर्श करने की कोशिश की..#किरणमई ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटक कर उसकी छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी और कहा नीच..नराधम, तुझे पता नहीं मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हूँ जिनके नाम से तेरी नींद उड़ जाती है।
भाग-5 बोल तेरी आख़िरी इच्छा क्या है?अकबर का ख़ून सूख गया।कभी सोचा नहीं होगा कि सम्राट अकबर आज एक राजपूत बाईसा के चरणों में होगा।अकबर बोला:-मुझसे पहचानने में भूल हो गई,मुझे माफ़ कर दो देवी,इस पर किरणमई ने कहा:-आज के बाद दिल्ली में नौरोज़ का मेला नहीं लगेगा
भाग-6) और किसी भी नारी को परेशान नहीं करेगा।अकबर ने हाथ जोड़कर कहा,आज के बाद कभी मेला नहीं लगेगा।उस दिन के बाद कभी मेला नहीं लगा !
इस घटना का वर्णन #गिरधर_आसिया द्वारा रचित #सगत_रासो में 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है।
भाग-7) #बीकानेर_संग्रहालय में लगी एक पेटिंग में भी इस घटना को एक दोहे के माध्यम से बताया गया है!
किरण सिंहणी सी चढ़ी,उर पर खींच कटार..!भीख मांगता प्राण की,अकबर हाथ पसार....!!
अकबर की छाती पर पैर रखकर खड़ी वीर बाला किरणमई का चित्र आज भी #जयपुर के #संग्रहालय में सुरक्षित है।
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