सभी हिंदू - चाहे वामपंथी हो, या दक्षिणपंथी हो, चाहे ऊंची जाति के हो या निचली जाति के, चाहे अमीर हो या गरीब, केवल एक शिकायत पर गिरफ्तार किया जाएगा, चाहे वह मुस्लिम या ईसाई या किसी अल्पसंख्यक द्वारा सांप्रदायिक और टारगेटेड हिंसा की रोकथाम के तहत हो।
ये क्षतिपूर्ति विधेयक जिसे डॉ. मनमोहन सिंह, जो स्वयं अल्पसंख्यक है, संसद के समक्ष रखने की योजना बना रहे थे। इस पूरी तरह से हिंदू- विरोधी विधेयक का मसौदा शुरू में सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा तैयार किया गया था, जो एक ईसाई थी,...
जो एडविज एंटोनिया अल्बिना माइनो के रूप में पैदा हुई थी। - ओपी गुप्ता
NAC में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह दोनों अल्पसंख्यक व्यक्तियों द्वारा चुने गए व्यक्ति शामिल है।इस परिषद में भी हिंदू सदस्यों को संख्यात्मक अल्पमत में रखा गया, जैसा कि सच्चर समिति और रंगनाथ मिश्रा आयोग में हुआ।
सच्चर और मिश्रा की रिपोर्ट सभी हिंदुओं (वामपंथी, एससी, एसटी और ओबीसी हिंदुओं, अमीर या गरीब हिंदुओं सहित) की 15% नौकरियां, 15% प्रचार माध्यम, 15% शैक्षणिक सीटों और 15% आर्थिक अवसरों को लूटती है।
सांप्रदायिक दंगे हमेशा केवल हिंदुओं द्वारा किए जाते है, अल्पसंख्यकों द्वारा कभी नहीं। यह कानून केवल अल्पसंख्यकों द्वारा हिंदुओं के खिलाफ लागू किया जा सकता है। हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और नफरत करनेवाले मुसलमानों, ईसाइयों पर इस नए कानून के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता, क्योंकि...
उन्हें इससे छूट है। जैसा कि हम जानते है कि स्वीडन में प्रकाशित पैगंबर मुहम्मद के कैरिकेचर के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मुसलमानों ने भारत में हिंदुओं पर हमला किया था।
NAC द्वारा परिचालित इस विधेयक के 21 जुलाई, 2011 के व्याख्यात्मक नोट में कहा गया है, कि...
राज्य के रिकॉर्ड और कई जांच आयोगों के साक्ष्य संस्थागत पूर्वाग्रह और राज्य के अंगों के पूर्वाग्रहपूर्ण कामकाज की पुष्टि करते है जब अल्पसंख्यक पर हमला किया जाता है, इसलिए यह विधेयक। न्यायमूर्ति भंडारी की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने...
26 दिसंबर, 2011 के अपने फैसले में NAC की इस धारणा को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया कि पुलिस अल्पसंख्यकों के खिलाफ पक्षपाती है। इसलिए #PCTVBill का आधार ही अवैध और असंवैधानिक है।
जब #PCTVBill अधिनियमित हो जाएगा, तो हिंदू शरिया कानून के तहत आ जाएंगे। इस विधेयक के तहत एक हिंदू,...
जिसके खिलाफ एक बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिया, एक जेहादी आतंकवादी मुस्लिम या एक ईसाई या कोई अल्पसंख्यक शिकायत करता है, उसे शुरू से ही दोषी माना जाएगा ; हिंदू को गिरफ्तार किया जाएगा क्योंकि इस विधेयक के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं (मई 2011 संस्करण का खंड 58); ...
हिंदू को न्यायालय के समक्ष अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। जब तक कि वह अपनी बेगुनाही साबित नही कर देता, तब तक पुलिस और अदालतों द्वारा हिंदू को दोषी माना जाएगा (धारा 73,74.1 और 74.2); शिकायत करनेवाले मुस्लिम या ईसाई को उसके द्वारा आरोपित हिंदू के खिलाफ आरोप का समर्थन करने के लिए..
कोई सबूत या सबूत देने की आवश्यकता नही है; हिंदू को सूचित नहीं किया जाएगा कि किसने उसके खिलाफ शिकायत की है (धारा 40, 87.4); आरोपी हिंदू को अपने आरोप लगानेवाले से जिरह करने का अधिकार नही होगा, लेकिन शिकायत करनेवाले मुस्लिम या ईसाई को मामले की प्रगति के बारे में...
