#स्वर्ग_और_नर्क

वेदों के अनुसार पुराणों के स्वर्ग या नर्क को गतियों से समझा जा सकता है। स्वर्ग और नर्क 2 गतियां हैं। आत्मा जब देह छोड़ती है तो मूलत: 2 तरह की गतियां होती हैं-

1. अगति और
2. गति।
1. अगति : अगति में व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है उसे फिर से जन्म लेना पड़ता है।

2. गति : गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है या वह अपने कर्मों से मोक्ष प्राप्त कर लेता है।

*अगति के 4 प्रकार हैं-
1. क्षिणोदर्क,
2. भूमोदर्क,
3. अगति और
4. दुर्गति।
1 क्षिणोदर्क : क्षिणोदर्क अगति में जीव पुन: पुण्यात्मा के रूप में मृत्युलोक में आता है और संतों-सा जीवन जीता है।

2 भूमोदर्क : भूमोदर्क में वह सुखी और ऐश्वर्यशाली जीवन पाता है।

3 अगति : अगति में नीच या पशु जीवन में चला जाता है।
4 दुर्गति : दुर्गति में वह कीट-कीड़ों जैसा जीवन पाता है।

* गति के भी 4 प्रकार- गति के अंतर्गत 4 लोक दिए गए हैं-

1. ब्रह्मलोक,
2. देवलोक,
3. पितृलोक और
4. नर्कलोक

जीव अपने कर्मों के अनुसार उक्त लोकों में जाता है।
तीन मार्गों से यात्रा :
जब भी कोई मनुष्य मरता है या आत्मा शरीर को त्यागकर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे 3 प्रकार के मार्ग मिलते हैं। उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा और यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है। ये 3 मार्ग हैं-
1 अर्चि मार्ग,
2 धूम मार्ग और
3 उत्पत्ति-विनाश मार्ग।

अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है।

धर्म के राश्ते पर चलिए अच्छे कर्म करिए मोक्ष से जीवन मरण से मुक्ति पाइए

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Jan 28
🚩🚩 . श्रीकृष्णनाम-माहात्म्य . 🚩🚩

श्रीभगवान् विष्णु ब्रह्माजीसे कहते हैं- अगहनके महीनेमें 'कृष्ण-कृष्ण' कहकर मेरा नाम विशेषरूपसे लेना चाहिये। यह मुझे अत्यन्त प्रसन्न करनेवाला है। मेरी एक प्रतिज्ञा है, जिसे देवता और असुर भी नहीं जानते। Image
वह प्रतिज्ञा इस प्रकार है- 'जो मन, वाणी और क्रियाद्वारा मेरी शरणमें आ जाता है, वह यहाँ सम्पूर्ण लौकिक कामनाओंको प्राप्त कर लेता है और अन्तमें सर्वोत्कृष्ट वैकुण्ठधाममें जाता है। जो 'हे कृष्ण ! हे कृष्ण !! हे कृष्ण!!!! ऐसा कहकर मेरा प्रतिदिन स्मरण करता है, उसे जिस प्रकार कमल जलको
भेदकर ऊपर निकल आता है उसी प्रकार मैं नरकसे निकाल लाता हूँ। पूर्व अवस्थामें किसीने सम्पूर्ण पाप किये हों, तथापि वह अन्तकालमें श्रीकृष्णका स्मरण कर लेता है तो निश्चय ही मुझे प्राप्त होता है। मृत्युकाल उपस्थित होनेपर यदि कोई 'परमात्मा विष्णुको नमस्कार है' इस प्रकार विवश होकर भी
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Jan 17
🚩🚩 शास्त्र कहते है 🚩🚩

1. किसी सम्बन्धीकी मृत्यु-सूचना मिलनेपर जहाँ आवश्यकता हो, वहाँ जाना चाहिये; किंतु अपने घरमें किसीके मरनेपर, जहाँतक हो दूरस्थ कुटुम्बियोंको आनेके लिये सभ्यतापूर्वक निवारण कर देना चाहिये।

2. दहेज और दान देना चाहिये; किंतु जहाँतक हो लेनेसे बचना चाहिये। Image
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4. जहाँतक हो, सगाई (वाग्दान) - विवाह आदि सम्बन्ध करानेके कामसे दूर रहना चाहिये।

5. ब्राह्ममुहूर्तमें उठना चाहिये । यदि सोते सोते ही सूर्योदय हो जाय तो दिनभर उपवास और जप करना चाहिये।
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Nov 6, 2023
प्रश्न = एक व्यक्ति जो कभी पूजा पाठ नहीं करता लेकिन आराम की जिंदगी बसर करता है. वही दूसरा व्यक्ति सच्चे मन से भगवान की पूजा करता है लेकिन बहुत कष्ट और दुख उठाता है, ऐसा क्यों ?

