अच्छेरा :

जिन शाशन में जो घटना कभी होने की सम्भावना ही न हो, पर वह हो जाये उसे अच्छेरा कहते है। अच्छेरा - आश्चर्य.

यह अवसर्पिणी काळ में 10 अच्छेरे हुए है ।
1. उपसर्ग - मनुष्य, तिर्यंच और देव के द्वारा किये गए उपसर्गो को उपसर्ग कहा जाता है। महावीर स्वामी को केवलज्ञान होने के बाद गोशलक ने उपसर्ग किया था। क्यूंकि केवलज्ञानी आत्मा को कभी उपसर्ग नहीं होते, फिर भी हुआ इसलिए यह अच्छेरा कहा गया।
2. गर्भ हरण. गर्भ का एक उदर में से दूसरे उदर में रखना। तीर्थंकर हमेशा अच्छे(क्षत्रिय) कुल में जन्म लेते हैँ। परन्तु पूर्व के कर्मो की वजह से प्रभु महावीर देवानंदा (ब्राह्मण) की कुक्षी में उतपन्न हुए।
वीर प्रभु के गर्भ का संक्रमण हरिणगामिशी देवने देवानंदाकी कुक्षि में से त्रिशला राणी की कुक्षि में किया। ऐसा पहेले कोई भी जिनेश्वर का नही हुआ है। यह अच्छेरा हुआ।
3. स्त्री तीर्थंकर। ऐसा नियम है कि तीर्थंकर पुरुष ही होते है। कभी भी स्त्री तीर्थकर नही होती।
यह अवसर्पिणी काळ में मिथिला नगरी के राजा कुंभराज की मल्लि नाम की राजकुमारी 19वें तीर्थंकर हुए। यह अच्छेरा हुआ।
4. तीर्थंकर की देशना सुनने आये श्रोताओं को परिषद कहा जाता है। और वो देशना सुनके कोई श्रावक के व्रत या कोई साधु के महाव्रतों को ग्रहण कर्ता है। परन्तु प्रभु महावीर की देशना में कोई भी श्रावक या श्राविका मौजूद नहीं थे, सिर्फ देव-देवी ही थे।
इसलिए किसीने भी व्रत का स्वीकार नहीं किया, और प्रभु की देशना निफल हुई।तीर्थंकर की देशना कभी भी निष्फळ नही होती। इसलिए यह अच्छेरा है।
5. सामान्य रूप से एक क्षेत्र में एक वासुदेव होते हैँ, दो वासुदेव कभी इकठ्ठा नहीं होते। परन्तु घातकीखंड के भरत क्षेत्रके पदमोत्तर राजाने देवोके पास से द्रौपदीका अपहरण कराया। द्रौपदीके लिये नौवें वासुदेव श्री कृष्ण (जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र के वासुदेव) का अपरकंका नगरी में गमन हुआ।
कृष्ण घातकी खंड के भरत क्षेत्र में जाकर पदमोत्तर राजा को हराकर उनकी पास से द्रौपदी को छुडाया। वापिस आते समय समुद्र गमन करते कृष्ण ने भी अपना शंख फूका।
शंख का शब्द सुनकर कपिल वासुदेव को आश्चर्य हुआ।
उन्होंने वहाँ विचरण करते श्री मुनिसुव्रत जिनेश्वर को पूछा, तब उन्होंने कृष्ण वासुदेव आया है वो कहा। यह सुनकर कपिल वासुदेव कृष्ण वासुदेव को मिलने के लिये उत्सुक होकर तुरंत ही समुद्रकिनारे आये। और अपना
शंख फूका। दोनों वासुदेव के शंखनाद मिले। ऐसा पहले कभी नही हुआ है। यह अच्छेरा हुआ।
6. चंद्र-सूर्य दोनों देव अपने अपने विमान में बैठके परिक्रमा करते हैँ। परन्तु कौशांबी नगरी में महावीर स्वामी को वंदन करने-उनकी देशना सुनने, सूर्य चंद्र अपने मूळ विमान में से निचे आये थे वह भी संध्या के समय। ऐसा पहले कभी नही हुआ था। यह अच्छेरा हुआ।
7. भरत क्षेत्र के उत्तर में हरिवर्ष नाम का एक क्षेत्र है।जो युगलिकभूमि कहा जाता है। वहां युगलिकों की वंश परम्परा नहीं होती। साथ में जन्म लेते हैँ और साथ में मरते हैँ। परन्तु एक देव ने वैर भाव से युगलीक को भरत क्षेत्र में लाये। उनका आयुष्य और शरीर संक्षिप्त किया।
वो युगलीक मरकर नरक में गये।वो चंपा नगरी में हरी राजा और हरिणी देवी के नाम से मनुष्य हुए और उनका वंश हरिवंश से पहेचाने जाने लगे। यह अच्छेरा हुआ।
8. चमरेन्नद्र का उत्पात - चमरेंद्र के पास शक्ति होती है फ़िरभी वह कभी देवलोक नहीं जाते और उत्पात मचाते। परन्तु चमरेन्द्र ऊर्ध्वगमन करके देवलोक में गए और शक्र के साथ युद्ध किया। शक्र ने चमरेन्द्र पर वज्र डाला। चमरेन्द्र वज्र से बचने के लिये महावीर प्रभु के पास आया...
और तुरंत ही वैक्रिय शरीर से सूक्ष्म रूप बनाके प्रभु के चरण के पास बैठ गया । तीर्थंकर की आशातना के भय से शक्र ने प्रभु से चार अंगुल दूर रहे वज्र को वापिस लें लिया। महावीर की शरण की वजह से शक्रेन्द्र ने चमरेंद्र से माफ़ी मांगी। ऐसा कभी नहीं होता परन्तु हुआ इसलिए यह अच्छेरा है।
9. उत्कृष्ट 500 धनुष की अवगाहना (काया) वाले एकसाथ सिर्फ 2 ही जीव सिद्ध होते हैँ, मोक्ष में जाते हैँ। परन्तु प्रभु आदिनाथ के शाशन में आदिनाथ भगवान तथा उनके 98 पुत्र एवम 8 पोतें एकसाथ निर्वाण हुआ और तभी ऐरावत क्षेत्र के तीर्थंकर का निर्वाण हुआ।
ऐसे उत्कृष्ट अवगाहनावाले 108 जीव एक साथ मोक्ष में गये। वो अच्छेरा हुआ।
10. असंयतिओ की पूजा। कुछ समय के अंतराल में धर्म - केवलज्ञान एवम मुनिपना का अभाव हो गया था। गृहस्थ लोग मुनि के जैसे पूजाने लगे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। यह अच्छेरा हुआ।
108 आत्मा एक साथ सिद्ध हुए वो श्री ऋषभदेव तीर्थ में , हरिवंश की उत्पत्ति वो श्री शीतलनाथ के तीर्थ में,
स्त्री तीर्थंकर वो श्री मल्लिनाथ के तीर्थ में,
कृष्ण वासुदेव का अपरकंका में गमन वो श्री नेमिनाथ के तीर्थ में, असंयतिओ की पूजा वो श्री सुविधिनाथ/शीतलनाथ के तीर्थ में.
यह पांच तीर्थंकरो के समय में 1 - 1 अच्छेरा हुआ। और पहली देशना निष्फळ, गर्भ हरण, सूर्य चंद्र मूळ विमाने, तीर्थंकर को उपसर्ग, चरमेन्द्र का उत्पात यह सभी श्री महावीर स्वामी के तीर्थ में 5 अच्छेरा हुआ।

#Jainism
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