‘काँन्वेंट’ सबसे पहले तो यह जानना आवश्यक है कि ये शब्द आखिर आया कहाँ से है, तो आइये प्रकाश डालते हैं।
ब्रिटेन में एक कानून था लिव इन रिलेशनशिप बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना।
जब साथ में रहते थे तो शारीरिक संबंध भी बन जाते थे, तो इस प्रक्रिया के अनुसार संतान भी पैदा हो जाती थी तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़ दिया जाता था।
अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए तब वहाँ की सरकार ने काँन्वेंट खोले अर्थात्
जो बच्चे अनाथ होने के साथ-साथ नाजायज हैं उनके लिए काँन्वेंट बने।
उन अनाथ और नाजायज बच्चों को रिश्तों का एहसास कराने के लिए उन्होंने अनाथालयों में एक फादर एक मदर एक सिस्टर की नियुक्ति कर दी क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है ना ही माँ है।
तो काँन्वेन्ट बना नाजायज बच्चों के लिए जायज इंग्लैंड में पहला काँन्वेंट स्कूल सन् 1609के आसपास एक चर्च में खोला गया था जिसके ऐतिहासिक तथ्य भी मौजूद हैं और भारत में पहला काँन्वेंट स्कूल कलकत्ता में सन् 1842में खोला गया था।परंतु तब हम गुलाम थे और आज तो लाखों की संख्या में काँन्वेंट
स्कूल चल रहे हैं।
जब कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं।
मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है।उसमें वो लिखता है कि:
“इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे।इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा।इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा।
इनको अपनी परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा।
इनको अपने मुहावरे नहीं मालुम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि
हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है
अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रुवाब पड़ेगा। अरे ! हम तो खुद में हीन हो गए हैं। जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा?लोगों का तर्क है कि “अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है”।
दुनियाँ में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में ही बोली, पढ़ी और समझी जाती है,फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है? शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईसा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे।
ईसा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी। समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।
भारत देश में अब भारतीयों की मूर्खता देखिए जिनके जायज माँ बाप भाई बहन सब हैं, वो काँन्वेन्ट में जाते है
तो क्या हुआ एक बाप घर पर है और दूसरा काँन्वेन्ट में जिसे फादर कहते हैं। आज जिसे देखो काँन्वेंट खोल रहा है जैसे बजरंग बली काँन्वेन्ट स्कूल, माँ भगवती काँन्वेन्ट स्कूल। अब इन मूर्खो को कौन समझाए कि भईया माँ भगवती या बजरंग बली का काँन्वेन्ट से क्या लेना देना?
बूढ़ी माता मंदिर के सामने भीख माँगती थी। एक संत ने पूछा - आपका बेटा लायक है, फिर यहाँ क्यों ??
बूढ़ी माता बोली - बाबा, मेरे पति का देहांत हो गया है। मेरा पुत्र परदेस नौकरी के लिए चला गया। जाते समय मेरे खर्चे के लिए कुछ रुपए देकर गया था, वे खर्च हो गये इसीलिए भीख माँग रही हूँ।
संत ने पूछा - क्या तेरा बेटा तुझे कुछ नहीं भेजता ??
बूढ़ी माता बोली - मेरा बेटा हर महीने एक रंग-बिरंगा कागज भेजता है जिसे मैं दीवार पर चिपका देती हूँ।
संत ने उसके घर जाकर देखा कि दीवार पर 60 बैंक ड्राफ्ट चिपकाकर रखे थे।प्रत्येक ड्राफ्ट ₹50,000 राशि का था। पढ़ी-लिखी न होने के
कारण वह नहीं जानती थी कि उसके पास कितनी संपति है। संत ने उसे ड्राफ्ट का मूल्य समझाया।
हमारी स्थिति भी उस बूढ़ी माता की भाँति ही है।
हमारे पास धर्मग्रंथ तो हैं पर माथे से लगाकर अपने घर में सुसज्जित कर के रखते हैं।
जबकि हम उनका वास्तविक लाभ तभी उठा पाएगें जब हम
उनका अध्ययन
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, एक सैनिक को अपने घर लौटने की लिए एक छुट्टी मिली, और जैसे ही वह अपने घर के पास सड़क पर पहुंचा, उसने लाशों से लदे एक सैन्य ट्रक को देखा और जानता था कि दुश्मन ने उसके शहर पर बमबारी की थी..
ट्रक दर्जनों शवों को लेकर जा रहा था और उन्हें सामूहिक कब्र में ले जाने की तैयारी कर रहा था।
सैनिक उन पर अंतिम नज़र डालने के लिए ढेर हुई लाशों के सामने खड़ा हो गया और उसने देखा कि एक महिला के पैर का जूता उस जूते की तरह लग रहा था जैसा उसने पहले अपनी पत्नी के लिए खरीदा था।
जांच करने के लिए वह जल्दी में अपने घर गया, लेकिन वह जल्दी से पीछे हट गया और शव की जांच करने के लिए फिर से ट्रक पर गया और अपनी पत्नी को पाया !!
