थ्रेड #चीन_के_चमचे

पता नहीं क्यों लेकिन इस सरकार के हर कदम के पीछे अब चीन की साज़िश लग रही है। नोटबन्दी से PayTM का बाजार चमका और PayTM में पैसा लगा है चीन का। चीन से अक्साई चिन वापिस लेने के सपने दिखा के सत्ता में आये थे और अब चीन को जमीन गिफ्ट किये जा रहे हैं।
#BlackBill
बिना किसी तैयारी के डिजिटल इंडिया चालू किया। बिक्री बढ़ी चीन के मोबाइल और बाकी हार्डवेयर की। अब सरकारी बैंकों का निजीकरण कर रहे। ताकि चीन भारतीय बैंकों में हिस्सेदारी खरीद सके। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स भी चीनी कंपनियों के ही हवाले किये जा रहे हैं।
चीन पहले ही भारत के रिटेल बिज़नेस (ऑटोमोबाइल छोड़ के) पर पहले ही अपना कब्जा कर चुका है। अब धीरे धीरे कैपिटल मार्केट पर भी कब्जा कर रहा है। सरहदों पर चीन पहले ही जमा हुआ है। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत तो छोड़ो अमेरिका और रूस भी चीन से घबराते हैं।
चीन ने विश्व के बड़े मीडिया हाउस, वैचारिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, राजनैतिक दलों, सरकारों और कंपनियों तक में सेंधमारी कर रखी है। आज कोई भी CEO या नेता पब्लिक प्लेटफार्म पर चीन के खिलाफ कुछ भी बोलने से डरता है।
ये बात ऐसे ही दिमाग में नहीं आई है। कुछ समय पहले नेपाल में चीन की राजदूत Hou Yanqi की तस्वीरें सामने आई थी। साथ ही ये खबर उड़ाई गई थी कि उन राजदूत ने नेपाल के शीर्ष नेताओं को अपने कब्जे में किया हुआ है।
नेपाल के साथ साथ म्यांमार, थाईलैंड, मालदीव, बांग्लादेश, श्रीलंका, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, अफ्रीकन देश, ईरान और पाकिस्तान तो है ही। ये सारे देश आज चीन के मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं करते और चीनी जाल में फंसे हुए हैं।
तो एक बात ये समझने वाली है कि क्या गारंटी है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को चीन ने अपने जाल से छोड़ दिया हो। जब सरकार खुद चीन के लिए रास्ता तैयार करती दिखाई दे रही है, चीन के भारत की सीमाओं पर कब्जा करने के आरोपों पर चुप है,
तो ये क्यों नहीं माना जा सकता कि भारत सरकार जनता को राष्ट्रवाद की अफीम पिला कर खुद चीन के इशारों पर नाच रही है?
बस बात एक ही है। हमारी जिम्मेदारी हर चुनाव में वोट देकर खत्म नहीं हो जाती। सवाल पूछना जरूरी है।
#BlackBill
#DaroMatDebateKaro
@tehseenp
@Swamy39
@idesibanda

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with WhiteCollarMazdoor

WhiteCollarMazdoor Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @BankerDihaadi

27 Nov
बेरोजगारी ऐसे ही नहीं बढ़ती। बेरोजगारी हमेशा ही कृत्रिम होती है। यह वर्कफोर्स के खिलाफ किसी भी सरकार का सबसे बड़ा हथियार होती है। वर्कफोर्स के दिमाग में हमेशा ये डर बना रहना चाहिए कि वो रिप्लेसेबल है और उसकी जगह लेने के लिए बहुत लोग तैयार बैठे हैं।
#NoVoteToSellerGovt
बस यही डर दिखाकर आप उनसे नैतिक अनैतिक कोई भी काम करवा सकते हैं, काम के बोझ के नीचे दबा कर मार सकते हैं। वर्कफोर्स कोई भी मांग करे, अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करे आप तुरंत बोल सकते हैं कि नौकरी छोड़ दो बहुत बैठे हैं तुम्हारी जगह लेने के लिए।
#NoVoteToSellerGovt
ये चीज आपको आज के दौर में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल जाएगी। बैंकों में जरूरत से आधा स्टाफ दिया हुआ है और काम का बोझ कई गुना बढ़ाया जा चुका है। भर्तियां भी पहले से कम कर दी हैं और ऊपर से VRS भी ला रहे हैं।
#NoVoteToSellerGovt
Read 5 tweets
27 Nov
थ्रेड:#सांप_भी_मरे_लाठी_भी_ना_टूटे

एक अनुमान के हिसाब से शहरी क्षेत्र में किसी बैंक ब्रांच को ब्रेक इवन होने में 6-7 साल का समय लगता है। वही शहरी क्षेत्रों में यह समय 2-3 साल का होता है। मतलब ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रांच खोलने का मतलब है कम से कम 6 साल के लिए पूंजी फंसाना।
कई बार तो ग्रामीण ब्रांचें कभी मुनाफे में आ ही नहीं पाती। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में निजी बैंकों की शाखाएं नहीं के बराबर होती हैं। लेकिन चूंकि आज भी देश की 70% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, निजी बैंकों के लिए इस क्षेत्र पर कब्जा करना बहुत जरूरी है।
तभी बैंकिंग इंडस्ट्री से सरकारी बैंकों का प्रभुत्व समाप्त हो सकेगा। अब 6-7 साल पूंजी कौन फंसाये। सबसे बढ़िया तरीका है कि कोई सरकारी बैंक ही खरीद लिया जाए। जो लोग बैंकिंग की माइक्रो मैनेजमेंट को समझते हैं उन्हें पता होगा कि निजी बैंकें अनबैंक्ड क्षेत्रों में ब्रांच नहीं खोलती।
Read 7 tweets
26 Nov
एक बखत की बात बताएं एक बखत की,
जब देश हमारो सो गयो थो नींद गज़ब की,
बिना बहस कानून बनाये आतातायी रे,
छप्पन इंची सत्ता देखो क्या पगलाई रे।



