इस लड़की ने 1 विडिओ बनाई जिसमे बोल रही है कि वह #यूक्रेन मे फंसी हुई है, और एक-दो दिन का खाना बचा हुआ है फिर हमको survive करने के लिए कुछ करना पडेगा।लेकिन जब UP पूलिस ने जांच किया तो पाया कि ये तो #सपा के किसी नेता बेटी है जो #यूपी मे ही किसी खोपचे में रहती है।
सोचिए कुछ नीच किस्म के लोग इस आपदा की घड़ी में भी मोदी जी और योगी जी को बदनाम करने के लिए कैसी-कैसी घिनौनी नीचता पर उतर आते है।पहली नजर में इस लड़की की मार्मिक अपील पर आपको यह लग रहा होगा यह लड़की यूक्रेन में फंसी है और मोदीजी,योगीजी इसकी कोई मदद नहीं कर रहे है।
लेकिन आप जान करिए चौक जाएंगे कि यह लड़की अपने घर UP के हरदोई जिले में अपने घर पर ही है।इसका बाप सपा का नेता है,और यह प्रपंच सिर्फ चुनाव में फायदे के लिए कर रही है।इसका घर UP के हरदोई जिले के सांडी विकास खंड के ग्राम तेरा पुरसौली की निवासी "वैशाली यादव"प्रधान हैं।
बाप महेंद्र यादव पूर्व ब्लॉकप्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि यूक्रेन मे MBBS कर रही है। यूक्रेन मे 3 वर्ष का
MBBS कोर्स है और उसका आखिरी सेमिस्टर चल रहा है। वर्ष 2021 के सितंबर मे वैशाली यूक्रेन गई थी। पिछले कुछ दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आहट से वह परेशान थी। बुधवार को
उसकी यूक्रेन से भारत के लिए फ्लाइट थी, लेकिन जिस जगह पर वैशाली रह रही थी, वहीं पर यूक्रेन का मिलिट्री कॅम्प है, जिस पर रूस ने मिसाइल छोड़ दिया, जिसके बाद पूरा शहर बंद हो गया और आपातकाल घोषित कर दिया गया। शहर बंद होने के कारण वैशाली को खाने पीने की सामग्री भी नहीं मिल पा रही है।
यहा से लगातार बेटी से फोन पर हालचाल ले रहे हैं। पूरा परिवार बेटी को लेकर चिंतित है।
लेकिन जब प्रशासन ने जांच किया तब पता चला कि *यह "वैशाली यादव" यूक्रेन में नहीं बल्कि अपने घर से ही वीडियो बनाकर डाल रही थी।
UP के हरदोई जिले में अपने गांव में ही रह रही है और इसने सिर्फ चुनावी फायदे के लिए इतना घटिया और घिनौना ,देशद्रोही हथकंडा अपनाया था। @Anand_Dasa88@Shailesh_Varmaa @Liberal_India1
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सच का आईना:
चुनावी मौसम में विपक्ष और मीडिया से सबसे बड़ी गद्दारी कोरोना ने की है
तीसरी लहर आने के बाद भी ढूंढे से लाशें नही मिल रही सरकार विरोधी एजेंडा चलाने को
ये तो अकाट्य सच है कि कोरोना काल जैसी विकट प्रतिकूल परिस्थिति में सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण बनाये रखा.
कांग्रेस की सरकार होती तो ना कोरोना मैनेज कर पाती न महंगाई मैनेज कर पाती ,और महंगाई का ठीकरा कोरोना पर फोड़ कर चलती बनती।
सिर्फ सिनेमा मे USA और UK वाले अपने नागरिको को बचाते है चाहे मंगल ग्रह से बचा के लाना हो तो भी।
जब की हकीकत में सिर्फ नरेंद्र मोदी की भारतीय सरकार ही है
जो अपने नागरिको को बचाती है चाहे जितने मुश्किल हालत हो।यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भाजपा सरकार त्वरित गति से सफलता पूर्वक 'ऑपरेशन गंगा' चला रही है
कांग्रेस की सरकार होती तो 'ऑपरेशन इंदिरा' या 'ऑपरेशन राजीव' या 'ऑपरेशन संजीव' चलाती और लोगों की जान बचाने के नाम पर
हो मी ही 1 बघितला होता फोटो आणि विडिओ
कमरेला संपूर्णपणे स्टील चे आवरण आणि छातीवर बॉम्ब बांधलेल्या अवस्थेत जिवंत पकडला गेला होता.ब्लास्ट झाल्यावर नेमकं हत्यार सुरक्षित रहाते
आणि ते सुरक्षित राहिलं की मग 72 बरोबर हमबिस्तरी ला अडचण येत नाही
प्रश्न असा येतोय की ब्लास्ट करायच्या अगोदर
धार टाकायची घाईची वेळ आली तर मग कसे करत असतील?चेष्टेचा विषय सोडा,पण हे जे इमान आणलं जातं ते कितपत खोलवर रुजवलं जातं हे नक्कीच मानायला हवं.जन्नत ही आहेच आणि ती मिळालीच पाहिजे आणि ती मिळवायची असेल तर काफीर मारलेच पाहिजेत हा जो विश्वास भरवला जातोय तो अत्यंत घातक आहे आणि हा 1भस्मासुर
आहे व ज्यांनी ह्याला पोसले त्यांच्यावरच हा आता उलटू लागलाय.तसे पाहिलं तर इराण हा शिया पंथीय देश म्हणजे शिया सत्ताधारी आहेत.57 देशांपैकी शियांची सत्ता असलेला 1 प्रबळ इस्लामी देश,इस्लाम चे उगमस्थान सौदी अरब. सौदी मध्ये सत्ताधारी सुन्नी.इराण व सौदी चे हाडवैर जगजाहीर आहे.सौदीचे
दरअसल 20वीं सदी के शुरू मे 2 धार्मिक नेता मौलाना अशरफ़ अली थानवी (1863-1943) और अहमद रज़ा ख़ां बरेलवी (1856-1921) ने इस्लामिक क़ानून की अलग-अलग व्याख्या की.
