सेनाये मरने मारने के लिए नही होती

जी हां,सेना फोर्स है,जिसका इस्तेमाल पोलिटिकल ऑब्जेक्टिव के पाने लिए होताहै इंटरनेशनल पोलिटिकल ऑब्जेक्टिवके लिए

यह पोलिटीकल ऑब्जेक्टिव ऐसी टेरेटरीहो सकतीहै,जिसका महत्व जियोस्ट्रेटेजिक हो या व्यापारिकहो,या एथनिक,या कुछ और। ऑब्जेक्टिव तय करके सेना
यूज कीजिए,उसे हासिल करनेको

अगर आपके ऑब्जेक्टिव हासिल नहीहोते,या ऑब्जेक्टिव डिफाइंड ही नही,तब मरने मारने का कोई औचित्य नही।फिर ये महज दंगा है। लाशें गिनाकर बरियार बनने की सनक

तो चीनके चार मरे,या चालीस,हमारे दोमरे या दोसौ..इन बातोंका दम्भ जताने और ईगो सैटिस्फाइ करनेके अलावा कोई
2
महत्व नहीहोता।
एकके बदले दस सर लानेका उद्घोष इसी तरह फिजूलका लहू बहानेकी सनक है,जिसे आप गर्मी ठंडा करदेने,या टाइट करदेने के डिफरेंट वर्जनमें सुनतेहै।

अगर खुश होतेहै,तो जान लीजिए एक दंगाई आपके भीतर घुसपैठ कर चुकाहै।इसलिए कटे हुए सर की संख्या नही,हासिलात बताइये।

हासिलात पूछिये।3
@threadreaderapp please unroll

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with Madhu Kothari

Madhu Kothari Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @MadhuKothari9

Feb 6
लोग कहते हैं कि डेटा से क्या होता है ?....दरअसल वे नहीं जानते कि इक्कीसवीं सदी मे डेटा ही अब किसी भी प्रोडक्ट महंगे सस्ते होने का निर्धारण कर रहा है !........

दो दिन पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने भारत की टायर बनाने वाली पांच बड़ी कंपनियों कुल 1788 करोड़ रुपये का
1
जुर्माना लगाया हैं देश में90प्रतिशत टायर यही पांच कंपनियां बेचतीहैं।...CCIने अपोलो टायर्स पर425.53करोड़ रुपये,MRलिमिटेड पर622.09करोड़ रुपये,CEATलिमिटेड पर 252.16करोड़ रुपये,JKटायर पर309.95 करोड़ रुपये और बिड़ला टायर्स पर178.33 करोड़ रुपये का जुर्माना लगायाहै।

अब आप पूछेंगेके 2
इसका डेटा के साथ क्या संबंध है तो जान लीजिए इन्होंने किया क्या है?

इन टायर कंपनियों ने एक कार्टेल का निर्माण किया इस कार्टेल ने टायरों की कीमतें महंगी रखनेके लिए उत्पादन सीमित और नियंत्रित रखा।बाजारमें आपूर्ति को भी नियंत्रित किया। यह सब उन्होंने एक दूसरे के डेटाकी मददसे किया
3
Read 8 tweets
Feb 6
स्टार प्रचारक .... ??

इलेक्शन कमीशन द्वारा हर विधानसभा या लोकसभा सीट पर खर्च की सीमा बाधी गयी है।

प्रत्याशी को अपना बैंक खाता खोलना पड़ता है, जिसमे आने वाली और खर्च होने वाली राशि का आडिट कराकर चुनाव के बाद एक समय सीमा में जमा करना होता है। हिसाब न देने पर आप
1
अगलीबार से चुनाव नही लड़सकते

विधानसभा के लिए27लाख की सीमा है।इत्ते में तो काम बनता नही।दस पन्द्रह लाख तो ग्राम प्रधानी चुनावमें खर्च हो जाते है।आप पोस्टर पेम्फलेट आधे दाम पर आधी संख्यामें छपना दिखाकर27लाख की सीमामें एक करोड़ खर्च सकते हैं।लेकिन मौजूदा दौरमें यह भी नाकाफी है।
2 Image
तो दो तरीके अपनाए जाते हैं।

पहला- कुछ निर्दलीय कैंडिडेट खड़ा करो। जो विपक्षी के हमनाम हों,या उसकी जात बिरादरी के वोट काट सकें। प्रमुख प्रत्याशी अपने ओवर बजट खर्चे इस निर्दलीय के एकाउंट से एडजस्ट करवा देगा।

इसमें कुछ नारियल,टीवी,मूली छाप निर्दलीय तो खुद ही इसलिए खड़े होते है
3
Read 10 tweets
Feb 5
राहुल गांधी ने बड़े सौम्य/सभ्य तरीके से सरस्वती पूजा वाले दिन "हिजाब" का मुद्दा उठाया है..अपने नेता राहुल गांधी की बातों पर अब मैं भी कुछ लिखता हूँ..

★★ "हिजाब" से इस्लाम का कोई धार्मिक रिश्ता नही है..2500 BC से हिजाब भारत, यूरोप, अरब, अफ्रीका में प्रचलित रहा है..
1
हिजाब हर धर्म मे अलग अलग रूप में है..हिजाब का रिश्ता एक इलाके की जलवायु और समाज मे इसके प्रयोग से है..

