हैदराबाद : 1000 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ ‘रामानुजाचार्य स्वामी’ का भव्य मंदिर, 216 फीट की प्रतिमा लगी, पीएम करेंगे उद्घाटन
भारत में पहली बार समानता की बात करनेवाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी (Ramanujacharya Swami) के जन्म को 1000 साल पूरे हो चुके हैं।
उनकी याद में हैदराबाद से सटे शमशाबाद में एक भव्य मंदिर बनाया गया है। जिसे बनाने की कुल लागत 1000 करोड़ रुपये से अधिक है इसे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ के नाम से भी पुकारा जा रहा है, जो दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसकी लंबाई 216 फीट है।
प्रतिमा में 1800 टन से अधिक पंच लोहा का इस्तेमाल किया गया है ..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को इसका उद्घाटन करेंगे। इसका परिसर 200 एकड़ से अधिक जमीन पर फैला हुआ है। इसे लेकर वैष्णव संप्रदाय के मौजूदा आध्यात्मिक प्रमुख त्रिदंडी श्री चिन्ना जियार स्वामी ने कहा,..
इस प्रोजेक्ट को स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी बोलते हैं। इसका संकल्प साल 2013 में हुआ था
स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी को शास्त्रों के तहत बनाया गया है।
स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी को बनाने में 18 महीने का समय लगा है। इसके लिए मूर्तिकारों ने कई डिज़ाइन तैयार किए और...
उनकी स्कैनिंग करने के बाद सबसे अच्छा मूर्ति को विशाल रूप दिया गया। इस प्रतिमा की ऊंचाई 108 फ़ीट है, जबकि प्रतिमा में लगे त्रिदण्डम की उंचाई 138 फ़ीट है। टोटल प्रतिमा की हाइट 216 फ़ीट है। आचार्य रामानुजाचार्य की प्रतिमा में 5 कमल पंखुडिया, 27 पद्म पीठम, 36 हाथी, और...
प्रतिमा तक पहुंचने के लिए 108 सीढ़ियां बनाई गई हैं।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
- वो संघ प्रचारक था तो भी नफरत...
- वो CM बना तो भी नफरत...
- बिजली चोरी को रोका तो नफरत..
- रिवरफ्रंट बनाया फिर भी नफरत..
- नेनो के लिए टाटा को बुलाया तो भी नफरत...
- 15 साल पहले हुए दंगो की वजह से नफरत...
- 15 साल से दंगे नही हुए इस लिए नफरत...
-उसके PM बनने की बात से नफरत..
- उसके PM बन जाने से नफरत,
- उसके कपड़ों से नफरत...
- उसके सुधार कार्यक्रमों से नफरत..
- उसके विदेश दौरों से नफरत...
- उसके भाषण से नफरत...
- उसके चेहरे से नफरत...
- उसकी माँ से नफरत..
- उसने चाय बेचीं तो नफरत..
- उसने घरबार को त्याग दिया तो नफरत..
- मा से मिलने जाए तो नफरत...
- पत्नी को सिक्युरिटी दे तो नफरत..
- न दे तो भी नफरत..
- संसद मे बैठे तो नफरत..
- जनता से बोले तो नफरत..
- रेडियो टीवी पर बोले तो नफरत..
- न बोले तो नफरत..
- भाषण की भावुकता से नफरत..
- भाषण की दृढ़ता से नफरत..
- वो रोए तो नफरत..
- वो हँसे तो नफरत..
भाईचारे को बचाने के लिए हम से ऐसी घटनाएं आखिर किन लोगों ने छुपाकर रखी!?
ध्यान से पढ़िए...
9 सितम्बर 1947 की मध्यरात्रि को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा सरदार पटेल को सूचना दी गई कि 10 सितम्बर को संसद भवन उड़ाकर व सभी मन्त्रियों की हत्या करके...
लाल किले पर पाकिस्तानी झण्डा फहरा देने की दिल्ली के मुसलमानों की योजना है। सूचना क्योंकि संघ की ओर से थी, इसलिये अविश्वास का प्रश्न नहीं था। पटेल तुरंत हरकत में आए और सेनापति आकिन लेक को बुलाकर सैनिक स्थिति के बारे में पूछा। उस समय दिल्ली में बहुत ही कम सैनिक थे।
आकिन लेक ने कहा कि आसपास के क्षेत्रों में तैनात सैनिक टुकड़ियों को दिल्ली बुलाना भी खतरे से खाली नहीं है। कुल मिलाकर आकिन लेक का तात्पर्य यह था कि इतनी जल्दी भी नहीं किया जा सकता, इसके लिये समय चाहिए। यह सारी बाते वायसराय माउंटबैटन के सामने ही हो रही थी। लेकिन पटेल तो पटेल ही थे!
