निर्विवादित रूप से हिन्दू इतिहास #राजपूतों का ही रहा है।
और इतिहास रहा नहीं, बनाया था पूर्वजों ने। प्रत्येक काल मे जो अपने को सिद्ध करता है वही राज करता है। पूर्वजों ने बहुत संघर्ष करकर राज स्थापित किये।
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चूंकि उस जमाने मे #तलवार के बल पर राज किया जाता था, तो उन्होंने स्वयं को सिद्ध करके रियासते स्थापित की। सिर्फ स्थापित ही नहीं कि, उनको बनाये रखने के लिए पीढ़ियों की कुरबानी दी। इसीलिए इतिहास अपना रहा।
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अध्यात्म के क्षेत्र में भी हमारे ही पूर्वजों ने रास्ता दिखाया- #रामदेव जी, #पाबु जी, #हडबू जी, #मेहा जी, #गोगा जी, #तेजा जी, #देवनारायण जी, #पीपा जी। पर तेजाजी खींची चौहान को जाट ले गए और देवनारायण जी सोलंकी को गुज्जर ले गए,
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#मिहिरभोज प्रतिहार को गूजर जबर्दस्ती अपना पिता श्री बनाने में लगे हैं, और #सुहेलदेव बैस को भी नेताओ ने कभी पासी तो कभी राजभर बनाने का असफल प्रयास किया। चूंकि #RSS और #BJP हिंदुओं की राजनीति करती है, राजपूतों की नहीं,
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इसलिए इनका प्रोपगेंडा है कि जितने भी जननायक हुए है उनको सब हिंदुओं में बांट दो, ताकि उनमें हीन भावना नहीं आये।
क्योंकि दलाल #मीडिया और संघ जानबूझकर राजपूतों की संख्या को जितना कम हो सके उतना कम प्रचारित करता रहता है,
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ताकि राजपूतो की आबाज को दबाकर रखा जा सके और पूरे भारत के राजपूत सिर्फ इसलिए चुप रहें कि वो तो #आबादी के हिसाब से सबसे निचले पायदान पर है, जबकि सच्चाई ये है, कि पूरे भारत मे 22 राज्यों में राजपूतों की आबादी लगभग 14% है।
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खैर राजपूतों को यह समझना होगा कि इतिहास में हर कदम पर हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया है। आज संघर्ष की बारी हमारी है वह भी ऐसा संघर्ष जिसमें कोई मर नहीं रहा है। सिर्फ अहिंसात्मक एवं बौद्धिक विरोध खुद को जिंदा रखने का..
आज भी वही स्थापित होगा जो सर्वश्रेष्ठ होगा।
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