घूमने की अभिलाषा:
सारा जग घूम रहा है। कही कोई शिमला, मनाली तो कहीं गोआ जा रहा है, ऐसे में 'मैं भी सैर करूँ' इस प्रकार की भावना आती है। life तो इनकी देखो, क्या मौज से घूम रहे हैं! ऐसे thoughts आ ही जाते हैं। #jainism#thoughts
घूमने के चलते कुछ घरों में झगड़े भी होते हैं की कही घूमने नहीं ले जाते । इस क्लेश का निवारण कैसे करें?
1.अनादि काल से संसार में परिभ्रमण कर करके एक परमाणु नहीं बचा जहाँ हम न गए हों।
2. जिन्हें ज्यादा घूमने का विकल्प चलता रहता है वे संसार में घुमाने वाले कर्म बांध लेते हैं। ड्राइवर आदि की जॉब इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। 3. घूमने से आंखों के विषय कुछ समय के लिए जरूर पूरे हो सकते हैं, पर क्या आज तक किसी को घूमने से तृप्ति मिली है? क्या उसने और नहीं चाहा?
4. घूमने जाना ही है तो अपने तीर्थों पर भी जाएं। हमारे अधिकतम तीर्थ पहाड़ो, वनों में ही है। जिसमे आपकी ट्रैकिंग, पिकनिक तो स्वतः ही हो जाती है। पर ये लक्ष्य कभी नहीं होना चाहिए जब तीर्थ क्षेत्र पर जाए।
5. अभी हम गृहस्थ हैं तो हमें सैरसपाटे के विकल्प आते हैं। लिमिट में हर चीज़ अच्छी लगती है। अगर आप घूमते ही रहोगे तो घर बर्बाद हो जाएगा और आत्म कल्याण भी नहीं हो पायेगा। इसलिए सीमा निर्धारित करें।
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पढ़ने के लिए आभार।
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