पंडित विशाल श्रोत्रिय Profile picture
सभी सुखी होवें सभी रोगमुक्त रहें सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। ABBEP
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Dec 2, 2024 11 tweets 3 min read
प्रश्न : - हमें मानव देह ईश्वर ने क्यों दी । जो सुख और दुःख के गोते खाती है ?

मानव देह ईश्वर का दिया हुआ एक विशेष उपहार है जो आत्मा की प्रगति और मोक्ष प्राप्ति के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह देह न केवल सुख और दुःख का अनुभव करने के लिए है बल्कि इसके Image माध्यम से हम जीवन के गहरे अर्थ ईश्वर के प्रति भक्ति और आत्मज्ञान को समझ सकते हैं। मानव शरीर हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के अनुभवों से गुजरने का अवसर प्रदान करता है जिससे हम अपने कर्मों और जीवन के उद्देश्य को समझ सकें।
Oct 27, 2024 17 tweets 4 min read
प्रश्न = हम तारे देखते हैं तो असल में सैकड़ों वर्ष पूर्व का समय देख रहे होते हैं, तो नक्षत्र गणना के आधार पर भविष्य कैसे बताया जाता है ?

ध्यान से पढ़िए । दृग तुल्य अर्थात जो देखो केवल उसी पर विश्वास करो, ये हमारे वैदिक ज्योतिष का मूल मंत्र है! Image 21 दिसंबर 2020 के दिन सायद आपने अख़बारों में पढ़ा होगा, टीवी में देखा होगा की 400 वर्ष बाद एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने जा रही है! गुरु और शनि एक दूसरे के सबसे निकट आने जा रहे है! इन गुरु-शनि की युति के चित्र भी टीवी अखबारों में आपने देखे होंगे
Oct 17, 2024 25 tweets 5 min read
प्रश्न : चीन की सभ्यता 5000 साल पुरानी मानी जाती है लगभग महाभारत काल का समय भी यही है तो चीन का उल्लेख महाभारत में क्यों नहीं है ?

देखिए महाभारत काल में अखंड भारत के मुख्यत: 16 महाजनपदों (कुरु, पंचाल, शूरसेन, वत्स, कोशल, मल्ल, काशी, अंग, मगध, वृज्जि, चे‍दि, मत्स्य, अश्मक, अवंति, Image गांधार और कंबोज) के अंतर्गत 200 से अधिक जनपद थे। दार्द, हूण, हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कैकय, वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु, तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, शल्य, यवन, किरात, निषाद, उशीनर, धनीप, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, मालव, कलिंग,
Oct 13, 2024 11 tweets 3 min read
56 साल की उम्र में देहांत : अरबपति स्टीव जॉब्स के मृत्यु से पहले आखिरी शब्दः..

▫️मैं व्यापार जगत में सफलता के शिखर पर पहुंच गया हूं.दूसरों की नज़र में मेरा जीवन एक उपलब्धि है. हालाँकि, काम के अलावा, मुझे कोई खुशी नहीं थी. धन बस एक सच्चाई है, जिसका मैं आदी हो गया था. Image ▫️इस क्षण में अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए और अपने पूरे जीवन को याद करते हुए, मुझे एहसास होता है कि जिस पहचान और धन पर मुझे इतना गर्व था वह मृत्यु के सामने फीकी और महत्वहीन हो गई है.
Oct 11, 2024 9 tweets 2 min read
कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बङा पुण्य होगा.

स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।

मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।

कालीदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें।

स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा जो Image कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।

कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें।

स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।

पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ?
Oct 9, 2024 7 tweets 2 min read
सुन्दर स्त्री बाद में शूर्पणखा निकली।
सोने का हिरन बाद में मारीच निकला।
भिक्षा माँगने वाला साधू बाद में रावण निकला।
लंका में तो निशाचार लगातार रूप ही बदलते दिखते थे। हर जगह भ्रम, हर जगह अविश्वास, हर जगह शंका लेकिन बावजूद इसके जब लंका में अशोक वाटिका के नीचे सीता माँ को रामनाम की Image मुद्रिका मिलती है तो वो उस पर 'विश्वास' कर लेती हैं। वो मानती हैं और स्वीकार करती हैं कि इसे प्रभु श्री राम ने ही भेजा है।

जीवन में कई लोग आपको ठगेंगे, कई आपको निराश करेंगे, कई बार आप भी सम्पूर्ण परिस्थितियों पर संदेह करेंगे लेकिन इस पूरे माहौल में जब आप रुक कर पुनः
Oct 7, 2024 8 tweets 2 min read
प्रश्न = इन्द्र कौन थे उन्होंने ऐसी कौन सी दुनिया बसाई जो स्वर्ग कहलाई ?

