आतंकियों द्वारा कश्मीर में पुलिसकर्मी बंटू शर्मा की हत्या पर क्यों मौन है देश..??
आर्टिकल 370 के हटने की सारी कवायद के बावजूद भी हमें यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि कश्मीर में कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं है। घाटी से आई हुई जानकारी के बाद कश्मीर की स्थिति यही प्रतीत होती है।
पुलिसकर्मी बंटू शर्मा की हत्या के बाद उनके शोक संतप्त परिवार की हृदय विदारक तस्वीरें सामने आ रही हैं। बंटू शर्मा की कल वानपोह अनंतनाग में आतंकियों द्वारा हत्या कर दी गई है। यह कश्मीरी पंडित परिवार 90 के दशक में कश्मीर से विस्थापन करने को राजी नहीं था जिसकी उन्हें अब बंटू शर्मा के
प्राणों को खोकर कीमत चुकानी पड़ी है। बंटू शर्मा की हत्या पर आखिर देश मौन क्यों है??
अब इस परिवार के लिए आसपास से राजनीतिक दलों से सवेदनाये आयेंगी इनके पड़ोसी भी इनके दुःख में शामिल होंगे लेकिन जिस मजहब के एजेंडे में ऐसे ही लोगों को मारना है तो फिर एक विशेष वर्ग का दुख में शामिल
होने का दिखावा क्यों। जब वो अपने वर्ग के आंतकवादियों पर लगाम लगाने में सक्षम नहीं है।
आखिर कब तक हमारे जवान भाई,पुलिस भाई ऐसे शहीद होते रहेंगे।
सालों से ये सब चल रहा है कितना बकवास बेचते है वहां के नेता जो केवल इ__स्लामपरस्त है और कुछ भी नहीं। बिना POJK को वापस लिए वहां बात नही
बननी। भारत को एक बफर प्रदेश बनाना ही होगा और आतंक का समूल विनाश बिना विचारधारा के विनाश के संभव नहीं हैं। उनके निशाने पर हर क़ाफ़िर है। ये केवल कश्मीर के पंडितों का ही मसलाह नहीं है। ये और बात है कि आज वो भुक्त भोगी हैं,
कल हम होंगे।जब तक सटीकता से जड़ पर कार्य नहीं होगा,तब तक कुछ नहीं बदलेगा।
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नरगिस की नानी दिलीपा मंगल पाण्डेय के ननिहाल के राजेन्द्र पाण्डेय की बेटी थीं।
उनकी शादी 1880 में बलिया में हुई थी लेकिन शादी के एक हफ़्ते के अंदर ही उनके पति गुज़र गए थे।
दिलीपा की उम्र उस वक़्त
सिर्फ़ 13 साल थी।
उस ज़माने में विधवाओं की ज़िंदगी बेहद तक़लीफ़ों भरी होती थी।
ज़िंदगी से निराश होकर दिलीपा एक रोज़ आत्महत्या के इरादे से गंगा की तरफ़ चल पड़ीं लेकिन रात में रास्ता भटककर मियांजान नाम के एक सारंगीवादक के झोंपड़े में पहुँच गयीं जो तवायफ़ों
के कोठों पर सारंगी बजाता था...
मियांजान के परिवार में उसकी बीवी और एक बेटी मलिका थे... वो मलिका को भी तवायफ़ बनाना चाहता था...
दिलीपा को मियांजान ने अपने घर में शरण दी..
और फिर मलिका के साथ साथ दिलीपा भी धीरे-धीरे तवायफ़ों वाले तमाम तौर-तरीक़े सीख गयीं...
दुनिया में कुल 190 से अधिक देश हैं।
कुल 50 के लगभग विकसित देश हैं।
करीब 20 देश अति विकसित श्रेणी में हैं।
उनमें भी 7 देश अति-अति विकसित है।
भारत एक विकासशील देश हैं।
वैक्सीन मात्र 7 देशों ने बनाई उसमें से एक भारत भी।
एक दिन में सबसे अधिक वेक्सिनेशन के तीन रिकार्ड बनाने
वाला अकेला भारत।
17 सितंबर भारत ने एक दिन में 2 करोड़ 50 लाख 10 हजार वेक्सिनेशन कर बनाया गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड।
सभी सुपर पॉवर देशों को छोड़ा मिलों पीछे।
अर्थात हमनें विकासशील देश होकर भी अति-अति विकसित देशों को पछाड़ दिया। वह भी कोई साधारण वैक्सीन निर्माण और वेक्सिनेशन
में नही बल्कि सदी की सबसे बड़ी महामारी के वैक्सीन निर्माण तथा करोड़ो वेक्सिनेशन में।
पूरी दुनिया में भारत, भारत की जनता, भारत सरकार और हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धि के नाम का डंका बज रहा है।
भले मोदी से आपको लाख शिकायते हो ! भले मोदी से हजारों प्रश्न हो ! किन्तु मोदी एक ऐसी शख्सियत हैं ! जिसे नजरअंदाज नही किया जा सकता !.
