पुष्पा के खास दोस्त का नाम "केशव" था . पुष्पा की मां का नाम "पार्वती" था । उसके पिता का नाम "वेंकटरमण" था . उसकी प्रेमिका का नाम "श्रीवल्ली" था . उसके ससुर का नाम "मुनिरत्नम" था .
पुष्पा के मालिक का नाम "कोंडा रेड्डी" था . जिस डीएसपी ने पुष्पा को पकड़ा था उसका नाम "गोविंदम" था .
जिस थानेदार ने पुष्पा के साथ इंट्रोगेशन किया उसका नाम "कुप्पाराज" था .
पुष्पा के सबसे बड़े दुश्मन का नाम "मंगलम श्रीनू" था .
लाल चंदन का सबसे बड़ा खरीददार "मुरुगन" था.
कोई न सलीम था न कोई जावेद था . न रहम दिल अब्दुल चचा थे न पांच वक्त का नमाजी सुलेमान था .
न अली-अली था न मौला-मौला था . न दरगाह थी , न मस्जिद थी , न अजान थी . न सूफियाना सियापा था
बस माथों पर लाल चंदन के तिलक थे . मंदिर थे, मंत्र थे, संस्कृत के श्लोक थे
काम शुरू करने से पूर्व देवी की पूजा थी . नए दूल्हा-दुल्हन के चेक पोस्ट से गुजरने पर उन्हें भेंट देने की प्रथा थी . पत्तल में खाना था . देशज वेशभूषा थी . अपनी प्रथाओं , परंपराओं का सम्मान था.
बस यही सब बातें थी जो हम बॉलीवुड में बहुत मिस करते हूँ और मेरी तरह बहुत से लोग करते होंगे . साउथ सिनेमा की ओर बॉलीवुड के दर्शकों का झुकाव होने एक कारण यह भी है .
ऐसी फिल्में देखने के बाद महसूस होता है कि हां हम अपने ही देश में है..............
सनातनी भारत भूमि पर ही हैं...........
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का परिवार मूल रूप से अफगानिस्तान के काबुल के रहने वाला है।
जन फिशन खान नसीरुद्दीन शाह के परदादा का परदादा था। वह एक भाड़े का सैनिक था जिसने लगभग 5000 सैनिकों की कमान संभाली थी। वह और उसकी सेना क्रूरता के लिए विख्यात थी ("जन फ़िशन" का शाब्दिक अर्थ है 'जीवन बिखरने वाला')।
अंग्रेज़ों ने उसे इन सैन्य सेवाओं के लिए अपने पेरोल पर भर्ती किया। फरवरी 1857 में, अंग्रेजों के खिलाफ "आजादी का पहला युद्ध" शुरू होने से 3 महीने पहले, जन फिशन खान ने मुखबिरी कर अंग्रेजों को जानकारी दे दी कि उसे विद्रोह की अफवाह मिली।