सुभाष बाबू की ‘आजाद हिन्द फौज’ को जिस सेक्यूलर हिन्दू-मुस्लिम-सिख एकता का रूप बताया जाता है, वह मनगढ़ंत प्रचार है! द्वितीय विश्वयुद्ध मे जर्मनी-जापान की पराजय के बाद जब अंग्रेजों ने INA के कुछ कमांडरों को..
1945-46 में कोर्ट मार्शल किया, तो उसमें दी गई गवाहियों में इस के कई प्रमाण मिले।
उदाहरण के लिए, ढिल्लों-सहगल के बराबर ओहदे के कैप्टेन अब्दुल राशिद अली ने कहा कि वह इस्लाम की सेवा करने और 'आजाद हिन्द फौज' में हिन्दू-सिखों का वर्चस्व कमजोर करने, या भीतरघात करने के लिए जुड़ा थे।
उसने कहा कि 'आजाद हिन्द फौज' में अधिकांश मुस्लिम उसी मकसद से आए थे। क्योंकि तब लग रहा था कि 'आजाद हिन्द फौज' जीत कर भारत पर अधिकार कर लेगी।
उस कोर्ट मार्शल में खुद मेजर शाहनवाज खान ने यही कहा कि वे तो INA में उसे भीतर से तोड़ने की मंशा से ही जुड़े थे।
👉विभिन्न TV चैनलों पर प्रसारित अलग-अलग चुनावी सर्वेक्षणों पर जो बीजेपी की जीत दिखाई जा रही है, उस पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए।
🤨हो सकता है कि यह कॉंग्रेस के रणनीतिकार PK की चाल रही हो।
👉बंगाल में बीजेपी समर्थक यह सोचकर कि 'मेरे एक वोट से क्या होगा', पहले ही धोखा खा चुके है।
🤷🏻♂️कम से कम 50 सीटों पर बीजेपी 1000 से कम मार्जिन पर चुनाव हार गई थी और बीजेपी सरकार बनाते-बनाते रह गई, कारण बीजेपी के समर्थक वोट देने ही नहीं गए।
👉उत्तर प्रदेश में इस बार कांटे की टक्कर में कुछ हजार वोटों से सरकार बन या बिगड़ सकती है इसलिए उत्तर प्रदेश के बीजेपी के मतदाताओं को पूर्णरूप से जागरूक रहने की आवश्यकता है और बीजेपी के पक्ष में अधिक-से-अधिक मतदान करने की कोशिश करें।
स्वयं भी पढ़ें और अपने बच्चों को भी पढ़ाएं, ये आपकी आंखें खोल देगी...
👉 622 ई से लेकर 634 ई तक, मात्र 12 वर्ष में अरब के सभी मूर्तिपूजकों को मुहम्मद ने इस्लाम की तलवार के बल पर मुसलमान बना दिया।
👉 634 ईस्वी से लेकर 651 तक, यानी मात्र 17 वर्ष में...
सभी पारसियों को तलवार की नोक पर इस्लाम का कलमा पढ़वा दिया गया।
👉 640 में मिस्र में पहली बार इस्लाम ने पांव रखे, और देखते ही देखते मात्र 15 वर्षों में, 655 तक इजिप्ट के लगभग सभी लोग मुसलमान बना दिये गए।
👉 नार्थ अफ्रीकन देश, जैसे अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को आदि देशों को...
640 से 711 ई तक पूर्ण रूप से इस्लाम धर्म में बदल दिया गया। 3 देशों का सम्पूर्ण सुखचैन लेने में मुसलमानो ने मात्र 71 साल लगाए।
👉 711 ईस्वी में स्पेन पर आक्रमण हुआ, 730 ई तक, मात्र 19 वर्षो में स्पेन की 70% आबादी मुसलमान बनी।
👉 तुर्क थोड़े से वीर निकले। तुर्को के विरुद्ध जिहाद...
कांग्रेसी कहते है सोनिया भारत की पहली विदेशी बहू है..
आज मै आपको बता रहा हूँ भारत माता की असली विदेशी बहू के बारे में।
भारत की असली बहू नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धर्मपत्नी जिनका भारत मे कभी स्वागत नही हुआ...
कांग्रेस ने इनको भी नेताजी की तरह गुमनाम कर दिया!!!
श्रीमती "एमिली शेंकल" ने 1937 में भारत मां के बहादुर बेटे "बोस" जी से विवाह किया!
एक ऐसे देश को ससुराल के रूप मे चुना जहां कभी इस "बहू" का स्वागत नही किया गया....
ना ही बहू के आगमन पर मंगल गीत गाये गये...
ना बेटी (अनीता बोस) के जन्म होने पर कोई सोहर ही गाया गया...
यहां तक की गुमनामी की मोटी चादर से उन्हे ढ़ंक दिया गया कि कभी जनमानस मे चर्चा भी नही हुई!!
अपने 7 साल के कुल वैवाहिक जीवन में पति के साथ इन्हे केवल 3 साल रहने का मौका मिला... फिर इन्हें और नन्ही सी बेटी को छोड़कर बोस जी देश के लिए लड़ने चले गये....!!!