आखिरी पोस्ट है ये मेरी जिन्हें एक साथ पूरी पोस्ट पढ़नी हो तो मुझे Dm कर के माग सकते है कोई हर्ज नहीं है।।
👉 ऐसी 5,6 लड़कियां सोशल मीडिया के ज़रिए मेरे रबिते में आईं जिनको मैं महीनों मेहनत करने के बाद कुफ़्र और शिर्क के चंगुल से निकालने में कामयाब हो पाई लेकिन मैंने उन__/ 1/16
सब के अंदर गुमराही की कुछ बातें एक सी देखीं जो इस तरह से थीं।
👉1- वो तमाम लड़कियाँ मुस्लिम लड़को की ग़ैर मुस्लिम लड़कियों से शादी से मुतास्सिर थीं और उनको ग़लत से रोकने पर उनका पहला जवाब ये ही थी कि ऐसा लड़के भी तो करते हैं उनको क्यो नहीं रोकते यानी उनको सामने से ये बहुत
अच्छे से समझाया गया था कि जब लड़के ऐसा कर सकते हैं तो तुम क्यों नहीं।
👉2- तमाम लड़कियां पढ़ी लिखी थीं जो या तो प्राइवेट जॉब में थीं या स्टूडेंट थीं और अपनी मर्ज़ी की ऐश और मज़े की ज़िंदगी जीने की ख्वाहिशमंद थीं यानी उनके लिए दुनिया की ऐश ही हासिले ज़िन्दगी था।
👉3- तमाम लड़कियां ग़ैर इस्लामी मुआशरे के असर में थीं और उनका मानना था कि सभी मज़हब एक जैसे होते हैं किसी को भी अपनाना बुरा नहीं है जो उनको अपने जाल में फंसाने वालों ने बहुत मज़बूती से समझाया हुआ था।
👉4- तमाम लड़कियों का मानना था कि मुहब्बत का कोई मज़हब नहीं होता वो किसी से
भी हो सकती है ये बात और है कि वो मुहब्बत और हरामकारी का फ़र्क़ नहीं जानती थीं।
👉5- उन तमाम लड़कियों के ख़्वाब फिल्मों की तरह एक दिन सब अच्छा हो जाने के थे और उनको मौत व आख़िरत की ज़रा भी परवाह नहीं थी यानी उनके ज़हनों पर सिनेमा हावी थी।
👉6- कुछ लड़कियां नमाज़ भी पढ़ती थी और उनका मानना था कि उनका साथी ग़ैर इस्लामी है तो क्या हुआ वो अपना मज़हब माने हम अपना मानेंगे, यानी जैसे कोई एहराम पहन कर किसी शराबख़ाने के चक्कर लगाए और कहे कि उसने हज कर लिया, मतलब ये निकला के उनको नमाज़ तो आती थी मगर नमाज़ क्यों पढ़ते हैं
इसकी वजह का ज़रा भी इल्म नहीं थी।
👉7- उनको हराम/ हलाल मौत और आख़िरत, गुनाह और नेकी का इल्म तो थी लेकिन उनके अंजाम का ख़ौफ़ बिल्कुल नहीं थी यानी उनका मज़हबी अक़ीदा इतना कमजोर थी कि उनको लगती थी कि जो भी कुछ है वो दुनिया में ही है मरने के बाद का किसने देखा है।
👉8- तमाम लड़कियों को मुसलमानों पर ज़ुल्म और ज़्यादती से कोई मतलब नहीं थी और उनकी नज़र में सब एक से नहीं थे यानी ताक़त दौलत और ज़ुल्म की तरफ़ माइल थीं।
👉9- कुछ लड़कियों की माँ या बहन को उनके हर अमल का इल्म था लेकिन उन्होंने उनको कभी रोकने की कोशिश नहीं की थी।
👉 और आख़िर में इन तमाम बातों का लब्बोलुआब ये निकलती है कि आज हमारी क़ौम का पहला मदरसा यानी माँओं का आँचल दीनी इल्म और फिक्र से ख़ाली हो चुकी है और दुनियावी ख़्वाहिशों से भरी हुई है, और इसकी सुबूत ये है कि इस वक़्त मुस्लिम मर्दों में मची हुई इतनी हाय तौबा और बुलंद होती आवाज़ों
