दिवालिया कानून किस तरह से भ्रष्टाचारियों को बचाने का औजार बन गया है एमटेक ऑटो वाले प्रकरण में यह बात स्पष्ट रूप से निकल कर सामने आती है
कल संजय निरुपम ने कहा है कि सरकारको एमटेक ऑटो के दिवालियापन की अर्नस्ट एंड यंग(ईवाई)की ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षोंकी जांचका आदेश देना चाहिए,
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इस रिपोर्ट में सामने आया है कि एमटेक समूह ने अपनी 70 प्रतिशत से अधिक संपत्ति और कोष को 129फर्जी कंपनियों में हस्तांतरित कर दिया ‘
दरअसल एमटेक समूह की कंपनियों ने 25,000करोड़ रुपये का लोन भारतीय बैंकों से लिया था। बाद में कंपनी को मात्र1,500 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। जबकि
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इसके प्रवर्तकों ने7,500करोड़ रुपये की संपत्ति को बट्टे खाते में डाल दिया और12,500करोड़ रुपये का कोष फर्जी कंपनियों में हस्तांतरित कर दिया।’
दो हफ्ते पहले आई मनी कंट्रोल की खबर भी इन आरोपों।की पुष्टि करती है इस खबरमें बताया गया है कि'कंपनी लोन लेने के बाद पैसे को शेल कंपनियों
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और ग्रुप के बड़े अधिकारियों की पर्सनल इनटिटीज के लिए इस्तेमाल करती थी। फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि ईमेल आईडी,एड्रेसेज,संबंधित कंपनियों की डायरेक्टरशिप और फाइनेशियल स्टेटमेंट से पता चलता है कि एमटेक से कई बाहर की पार्टीज जुड़ी हुई थीं।ऑडिट में बाहरी पार्टीज की भी
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जांच की गई, जिसमें पाया गया कि लोन की रकम हासिल करने वाली ज्यादातर पार्टीज के पर्चेज और सेल के ट्रांजेक्शन नहीं हैं।
यानि कि गजब की हेराफेरी की गई ......लेकिन कोई कार्यवाही नही हो रही है
संजय निरूपम ने कहा, ‘‘(वित्त मंत्री) निर्मला सीतारमण जी सदा कहती हैं कि कंपनियों ने
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संप्रग के शासनकाल में लोन लिया था. लेकिन ऋण नहीं चुकाना और धन की धोखाधड़ी मोदी सरकार के तहत हो रही है.''
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा कह रहे हैं कि कंपनियों के दिवाला मामलों का हल करने के नाम पर संस्थागत भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जो बिल्कुल स्पष्ट दिख रहा है 6/6 @BramhRakshas
साइकिलिंग किसी भी अर्थव्यवस्था (GDP) के लिए, हानिकारक है....!
ये हास्यास्पद लगता है परन्तु सत्य है।
एक साइकिल चलाने वाला, देश के लिए बहुत बड़ी आपदा है, क्योंकि - वो गाड़ी नहीं खरीदता
वो लोन नहीं लेता वो, गाड़ी का बीमा नहीं करवाता
वो तेल नहीं खरीदता,
1 @BramhRakshas
वो गाड़ीकी सर्विसिंग नहीं करवाता,वो पैसे देकर गाड़ी पार्किंग नहीं करता,वो मोटा(मोटापा)नहीं होता जी हां..यह सत्य है कि स्वस्थ व्यक्ति अर्थव्यवस्थाके लिए सही नहीं है, क्योकि -
वो दवाईयां नहीं खरीदता,वो अस्पताल व चिकित्सक के पास नहीं जाता वो राष्ट्र की GDPमें कोई योगदान नहीं देता।
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इसके विपरित एक Fast Food की दुकान 30 नौकरी पैदा करती है-
10 हृदय चिकित्सक
10 दंत चिकित्सक
10 वजन घटाने वाले
पैदल चलना इससे भी खतरनाक है, क्योंकि पैदल चलने वाला तो साइकिल भी नहीं खरीदता।*
🤔🤔 😊😊😂😂🤣🤣🤣🤣🤣 @budhwardee @NiranjanTripa16
मा चिद अन्यत विशंसत सखायो मा रिषणयत हे मेरे मित्रों !एक ईश्वर के अलावा किसी दूसरे की पूजा उपासना करके अपने आपको तबाह बर्बाद न करो।ऋग्वेद८:१:१
भुवनस्य यः पतिःएक एव नमस्यःविक्षु ईडयः।
वह केवल एक है जो सारे संसार का एक और अकेला स्वामी है वह सारी सृष्टि का आराध्य है। अथर्ववेद२:२:१
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तुम्हारा ईश्वर एक ही ईश्वर है उसके सिवा कोई ईश्वर नहीं, वह महादयावान सतत कृपाशील है क़ुरान 2:163
ईश्वर न तो लकड़ी में है, न पत्थर में, न मिट्टी से बनी मूर्ति में, वह तो एहसासात में मौजूद है। उसका एहसास ही उसके वजूद की दलील है। (गरुड़ पुराण धर्म कांड प्रेत खंड:38-13)
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मिट्टी,पत्थर वगैरह की मुर्तिया ईश्वर नहीं होती। (श्रीमद् भागवत महापुराण, 11:84-10 )
ईश्वर की कोई मूर्ति नहीं उसका नाम ही महान है।(यजुर्वेद,3:32)
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सुल्ली डील्स(Sulli Deals)और बुल्ली बाई (Bulli Bai)ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर (Aumkareshwar Thakur)और नीरज बिश्नोई(Niraj Bishnoi)को जमानत मिल गई है..दिल्ली की एक अदालतने मानवीय आधार पर दोनों को जमानत दी है..जमानत देने का कारण बताते हुए अदालत
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ने माना कि अपराधीने पहलीबार अपराध किया है..और लगातार जेलकी अवधि उनकी भलाई में बाधा उत्पन्न करेगी..
