मोदी सरकार ने क़ल राज्यसभा में बताया कि रूस से तेल आयात के बारे में भारत सोच भी नहीं रहा है।

उधर मनी कंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से खबर में कहा है ONGC विदेश ने इसी माह दो भारतीय कंपनियों- HPCL और भारत पेट्रोलियम को रूसी सोकोल ऑयल का एक कार्गो बेचा है।

इस खरीद की ख़बर मैंने
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अपने पोस्ट में दी थी।

यानी 22 घंटे काम करने का दावा करने वाली मोदी सरकार को पता नहीं कि उसकी तेल कंपनियां कहां से तेल लाकर बेच रही हैं।

अमेरिकी दबाव में संसद को झूठ बोलकर गुमराह तो किया जा सकता है, लेकिन सीआईए और बाकी ख़ुफ़िया एजेंसियों से कैसे बचोगे?

ONGC विदेश की रूसी
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सखालिन प्रोजेक्ट-1 में हिस्सेदारी है। मार्च की शुरुआत में जब तेल बेचने के टेंडर हुए तो अमेरिका के डर से किसी ने भी बोली नहीं लगाई।

लेकिन पिछले दरवाज़े से रूसी तेल भारी डिस्काउंट पर दोनों भारतीय कंपनियों को बेच दिया गया।

अब ONGC विदेश सोच रहा है कि अगर रूसी तेल और कोई नहीं
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खरीदता है तो क्यों न भारतीय कंपनियों को और तेल बेचा जाए?

अगर यही होना है तो मोदी सरकार खुलकर इस खेल को स्वीकार क्यों नहीं कर रही है? रूस से सस्ता तेल मंगवाकर देश की अवाम से रोज़ दाम बढ़ाकर वसूली क्या घोटाला नहीं है?

विपक्ष में अगर थोड़ी भी शर्म बची हो तो सरकार से संसद में कल
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इस मुद्दे पर सफ़ाई मांगे। संसद में झूठ बोलना अवमानना है और एक विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव तो बनता है।

लेकिन लुटते देश में अपना वजूद बचाता विपक्ष यह भी नहीं कर पायेगा।
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@BramhRakshas
@ShuebKh16859893

moneycontrol.com/news/business/…
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Mar 30
आपको मोदी ने 15लाख तो दिए नहीं बल्कि एक लाख करोड़ का कर्जदार जरूर बना दिया...आज की खबर है कि वित्‍त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया है कि दिसंबर तिमाही तक सरकार पर कुल कर्जका बोझ बढ़कर128.41 लाख करोड़ रुपये हो गया है.इस लिहाज से देश के हर नागरिक पर98,776रुपये का कर्ज लदा है.
7/1
यह आंकड़ाभी दिसंबर2021तक काहै आज तो प्रति व्यक्ति एक लाख रुपएका कर्ज़ मोदी सरकार चढ़ा चुकी हैं

सीधा गणित पकड़िए देशकी जनसंख्‍याहै लगभग130करोड़ और सरकार पर कर्ज है मोटा मोटा 130 लाख करोड...यानि हो गया न हर व्यक्ति पर 1 लाख रुपए का कर्ज़!..

यहीथे अच्छे दिन,जिसे दिखानेका वादा
7/2
आपसे हमसे किया गया था,..मोदी कितने ही राज्योके चुनाव क्यों न जीत जाए,चाहें वह 2024भी जीत जाए लेकिन उससे यह हकीकत नही बदल जाएगी कि मोदीने देश की अर्थव्यवस्थाका भट्ठा बिठा दिया है

मै यह क्यो कह रहीहूं उसकी भी वजह है...आज2022मे हम पर128.41लाख करोड़ रुपये कर्ज है यह तो आप देख ही
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Read 9 tweets
Mar 30
साइकिलिंग किसी भी अर्थव्यवस्था (GDP) के लिए, हानिकारक है....!
ये हास्यास्पद लगता है परन्तु सत्य है।
एक साइकिल चलाने वाला, देश के लिए बहुत बड़ी आपदा है, क्योंकि - वो गाड़ी नहीं खरीदता
वो लोन नहीं लेता वो, गाड़ी का बीमा नहीं करवाता
वो तेल नहीं खरीदता,
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@BramhRakshas Image
वो गाड़ीकी सर्विसिंग नहीं करवाता,वो पैसे देकर गाड़ी पार्किंग नहीं करता,वो मोटा(मोटापा)नहीं होता जी हां..यह सत्य है कि स्वस्थ व्यक्ति अर्थव्यवस्थाके लिए सही नहीं है, क्योकि -
वो दवाईयां नहीं खरीदता,वो अस्पताल व चिकित्सक के पास नहीं जाता वो राष्ट्र की GDPमें कोई योगदान नहीं देता।
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इसके विपरित एक Fast Food की दुकान 30 नौकरी पैदा करती है-
10 हृदय चिकित्सक
10 दंत चिकित्सक
10 वजन घटाने वाले

पैदल चलना इससे भी खतरनाक है, क्योंकि पैदल चलने वाला तो साइकिल भी नहीं खरीदता।*
🤔🤔 😊😊😂😂🤣🤣🤣🤣🤣
@budhwardee
@NiranjanTripa16
Read 4 tweets
Mar 30
मा चिद अन्यत विशंसत सखायो मा रिषणयत हे मेरे मित्रों !एक ईश्वर के अलावा किसी दूसरे की पूजा उपासना करके अपने आपको तबाह बर्बाद न करो।ऋग्वेद८:१:१