अपने सदमे से सम्हलने के बाद,सैनिक ने सोचा कि उसकी पत्नी को सामूहिक कब्र में नही दफनाया जाना चाहिये, इसलिए उसने उचित अंत्येष्टि के लिए
*सभी हिंदू भाई और बहनों से गुजारिश है कि अपने परिवार में एक मीटिंग करके माता पिता बच्चो को समझाये कि,ये ज़रूर करे*:- 1) नेता *हिन्दू* चुनिए 2) वकील *हिन्दू* चुनिए 3) इंजीनियर *हिन्दू* चुनिए 4) सी.ए.*हिन्दू* चुनिए 5) सब्जी वाला *हिन्दू* चुनिए 6) मोबाइल रिचार्ज *हिन्दू* चुनिए
अरे भाई! तुम्हारे पास अल्लाह ताला का मुकम्मल दीन है, शरीया कानून है, पांचों वक्त की नमाज है, पर्दा और बुर्का है, ट्रिपल तलाक है, 4 निकाह और 84 मुताह है, हर रोज हलाला है, कभी रजिया कभी मलाला है, ऊपर वाले की गाज है, कोढ़ में खाज है, दूर-दूर तक कोई बुत या बुत परस्त नहीं है,
अड़ोस-पड़ोस में कोई काफिर नहीं है जिससे तुम्हें डर लगे,तुम्हारे कानों में मंदिर की आरती या गुरुद्वारे से गुरुवाणी नहीं पहुंचती,होली का हुड़दंग नहीं है,दिवाली की आतिशबाजी नहीं है,शिवरात्रि पर दूध की बर्बादी नहीं है,चकाचक पांचों वक्त गाय, भैंस, घोड़ा, गधा,कुत्ता कुछ भी खा सकते हो
चारों ओर सिर्फ तुम ही तुम हो, तुम्हारा दीन पूरी दुनिया को अमन तथा भाईचारे
का संदेश देता है... जो जो तुम्हें चाहिए वहां तुम्हें सब मयस्सर है। फिर तुम्हारी क्यों फटी पड़ी है? अपना वतन, अपना मुल्क छोड़कर क्यों भागे जा रहे हो?
*अफगान-तालिबान संघर्ष एक नाटक है
ये घटना सीरिया 2.0 के अलावा और कुछ नहीं है*
आप में से कितने लोगों को याद होगा कि 2015 में,मीडिया ने समुद्र के किनारे मृत बच्चे की तस्वीर प्रकाशित की थी,जिसमें दावा किया गया था कि, वह एक सीरियाई शरणार्थी बच्चा है और सीरियाई शरणार्थियों के लिए सभी
समर्थन जुटाए और सीरियाई और अन्य मुस्लिम शरणार्थियों के लिए यूरोपीय देशों के दरवाजे खोल दिए।
6 साल पहले,आप सभी जानते हैं कि,यूरोप में जनसांख्यिकी कैसे बदल गई है।
अगले 5 सालों में ज्यादातर यूरोप इस्लामिक हो जाएगा।
*वर्तमान अफगान-तालिबान सर्कस और कुछ नहीं,बस उसी लिपि को फिर से चलाया
जा रहा है 1. उन्होंने तालिबान को राक्षस बताया जो अफगानी को मार डालेगा लेकिन वास्तव में उन्होंने किसी को नहीं मारा है। केवल बर्बर कृत्यों की कहानियों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
2. कल काबुल हवाईअड्डा दिखाकर वे तथाकथित बेकसूर अफगानी के प्रति ठीक वैसी ही सहानुभूति बटोर रहे हैं.
*हर हिंदु के पास नारियल काटने वाला चाकु होना चाहिये , ये आप शहर के किसी हार्डवेयर विक्रेता ,अमेजन , फ्लिककार्ट से खरीद सकते है, एक कच्चा नारियल थोक मे मात्र 10/- का आता है केवल उसे छिलकर छेद करने के आप 25₹ ज्यादा क्यो दे, समझ रहे है ना*
*आपको NCC या पुलिस , सेना मे जाने का मौका नही मिला , और आपकी यह तमन्ना अधुरी रही कि निशानेबाजी सिखते,तो निराश नत होइये ,एयर गन 0.17 बोर जो बाजार मे 3-4 हजार कि आती हा ( सरकारी बंदुकघर या नेट पर आसानी से उपलब्ध है , 0.17 बोर कि एयर गन को लाइसेंस की आवश्यकता नही है)*
*घर मे बीस किलो का बोरा ब्लीचीग पाॉउडर का रखे, ब्लीचीग पाउडर एक लिटर पानी मे केवल १० ग्राम डाले , यह सेनिटाइटर का विकल्प है , ध्यान रहे अगर 200-300 ग्राम गलती से डाल दिया तो बहुत खतरनाक है , इससे संपर्क मे आया हुइ खुली मानव त्वचा को तीखी नुक़सान पहुचता है ,तीखी जलन होती है*