अशरफ़ अली थानवी का संबंध दारुल-उलूम देवबंद मदरसा से था, जबकि आला हज़रत अहमद रज़ा ख़ां बरेलवी का संबंध बरेली से था.
मौलाना अब्दुल रशीद गंगोही और मौलाना क़ासिम ननोतवी ने 1866 में देवबंद मदरसे की बुनियाद रखी थी. देवबंदी विचारधारा को परवान चढ़ाने में मौलाना अब्दुल रशीद गंगोही, मौलाना क़ासिम ननोतवी और मौलाना अशरफ़ अली थानवी की अहम भूमिका रही है.भारत, पाक, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में रहने वाले
अधिकांश मुसलमानों का संबंध इन्हीं दो पंथों से है.
देवबंदी और बरेलवी विचारधारा के मानने वालों का दावा है कि क़ुरान और हदीस ही उनकी शरियत का मूल स्रोत है लेकिन इस पर अमल करने के लिए इमाम का अनुसरण करना ज़रूरी है. इसलिए शरीयत के तमाम क़ानून इमाम अबू हनीफ़ा के फ़िक़ह के अनुसार हैं.
राकेश जी ये तब्लिगी जमात क्यू शुरू हुयी इसकी घटना बडी रोचक और हिंदुओ के बलिदान से जुडी है।ये जमात मुस्लिम को मुस्लिम बना रखने के लिये बनी थी।वक्त गुजरते उसमे बदलाव आ गये।
महर्षी दयानंद,महर्षी श्रध्दानंद ने आर्य समाज की नीव रख दी और घरवापसी करने की ओढ मच गयी
इसके उपर मोहन गांधीने
कडा ऐतराज जताया था लेकिन कुछ कर नही सका।घरवापसी रोके रुक नही रही थी,उसी समय RSS का जन्म हुआ था,सब इस्लामी खेमे मे त्राही माम् हो गयी थी।सभी मौलाना,उलेमा,ब्रिटिश, और मोहन भी हैरान था,करे तो क्या करे।हाथ मे कुछ आता नही ये देख के मौलाना मो.इलियास कांधलवी ने तब्लिग की नीव रख दी।
मुस्लिम घरवापसी रोक के मुसलमान को मुसलमान बनाये रखने के लिये ही तब्लिग की स्थापना हुयी लेकिन कुछ ही महिने मे इसमे कट्टरवाद चरम पर आ गया।जो इस्लाम का दुष्मन है उसे दुनिया मे जीने का कोई अधिकार ही नही।इसीके चलते अब्दुल रशीद ने महर्षी श्रद्धानंद की गोली मारके निर्मम हत्या कर दी।
लगे हाथ पवन सर को ताजा खबर देता हू
MBS ने 2 वर्षांपूर्वीच भारतीय उपखंडातील मदरसे,मर्कज, मशिदी ना दिली जाणारी जकात बंद केली होती ,पण तेंव्हा ही लोकं काही बोलली नाहीत.बोलले असते तर सगळी जकातखोरी बाहेर आली असती.आता MBS ने तब्लिगी जमातीवर सर्वंकश बंदी आणल्यावर कंठ फुटलाय. आतापर्यंत
आपले पूर्वज अरबी असल्याचे सांगणारे तब्लिगी आता बोलताहेत की आमचा आणि अरब चा काही सम्बध नाही.आम्ही "अजनी"आहोत.
अजनी म्हणजे इस्लाम जेंव्हा तलवारीच्या जोरावर अरबस्तानमधून बाहेर पडला व पूर्वेकडे जे तलवारीच्या बळावर धर्मांतरण त्यांना ह्या अरबी मुसलमानानी अरबी मानण्यास नकार देऊन "अजनी"
हे नाव दिले,आणि पश्चिमेकडे जे धर्मांतरण झाले त्याला "मवानी"असे नाव दिले.
आता आता पोटावर लाथ बसण्याची शक्यता निर्माण झाल्या झाल्या बाप बदलून मोकळे ही झाले
MBS ला गद्दार ठरवून मोकळे,अरे तो तुम्हाला मुसलमान मानतो तरी काय?