The word "Kashi" literally means to be luminous, or more particularly, a tower of light. Kashi is older than legend. Nobody can ever decipher the date of this place. When Athens was not even thought of, Kashi was. When Rome did not even exist in people's minds, Kashi was.
1/2
When Egypt did not exist, Kashi was. It is that ancient, and it was built as an instrument in the form of a city, which brings a union between the "micro" and the "macro" -
2/3
this little human being can have the phenomenal possibility of uniting with the cosmic reality and knowing the pleasure, ecstasy and beauty of becoming one with the cosmic nature.
3/4
There have been many such instruments in this country, but to create a city like this is a mad ambition - and they did it thousands of years ago. There were 72,000 shrines, the same as the number of nadis in the human body.
4/5
The whole process is like a manifestation of a "mega human body" to make contact with a larger cosmic body. It is because of this that a whole tradition came up that if you go to Kashi, that is it.
5/6
You do not want to leave the place because when you get connected to the cosmic nature, why would you want to go anywhere else?
Generally, the legend says that Kashi is on the top of Shiva's trishul or trident, not on the ground.
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
Rudraksha tree is known as Elaeocarpus ganitrus. It is a large evergreen tree that usually grows in a subtropical climate. Tree is mainly found in the foothill of the Himalayas, in the Gangetic plains, & the regions of Southeast Asia including Indonesia and Papua New Guinea.
1/2
Rudraksha seeds are also known as blueberry seeds as the outer husk of the seed is blue when fully ripe. Lord Shiva is also often depicted in blue representing infinity. Seed is of great significance among the spiritual seekers because of its association with Lord Shiva.
2/3
प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास में शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथ की रथयात्रा होती है। यह एक बड़ा समारोह है, जिसमें भारत के विभिन्न भागों से श्रद्धालु आकर सहभागी बनते हैं। दस दिन तक मनाए जाने वाले इस पर्व / यात्रा को 'गुण्डीय यात्रा' भी कहा जाता है।
१/२
भारत भर में मनाए जाने वाले महोत्सवों में जगन्नाथपुरी की रथयात्रा सबसे महत्वपूर्ण है। यह परंपरागत रथयात्रा न सिर्फ हिन्दुस्तान, बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के भी आकर्षण का केंद्र है। श्रीकृष्ण के अवतार जगन्नाथ की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना गया है।
“ ॐ नमः शिवाय” वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है। इस मंत्र का अभ्यास विभिन्न आयामों में किया जा सकता है। इन्हें पंचाक्षर कहा गया है, इसमें पांच मंत्र हैं।
१/२
ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से इन पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है। ये पूरे तंत्र (सिस्टम) के शुद्धीकरण के लिए बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।
शिवजी की आधी परिक्रमा करने का विधान है। वह इसलिए की शिव के सोमसूत्र को लांघा नहीं जाता है। जब व्यक्ति आधी परिक्रमा करता है तो उसे चंद्राकार परिक्रमा कहते हैं। शिवलिंग को ज्योति माना गया है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र।
१/न
आपने आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा। यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है।
"अर्द्ध सोमसूत्रांतमित्यर्थः शिव प्रदक्षिणीकुर्वन सोमसूत्र न लंघयेत ।। इति वाचनान्तरात।"
२/न