के बीच भी आपको कोई मुझ जैसी आम मुस्लिम लड़की या औरत इस मसले पर आवाज़ बुलंद करती हुई दिखाई नहीं देगी। 😢
साथ ही इन साजिशों का असर लड़के और लड़कियों पर अलग अलग है यानी कोई बहुत गुनाहगार लड़का ग़ैर मज़हबी लड़कियों से बहुत से गुनाह तो कर सकता है मगर अपने ईमान को तर्क करने की शर्त
को वो कभी नहीं मानता जिस से साबित होती है कि हमारे मुआशरे की औरतों और लड़कियों तक ईमान की पहुंच इतनी कमज़ोर है कि वो नमाज़ रोज़े को मुस्लिम होने की एक रस्म के तौर पर निभा रही हैं।
आज के नौजवानों तक हर बुरा इल्म मोबाइल के ज़रिए उनके ज़हनों तक हर वक़्त पहुंच रही है,
लेकिन सच्चा और पाकीज़ा इल्म किसी भी ज़रिये से उन तक नहीं पहुंच रही है क्योंकि हमें दुनिया कमाने से फ़ुरसत ही नहीं है।
👉 इसलिए अब वक़्त आ गया है कि मुसलमानों को अफ़्रीका के जंगलों, अमेरिका के जंज़ीरों और यूरोप के पहाड़ों तक दीन पहुंचने की फिक्र छोड़ कर अपने घरों तक दीन
पहुंचाने के काम पर फौरन लग जाना चाहिए और अपनी औलादों को दुनिया में आने की मक़सद, नेकी और बदी में फ़र्क़, नमाज़ों और तिलाबतों का अस्ल मक़सद, दीन और दुनिया की मोहब्बत, इस्लामी तारीख़, मुहब्बत और हरामकारी में फ़र्क़ और मौत के बाद आख़िरत की ज़िंदगी की सच्ची इल्म देने के काम को
ज़िम्मेदारी से अंजाम देने पर लग जानी चाहिए वरना शिर्क और ईमान को बराबर मानने वाले अपने अपने घरों से मुनकिर और मुर्तदों को निकलते हुए देखने को तैयार रहिये।
👉 और अपनी औलादों तक सच्ची दीन पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश करने के साथ ग़ैर मुस्लिम लड़कियों से होने वाली ऐसी शादियों की
मुख़ालिफ़त करनी चाहिए जिन की बुनियाद इस्लाम से मुतास्सिर होना न हो, बिना दहेज़ और कम ख़र्च की शादियों को आम करना चाहिए, शादी अल्लाह के भरोसे पर सही वक़्त पर करनी चाहिए न कि दुनियाबी ख़्वाहिशों की वजह से बहुत देर से, क्योंकि जब तक आप सच्चा दीन और इल्म अपनी औलादों तक नहीं
पहुंचाएंगे तब तक आप इस दज्जाली दौर में उनको किसी चार दीवारी में क़ैद कर के भी गुमराही से नहीं बचा सकते इसलिए अब हमारे पास सिर्फ़ एक ये ही आख़िरी रास्ता बचा है अपने ईमान के वजूद को बचाये रखने की___/
#_बिहार_के_कटिहार_की_एक_तस्वीर को पागल मुसलमान वायरल करने से लगे हैं जिस में कुछ हिंदूवादी लोग एक मस्जिद के सामने से गुज़रती अपनी धार्मिक यात्रा के दौरान एक दूजे का हाथ थामे खड़े हैं, अगर वो मस्जिद की हिफ़ाज़त में ऐसा कर रहे हैं तो मस्जिद को
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किस से ख़तरा है उनकी यात्रा में शामिल लोगों से न, तो फिर उन लोगों को पुलिस गिरफ़्तार क्यों नहीं करती जबकि पुलिस वहाँ मौजूद है____"