◆ हिजाब शब्द का अर्थ : पर्दा (Curtain), खुद को छिपाना, सेपरेशन, Cover वगैरह..हिजाब हमारी पोशाकों का हिस्सा है..हिजाब कोई "ड्रेस कोड" नही हज बल्कि एक "ड्रेस" है..
2
हिजाब मॉडर्न फैशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है..

★★मदर मेरी जब गर्भवती थी तब उन्होंने खुद को अलग रखने के लिए हिजाब या घर मे परदों का इस्तेमाल किया था..ऐसे ही अलग अलग धर्मों में आराध्य देवताओं ने हिजाब का इस्तेमाल किया है..

● विश्व के लगभग हर राजपरिवार के सदस्य हिजाब का इस्तेमाल
3
Read 10 tweets
Feb 5
लॉजिक हम शर्मिंदा हैं ।

बिजनौर विधान सभा से राष्ट्रीय लोकदल पार्टी से डॉक्टर नीरज चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं । डॉक्टर नीरज चौधरी जाट बिरादरी से हैं । उनके ख़िलाफ़ एक FIR दर्ज हुई है कि उन्होंने एक गाँव में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगवाए हैं ।
3/1 Image
ऑल्ट न्यूज़ साबित कर चुका है कि आकिफ़ भाई ज़िंदाबाद के नारे को पाकिस्तान ज़िंदाबाद बनाया गया है । होना तो यह चाहिए था कि उस व्यक्ति को पकड़ा जाता जिसने यह विडीओ एडिट की है क्योंकि भावनाएँ तो वो भड़का रहा है लेकिन प्रशासन को इससे कोई ख़ास मतलब नहीं है । अब बात करें लॉजिक की तो
3/2
भाई एक जाट पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे क्यों लगवाएगा ?? किसी जाट का पाकिस्तान से क्या सम्बंध हो सकता है ??

क्या भाजपा ने मान लिया है कि उत्तर प्रदेश के लोग मूर्ख हैं ?? अगर नहीं हैं तो भाजपा की इस ग़लतफ़हमी को दूर कीजिए ।
3/3
@BramhRakshas
@NiranjanTripa16
Read 4 tweets
Feb 5
लॉजिक हम शर्मिंदा हैं !

ओवैसी साहब की गाड़ी पर गोली चली । गोली चलाने वाले CCTV कैमरा में आ गए । वो अपने पिस्टल छोड़कर भाग गए । एक पकड़ा गया फिर दूसरे ने सरेंडर कर दिया । हमलावर भाजपा का कार्यकर्ता निकला । उसके फ़ोटो भाजपा के बड़े बड़े नेताओ के साथ हैं ,
4/1
फ़ोटो सोशल मीडिया पर वाइरल होने लगे । न्यूज़ चैनल में बहस शुरू हो गयी । ओवैसी साहब का संसद में इस मुद्दे पर दिया गया भाषण वाइरल होने लगा।सुरक्षा देने और सुरक्षा लौटाने की खबरें चलने लगी।

ओवैसी सपा ,बसपा,कांग्रेस के विरोधी हैं , उनके वोटर जितने भी हैं वो सब भी पहले कांग्रेस,
4/2
सपा या बसपा के वोटर थे । उनके पास कोई एक वोटर भी ऐसा नहीं हैं जो पहले भाजपा को वोट करता हो फिर भाजपा को उनसे क्यों ख़तरा होगा ?? वो भाजपा के वोट तो काट नहीं रहे , फिर भाजपा का कार्यकर्ता उन पर गोली क्यों चलाएगा ?? अगर सपा , लोकदल, बसपा या कांग्रेस का कोई कार्यकर्ता उन पर गोली
4/3
Read 4 tweets
Feb 5
साल दो साल और नेहरू को गाली दे सकते हैं ...

साफ साफ बोलें तो यदि 6th pay commission के जरिये लगभग दो ढाई करोड़ लोगों ( पढ़ें 18 - 20 करोड़ आबादी ) की तनख्वाहें और पेंशन इतनी ज्यादा न बढ़ी होती तो आज न इनके पास बाइक होती , न कार होती , न ये लोन लेकर घर बनवा पाते ,
5/1
न अच्छे स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों की फीस भर सकते थे,न प्राइवेट इलाज करा सकतेथे. सेविंग के नाम पर धेला न होता और एक बेरोजगार बेटा दस साल उम्र कम कर देता औऱ जवान होती बेटी की सूरत देख कर तकिए में मुंह छिपा कर रोते...

भला हो मनमोहन सिंहका जिन्होंने एक झटकेमें तनख्वाहें
5/2
लगभग दूनी कर दी ... और दूसरी ओर मनरेगा ने ग्रामीण भुखमरी पर लगभग लगाम लगा दी...इसी का नतीजा था कि डॉमेस्टिक सेविंग के दम पर 2008 की महामंदी से जनता की मौत नही हुई...

मिडिल क्लास और ग्रामीण अर्थव्यस्था छठे वेतन आयोग और मनरेगा ही था जो अब तक उनकी हालत थामे हुये था ...
5/3
Read 7 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

:(