इंद्र क्या है :— इंद्र एक पद का नाम है, इंद्र देवताओं पर शासन करते है और अमरावती उनकी राजधानी है। अमरावती को ही हमारे धर्म में स्वर्ग कहा गया है। प्रत्येक मनवंतर का एक इंद्र होता है। Image वर्तमान में जिस इंद्र का शासन चल रहा है उनका नाम है — पुरंदर । पुरंदर से पहले 5 इंद्रों ने स्वर्ग पर शासन किया था जिनके नाम हैं— यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु और मनोजव।

पुरंदर के बाद बाली, अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि इंद्र पद पर बैठेंगे।
Oct 5, 2024 27 tweets 6 min read
#साईं_बाबा_की_सच्चाई

कृपया ध्यान दें :–

{प्रस्तुत लेख का मंन्तव्य साँई के प्रति आलोचना का नही बल्कि उनके प्रति स्पष्ट जानकारी प्राप्त करने का है। लेख मेँ दिये गये प्रमाणोँ की पुष्टि व सत्यापन “साँई सत्चरित्र” से करेँ, जो लगभग प्रत्येक साईँ मन्दिरोँ Image मेँ उपलब्ध है। यहाँ पौराणिक तर्कोँ के द्वारा भी सत्य का विश्लेषण किया गया है।}

हमने बहुत मेहनत कर साँई सत्चरित्र के पुरे 1 से 51 अध्याय पढ़ तथा समझ कर इस लेख को लिखा है, विनती है  कृपया पूरा लेख  जरुर पढ़े ! धन्यवाद !
Oct 3, 2024 7 tweets 2 min read
प्रश्न = गीता का वो कोनसा महत्वपूर्ण श्लोक है जिसका अर्थ गलत समझा जाता रहा है ?

अपना काम करो, फल की चिंता मत करो!

यह बात अपने आसपास के लोगों से आपने बहुत बार सुनी होगी ?

उनसे यदि पूछें कि ऐसा किसने कहा है 🤔, तो उनका जवाब होगा, "अरे! गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है Image अद्भुत बात यह है कि गीता पढ़े बिना हम सबको पता है कि गीता में श्रीकृष्ण ने क्या-क्या कहा है देखते हैं कि यह बात कहाँ से आ रही है,

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
Oct 2, 2024 24 tweets 6 min read
प्रश्न : क्या नियति बहुत बड़ी होती है लेकिन हम उतना ही देख पाते हैं जितनी हमारी समझ है क्या आप इसे आसानी से समझा सकते है ?

अगर समय हो तो एक छोटी सी कहानी पढ़िए

तो देखिए मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को भेजा पृथ्वी पर। एक स्त्री मर गयी थी, उसकी आत्मा को लाना था। Image देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां--एक अभी भी उस मृत स्त्री के स्तन से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं--तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है,
Sep 28, 2024 11 tweets 3 min read
महाराज युधिष्ठिर का संकल्प था कि वे अपनी प्रजा को सदा दान देते रहेंगे ।उनके पास अक्षय पात्र था जिस की विशेषता थी कि उससे जो भी मांगा जाए तुरंत प्रस्तुत कर देता था। युधिष्ठिर‌ ने अपने दान के बल पर शिवि, दधिचि और हरिश्चंद्र को भी पीछे छोड़ने का अभिमान पाल रखा था। Image उनके राजमहल में सोलहजार आठ ब्राह्मण नित्य उपस्थित होते हैं उन्हें भरपेट भोजन के साथ दान दिया जाता था भगवान कृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर के दंभ को पकड़ लिया और उन्हें घूमाने के बहाने पाताल लोक के स्वामी बलि के पास ले गए ।बली ने बड़े आदर से भगवान कृष्ण तथा युधिष्ठिर की अभ्यर्थना की ।
Sep 28, 2024 21 tweets 5 min read
प्रश्न : - पिता का गोत्र पुत्री को प्राप्त नही होता आखिर क्यों और एक ही गोत्र मैं शादी क्यों नही करनी चाहिए इस के पीछे का वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है ?