आप कभी सजीशों को समझ ही नहीं पाते, दो दिन पहले आपने ट्विटर पर अपने ऊपर हुए ज़ुल्म को दुनिया के सामने रखने में इतनी मेहनत की
और दुनिया को दिखाया कि तुम पर कितना ज़ुल्म हो रहा है और दुनिया ने उसको देखा भी, दुनिया भर से आवाज़े भी उठीं और अब आप एक प्रिप्लांड तस्वीर को खुद ही वायरल कर के दुनिया को ये बता रहे हैं कि हम कल तक झूठ दिखा रहे थे जबकि तमाम कट्टर संघटन तो हमारी मस्जिदों की
इसकी बातों को हल्के में ना लें ये ऐसे ही नहीं बोल रहा है____"
इन्होंने लव जिहाद की आड़ में एक मुहिम चलाई थीं कि मुस्लिम लड़कियों को मुर्तद करो,
आज आप उसका नतीजे देख सकतें हो इंडिया के बड़े बड़े शहरों से लेकर छोटे से छोटे गांव देहात तक में कोई जगह ऐसी नहीं जहां___1/5
(13 साल से लेकर 50 साल तक) की मुस्लिम लड़की/औरत गैर मुस्लिम से ना लग रही हो____"
पहले हमने आज तक नहीं सुना ना देखा कि कोई मुसलमान अपना मजहब छोड़ कर गैर मुस्लिम बन गए, मुसलमान मर सकता है कट सकता है लेकिन अपना मजहब नहीं छोड़ सालता हैं____"
1947 में पंजाबी मुसलमान औरतों ने अपनी
लाशों से कुएं भर दिए थें, लेकिन अपने मजहब और अपनी आबरू से समझौता नहीं की थी,लेकिन आज के हालात देखें आय दिन खबरें आ रही फलां मुस्लिम लड़की गैर मुस्लिम लड़के के साथ पकड़ी गई😥😥
फलां मुस्लिम लड़की गैर मुस्लिम से शादी कर के मुर्तद बन गई और हमारे लोगों के कानों पर जूं तक नहीं
प्यार का कोई धर्म नही होता इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नही होता वो अपना धर्म मानेगा मैं अपना धर्म कुछ ऐसा ही दावा हर वो लड़की करती है जो इस तरह की शादियां करती पर लास्ट में 95% ऐसी शादियों का रिजल्ट बेहद खतरनाक होता है___"
गुजरात के सुरत शहर मे मुस्लिम लडक़ी को हिन्दु पति ने_ 1/8
भरी बाजार मे चाकु से गोद के कत्ल कर दिया सात साल पहले घर से भाग के शादी कि थी चार साल कि बच्ची है मरने वाली लडक़ी का नाम #मिनाझ_सैयद और पति का नाम #संदीप_अहीर था____"
ऐसी हज़ारों मामलात देख सुन चुकी हूं कुछ दिनों पहले ही एक वीडियो देख रही थी जिसमें मुस्लिम लड़की ने एक ऐसे ही
एक हिन्दू लड़के से शादी की लड़की ने लड़के के लिए जॉब की उसे आईटीआई की पढ़ाई करायी उसकी पूरी खर्च तक उठाती रही लेकिन शादी के 6,7 बाद ही लड़के ने घर से भाग गया साथ ही साथ लड़की की कुछ पैसे और ज़ेवर ले गया_____"
ये सभी देख कर भी बाकी मुस्लिम बहने कुछ इबरत हासिल नहीं करती
"सलाम है कर्नाटक के उड़पी की इन बहनों को" लगातार स्कूल स्टाफ द्वारा हिजाब लगाने की वजह से क्लॉस ना अटेंट करने से रोकने पर भी यह लोग रोज हिजाब में आती हैं और गैलरी में बैठ कर पढ़ टाइम पूरा करके चली जाती हैं___"