नियमित रूप से सूचित किया जाएगा (धारा 69); कि मामले की पेंडेंसी के दौरान अदालत आरोपी हिंदू की संपत्ति को दोषी पाए जाने से पहले ही कुर्क कर सकती है (धारा 82)। और यदि हिंदू दोषी पाया जाता है तो उसकी संपत्ति मुसलमानों, ईसाइयों आदि को हर्जाना देने के लिए नीलाम कर दी जाएगी।
अगर नामित न्यायाधीश स्वप्रेरणा से संतुष्ट होता है शिकायत पर, वह एक हिंदू को स्टेशन छोड़ने के लिए कह सकता है, लेकिन न्यायाधीश किसी अल्पसंख्यक को छोड़ने के लिए नही कह सकता [धारा 84]। इस बिल में कई हिंदू विरोधी प्रावधान है। इस बिल के तहत सरकारी अधिवक्ताओं में से कम से कम एक तिहाई...
अल्पसंख्यक होने की आवश्यकता थी और केवल उन्हें विशेष अभियोजक के रूप में नियुक्त किया जा सकता था, जिन पर किसी मुस्लिम या ईसाई आदि ने आपत्ति न की हो (धारा 78.3)।
इस कानून के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए केंद्रीय और प्रांतीय दोनों स्तर पर एक सात सदस्यीय राष्ट्रीय प्राधिकरण होगा,..
जिसमें से कम से कम चार अल्पसंख्यक होने चाहिए, यानी इस प्राधिकरण में हिंदू स्थायी संख्यात्मक अल्पसंख्यक होंगे। इस विधेयक की धारा 21.3 के तहत हिंदुओं को, चाहे कितना भी धर्मनिरपेक्ष क्यों न हो, इसके अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
अनिर्वाचित व्यक्तियों से युक्त यह राष्ट्रीय प्राधिकरण का सभी मुख्यमंत्रियों पर अधिकार रहेगा। ये फेडरलिज्म के सिद्धांतों के बिलकुल विरुद्ध है।
हिंदुओं द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत का प्रचार (अध्याय 2, धारा 8) इस कानून के तहत दंडनीय है, लेकिन मुसलमानों और ईसाई मिशनरियों को...
हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए इस कानून के तहत बुक नहीं किया जा सकता है। यह सर्वविदित है कि ईसाई मिशनरी जो धर्मांतरण में लिप्त है, हिंदू मान्यताओं के खिलाफ एक व्यवस्थित घृणा अभियान चलाते है। इस नफरत फैलानेवाले प्रचार के तहत हिंदुओं के लिए आजीवन कारावास की सजा है।
यदि कोई मुस्लिम महिला या अल्पसंख्यक महिला किसी हिंदू के खिलाफ बलात्कार की शिकायत करती है, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यह माना जाएगा कि आरोप सही है और हिंदू को साबित करना होगा कि उसके खिलाफ आरोप झूठा है और हिंदू को यह नहीं बताया जाएगा कि कौन सी महिला शिकायत की है। लेकिन,...
अगर किसी हिंदू महिला का मुस्लिम या अल्पसंख्यक व्यक्ति द्वारा बलात्कार किया जाता है,तो उसे उस व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का आरोप साबित करना होगा और उसकी पहचान उसके बलात्कारी को बताई जाएगी।
यह विधेयक औरंगजेब के फरमानों से भी बदतर है और हर हिंदू को द्वितीय श्रेणी का दर्जा देता है,..
और हर हिंदू को हर अल्पसंख्यक की सनक और कल्पना पर नाचने के लिए मजबूर करेगा, भले ही वह अल्पसंख्यक उनका कर्मचारी हो। यदि यह विधेयक कानून के रूप में अधिनियमित हो जाता है तो यह प्रत्येक अल्पसंख्यक, यहां तक कि एक भिखारी को भी, किसी भी हिंदू को जेल भेजने के लिए एक कानूनी हथियार देगा,...
जिससे वह अपना राजनीतिक या व्यक्तिगत हिसाब चुकाना चाहता है। यह सर्वविदित है कि हिसाब चुकता करने के लिए ईसाई ननों ने कुछ हिंदुओं पर बलात्कार के झूठे आरोप लगाए है।
Sec 42 के तहत किसी व्यक्ति द्वारा राष्ट्रीय प्राधिकरण के समक्ष साक्ष्य देने के दौरान दिया गया कोई भी बयान...