देखिए अब एक बात ध्यान दें की स्त्री में गुणसूत्र XX होते है और पुरुष में XY होते है । Image इनकी सन्तति में माना की पुत्र हुआ (XY गुणसूत्र). इस पुत्र में Y गुणसूत्र पिता से ही आया यह तो निश्चित ही है क्यू की माता में तो Y गुणसूत्र होता ही नही !

और यदि पुत्री हुई तो (XX गुणसूत्र). यह गुण सूत्र पुत्री में माता व् पिता दोनों से आते है ।
१. XX गुणसूत्र :- XX गुणसूत्र
Sep 27, 2024 4 tweets 2 min read
विश्वका सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र

ऋषिमुनियों द्वाराकियागया अनुसंधान■काष्ठा =सैकन्ड का 34000 वाँ भाग■ 1 त्रुटि = सैकन्ड का 300 वाँ भाग■ 2 त्रुटि = 1 लव , ■ 1 लव = 1 क्षण ■ 30 क्षण = 1 विपल ,■ 60 विपल = 1 पल■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,■ 2.5 घड़ी Image = 1 होरा(घन्टा ) ■3 होरा=1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार)■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
Sep 27, 2024 17 tweets 4 min read
प्रश्न : - क्या ग्रहो का आत्मा , कर्म , मोक्ष से कोई संबंध है ?

हा ग्रहों का आत्मा, कर्म और मोक्ष से गहरा संबंध है। वैदिक ज्योतिष में ग्रहों को केवल भौतिक जीवन से नहीं जोड़ा जाता, बल्कि वे हमारी आत्मिक और आध्यात्मिक यात्रा, कर्मों और मोक्ष के मार्ग पर भी प्रभाव डालते हैं। Image 1. आत्मा (Soul) और ग्रहों का संबंध:

• सूर्य: ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक (सिग्निफ़ायर) माना जाता है।

यह हमारे आत्मविश्वास, जीवन का उद्देश्य, और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक होता है। सूर्य की स्थिति से यह पता चलता है कि व्यक्ति की आत्मा किस दिशा में जा रही है और उसे अपने
Sep 26, 2024 14 tweets 3 min read
भविष्य पुराण के अंतिम अध्यायों में कहा गया है कि कलियुग वह समय है जिसमें हम वर्तमान में जी रहे हैं। इस समय को स्पष्ट रूप से बुराई के युग के रूप में वर्णित किया गया है, जब लोग केवल पीड़ित होने के लिए पैदा होते हैं। कलियुग अंधकार, पीड़ा, दुख, संघर्षों का युग है। Image यह स्वर्ण युग का उल्टा प्रतिबिंब है, और इसे लौह युग या कब्जे का युग भी कहा जाता है। कल्कि पुराण में इस प्रकार अंधकार के युग की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है:

समय के अंत में, ब्रह्माण्ड निर्माता, ब्रह्मा ने खुद से उत्पन्न पापों को अपनी पीठ पर गिरने दिया। इस प्रकार अधर्म अस्तित्व
Sep 25, 2024 17 tweets 4 min read
वृंदावन के संत स्‍वामी प्रेमानंद महाराज आज युवाओं से लेकर सामान्‍य ग्रहस्‍थों, संत, महात्‍माओं तक के प्रेरणास्‍त्रोत बन गए हैं. उनकी बातें लोगों को भा रही हैं, लोग उनके बताए रास्‍तों पर चल रहे हैं साफ-साफ कहने वाले प्रेमानंद जी कई बार ऐसी बातें बोल देते हैं, Image जिन्‍हें सुनकर लोग उनके दीवाने हो जाते हैं लेकिन हाल ही में गर्भ में बच्‍चे को लेकर उन्‍होंने धर्मग्रन्‍थों में लिखी ऐसी बात कही है कि अगर आप सुन लेंगे तो कई दिनों तक आपको नींद नहीं आएगी गर्भ में आए जिस बच्‍चे की एक हरकत पर माता-पिता नाच उठते हैं और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता
Sep 25, 2024 6 tweets 2 min read
एक आदमी ने नारदमुनि से पूछा मेरे भाग्य में कितना धन है...?