चाहे आप मोदीभक्त हो, आलोचक हो या अन्धविरोधी ! परन्तु केंद्र में आपके मोदी ही रहेंगे ! यही इस "रहस्यमयी" शख्स की
"पहचान" बन चुकी हैं ! यही इस शख्स की ताकत हैं !.
मोदी हर बार चौकाते हैं वे आपको चुनोती देते हैं उन्हें समझने की, उनके अगले कदम की आहट को सुनने की. किन्तु मोदी की चाल आपको समझ आये तब तक शह-मात हो चुकी होती हैं.
मोदी दो विचारधाराओं की शतरंज के वो खिलाड़ी है, जो
विरोधी को चाल चलने की पूर्ण स्वतंत्रता देते हैं. किन्तु जब तक मोदी की चाल विरोधी को समझ आये, तब तक खेल समाप्त हो चुका होता हैं.
चाहे वो नोटबन्दी जैसा विशाल ह्रदय वाला निर्णय हो, 370 जैसा 56 इंची फैसला, राममंदिर निर्माण जैसा स्वप्निय क्षण हो या वर्तमान में चीन की
"गणित का सवाल"
अगर आपको गणित आती है तो बताइए 1947 से 2017 यानी 70 साल में भारत मे रुक गए मुस्लिमो की आवादी 3 करोड़ से दस गुणा बढकर 30 करोड़ हो गयी है तो हमारे बेटे के ही जीवन काल यानी अगले 70 साल (2090) में उनकी आबादी कितनी होगी ?
फिर से दस गुणा यानि 300 करोड़ और सोचिये तब....
1 - आपकी सम्पत्ति का क्या होगा ?
2 - आपके व्यवसाय का क्या होगा ?
3 - नौकरी का क्या होगा ?
4 - मन्दिरों का क्या होगा ?
5 - स्कूल गयी बेटी/पोती का क्या होगा ? आज एक निकिता इस्लाम के नाम पर मरी है कल लाखों मारी जाएगी।
6 - हमारे संविधान का क्या होगा ?
7 - हमारे जातिय अहंकार का क्या होगा ?
8 - हमारे आरक्षण का क्या होगा ?
9 - हमारी नेतागिरी का क्या होगा ?
10 - हमारी जाति के लोगों का क्या होगा ?
क्या तब हमारी स्वार्थी बुद्धि.. कोई समाधान कर पायेगी ? नहीं ना.. तो फिर वही होगा जो कश्मीरी हिंदूओ का हुआ था।
अखण्ड भारत में सिन्ध
इस तस्वीर को देखने और चिंतन करने के बाद आपको #गांधियों से नफरत हो जाएगी... और हां ये तस्वीर तब की है जब नेहरू का कपड़ा और जूता विशेष विमान से आता था...
यह एक तस्वीर है 1948 के ओलंपिक की जो लंदन में हुआ था।
हमारी फुटबॉल टीम ने फ्रांस के साथ मैच 1-1 से बराबर किया था।
हमारे खिलाड़ी
इसलिए जीत न सके क्योंकि उनके पास जूते ही नहीं थे ।
और वह नंगे पैर पूरा मैच खेले थे।
जिसके कारण बहुत ही खिलाडियों को दूसरी टीम के खिलाडियों के जूतों से चोट भी लगी थी।
फिर भी मुकाबला बराबरी का रहा।
इस टीम के कप्तान थे शैलेन्द्र नाथ मन्ना। वो विश्व के बेहतरीन खिलाडियों मैं से एक थे।
सरकार ने जूते क्यों नहीं दिए क्योंकि सरकार के पास इतने पैसे भी नही थे।
यह वो वक्त था जब नेहरू के कपड़े पेरिस से ड्राइक्लीन हो कर आते थे।और साहब अपने कुत्ते के साथ प्राइवेट जेट मैं घूमते थे।
नतीजा यह हुआ के फीफा ने 1950 वर्ड कप मैं
#सत्य_सनातन_धर्म_की_जय
क्या यह आधुनिक तकनीकों वाला युग नींव खोदे बिना एक गगनचुंबी इमारत के निर्माण की कल्पना कर सकता है ?
यह तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर है, यह बिना नींव का मंदिर है । इसे इंटरलॉकिंग विधि का उपयोग करके बनाया गया है इसके निर्माण में पत्थरों के बीच कोई सीमेंट,
प्लास्टर या किसी भी तरह के चिपकने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं किया गया है इसके बावजूद पिछले 1000 वर्षों में 6 बड़े भूकंपो को झेलकर भी आज अपने मूल स्वरूप में है ।
216 फीट ऊंचा यह मंदिर उस समय दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर था। इसके निर्माण के कई वर्षों बाद बनी पीसा की मीनार खराब
इंजीनियरिंग की वजह से समय के साथ झुक रही है लेकिन बृहदेश्वर मंदिर पीसा की मीनार से भी प्राचीन होने के बाद भी अपने अक्ष पर एक भी अंश का झुकाव नहीं रखता ।
इस मंदिर के निर्माण के लिए 1.3 लाख टन ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था जिसे 60 किलोमीटर दूर से 3000 हाथियों द्वारा ले जाया गया था