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         माध्यम से हम जीवन के गहरे अर्थ ईश्वर के प्रति भक्ति और आत्मज्ञान को समझ सकते हैं। मानव शरीर हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के अनुभवों से गुजरने का अवसर प्रदान करता है जिससे हम अपने कर्मों और जीवन के उद्देश्य को समझ सकें।
          माध्यम से हम जीवन के गहरे अर्थ ईश्वर के प्रति भक्ति और आत्मज्ञान को समझ सकते हैं। मानव शरीर हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के अनुभवों से गुजरने का अवसर प्रदान करता है जिससे हम अपने कर्मों और जीवन के उद्देश्य को समझ सकें।
       
         21 दिसंबर 2020 के दिन सायद आपने अख़बारों में पढ़ा होगा, टीवी में देखा होगा की 400 वर्ष बाद एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने जा रही है! गुरु और शनि एक दूसरे के सबसे निकट आने जा रहे है! इन गुरु-शनि की युति के चित्र भी टीवी अखबारों में आपने देखे होंगे
          21 दिसंबर 2020 के दिन सायद आपने अख़बारों में पढ़ा होगा, टीवी में देखा होगा की 400 वर्ष बाद एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने जा रही है! गुरु और शनि एक दूसरे के सबसे निकट आने जा रहे है! इन गुरु-शनि की युति के चित्र भी टीवी अखबारों में आपने देखे होंगे
       
         गांधार और कंबोज) के अंतर्गत 200 से अधिक जनपद थे। दार्द, हूण, हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कैकय, वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु, तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, शल्य, यवन, किरात, निषाद, उशीनर, धनीप, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, मालव, कलिंग,
          गांधार और कंबोज) के अंतर्गत 200 से अधिक जनपद थे। दार्द, हूण, हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कैकय, वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु, तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, शल्य, यवन, किरात, निषाद, उशीनर, धनीप, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, मालव, कलिंग,
       
         ▫️इस क्षण में अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए और अपने पूरे जीवन को याद करते हुए, मुझे एहसास होता है कि जिस पहचान और धन पर मुझे इतना गर्व था वह मृत्यु के सामने फीकी और महत्वहीन हो गई है.
          ▫️इस क्षण में अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए और अपने पूरे जीवन को याद करते हुए, मुझे एहसास होता है कि जिस पहचान और धन पर मुझे इतना गर्व था वह मृत्यु के सामने फीकी और महत्वहीन हो गई है.
       
         कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।
          कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ। 
         मुद्रिका मिलती है तो वो उस पर 'विश्वास' कर लेती हैं। वो मानती हैं और स्वीकार करती हैं कि इसे प्रभु श्री राम ने ही भेजा है।
          मुद्रिका मिलती है तो वो उस पर 'विश्वास' कर लेती हैं। वो मानती हैं और स्वीकार करती हैं कि इसे प्रभु श्री राम ने ही भेजा है। 
         वर्तमान में जिस इंद्र का शासन चल रहा है उनका नाम है — पुरंदर । पुरंदर से पहले 5 इंद्रों ने स्वर्ग पर शासन किया था जिनके नाम हैं— यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु और मनोजव।
          वर्तमान में जिस इंद्र का शासन चल रहा है उनका नाम है — पुरंदर । पुरंदर से पहले 5 इंद्रों ने स्वर्ग पर शासन किया था जिनके नाम हैं— यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु और मनोजव। 
         मेँ उपलब्ध है। यहाँ पौराणिक तर्कोँ के द्वारा भी सत्य का विश्लेषण किया गया है।}
          मेँ उपलब्ध है। यहाँ पौराणिक तर्कोँ के द्वारा भी सत्य का विश्लेषण किया गया है।}  
         अद्भुत बात यह है कि गीता पढ़े बिना हम सबको पता है कि गीता में श्रीकृष्ण ने क्या-क्या कहा है देखते हैं कि यह बात कहाँ से आ रही है,
          अद्भुत बात यह है कि गीता पढ़े बिना हम सबको पता है कि गीता में श्रीकृष्ण ने क्या-क्या कहा है देखते हैं कि यह बात कहाँ से आ रही है, 
         देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां--एक अभी भी उस मृत स्त्री के स्तन से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं--तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है,
          देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां--एक अभी भी उस मृत स्त्री के स्तन से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं--तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है,
       
         उनके राजमहल में सोलहजार आठ ब्राह्मण नित्य उपस्थित होते हैं उन्हें भरपेट भोजन के साथ दान दिया जाता था भगवान कृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर के दंभ को पकड़ लिया और उन्हें घूमाने के बहाने पाताल लोक के स्वामी बलि के पास ले गए ।बली ने बड़े आदर से भगवान कृष्ण तथा युधिष्ठिर की अभ्यर्थना की ।
          उनके राजमहल में सोलहजार आठ ब्राह्मण नित्य उपस्थित होते हैं उन्हें भरपेट भोजन के साथ दान दिया जाता था भगवान कृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर के दंभ को पकड़ लिया और उन्हें घूमाने के बहाने पाताल लोक के स्वामी बलि के पास ले गए ।बली ने बड़े आदर से भगवान कृष्ण तथा युधिष्ठिर की अभ्यर्थना की ।
       
