Victor's Way park, located near Roundwood in Wicklow County of Ireland, is a privately owned meditation garden notable for its black granite sculptures.The 9-hectare property includes a number of small lakes and forested areas.
Most of the park's statues are made of black granite, with some in bronze and range in height from 1.5m to 4.9m.
Eight statues are dedicated to Ganesha, showing the God dancing, reading, and playing musical instruments.
Notably, the Victoria’s Way collection of black granite Ganesha (Vinayaka) took about nine years to design, model and carve. The sculptures range in size from 5.6ft to 9ft and weigh between 2 and 5 tonnes.
The sculptures were envisioned and sketched in Roundwood by park owner Victor Langheld. The sculptures were later modelled by artist DV Murugan in Mahabalipuram, Tamil Nadu, India. They were carved in Mahabalipuram by an outstanding sculptor, the stapathi master T Baskaran.
All the Ganesha sculptures were made in Tamil Nadu, India, and each took five craftsmen a year to make.
Other statues include a large python-shaped seat, a solitary index finger pointing at the sky, and interpretations of Buddha, Shiva, Eve, and others.
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🌺।।महर्षि दधीचि का इन्द्र को दिया गया अपनी हड्डियों का महादान,महाशक्तिशाली देवास्त्र वज्रास्त्र का निर्माण और वृत्रासुर का वध।।🌺
श्रीमद्भागवत और शिव महापुराण में महान ऋषि दधीचि की कथा आती है,जिन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अपना शरीर इंद्रदेव को दान कर दिया था।
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महर्षि दधीचि ने समस्त देवताओं को दुर्धर असुर वृत्रासुर के भय से मुक्त किया था ।
इस कथा का श्रीमदभागवत के छठे स्कंध के तीसरे अध्याय में वर्णन आता है ।
आइए जानते हैं ये अद्भुत कथा;
🌺।।गुरु बृहस्पति का इंद्र को त्यागना।।🌺
एक बार देव गुरु बृहस्पति, इंद्र से मिलने के लिए उनकी राज्यसभा में गए । उस समय इंद्र और अन्य देवगण गंधर्वों के गान और अप्सराओं के नृत्य में इतना डूबे हुए थे कि उन्होंने गुरु बृहस्पति की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया । उस समय किसी भी देवता ने ना तो उन्हें प्रणाम किया और ना ही उन्हें उचित आसन दिया ।
🌺।।श्रीमद्भागवत महापुराण से महाराजा अंबरीश की कथा, ऋषि दुर्वासा का उन्हें शाप और एकादशी व्रत का महत्व।।🌺
महाराजा अंबरीष जिनका नाम सुनते ही मन में पवित्रता का भाव जागृत हो जाता है। यह भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे।
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शुकदेव जी परीक्षित राजा को ये कथा कह रहे हैं;
महाराजा अंबरीष की सहनशीलता और तपस्या के प्रभाव से दुर्वासा जैसे महाक्रोधी ऋषि भी उनके समक्ष नतमस्तक हो गए थे।महान ग्रंथ श्रीमद्भागवत के नवम स्कंध के चतुर्थ अध्याय में राजा अंबरीष की दिव्य कथा का वर्णन है ।
🌺।।राजा अंबरीष की वंशावली।।🌺
आर्यव्रत सदैव से ही महान राजाओं की भूमि रहा है। समय-समय पर अनेक राजाओं ने भगवान की भक्ति कर देवत्व को प्राप्त किया है। प्राचीन काल में इक्ष्वाकु वंश में नाभाग नाम के बहुत ही धर्मात्मा राजा हुए। वह हर समय अपनी प्रजा की सेवा के लिए तत्पर रहते थे। वह राजा नभग के पुत्र थे और वैवस्वत मनु के पौत्र थे। वह हर समय धर्म के कार्य में लगे रहते थे।
🌺।।महाभारत काल में शान्तनु तथा गंगा विवाह और वसुओं का रहस्य।।🌺
राजा शांतनु चंद्र वंश के परम प्रतापी नरेश थेे। वह चक्रवर्ती सम्राट भरत, जिनके नाम से हमारे देश का नाम भारत पड़ा, की 14वीं पीढ़ी मैं हुए थे।
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वह बहुत ही उत्तम कोटि के नरेश थे। प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे। उनको एक ऋषि से वरदान मिला था कि वह जिस रोगी के सिर पर भी हाथ रख दे तो उसका रोग ठीक हो जाएगा इसलिए उनके यहां रोगियों का तांता लगा रहता था ।
पुराणों में राजा शांतनु को सागर का अवतार भी माना गया है। राजा शांतनु को शिकार खेलने का बहुत शौक था, एक बार वह गंगा के किनारे शिकार कर रहे थे और उनको बहुत प्यास लगी वह पानी पीने गंगा नदी के किनारे गए।
🌺।।जब श्रीकृष्ण ने सत्यभामा को ये समझाया कि जो मनुष्य पुण्य कर्म करने वाले लोगों का दर्शन, स्पर्श और उनके साथ वार्तालाप करता है, वह उनके पुण्य का छठा अंश प्राप्त कर लेता है।।🌺
आइए जानें कार्तिक माह की ये महागाथा;
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श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से कहा – ‘पूर्वकाल में अवन्तिपुरी(उज्जैन)में धनेश्वर नाम का एक व्यक्ती रहता था। वह रस, चमड़ा और कम्बल आदि का व्यापार करता था। वह वैश्यागामी और मद्यपान आदि बुरे कर्मों में लिप्त रहता था। चूंकि वह रात-दिन पाप में रत रहता था इसलिए वह व्यापार करने नगर-नगर घूमता था।
एक दिन वह क्रय-विक्रय के कार्य से घूमता हुआ महिष्मतीपुरी में जा पहुँचा जो राजा महिष ने बसाई थी। वहाँ पापनाशिनी नर्मदा सदैव शोभा पाती है। उस नदी के किनारे कार्तिक का व्रत करने वाले बहुत से मनुष्य अनेक गाँवों से स्नान करने के लिए आये हुए थे। धनेश्वर ने उन सबको देखा और अपना सामान बेचता हुआ वह भी एक मास तक वहीं रहा।
🌺।।Bhagwan Dhanvantari : The God Physician of the Devas in Hinduism and regarded as an incarnation of Bhagwan Vishnu।।🌺
He is mentioned in the Puranas as the God of Ayurveda.
This is a Thread 🧵 about him;
1. Bhagwan Dhanvantari is known as a Physician of the Devas, and he is a celebrated God amongst the practitioners of Ayurveda. In Sanatana-dharma (Hinduism), praying to Dhanvantari is supposed to bring sound health for worshippers.
2. It is said that Bhagwan Dhanvantari was deputed by Indra Dev to take the science of Ayurveda to the mortals. Also to be noted, Dhanvantari is seen as an avatar of Sri Vishnu in Hinduism.