#अघोरी_बाबा_बनारस_वाले
एक मध्यमवर्गीय किसान का बेटा होने का २ फायदा होता है पहला फायदा तो यह कि आपको एक मुट्ठी चावल की कीमत पता होती है और दूसरा फायदा यह कि आप बिना शादी किए महज १६_१७ साल में जिम्मेदारियों से बंद कर परिवार के लिए बाप बन जाते हैं मेरा मतलब मुखिया बन जाते हैं,
लेकिन ये कैसे निश्चित कर सकते हैं कि हमारी जरूरत है क्या है,और क्या नहीं, लेकिन हम यह निश्चित जरूर कर सकते हैं कि हमारी परिवार की जरूरत है क्या है?
एक किसान का बेटा घर से हजारों किलोमीटर दूर रह तो सकता है लेकिन अपने खेत से कभी दूर नहीं रहता रोड पर चलती हुई गायों में वह
अपनी गैया को महसूस कर लेता है हाईवे किनारे फसलों को देखकर अपने खेतों को याद कर लेता है बड़े-बड़े बार और रेस्टोरेंट में बैठकर वो दारू पी कर फिर बर्गर खाते समय वह माई को याद करके मुस्कुरा तो लेता है , लेकिन पनीर टिक्का और भेज बिरयानी खाते समय उसे दाल भात चोखा चटनी ही याद आती है
अक्सर लोगों से सुना है कि लड़कियां घर छोड़ती हैं
इन फैक्ट मुझे भी ये ही शुरू से सुनने को मिला है कि छोटी बहन है तेरी बेटा,एक दिन चली जाएगी, इसको करने दे यह जो कर रही है। लड़कियां हैं ,पराया धन है, मैं ऐसा नहीं कहता हूं कि यह गलत है लेकिन छोटा सा करेक्शन करना होगा लड़कियां पराया
धन नहीं होती हैं लड़कियां तो घर की लक्ष्मी होती हैं पराया धन तो साला हम लौंडे टाइप के लड़के होते हैं
घर से दूर लालटेन और डिबरी की रोशनी में पढ़ने वाले लौंडे बिजली बचाने के लिए जब 9 वाट और 16 वाट के एलईडी में अंतर कर के उसके बाद उसके नीचे 75000 के लैपटॉप के सामने एसी चलाकर हाथ में
सिगरेट लेकर बैठा करते हैं ना, तब ससुरा हमे याद आता है डिबिरी के नीचे पढ़ना उन्हें याद आता है कि डिबरी में तेल भरने का समय कब होता था क्यों होता था हमें याद आता है शाम के वक्त में जब हमे हमारी माई पढ़ने बैठने से पहले जब लालटेन का शीशा साफ करने के लिए कहा करती थी हमें याद आता है जब
वह बाबूजी के साथ उनके कंधे पर बैठकर खेत घूमा करते थे हमें तो वो स्कूल वाली अपनी निक्कर भी याद आती है इसकी फटी हुई थी इसलिए वह अपने शर्ट के जेब में खट मीठीया गोली और नेमचूस रखते थे, समय के हिसाब से वह स्कूल ड्रेस वाला काला जूता भी याद आता है जो हम अक्सर शादियों में पहन कर जाया
करते थे वह करिया जूता धीरे-धीरे गोल्ड स्टार बना फिर रिबॉक बना अभी वुडलैंड और बाठा बन कर रुला रहा है
खैर किसान के लौंडे बाप बन गए हैं बिन शादी किए बिन बच्चे पैदा किए वो फिलहाल बाप बन गए है उनकी जवाबदारी उनकी जिम्मेदारी परिवार के प्रति उनके वफादारी उनके खेतों के प्रति उनका प्यार
उनके पुराने वाले मकान के छत से गिरता हुआ बरसात के दिन में बारिश की बूंदे चापाकल को मरम्मत कराकर या फिर नया समरसेबल कराने का दबाव बहन की शादी में दूल्हे को फोर व्हीलर देना है इसके लिए पैसे इक्कठा करते हुए वह बिन शादी के बने बाप अचानक से बूढ़े होने लगते हैं यह बुढ़ापा कोई 1 दिन का
नहीं है नाही 1 घंटे का या फिर 1 साल का यह बुढ़ापा है हमे तो जिम्मेदारियों की जंजीरों में ऐसा जकड़ना है कि हमारी फट के फ्लावर हो जाती है लेकिन फिर भी साला मुस्कुराते हैं शाम को जली हुई रोटी कल की बची हुई सब्जी खाकर भी माई से झूठ बोलते हैं कि "नहीं अम्मा हम ठीक हैं आज तो हमने पूरी