1930 में फ्रांस ने अल जज़ायर Algeria) पर अपने कब्जे का 100 साला जश्न मनाया और सारी दुनिया के सामने कहा कि यह जश्न अल जज़ायर में इस्लाम का "जनाज़ा' है
अल जज़ायर के लोग अब फ्रांसीसी मुआशरे (समाज)में ढल जाने के काबिल हो गए उसकी दलील के तौर पर फ्रांसीसी अधिकारियों ने एक
रैली का आयोजन किए जिसमें अल जज़ायर की लड़कियां मॉर्डन कपड़ों में रैली में एक साथ निकलेंगी, और इसका सारा खर्चा फ्रांस का होगा इस काम के लिए फ्रांस के एक मजहबी पेशवा "लाकोस्टा" को जिम्मेदारी दी गई कि वह उन चंद लड़कियों की तालीम तरबीयत (ट्रेनिंग) करे____"
उनको सिर्फ मुस्लिम ल़डकियां चाहिए चाहें वो कैसी भी हो
लेकिन हमारे मुआशरे के लोगों को मुस्लिम लड़कियां चाहिए पढ़ी लिखी लड़के से बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी भी न हो जॉब न करती हो खूबसूरत हो गोरी हो काम हाइट भी नही चलेगी लड़के के बराबर भी हाइट न हो खानदान भी आला हो और मालदार भी हो 1/4
जो दहेज भी बेहतर दे सके बिरादरी सेम होनी चाहिए____"
वही मुआशरे की लड़कियों को भी चाहिए साढ़े चार फुट के लड़का लड़के की हाइट ठीक ठाक ही होनी चाहिए स्मार्ट भी होना चाहिए खुद चाहें गुरबत में हो लेकिन लड़का मालदार चाहिए फैमिली छोटी होनी चाहिए सांस नंद का झमेला न हो लड़का वेल सेटल
हो बिरादरी का मसला यहां भी इंपॉर्टेंट है
खुद चाहें कुछ न खर्च करें लेकिन लड़के से ये उम्मीद की पांच लाख के जेवर लेकर आए दो सौ बाराती ताकि अपनी सहेलियों रिश्तेदारों को दिखा सकें___"
ये हलाल रिश्तों के लिए शर्तों की लंबी फेहरिस्त है जबकि हराम रिश्ते के लिए कोई शर्त नहीं उसके लिए
अभी तक जितनी भी लड़कियों से बात की हूं किसी लड़की ने मुझसे ये नही कही कि भगवा लव ट्रेप के बारे में उसके भाई बाप ने बताया हो शौहर ने बताया है___"
बल्कि हर लड़की यही बात कहती है कि दोस्त ने बताया सोशल मीडिया से समझ आई इसका मतलब ये की जो लड़कियां लंबी पोस्ट नही पढ़ती 1/4
या सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं करती वो अब भी अनजान होंगी क्योंकि घर के मर्द को तो शर्माने से फुर्सत नहीं___"
ये हाल है हमारे मर्दों का
और लड़कों से पूछी तो लड़के कहते हैं कि वो अपने घर में ये सब बात करने में शर्म करते हैं या हमारे घर का मामला ठीक है हमारे घर की औरते अलग हैं___"
मेरे भाई जिन घरों के मामले आ रहे हैं उन घरों के मर्द भी ऐसे ही गलतफ़हमी में थे की उनका घर ठीक है उनके घर में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती हैं___"
फितनो को औरत के मुकाबले मर्द ज्यादा जल्दी समझते है और औरत फितनो की शिकार जल्दी होती है इस लिए मर्द की जिम्मेदारी है कि वो औरतों को