उसके अधीन नही होगा या उसके खिलाफ किसी भी नागरिक या आपराधिक कार्यवाही मे इस्तेमाल नही किया जाएगा।दूसरे शब्दों में, राष्ट्रीय प्राधिकरण के समक्ष झूठा बयान देनेवाले गवाह पर हिंदू के खिलाफ झूठे सबूत देने के लिए मुकदमा नही चलाया जा सकता।
जॉर्ज ऑरवेल का जन्म मोतिहारी,बिहार मे हुआ था।
धारा 129 में कहा गया है कि धारा 9 के तहत अपराधों के प्रॉसिक्यूशन के लिए समय की कोई सीमा नहीं होगी। इसका मतलब, एक मुस्लिम या ईसाई या अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ 1950 के बाद से सभी पिछले मामले खोल सकते है।
इस विधेयक में निहित कानून का लाभ उठाते हुए एक अल्पसंख्यक एक हिंदू को...
अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर कर सकता है या उसे अपनी संपत्ति किराए पर दे सकता है; एक हिंदू को अपने अल्पसंख्यक कर्मचारी या अल्पसंख्यक अधीनस्थ का कर्जमाफी के लिए मजबूर कर सकता है; वो खुद अपना मालिक तय कर सकता है। यदि कोई हिंदू जमींदार अपने मुस्लिम या ईसाई किराएदार को..
बेदखल करना चाहता है तो वह ऐसा नही कर सकता, क्योंकि इस नए कानून के तहत किरायेदार की शिकायत पर उसे पहले जेल भेजा जाएगा। यदि किसी हिंदू के पास कोई मुस्लिम या ईसाई कर्मचारी या अधीनस्थ है और उसे असंतोषजनक प्रदर्शन के लिए निलंबित करता है, तो...
उस अल्पसंख्यक कर्मचारी की पत्नी या कोई रिश्तेदार मानसिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुंचाने की शिकायत दर्ज कर सकता है जो उस हिंदू सीएमडी/सीनियर की गिरफ्तारी के लिए काफी होगा (Sec 3.9)। इस सेक्शन में 'पीड़ित' की परिभाषा की तहत किसी अल्पसंख्यक व्यक्ति (विदेशी नागरिकता के साथ और...
विदेश में रहने वाला कोई भी संबंध, जैसे अमेरिका, पाकिस्तान, सऊदी अरब या खाड़ी देशों में रहनेवाला) किसी भी हिंदू के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है, चाहे वह हिंदू भारत में रहता हो या विदेश में। पाकिस्तान में रहनेवाला एक पाकिस्तानी मुसलमान भारत में रहनेवाले किसी भी हिंदू के खिलाफ...
शिकायत दर्ज कर सकता है और उस हिंदू को भारतीय पुलिस द्वारा गिरफ्तार करना ही होगा। इस प्रकार भारत में रहनेवाले या विदेश में रहनेवाले सभी हिंदुओं का भाग्य पाकिस्तान में हिंदुओं के भाग्य से भी बदतर हो जाएगा, यदि भारत में हिंदू मतदाता सोते रहेंगे।
यही कारण है कि कई विश्लेषक बहुसंस्कृतिवाद इस विधेयक को विभाजनकारी कहते हैं।
यदि हिंदू मतदाता अपने बच्चों की 15% नौकरी, 15% शैक्षणिक सीटें आदि लूटना नही चाहते हैं और यदि मुसलमानों या ईसाइयों के झूठे आरोपों पर जेल नही जाना चाहते है, तो वोट सोच समझकर डालना चाहिए।
किसी भी चुनाव में कांग्रेस पार्टी या उसके सहयोगी दलों के पक्ष में उनको वोट न दें।
👉विभिन्न TV चैनलों पर प्रसारित अलग-अलग चुनावी सर्वेक्षणों पर जो बीजेपी की जीत दिखाई जा रही है, उस पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए।
🤨हो सकता है कि यह कॉंग्रेस के रणनीतिकार PK की चाल रही हो।
👉बंगाल में बीजेपी समर्थक यह सोचकर कि 'मेरे एक वोट से क्या होगा', पहले ही धोखा खा चुके है।
🤷🏻♂️कम से कम 50 सीटों पर बीजेपी 1000 से कम मार्जिन पर चुनाव हार गई थी और बीजेपी सरकार बनाते-बनाते रह गई, कारण बीजेपी के समर्थक वोट देने ही नहीं गए।
👉उत्तर प्रदेश में इस बार कांटे की टक्कर में कुछ हजार वोटों से सरकार बन या बिगड़ सकती है इसलिए उत्तर प्रदेश के बीजेपी के मतदाताओं को पूर्णरूप से जागरूक रहने की आवश्यकता है और बीजेपी के पक्ष में अधिक-से-अधिक मतदान करने की कोशिश करें।
स्वयं भी पढ़ें और अपने बच्चों को भी पढ़ाएं, ये आपकी आंखें खोल देगी...