सब्जी बनाया था वही खाकर अभी अभी उठे हैं"
यह जली हुई रोटी और पूड़ी सब्जी के बीच के बीच में जो डिफरेंस है ना बॉस,ससुरा बस यही हमारे पिछवाड़े की ताकत है यही हमारे जीने का हौसला वैसे भी हमारे पास घंटा हौसला के अलावा कुछ और ना है हम मुस्कुराते हैं क्योंकि हमें मुस्कुराता हुआ देखकर
हमारी माइ खुश होती है, हम बाबूजी को जब फोटो व्हाट्सएप पर सेंड करते हैं ना, तो साला नयका कपड़ा पहन के फोटो खिंचवाते हैं ताकि बाबूजी को ऐसा न लगे कि उनके लाइका के पास पैसा की कमी है हम घर छोड़ते हैं हम भी रोते हैं लेकिन कसम महादेव की आंखों से आंसू ने गिरने देते हैं।
हम लौंडे हैं जनाब मध्यवर्गीय परिवार के लौंडे किसान के...... लौंडे जो साला साइकिल चलाते-चलाते बुलेट चलाने तो लगते हैं लेकिन फिर भी अपनी कैची साइकिल को नहीं भूल पाते हैं, साला थोड़े दिन के लिए सही वह बचपन लौटा दो बे...... हां ठीक है इस बार पड़ोसी के खेत से आम नहीं चोरी करेंगे ना ही
क्रिकेट के दौरान कलुआ का सर फोड़गे, ठीक है कलावती को लव लेटर भी नहीं देंगे, ना ही आरिफ की बहन को छेड़ने के वजह से विनोद पंडित को मारेंगे हम साला सुधर जाएंगे बे,कोई तो लौटा दो वो दिन,ये साला जिम्मेदारियां कंधे झुका दे रही है आंखों में हौसला जिंदा है लेकिन विश्वास टूटा जा रहा है ,
इस बार मन लगाकर पढ़ाई भी करेंगे बे, बाबूजी का नाम भी रोशन करेंगे बाबूजी के जेब से पैसा नहीं चोरी करेंगे, कसम से ...........अच्छा ठीक है बाबूजी मारेंगे तो मार भी खा लेंगे, लेकिन माई के पास नहीं जाएंगे उनको परेशान करने के लिए,पक्का इस बार क्रिकेट भी छोड़ देंगे, थोड़े दिन के लिए
सरस्वती पूजा में नाचेंगे नहीं बे, अच्छा ठीक है सुदर्शन चाचा के खेत से बदाम भी नहीं चुरा कर लाएंगे बस कुछ दिन के लिए यह जिम्मेदारियां ले लो मेरा घर मुझे वापस दे दो।
कोई तो लौटा दो वो दिन।
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किराने की एक दुकान में एक ग्राहक आया और दुकानदार से बोला - भइया, मुझे 10 किलो बादाम दे दीजिए।
दुकानदार 10 किलो तौलने लगा।
तभी एक कीमती कार उसकी दुकान के सामने रुकी और उससे उतर कर एक सूटेड बूटेड आदमी दुकान पर आया,और बोला - भाई 1 किलो बादाम तौल दीजिये।
दुकानदार ने पहले ग्राहक को 10 किलो बादाम दी,,फिर दूसरे ग्राहक को 1 किलो दी..।
जब 10 किलो वाला ग्राहक चला गया तब कार सवार ग्राहक ने कौतूहलवश दुकानदार से पूछा - ये जो ग्राहक अभी गये है यह कोई बड़े आदमी है या इनके घर में कोई कार्यक्रम है क्योंकि ये 10 किलो लेकर गए हैं।
दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा - अरे नहीं भइया, ये एक सरकारी विभाग में चपरासी हैं लेकिन पिछले साल जब से इन्होंने एक विधवा से शादी की है जिसका पति लाखों रुपये उसके लिए छोड़ गया था, तब से उसी के पैसे को खर्च कर रहे हैं.. ये महाशय 10 किलो हर माह ले जाते हैं। "
स्वतंत्रतापूर्व की बात है। वाराणसी के एक साधक थे, सुदर्शन जी। माता दुर्गा के परम भक्त।
ब्रह्ममुहूर्त का समय था, वे गंगा जी के जल में कमर तक खड़े जाप कर रहे थे। तभी उधर से एक बाहुबली का बजरा आ निकला। उस आदमी ने विनोद में इनसे पूछा कि, "महाराज, गंगा जी के तल में क्या होगा ?"
