क्या आप उम्मीद कर सकतेहै कि दिल्ली/मुंबई में बस स्टैंड पर एक बड़ा विस्फोट हों इस विस्फोट में लगभग80लोगो मारे जाए और वो भी ऐसे कि उनके शरीर के चिथड़े पोटली बनाकर समेटने पड़ेहों..लेकिन जब इस मामले की पुलिस जांचहो और7साल बाद निचली अदालतका फैसला आए तो किसीभी आरोपी को कोई सजा नहो...
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आप कहेंगे कि ऐसा केसे संभव हैं
यह चमत्कार संभव हुआ है मध्यप्रदेश के पेटलावद ब्लास्ट में आए अदालती फैसले में......
एमपी के झाबुआ जिले के पेटलावद में 12 सितंबर 2015 को बस स्टैंड के पास जिलेटिन छड़ों के गोदाम में हुए भीषण विस्फोट से हुईं 79 मौतों के मामले जिला न्यायालय का फैसला
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आया हैं इसमें मुख्य आरोपी राजेन्द्र कासवां (जिसे विस्फोटमें मृत बतायागया)और सह आरोपी धर्मेन्द्र राठौड़(विस्फोटक सप्लाई का आरोपी)को भी बरी कर दिया गया।विस्फोटक रखने के5आरोपी पहले ही बरी हो चुके हैं।यानी पेटलावद विस्फोट कांड में बनाए गए तीन अलग-अलग केसोंके सभी7आरोपी बरी होगए हैं।
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सजा के नाम पर सिर्फ तत्कालीन पेटलावद थानाधिकारी शिवजी सिंह की सेवानिवृत्ति से ठीक पहले एक वेतनवृद्धि(1600 रुपए)रोकने के आदेश हुए हैं
एमपी पुलिस जांच में यह तक पता नहीं कर पाई कि विस्फोटक कौन लाया, कहां से लाया, कितना स्टॉकथा,जो रैपर मिला उसकी बरामदगी कहां से हुई..सब बरी हो गए।
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पेटलावद का रहने वाला राजेंद्र कांसवा विस्फोटक का व्यापारी था।उसके परिवार के लोग भाजपा से जुड़े हुए थे विस्पोट में मारे गए पीड़ित परिवारो का कहना है कि शासन एवं पुलिस की मिलीभगत के कारण न्यायालय में जो चीज प्रस्तुत होना थी वह ना होकर दूसरे तरीके से उसको पेश किया गया,शिवराज सरकार
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की भी बडी अनियमितता सामने आईथी, क्योंकि एक घरमें इतनी भारी मात्रामें विस्फोटक कैसे रखा जा सकताहै।जबकि राजेंद्र कांसवा के पास खाद भंडारणका ही लाइसेंस था
पीड़ित परिवार वालोका कहना है कि इस मामले में मुख्य आरोपित बीजेपी से जुड़ा था,इसलिए उस वक्त पुलिस कार्रवाई में ढिलाई बरती गई,
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कांग्रेस ने भी आरोप लगाया है कि विस्फोट कांडका मुख्य आरोपी राष्टीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता था और उसका छोटा भाई भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ का पदाधिकारी था इसलिए सरकार ने उन्हें बचाने के लिए पूरे मामले की लीपापोती कर दी।
फर्ज कीजिए कि मुख्य आरोपी राजेंद्र कसावा न होकर कथित रूपसे
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कोई अब्दुल या वसीम रहा होता तो क्या होता !
*पेटलावद ब्लास्ट में 78 मौतों की सजा सिर्फ 1600 रुपए:* सरकार ने नहीं जांची SIT की कमियां, सभी 7 आरोपी बरी; टीआई का एक इंक्रीमेंट ही रोका
8 dainik-b.in/Fu3Gf90tbob
होली को करीब एक हफ्ता बचा है... गनीमत है कि होली हम बहुसंख्यकों का त्योहार है... अगर अल्पसंख्यकों का होता तो आज हफ्ते भर पहले त्राहि त्राहि मची होती... अपना गुल्लू स्टूडियो में उछल उछल कर बता रहा होता कि पाकिस्तान से कितने टन कैमिकल मिले हुए रंग की खेप चली है भारत के लिए,
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एक सांस में इन रंगों के 1000-1200 दुष्प्रभाव तो अपना गुल्लू बता ही देता... कार्यक्रम का नाम होता रंग जिहाद...
😀
एक कार्यक्रम अपना तिहाडी करता...कार्यक्रम में रंग का DNA चेक करता और बताता कि कैसे ये विशेष तरह की दवा मिले रंग सांस के द्वारा फेफड़े में जाकर बहुसंख्यक समुदाय को
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नपुंसक बनाने का कार्य कर सकते हैं... ताकि बहुसंख्यकों की जनसंख्या कम हो जाए...