👉 622 ई से लेकर 634 ई तक, मात्र 12 वर्ष में अरब के सभी मूर्तिपूजकों को मुहम्मद ने इस्लाम की तलवार के बल पर मुसलमान बना दिया।
👉 634 ईस्वी से लेकर 651 तक, यानी मात्र 17 वर्ष में...
सभी पारसियों को तलवार की नोक पर इस्लाम का कलमा पढ़वा दिया गया।
👉 640 में मिस्र में पहली बार इस्लाम ने पांव रखे, और देखते ही देखते मात्र 15 वर्षों में, 655 तक इजिप्ट के लगभग सभी लोग मुसलमान बना दिये गए।
👉 नार्थ अफ्रीकन देश, जैसे अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को आदि देशों को...
640 से 711 ई तक पूर्ण रूप से इस्लाम धर्म में बदल दिया गया। 3 देशों का सम्पूर्ण सुखचैन लेने में मुसलमानो ने मात्र 71 साल लगाए।
👉 711 ईस्वी में स्पेन पर आक्रमण हुआ, 730 ई तक, मात्र 19 वर्षो में स्पेन की 70% आबादी मुसलमान बनी।
👉 तुर्क थोड़े से वीर निकले। तुर्को के विरुद्ध जिहाद...
कांग्रेसी कहते है सोनिया भारत की पहली विदेशी बहू है..
आज मै आपको बता रहा हूँ भारत माता की असली विदेशी बहू के बारे में।
भारत की असली बहू नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धर्मपत्नी जिनका भारत मे कभी स्वागत नही हुआ...
कांग्रेस ने इनको भी नेताजी की तरह गुमनाम कर दिया!!!
श्रीमती "एमिली शेंकल" ने 1937 में भारत मां के बहादुर बेटे "बोस" जी से विवाह किया!
एक ऐसे देश को ससुराल के रूप मे चुना जहां कभी इस "बहू" का स्वागत नही किया गया....
ना ही बहू के आगमन पर मंगल गीत गाये गये...
ना बेटी (अनीता बोस) के जन्म होने पर कोई सोहर ही गाया गया...
यहां तक की गुमनामी की मोटी चादर से उन्हे ढ़ंक दिया गया कि कभी जनमानस मे चर्चा भी नही हुई!!
अपने 7 साल के कुल वैवाहिक जीवन में पति के साथ इन्हे केवल 3 साल रहने का मौका मिला... फिर इन्हें और नन्ही सी बेटी को छोड़कर बोस जी देश के लिए लड़ने चले गये....!!!
कांग्रेस ने सोचा था कि भारत 2020- 22 तक इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा। हिंदुओ का विनाश वाला बिल जिसे काँग्रेस ने दो बार संसद मे पेश किया। 2005 मे और फिर 2011 में। परन्तु भाजपा के जबरदस्त विरोध के कारण वह पास नहीं करवा सकी ।
यदि कानून पास हो जाता तो हिंदू निश्चित रूप से गुलाम हो जाता l
मुझे यकीन है कि 96% हिन्दुओ को तो अपने खिलाफ आए इस बिल के बारे में कुछ पता भी नहीं होगा, जिस में शिक्षित हिंदू भी शामिल है!!
क्योंकि हिंदू सम्पत्ति जुटाने में लगा है!
कुछ एक लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा,,,
2011 में इस बिल की रुपरेखा सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे,
इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे और सब वही थे जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है..
कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होनेवाले दंगों को रोकेंगे।
#इतिहासचोरो_की_खैर_नही
एक फिजिक्स के प्रोफेसर ने कक्षा 6 से 12 NCERT की हिस्ट्री बुक्स के अध्ययन का निश्चय किया और उसने पाया कि लगभग 110 बातें ऐसी है जो संदिग्ध है...
NCERT की Book में लिखा है कि दो सुल्तान, कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्लतुतमिश ने वो मीनार बनवाया था,...
जिसे आज कुतुबमीनार कहा जाता है।
इस पर प्रोफेसर साहब ने RTI लगाया कि NCERT ने इस तथ्य को कहाँ से सत्यापित किया है? सत्यापित करनेवाले लोग कौन थे?
इस पर NCERT की तरफ से उत्तर आया कि...
1. विभाग के पास कोई सत्यापित प्रति उपलब्ध नही है।
2. इस पुस्तक को प्रोफेसर मृणाल मीरी ने मंजूर किया था, जो राष्ट्रीय निगरानी समिति का हेड था।
मृणाल मीरी शिलांग का एक ईसाई है, जिसे काँग्रेस ने 12 सालों तक राज्यसभा में नॉमिनेट किया था। काँग्रेस राज के दौरान यह कई मलाईदार पदों पर था और कम्युनिस्ट चर्च के गठजोड़ से...