नारदमुनि ने कहा- 1 रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है...आदमी बहुत खुश रहने लगा उसकी जरूरते 1 रूपये में पूरी हो जाती थी Image एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ...आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना... इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को...मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे
Sep 24, 2024 15 tweets 3 min read
प्रश्न: वीर्य निकालने से शरीर कमजोर क्यों हो जाता है क्या शास्त्रों मै इसका वर्ण है?

वीर्य अर्थात् वीर या वीरत्व जिसको धारण करने से शरीर में वीरता और बल बुद्धि आयु यश स्वास्थ्य में वृद्धि हो वीर्य शरीर का अत्यंत आवश्यक अतिशुद्ध सार तत्व है जिसे बनने में महीनों व्यतीत हो जाते है Image साथ ही यह शरीर में जमा होते जाने की स्थिति में यह शरीर में प्रवाहित होकर शरीर में ही घुलने या पचने लग जाता है, जिससे शनै: शनै: शरीर, स्वर्णिम आभा, तेज, अत्यंत ही शक्तिशाली भुजदंड और दिव्य ओज से परिपूर्ण लगने लग जाता है।
Sep 22, 2024 8 tweets 2 min read
प्रश्न = एक व्यक्ति जो कभी पूजा पाठ नहीं करता लेकिन आराम की जिंदगी बसर करता है. वही दूसरा व्यक्ति सच्चे मन से भगवान की पूजा करता है लेकिन बहुत कष्ट और दुख उठाता है, ऐसा क्यों ?

आप जितना भजन करने लगोगे उतने ही दुख आएंगे। उमड़ उमड़ कर आएंगे। बड़े बड़े दुख Image एक साथ टूट पड़ेंगे तुम पर। जीवन से जैसे सुख तो गायब ही हो जाएगा। तुम जितना गीता पर या सत्संग करोगे उतने ही जबरदस्त दुख आएंगे। क्या तुम्हें नही पता कि जिस गति से तुम सत्य को खोजते हो उससे तेज़ गति से सत्य तुम्हे खोज रहा है। जितने तुम उत्सुक हो उससे कई ज्यादा वो
Sep 19, 2024 15 tweets 3 min read
आज मैंने गीता प्रेस की एक पुस्तक से कृष्ण भक्त अर्जुन की भक्ति का बड़ा ही सुंदर प्रसंग पढ़ा तो आप सभी को शेयर कर रहा हूँ। इस उम्मीद के साथ कि आप सभी को यह अवश्य रोमांच से भर दे -

रोम-रोमसे 'जय कृष्ण की ध्वनि Image एक बार कैलासके शिखरपर श्री श्रीगौरीशङ्कर भगवद्धकोंके विषय में कुछ वार्तालाप कर रहे थे। उसी प्रसङ्गमें जगज्जननी श्रीपार्वतीजीने आशुतीय श्री भोलेबाबासे निवेदन किया-'भगवन्! जिन भक्तोंकी आप इतनी महिमा वर्णन करते हैं, उनमेंसे किसीके दर्शन करानेकी कृपा कीजिये।
Sep 19, 2024 25 tweets 5 min read
पितृपक्ष (श्राद्धपक्ष) को लेकर वेद-पुराण और मान्यताएं क्या कहते हैं?
◆पितृदोष क्या है?
◆श्राद्ध कर्म क्या है?
◆श्राद्ध विधान क्या है ?
◆श्राद्ध में क्या करे?
◆श्राद्ध में क्या ना करे?
◆श्राद्ध कब ना करे ?
◆श्राद्ध तर्पण का महत्व/काल/अधिकारी कौन है ? Image ◆श्राद्ध का ज्योतिष आधार क्या है?
◆श्राद्ध का फल क्या होता है ?
◆श्राद्ध का संक्षेप वर्णन,!

धागा बहुत लंबा होने वाला है पर ऊपर पूछे गए सारे प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे आपको ।

👉("श्रद्धया दीयते यत्रः तर्च्छाद्ध परिचक्षते ।।")
अर्थात्ः- मृत पित्तरों की आत्मिक शान्ति व उनकी