#BlackBikk

#DaroMatDebateKaro
#Gulal
#piyushmishra
चार टके में बिका मीडिया करे बढ़ाई रे,
जनता की संपत्ति बेचे निर्मला ताई रे,
जनता की संपत्ति बेचे निर्मला ताई रे,

रेल बेच दी और बेच दिया एयर इंडिया,
देश नहीं बिकने दूंगा बोल देखो क्या किया।

#DaroMatDebateKaro
बच्चे हमारे पूछेंगे जब इतना सबकुछ हो रयो थो,
तो देश हमारो काईं भाईसा आंख मूंद के सोरयो थो,

हो, देश यो बोल्यो मोदीभक्ति ऐसी छाई रे,
जनता की संपत्ति बेचे निर्मला ताई रे।

#DaroMatDebateKaro

@idesibanda
@AnuragChandraa
@anuragkashyap72
@alashshukla
@NehaSinghGahlot
Read 4 tweets
26 Nov
आज संविधान दिवस है। तीन दिन बाद संसद का शीत सत्र शुरू होगा और वहां संविधान का मखौल बनाया जाएगा।

"We the people of India..." का कोई मतलब नहीं बचा अब। क्योंकि People of India को पता ही नहीं कि संसद में क्या कानून बनने वाले हैं इस बार। सरकार ने बताया ही नहीं।
#DaroMatDebateKaro
शायद अब सरकार जनता को इस लायक समझती ही नहीं। "जनता क्या करेगी जानकर? जनता ने चुन के भेज दिया। अब हमारी मर्जी हम कुछ भी कानून बनाएं। चुनाव खत्म होने के बाद संविधान, लोकतंत्र सब खत्म हो जाता है ना।"

#DaroMatDebateKaro
जनता की ही संपत्तियां बेच रहे हैं। जनता को बिना बताए। जनता का लाखों करोड़ रुपया, जो अपने खुद के बैंक में जमा किया था, अब किसी पूंजीपति के हवाले कर दिया जाएगा। कुछ पूछो तो कह देंगे कि तुमने ही तो चुन कर भेजा है।
#BlackBill

#DaroMatDebateKaro
Read 4 tweets
6 Nov
थ्रेड: #लघु_कथा

ब्रांच मैनेजर अपने केबिन के बाहर लगी भीड़ से परेशान। केबिन भी क्या ही था, क्यूबिकल जैसा था जिसमें सामने दो कुर्सियां लगी थीं। भीड़ देखकर BM का केबिन कम और इन्क्वायरी काउंटर ज्यादा लग रहा था। एक मलिन सी महिला बिना नहाये हुए तीन छोटे छोटे बच्चों को लेकर आयी।
BM की टेबल पे तीन पासबुक रखी और डरते हुए बोली साहब बैलेंस बता दो। BM ने एक नजर उस महिला और उसके बच्चों को देखा और फिर उन गंदली सी पासबुकों को। झुंझलाते हुए पासबुक उठाई और तड़-तड़ करते हुए कीबोर्ड में अकाउंट नंबर टाइप करने लगा।
"तिरेपन रूपये", "सैंतीस रूपये", "इसमें तो आठ ही रूपये हैं", बताते हुए एक एक करके पासबुक टेबल पे पटकता गया। "फिर हरामी ने सारे पैसे निकाल लिए।" महिला को खातों में पैसे होने की उम्मीद नहीं थी मगर BM का जवाब और रवैया देखकर और भी बुझ गई।
Read 11 tweets
5 Nov
थ्रेड: #दिवाली_की_बख्शीश

ये जो 5 रूपये कम करके दिवाली के तोहफे और गरीबों की भलाई का ढोल पीटा जा रहा है ये एक घटिया मानसिकता और एक सोची समझी चाल छुपी हुई है। ये है गुलामी की मानसिकता। जरा कल्पना कीजिये कि गुलाम कैसे कैसे रहते होंगे?
ज़ंजीरों में बंधे, एक एक सांस के लिए अपने मालिक की परमिशन के लिए तरसते हुए। वही खाते हैं जो मालिक देता है, जब देता है। गुलामों से काम पूरा लिया जाता था, तरीके से चूसा जाता था। इतना कि मरने जैसी हालत हो जाती थी। हाँ, लेकिन मरने दिया जाता नहीं था।
इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जाता था कि गुलाम आपस में मिलकर विद्रोह न का कर दें। कुछ कुछ वैसा ही आज भी चल रहा है। वैसे तो ये एनालॉजी हर क्षेत्र में मिल जायेगी मगर अभी के लिए, जहां से बात शुरू की थी उसी को लेते हैं हैं। यानी तेल।
Read 13 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(