😀
अब तक रंग के टैंक में थूकने के वीडियो तो बंपर आने लगे होते... साथ ही साथ 2000 के नोट में चिप ढूंढने वाली मैडम रंगों में चीन की साजिश से कोरोनावायरस का
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अमेरिकन वायुसेना का न्यूयार्क में एरिया51 नामक एक हाई सिक्योरिटी और सुपर सीक्रेट एयर बेसहै।
एक दोपहरको एक छोटासा अपरिचित विमान उस एयर बेस पर उतरा।
अमेरिकन वायुसेना द्वारा तुरंत विमानके पायलट को गिरफ्तमें लिया गया और पूछताछकी गई।
पायलटने बताया कि उसने लास वेगाससे उड़ान भरी थी
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और खो गया और फ्यूल ख़त्म होजाने के कारण उसे यहाँ उतरनापडा।
वायुसेना द्वारा उस पायलटके बैकग्राउंडकी पूरी तहकीकात कीगई और सारी तहकीकातके ख़त्म होने तक पूरीरात उसे वहीं रहनापड़ा।
अगले दिन वायुसेनाके अधिकारियोंको विश्वास हो गया कि पायलट सहीमें खो गयाथा और इसी कारण इस एयरबेस पर उसे
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उतरना पड़ा,वह कोई दुश्मन का जासूस नहींहै।
उन लोगोंने पायलटके प्लेनमें फ्यूल भरदिया और उसे जानेको कहा और साथही उसे चेतावनीभी दी कि
अगर उसने फिर कभी इस सीक्रेट और हाई सिक्योरिटी एयर बेसमें प्लेन उतारा तो उसे आजीवन कारावासमें डालदिया जाएगा।
चुनाव,व्यवस्था से असन्तोष का सेफ पैसेजहै।ठीक वैसे ही,जैसे प्रेशर कुकरमें सीटी होतीहै। जो इतनी भारी होती है कि भाप को रोक सके, लेकिन इतनी हल्की होती है, कि कुकर फटने से पहले उठकर भाप निकाल दे।
"अच्छे दिन आएंगे"से"खेला होबे"और "खदेड़ा होबे'
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तक,नारों के टोन में अंतर महसूस कीजिए।पहला एस्पिरेशन, दूसरा खीज, और तीसरा गुस्सा है। पहला नारा भाजपा के लिए और बाकी दो उसके खिलाफ है।
व्यवस्था जैसी भी हो, नागरिक को एक समय के बाद थकावट और ऊब होने लगती है। सब अच्छा हो, तो और अच्छा चाहिए। सब बुरा हो, तो जल्द से जल्द बदलकर पुरानी
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वाली अवस्था मे लौटने का मन होता है।
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यहीं पर आरएसएस- भाजपा और कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों का अंतर है। कांग्रेस, और दूसरी पार्टियां जानती हैं कि सत्ता आज जा रही है, तो कल फिर आ जायेगी। नो बिग डील..
लेकिन आरएसएस भाजपा... "फाइट लाइक देयर इज नो टुमारो"
भारत मे तेल के दाम बढ़ाने की कोई जरूरत नही है..बल्कि तेल के दाम घटाए जा सकते है..
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◆ भारत का ₹ रूस के रूबल के मुकाबले मजबूत हो चुका है..इस वक्त 1₹ = 1.70 रूबल है..डॉलर को एक बार भूल जाइए
◆ भारत रूस से अपनी क्रूड जरूरत का केवल 1% इम्पोर्ट करता है..
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भारतको किसी की परवाह किए बिना रूस से इम्पोर्टको बढ़ाना चाहिए..
◆रूस रोज1.1करोड़ बैरल/प्रतिदिन क्रूड उत्पादन करता है और70लाख बैरल/प्रतिदिन एक्सपोर्ट करताहै..भारत रूससे लगभग44,000बैरल प्रतिदिन खरीदता है..
★★भारतको रूस से इम्पोर्ट10लाख बैरल/प्रतिदिन का करना चाहिए..रूस भारतके
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ऐतिहासिक रिश्ते रहेहै..रूस को मनाए जानेकी जरूरतहै..
★★सबसे बड़ी बात:रूस के क्रूडका भाव $85है और रूस भारत के पोर्ट्स पर डिलीवरी करता है..यानी मालभाड़ा और इन्शुरन्स भी रूस पेमेंट करता है..ईरान भी भारतको इन्ही शर्तो पर तेल देताहै..
महिला दिवस की शुभकामनाएं..रात दिन महिला सशक्तिकरण का ढोल पीटोगे..और अगर महिला जरा भी सशक्त हो गयी तो झेल नही पाओगे....सशक्त महिला को रंडी कहोगे...कुतिया कहोगे..वामपंथी रांड कहोगे...महिला को जब जब पुरुष कंट्रोल नही कर पाता,तो उसको रंडी,वैश्या,और 500 रु मे बिकने वाली ही कहता है..
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महिला सम्मान के नाम पर हमाम में हर पुरुष नंगा है..
तस्लीमा नसरीन..
अरुंधती रॉय..
रेखा..
राणा अयूब..
शेहला रसीद..
और ये हर विचारधारा के पुरुष करते हैं.... सिर्फ संघी नही....चूंकि महिलाएं सॉफ्ट टार्गेट होती हैं..और उनकी सारी इज्जत उनके दोनो पैरों के बीच ही होती है..इसलिए पुरुष
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को सदैव अपना टार्गेट पता होता है.....
कोई स्मृति ईरानी को टार्गेट करता है तो कोई अंजना ओम कश्यप को....कोई इंदिरा गांधी के संबंध तलाशने के लिए जॉन मथई के लेख पढ़ता है तो कोई मायावती और कांशीराम पर कीचड़ उछालता है....चाहें कांग्रेसी हो,भाजपाई हो,सपाई हो,बसपाई हो.. पुरुष सिर्फ
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