         इनकी सन्तति में माना की पुत्र हुआ (XY गुणसूत्र). इस पुत्र में Y गुणसूत्र पिता से ही आया यह तो निश्चित ही है क्यू की माता में तो Y गुणसूत्र होता ही नही !
          इनकी सन्तति में माना की पुत्र हुआ (XY गुणसूत्र). इस पुत्र में Y गुणसूत्र पिता से ही आया यह तो निश्चित ही है क्यू की माता में तो Y गुणसूत्र होता ही नही ! 
         = 1 होरा(घन्टा ) ■3 होरा=1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार)■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
          = 1 होरा(घन्टा ) ■3 होरा=1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार)■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
       
         1.  आत्मा (Soul) और ग्रहों का संबंध:
          1.  आत्मा (Soul) और ग्रहों का संबंध: 
         यह स्वर्ण युग का उल्टा प्रतिबिंब है, और इसे लौह युग या कब्जे का युग भी कहा जाता है। कल्कि पुराण में इस प्रकार अंधकार के युग की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है:
          यह स्वर्ण युग का उल्टा प्रतिबिंब है, और इसे लौह युग या कब्जे का युग भी कहा जाता है। कल्कि पुराण में इस प्रकार अंधकार के युग की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है: 
         जिन्हें सुनकर लोग उनके दीवाने हो जाते हैं लेकिन हाल ही में गर्भ में बच्चे को लेकर उन्होंने धर्मग्रन्थों में लिखी ऐसी बात कही है कि अगर आप सुन लेंगे तो कई दिनों तक आपको नींद नहीं आएगी गर्भ में आए जिस बच्चे की एक हरकत पर माता-पिता नाच उठते हैं और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता
          जिन्हें सुनकर लोग उनके दीवाने हो जाते हैं लेकिन हाल ही में गर्भ में बच्चे को लेकर उन्होंने धर्मग्रन्थों में लिखी ऐसी बात कही है कि अगर आप सुन लेंगे तो कई दिनों तक आपको नींद नहीं आएगी गर्भ में आए जिस बच्चे की एक हरकत पर माता-पिता नाच उठते हैं और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता
       
         एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ...आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना... इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को...मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे
          एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ...आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना... इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को...मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे
       
         साथ ही यह शरीर में जमा होते जाने की स्थिति में यह शरीर में प्रवाहित होकर शरीर में ही घुलने या पचने लग जाता है, जिससे शनै: शनै: शरीर, स्वर्णिम आभा, तेज, अत्यंत ही शक्तिशाली भुजदंड और दिव्य ओज से परिपूर्ण लगने लग जाता है।
          साथ ही यह शरीर में जमा होते जाने की स्थिति में यह शरीर में प्रवाहित होकर शरीर में ही घुलने या पचने लग जाता है, जिससे शनै: शनै: शरीर, स्वर्णिम आभा, तेज, अत्यंत ही शक्तिशाली भुजदंड और दिव्य ओज से परिपूर्ण लगने लग जाता है।
       
         एक साथ टूट पड़ेंगे तुम पर। जीवन से जैसे सुख तो गायब ही हो जाएगा। तुम जितना गीता पर या सत्संग करोगे उतने ही जबरदस्त दुख आएंगे। क्या तुम्हें नही पता कि जिस गति से तुम सत्य को खोजते हो उससे तेज़ गति से सत्य तुम्हे खोज रहा है। जितने तुम उत्सुक हो उससे कई ज्यादा वो
          एक साथ टूट पड़ेंगे तुम पर। जीवन से जैसे सुख तो गायब ही हो जाएगा। तुम जितना गीता पर या सत्संग करोगे उतने ही जबरदस्त दुख आएंगे। क्या तुम्हें नही पता कि जिस गति से तुम सत्य को खोजते हो उससे तेज़ गति से सत्य तुम्हे खोज रहा है। जितने तुम उत्सुक हो उससे कई ज्यादा वो
       
         एक बार कैलासके शिखरपर श्री श्रीगौरीशङ्कर भगवद्धकोंके विषय में कुछ वार्तालाप कर रहे थे। उसी प्रसङ्गमें जगज्जननी श्रीपार्वतीजीने आशुतीय श्री भोलेबाबासे निवेदन किया-'भगवन्! जिन भक्तोंकी आप इतनी महिमा वर्णन करते हैं, उनमेंसे किसीके दर्शन करानेकी कृपा कीजिये।
          एक बार कैलासके शिखरपर श्री श्रीगौरीशङ्कर भगवद्धकोंके विषय में कुछ वार्तालाप कर रहे थे। उसी प्रसङ्गमें जगज्जननी श्रीपार्वतीजीने आशुतीय श्री भोलेबाबासे निवेदन किया-'भगवन्! जिन भक्तोंकी आप इतनी महिमा वर्णन करते हैं, उनमेंसे किसीके दर्शन करानेकी कृपा कीजिये।
       
         ◆श्राद्ध का ज्योतिष आधार क्या है?
          ◆श्राद्ध का ज्योतिष आधार क्या है?