वह जो मस्जिद पर झंडे फहरा रहे हैं । वह जो हमें मारने काटने की ऊँची ऊँची आवाज़ें लगा रहे हैं । वह जो बुलडोज़र के नीचे देश के संविधान और कानून को एक साथ कुचल रहे हैं । इन सबको हम पहचानते हैं । यह सब हमारी जान पहचान के लोग हैं । इनमें से कोई अपरिचित नही है ।@kidwai_hafeez
यह वह लोग हैं, जिन्होंने हमारी दोस्तियों के बीच,हमारे साथ उठते बैठते,खाते पीते,हँसते बोलते,टहलते घूमते,उस दल को चुना है,जो हमें ठिकाने लगाने की घोषणाएं करता रहा । यह सब वही लोग हैं, जो चुपके से हमारी तबाही का बटन दबा आते हैं और खामोश होकर हमारे बग़ल में खड़े हो जाते हैं।
यह वह लोग हैं, जो हमें दूसरे नेताओं के बोलने,चलने,खड़े होने और शब्दों की मर्यादा को लाँघने पर ज्ञान देंगे और खुद बुलडोज़र का ईंधन बनने में देर नही करेंगे ।
मैं इनसे परिचित हूँ । इनसे मिलता हूँ । हँसते हुए मिलता हूँ कि, जब मेरे टुकड़े किये जा रहे होंगे,तब यह चाय का कप लिए, इतना तो कहेंगे ही कि, उन्हें ऐसे नही काटना चाहिए था । भले आदमी थे,मारना था तो मार देते,मगर ऐसे जलाकर टुकड़े तो न करते ।
मैं अपने बीच खड़े,उन बटन दबाने वालों को खूब जानता हूँ और जानता हूँ कि सारे मंसूबे वह जानते थे,वह इतने अनजान तो नही थे की उन्हें पता ना हो की वह आएँगे,तो क्या करेंगे ।
हम भी देखते हैं कि मौत की इस आंधी, नफ़रत की इस सुनामी और अराजकता भरे इस हुड़दंग में कौन सुक़ून पाता है ।
मैं अपने बीच खड़े हर, उनके समर्थकों से कहता हूँ कि,किसी भी हुड़दंग में,यह मत कहना कि तुम उसमें शामिल नही हो,तुम हो उसमें और अगर नही हो,तो तुम्हारे मुँह से दो शब्द क्यों नही फूटते, कि हाँ, हमसे गलती हुई,हमने गन्दे घिनौने लोग चुन लिए । हमें पता है, तुम नही कह पाओगे,कभी नही कह पाओगे
हम सब आज नही तो कल मरेंगे ही,मिट भी जाएँगे मगर एक आत्म संतोष रहेगा कि बुराई को न हमने चुना,न हम उसके साथ रहे,न उसे खाद पानी दिया और न ही अगर मगर लेकिन लगाकर उसका समर्थन किया । हम मर कट जाएँगे मगर अहिंसा,प्रेम,भाईचारा और सहिष्णुता का साथ नही छोड़ेंगे,कभी नही,कभी भी नही.. #hashtag
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सवाल - यह बयान किसका है? "‘ऐसे कई लोग हैं जो इतिहास पर अपनी अमिट पहचान छोड़ जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग हैं जो वास्तव में इतिहास बनाते हैं, कायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना एक ऐसे ही दुर्लभ व्यक्ति थे।"
उत्तर - लाल कृष्ण आडवाणी
उत्तर - पूर्व गृहमंत्री, भाजपा और संघियों के मार्गदर्शक
सवाल- जिन्ना की two nation theory के पक्ष में कौन सा हिन्दू नेता था?
उत्तर- सावरकर
सवाल- सावरकर कौन था?
उत्तर - देश का गद्दार ,माफीवीर
एक आनुमानिक हिसाब समझिये.
2014 में भारत सरकार के पास लगभग 90 लाख करोड़ के मालिकाना शेयर थे..
इनमें लिस्टेड कंपनी, अनलिस्टेड कंपनी, अनगिनत माइन,इन्शुरन्स,पावर कंपनी,एयरपोर्ट, रेल, पोर्ट,ऑर्डनेन्स फैक्ट्री, विदेशो में संपत्ति, ट्रांसपोर्ट,एयरलाइन,खादी जैसे मालिकाना हक शामिल है.1/5
एक आनुमानिक हिसाब समझिये.
2019 में इनका मूल्य घट कर लगभ 57 लाख करोड़ रह गया..करीबन 33 लाख करोड़ का घाटा.
अनुमान ये है कि बचे हुए 57 लाख करोड़ में से 37 लाख करोड़ के शेयर बेचे जाएंगे..
हम लिस्टेड सरकारी कंपनी बिकने में उलझे हुएहै..पर असली माल और एक्शन अनलिस्टेड कंपनियो में है.2/5
अनलिस्टेड कंपनीया बिक रही है जैसे रेल, एयरपोर्ट, माइन वगैरह..शायद बहुत कुछ हमे अबतक मालूम नही है..
अबकी बार "टारगेट" बहुत बड़ा है.."न्यू इंडिया" में पूरा संघीय ढांचा बदला जाना है..संविधान की ताकत "जनता की संपत्ति" यानी जनता की भागीदारी होती है..3/4