मथुरा से लगभग 25 किलो मीटर की दूरी पर, महावन में यमुना के पट पर है भगवान शिव का वो स्थान जहां एक लोटा जल चढ़ाने से 1108 शिव लिंग पर जल चढाने का फल प्राप्त होता है। यहां भगवान शिव चिंता हरण महादेव के रूप में विराजमान हैं।
मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने 7 वर्ष की आयु में मिटटी खाई थी तो मां यशोदा घबरा गईं और कृष्ण से मिटटी को मुंह से निकालने को कहा। जब भगवान कृष्ण ने अपना मुंह खोला तो पूरे ब्रह्मांड के दर्शन मां यशोदा को हो गए थे, जिसके बाद मां यशोदा घबरा गईं और भगवान शिव को पुकारने लगी।
तभी उनकी पुकार सुन भगवान शिव यहां प्रकट हो गए, जिसके बाद यशोदा ने यमुना के एक लोटा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया। उसके बाद मां यशोदा ने भगवान शिव से यहां विराजमान हो सभी भक्तों की चिंताए हरने का वचन मांगा। जिसके बाद भगवान शिव ने मां यशोदा को वचन दिया।
इस बात का उल्लेख श्रीमद भागवत पुराण के दसवे स्कन्द में भी है। भगवान शिव ने मां यशोदा से कहा कि यहां आकर जो भी भक्त एक लोटा यमुना का जल चढ़ाएगा उसकी सभी चिंताए दूर हो जाएंगी और उसकी सभी मनोकामनाए पूरी होंगी।
यह भी मान्यता है कि जब कृष्ण बाल रूप में थे, तब सभी देवता उनके बाल स्वरूप के दर्शन करने ब्रज में आए। भगवान शिव भी दर्शन करने आए। लेकिन मां यशोदा ने भगवान शिव के गले में सांप को देखकर उन्हें कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। शिव जी को चिंता हुई।
उन्होंने भगवान का ध्यान किया तो भगवन श्री कृष्ण ने उन्हें इसी स्थान पर दर्शन देकर उनकी चिंता हर ली। बस तभी से भगवान भोलेनाथ यहीं विराजमान हो गए।
ये शिवलिंग अद्भुत है। पाषाण के इस शिव लिंग पर 1108 शिवलिंग उभरे हुए हैं। पूरी दुनिया में और कोई ऐसा मंदिर नहीं है।
इसकी चमत्कारिक मान्यता के चलते भगवान शिव के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। मंदिर से कुछ दूरी पर ही बल्देव में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ का मंदिर है।और गोकुल के पास यमुना तट पर स्वामी शरणानंद जी महाराज का रमण रेती आश्रम भी है।
हर हर महादेव 🙏💞
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The constitution of India is the longest written constitution of any sovereign country in the world and it was written by a man named Prem Behari Narain Raizada in his own handwriting.
The constitution has always been associated with Dr Ambedkar,chairman of the drafting committee,who was its architect,but very little is known about the man who penned it down.
The first draft of Indian Constitution was completed on 26th Nov 1949 is no less than a masterpiece.
While Nandalal Bose and his students designed the borders of every page and adorned it with beautiful art pieces, it was the singlehanded effort of Prem Behari Narain Raizada (Saxena) that brought the primary contents and the preamble to the Constitution, to life.
The form which I see is eternally freed from material contamination and has advented to show mercy to the devotees as a manifestation of internal potency.
This incarnation is the origin of many other incarnations, and I am born from the Lotus flower grown from your navel home.
O Prabhu Vishnu,I do not see a form superior to your present form of eternal bliss and knowledge. In your impersonal Brahm effulgence in the spiritual sky..
Srivaanchiyam Vaanchinatha Swami Temple in Srivaanchiyam,Tiruvarur District of Tamil Nadu is a unique temple that has a separate shrine of Yama Dev. In the tradition of this temple, devotees visit the shrine of Yama first before entering the temple,unlike in other temples where..
... Sri Ganesh is propitiated first. The temple also has two statues of Nandi, one on the east side and one on the west.
This temple is among the six temples in cauvery river bank which are equivalent to Kashi.
A visit to the above Shiv temples in Cauvery river bank are said to resolve the Sins of the shiv bhakt and his/her ancestors.
राजस्थान में धोलपुर ज़िले के सैंपऊ कस्बे का ऐतिहासिक महादेव मंदिर न केवल जन-जन की आस्था का केंद्र हैं, बल्कि देश भर में भव्यता और नक्काशी का अद्भुत नमूना भी हैं। मौर्य कालीन स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है।
इनको राम रामेश्वर भी कहा जाता है तो स्थानीय लोग सैंपऊ भोला भी कहते हैं। पार्वती नदी की ओर सैंपऊ कस्बे से करीब 3 किमी दूर स्थित यह मंदिर महाराजा भगवंत सिंह और उनके संरक्षक कन्हैयालाल राजधर की धार्मिक आस्था का परिचय है।
मंदिर में स्थापित स्वयंभु शिवलिंग करीब सात सो वर्ष पुराना है।
यह शिवलिंग संवत 1305 में तीर्थाटन करते हुए यहां आए श्याम रतन पुरी ने एक पेड़ के नीचे अपना धुना लगा लिया और कुछ दिन बाद उन्हें आभास हुआ की इन झाडिय़ों में शिवलिंग दबा है। झाडिय़ों को हटाकर इस जगह की खुदाई की तो शिवलिंग दिखाई दिया।
Arjuna’s Penance is one of the magnificent monuments of Mahabalipuram. This wonderful bas air relief dates back to the mid-seventh century. Standing tall at a height of 43 feet, the monolith was carved on the face of two huge adjoining boulders, making its length around 96 feet.
The majestic structure cannot be made out in photographs, it deserves to be praised by one’s own eyes. The subject of the massive structure is either Arjuna's Penance or the Descent of the Ganges, or possibly both.
Historians and experts of archeology have never settled on one account as there are not sufficient sources or records.
‘Arjuna's Penance’ is an extract from the Mahabharata, of how Arjuna, one of the Pandavas, performed severe austerities in order to obtain Shiva's weapon.