मानवीय आधार.?
भलाईमें बाधा.?
जब अपनी भलाई बुराई उन्होंने इतना संगीन अपराध करते वक्त नही सोची तो कोर्ट क्यों सोच रहाहै..यदि उनका ये पहला अपराध है तो निर्भयाके बलात्कारियों का भी
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वो पहला ही अपराध था..फिर उनको फांसी क्यों दी गई..भारत में क्या अब अपराधों को इस आधार पर जस्टिफाई किया जाएगा कि ये पहला अपराध है दूसरा..
परसों हेट स्पीच के मामले में कोर्ट ने कहा कि मुस्कुरा कर दी गई हेट स्पीच अपराध नहीं है..आज सुल्ली डील्स के आरोपियोंको जमानत मिल गई ताकि उनका
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एक राजा था।उसने दस खूंखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे।उसके दरबारियों और मंत्रियों से जब कोई मामूली सी भी गलती हो जाती तो वह उन्हें उन कुत्तों को ही खिला देता।
एक बार उसके एक विश्वासपात्र सेवक से एक छोटी सी भूल हो गयी..
राजाने उसे भी उन्हीं कुत्तोंके सामने डालनेका हुक्म सुना दिया।
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उस सेवक ने उसे अपने दस सालकी सेवा का वास्ता दिया..मगर राजा ने उसकी एक न सुनी।
फिर उसने अपने लिए दसदिन की मोहलत माँगी जो उसे किसी तरह मिल गई।
अब वह आदमी उन कुत्तों के रखवाले सेवक के पास गया और उससे विनती की कि वह उसे दस दिनके लिए अपने साथ काम करनेका अवसर दे।किस्मत उसके साथ थी,
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उस रखवालेने उसे अपने साथ रख लिया।
दस दिनों तक उसने उन कुत्तोंको खिलाया,पिलाया,नहलाया,सहलाया और खूब सेवा औऱ प्यार किया।
आखिर फैसलेवाले दिन राजाने जब उसे उन कुत्तोंके सामने फेंकवा दिया तो वे उसे चाटने लगे, उसके सामने दुम हिलाने और लोटने लगे।
मोदी सरकार ने क़ल राज्यसभा में बताया कि रूस से तेल आयात के बारे में भारत सोच भी नहीं रहा है।
उधर मनी कंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से खबर में कहा है ONGC विदेश ने इसी माह दो भारतीय कंपनियों- HPCL और भारत पेट्रोलियम को रूसी सोकोल ऑयल का एक कार्गो बेचा है।
इस खरीद की ख़बर मैंने
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अपने पोस्ट में दी थी।
यानी 22 घंटे काम करने का दावा करने वाली मोदी सरकार को पता नहीं कि उसकी तेल कंपनियां कहां से तेल लाकर बेच रही हैं।
अमेरिकी दबाव में संसद को झूठ बोलकर गुमराह तो किया जा सकता है, लेकिन सीआईए और बाकी ख़ुफ़िया एजेंसियों से कैसे बचोगे?
ONGC विदेश की रूसी
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सखालिन प्रोजेक्ट-1 में हिस्सेदारी है। मार्च की शुरुआत में जब तेल बेचने के टेंडर हुए तो अमेरिका के डर से किसी ने भी बोली नहीं लगाई।
लेकिन पिछले दरवाज़े से रूसी तेल भारी डिस्काउंट पर दोनों भारतीय कंपनियों को बेच दिया गया।
अब ONGC विदेश सोच रहा है कि अगर रूसी तेल और कोई नहीं
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कल सड़क पार अहम जलसा था जिसे दक्षिण एशिया का वर्तमान समय का सबसे बड़ी राजनितिक रैली बताई जा रही है।
उसमे इमरान खान ने विदेशी ताकतों पर उसकी सरकार गिराने और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया,अन्ना आंदोलन वालों की तरह कागज लहरा कर सबूत होने का दावा भी किया लेकिन बाद में वायदा करने के
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बावजूद चिट्ठी दिखानेसे मुकर गया।
बहरहाल यदि उसकी सरकार जाती है तो यह उसके लिए फायदे का सौदा होगा लेकिन यहाँ जिक्र है नवीन विश्व आदेश का जिसकी परछाई मे कल उसका भाषण था।
थोड़ा इतिहास में चलते है तो1857के बाद हिंदुस्तानकी सत्ता ब्रिटिश महारानीके आधीन हो गई।
लेकिन छोटे छोटे राजे
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राजवाड़े क़ायम रहे,उनके उपर अंग्रेज कलक्टर होता था जिन्हे गवर्नर के आदेश मानने होते थे और गवर्नर के उपर गवर्नर जनरल फिर महारानी।
देखा जाये तो तब कानून व्यवस्था भी बेहतर थी, अदालतों पर भी भरोसा था और नहरो से लेकर रेलवे,डाकघर,बैंकिंग तथा उद्योग भी लग रहे थे।