हमें आजादी एैसे ही नही मिल गए इस देश काे आजाद कराने के लिए हमारे उलेमा और अकाबीरीन नें अपनी जान और माल तक कुर्बान कर दिए,
तब जाकर हमें यह आजादी मिली
अंग्रेजाें के खिलाफ जंग-ए आजादी की शुरुआत सबसे पहले नवाब सिराजुद्दाैला ने 1756 में की थी
फिर हम शेर-ए हिंद टीपू सुल्तान काे कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने अंग्रेजों के अंदर हड़कंप मचा दी थी और इस देश काे बचाने की खातिर 1782 से लेकर 1799 तक एक अकेले अंग्रेजों के ललकारे और उन सब की कमर ताेड़ दी फिर लड़ते हुए इस देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी
1857 में अंग्रेजाें के खिलाफ फिर यह जंग शुरू हुई जिसमें बहादुर शाह जफर और उसके दाे बेटे और एक पाेते शहीद कर दिए गये.
जंग-ए आजादी की तहरीक और उसके बानी हाेने का शर्फ #हुज्जतुल_इसलाम हजरत माैलाना शाह अलिउल्लिाह माेहाद्दिस देहलवी हैं जिन्होंने अग्रेंजाें और मरहटाें काे खदेड़ा था
जिनकी तकरीर और दरस की वजह से उनके बेटे शाह अब्दुल अजीज माेहद्दिस देहलवी ने लाेगाें काे अंग्रेजाें के खिलाफ जिहाद करने पर तैयार किए
अपने वालिद के मरने के बाद 17 साल की उम्र में जानशीन मुकर्रर हुए और इन्होंने ने भी अंग्रेजाें काे मुल्क बदर किए बगैर अपने लिए जिंदा रहना हराम करार दिए
इनके खानदान से माैलाना अब्दुल हय,शाह इस्माईल शहीद,शाह इसहाक,जिन्हाेंने अग्रेंजाें के खिलाफ जंग छेड़ रखी थी
जिन्होंने इस देश काे आजाद कराने के लिए मसनद-ए दरस काे छाेड़ दिए, मस्जिदों काे माजूराें के हवाले कर दिए ताकि अंग्रेजों काे इस देश से खदेड़ा जा सके
इन सब के बाद अंग्रेजों काे खदेड़ने के लिए
माैलाना इनायत अली सादिकपूरी,माैलाना विलायत अली,माैलाना अब्दुल्ला अजीमाबादी और सादिकपूर के इन उलेमाओं की एक बड़ी जमात ने अंग्रेजों के खिलाफ माेर्चा संभाले.
सादिकपूर के उलेमाओं की जमात ने और देशभर के तमाम उलेमाओं ने इस देश काे आजाद करने के लिए फांसी के फंदे पर चढ़े, काला पानी की सजा काटे और अपने खुन से इस मिट्टी काे रंग दिए तब जाकर हमें आजादी नसीब हुई
सैय्यद अहमद शहीद और हजरत माैलाना मियां नजीर हुसैन माेहद्दिस देहलवी जिन्होंने जेल की मशक्कत बर्दाश्त किए, माैलाना अबुल कलाम आजाद जिन्हाेंने मैगजीन के जरिए लाेगाें काे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने की तरगीब दी जिसकी वजह से उन्हें बार बार जेल जाना पड़ा.
एैसे लाखाें उलेमायें किराम है जिन्होंने इस देश काे आजाद कराने की खातिर अपनी जान की बाजी लगा दी तब जाकर हमें आजादी नसीब हुई
यही वजह है कि दिल्ली से लाहाैर तक सिर्फ उलेमाओं काे फांसी के फंदे पर लटका दिए गए
इतनी कुर्बानियाें के बावजूद मुसलमानों पर इतने जुल्म क्याें ढाये जा रहे हैं?
क्या मुसलमान यहां ढंग से रह भी नही सकते कि आये दिन मुसलमानों की मॉब लिंचिंग हाेती रहे, जबरन JSR बुलवाया जाये,घराें में घुसकर पीटा जाये
मुसलमानों के प्रति नफरत और नरसंहार करने की खुलेआम धमकी दी जाये
क्या इन सब चीजों के लिए ही हमारे उलेमा और अकाबीरीन ने कुर्बानी दी थी?
क्या मुसलमान काे जुल्म सहने के लिए हमारे उलेमा और अकाबीरीन ने इस देश की खातिर खुन,पसीना बहाये हैं?
फिर हमारे उपर आये दिन जुल्म क्याें ढाया जा रहा है?
क्याें हमारी मॉब लिंचिंग दिन ब दिन बढ़ते जा रहे है?
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