आप जितना भजन करने लगोगे उतने ही दुख आएंगे। उमड़ उमड़ कर आएंगे। बड़े बड़े दुख Image
एक साथ टूट पड़ेंगे तुम पर। जीवन से जैसे सुख तो गायब ही हो जाएगा। तुम जितना गीता पर या सत्संग करोगे उतने ही जबरदस्त दुख आएंगे। क्या तुम्हें नही पता कि जिस गति से तुम सत्य को खोजते हो उससे तेज़ गति से सत्य तुम्हे खोज रहा है। जितने तुम उत्सुक हो उससे कई ज्यादा वो
प्रतीक्षा में बैठा है। यदि तुम एक कदम सत्य की तरफ बढ़ाते हो तो सत्य लाखो कदम तुम्हारे लिए आगे बढ़ता है। इसीलिए जब तुम भजन करते हो तो सत्य तुम्हे अपने पास लाने के लिए मायाजाल बिछाता है।
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Oct 31, 2023
प्रश्न : पृथ्वी से 28 लाख गुना भगवान श्री सूर्य नारायण को श्री हनुमान जी कैसे निगल गये थे ? क्या यह विज्ञान के साथ मजाक नहीं है ?

नही विज्ञान के साथ मजाक नही बल्कि यही तो विज्ञान का सबसे मूल आधार है जो हमारा सनातन धर्म डंके की चोट पर कह रहा है। Image
खुले मस्तिष्क के साथ इस बात को समझेंगे तो बहुत कुछ रहस्य समझ में आयेंगे..

मित्रो सूर्य भी रुद्र और हनुमानजी भी रुद्र तथा ये समूचा दृश्यमान जगत भी तो रुद्र का एक अंश मात्र ही है फिर एक रुद्र ने दूसरे रुद्र को अपने में समाहित कर भी लिया तो रुद्र ही शेष रहेंगे ना?
बात अभी समझ नही आई होगी आपको, कोई बात नही, पहले हम इस रुद्र के कॉन्सेप्ट को समझे की कैसे सूर्य एवम् हनुमान दोनो रुद्र ही है। अब पहला प्रश्न आएगा की सूर्यदेव रुद्र कैसे? सूर्यदेव भला किस प्रकार शिव के स्वरूप है?

प्रमाण के लिए यजुर्वेद के दो मंत्र देखिए: Image
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Oct 29, 2023
प्रश्न = हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार यदि आत्मा न तो मरती है न ही पैदा होती है तो फिर पूरे विश्व में जनसंख्या में वृद्धि कैसे हो रही है ?

ये प्रश्न भी कई अन्य बहुप्रचलित प्रश्नो की तरह पुराना है , केवल पूछने वाले को नया प्रतीत होता है Image
इस प्रश्न में दो बाते मान ली गई है , जो हिन्दू सिद्धान्त में नही हैं ।

एक, आत्मा का पृथ्वी तक सीमित होना ।

दो , आत्मा का केवल मनुष्यों तक सीमित होना

स्कंद पुराण के अनुसार साढ़े तीन करोड़ ब्रह्मांड है और उतने ही सूर्य है।
तो जाहिर सी बात है इस सृष्टि में अनेक ग्रह होंगे जहाँ पर जीवन होगा , मात्र पृथ्वी के आधार पर आत्मा के अमर होने सिद्धान्त की परीक्षा नहीं हो सकती।

आत्मा लगभग सभी प्राणियों में होती है , केवल मनुष्यों में नही । मानव योनि तो करोडो योनियों में से केवल एक बताई गई है
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Oct 25, 2023
प्रश्न : क्या नियति बहुत बड़ी होती है लेकिन हम उतना ही देख पाते हैं जितनी हमारी समझ है क्या आप इसे आसानी से समझा सकते है ?

अगर समय हो तो एक छोटी सी कहानी पढ़िए

तो देखिए मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को भेजा पृथ्वी पर। एक स्त्री मर गयी थी, उसकी आत्मा को लाना था। Image
देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां--एक अभी भी उस मृत स्त्री के स्तन से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं--तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है,
और कोई देखने वाला नहीं है। पति पहले मर चुका है। परिवार में और कोई भी नहीं है। इन तीन छोटी बच्चियों का क्या होगा? उस देवदूत को यह खयाल आ गया, तो वह खाली हाथ वापस लौट गया। उसने जा कर अपने यमराज को कहा कि मैं न ला सका, मुझे क्षमा करें, लेकिन आपको स्थिति का पता ही नहीं है।
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