भुवनस्य यः पतिःएक एव नमस्यःविक्षु ईडयः।
वह केवल एक है जो सारे संसार का एक और अकेला स्वामी है वह सारी सृष्टि का आराध्य है। अथर्ववेद२:२:१
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तुम्हारा ईश्वर एक ही ईश्वर है उसके सिवा कोई ईश्वर नहीं, वह महादयावान सतत कृपाशील है क़ुरान 2:163

ईश्वर न तो लकड़ी में है, न पत्थर में, न मिट्टी से बनी मूर्ति में, वह तो एहसासात में मौजूद है। उसका एहसास ही उसके वजूद की दलील है। (गरुड़ पुराण धर्म कांड प्रेत खंड:38-13)
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मिट्टी,पत्थर वगैरह की मुर्तिया ईश्वर नहीं होती। (श्रीमद् भागवत महापुराण, 11:84-10 )

ईश्वर की कोई मूर्ति नहीं उसका नाम ही महान है।(यजुर्वेद,3:32)
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Read 5 tweets
Mar 29
सुल्ली डील्स(Sulli Deals)और बुल्ली बाई (Bulli Bai)ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर (Aumkareshwar Thakur)और नीरज बिश्नोई(Niraj Bishnoi)को जमानत मिल गई है..दिल्ली की एक अदालतने मानवीय आधार पर दोनों को जमानत दी है..जमानत देने का कारण बताते हुए अदालत
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ने माना कि अपराधीने पहलीबार अपराध किया है..और लगातार जेलकी अवधि उनकी भलाई में बाधा उत्पन्न करेगी..

मानवीय आधार.?
भलाईमें बाधा.?

जब अपनी भलाई बुराई उन्होंने इतना संगीन अपराध करते वक्त नही सोची तो कोर्ट क्यों सोच रहाहै..यदि उनका ये पहला अपराध है तो निर्भयाके बलात्कारियों का भी
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वो पहला ही अपराध था..फिर उनको फांसी क्यों दी गई..भारत में क्या अब अपराधों को इस आधार पर जस्टिफाई किया जाएगा कि ये पहला अपराध है दूसरा..

परसों हेट स्पीच के मामले में कोर्ट ने कहा कि मुस्कुरा कर दी गई हेट स्पीच अपराध नहीं है..आज सुल्ली डील्स के आरोपियोंको जमानत मिल गई ताकि उनका
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Read 5 tweets
Mar 29
एक राजा था।उसने दस खूंखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे।उसके दरबारियों और मंत्रियों से जब कोई मामूली सी भी गलती हो जाती तो वह उन्हें उन कुत्तों को ही खिला देता।

एक बार उसके एक विश्वासपात्र सेवक से एक छोटी सी भूल हो गयी..

राजाने उसे भी उन्हीं कुत्तोंके सामने डालनेका हुक्म सुना दिया।
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उस सेवक ने उसे अपने दस सालकी सेवा का वास्ता दिया..मगर राजा ने उसकी एक न सुनी।

फिर उसने अपने लिए दसदिन की मोहलत माँगी जो उसे किसी तरह मिल गई।

अब वह आदमी उन कुत्तों के रखवाले सेवक के पास गया और उससे विनती की कि वह उसे दस दिनके लिए अपने साथ काम करनेका अवसर दे।किस्मत उसके साथ थी,
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उस रखवालेने उसे अपने साथ रख लिया।

दस दिनों तक उसने उन कुत्तोंको खिलाया,पिलाया,नहलाया,सहलाया और खूब सेवा औऱ प्यार किया।

आखिर फैसलेवाले दिन राजाने जब उसे उन कुत्तोंके सामने फेंकवा दिया तो वे उसे चाटने लगे, उसके सामने दुम हिलाने और लोटने लगे।

राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ।उसके पूछने
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Read 6 tweets
Mar 28
कल सड़क पार अहम जलसा था जिसे दक्षिण एशिया का वर्तमान समय का सबसे बड़ी राजनितिक रैली बताई जा रही है।

उसमे इमरान खान ने विदेशी ताकतों पर उसकी सरकार गिराने और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया,अन्ना आंदोलन वालों की तरह कागज लहरा कर सबूत होने का दावा भी किया लेकिन बाद में वायदा करने के
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बावजूद चिट्ठी दिखानेसे मुकर गया।

बहरहाल यदि उसकी सरकार जाती है तो यह उसके लिए फायदे का सौदा होगा लेकिन यहाँ जिक्र है नवीन विश्व आदेश का जिसकी परछाई मे कल उसका भाषण था।

थोड़ा इतिहास में चलते है तो1857के बाद हिंदुस्तानकी सत्ता ब्रिटिश महारानीके आधीन हो गई।

लेकिन छोटे छोटे राजे
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राजवाड़े क़ायम रहे,उनके उपर अंग्रेज कलक्टर होता था जिन्हे गवर्नर के आदेश मानने होते थे और गवर्नर के उपर गवर्नर जनरल फिर महारानी।

देखा जाये तो तब कानून व्यवस्था भी बेहतर थी, अदालतों पर भी भरोसा था और नहरो से लेकर रेलवे,डाकघर,बैंकिंग तथा उद्योग भी लग रहे थे।

उसी दौरान किसानो की
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