महाराज ने आव देखा न ताव, कह दिया,गंगा जी में? खरगोश होगा,और क्या!
कहाँ तो वह बाहुबली महाराज जी को श्रद्धावश कुछ दक्षिणा देने की सोच रहा था,कहाँ यह उलटबाँसी सुन कर वो तिनक गया।
महाजाल डालो तीन बार,वो गरजा,"।अगर खरगोश निकले तो महाराज का घर भर दो।न निकले तो इस ऐंठ का इनको फल
चुकाना होगा।" एक दो लोगों ने सुदर्शन जी को इशारा किया कि माफी माँग लें।
सुदर्शन जी माफी माँगने वाली मिट्टी के बने नहीं थे। वो अपने वक्तव्य से टस से मस न हुये।
जाल पड़ा। कुछ न निकला। दूसरी बार पड़ा। कुछ न निकला। सुदर्शन जी के माथे पर शिकन तक न आई।
"अभी तीसरी बार बाकी है, भाई",
एंटी रोमियो स्क्वाड की कार्रवाई के बाद गांव की एक प्रेमिका का अपने प्रेमी को लिखा दिल को छू लेने वाला ख़त--
डियर कालीचरन उर्फ "कल्लू" जी,
अब कहें त कहें का? बस इतना समझिये कि आपकी कल पिटइया के कारन हुई दुर्दशा देख के हमरा करेजा सूख गया है। जब से घर आये हैं मन करता है कि
अपने को मुक्का मार मार के परान दे दें। का कहें ऐ डार्लिंग, जब एंटी रोमियो वाला सिपाही जी आपका बोखार झार रहा था तो हमको अइसा बुझा रहा था कि लाठी आपके पीठ पर नहीं बल्कि हमारे दिल पर गिर रहा है। मन करता था कि सिपाही का मूड़ी मड़ोर के चूल्ही में झोंक दें, लेकिन का करें मजबूर थे।
पता नहीं मुंहफुकउना कउन कॉलेज में रोमियो लोग को थूरने का कोर्स किया था?
अच्छा छोड़िये ई सब। जहां जहां ज्यादा दुखा रहा है वहां ठीक से हरदी-चूना छाप लीजियेगा। अउर कमर में तनी कडुआ तेल में लहसुन पका के मलवा लीजियेगा, अउर ज्यादा चिंता मत करियेगा, काहे कि-
"गाय कौन जे खाये ना?
एक पर्वत श्रृंखला के ऊपर एक रनवे बनाया गया था.....
एक विमान यात्रियों से भरा खड़ा था और..... 👍
पायलट अभी तक नहीं आया था..... 😃
अचानक यात्रियों ने हाथों में सफेद छड़ी लिए दो लोगों को आंखों पर काला चश्मा लगाए अंदर आते देखा.....
जो कॉकपिट में चले गए.. 👍
यात्री आपस में कहने लगे कि दोनों पायलट अंधे हैं !
स्पीकर पर आवाज़ आई.....
मैं पायलट सुरेश जहाज़ का कप्तान बोल रहा हूं..... मेरे साथ कप्तान रमेश मेरे सह-पायलट हैं....
ये सच है कि हम दोनों अंधे हैं लेकिन.......
जहाज़ के उन्नत उपकरण और हमारे व्यापक अनुभव को देखते हुए
चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है.... 👍
हम आसानी से जहाज़ उड़ा सकते हैं,हमने अनगिनत बार जहाज़ उड़ाया है.... 👍
यात्रियों की चिंता थोड़ी कम हुई लेकिन फिर भी सहमें हुए थे ..... 😃
खैर, इंजन स्टार्ट हुआ..... विमान रनवे पर दौड़ने लगा....
दोनों तरफ खाई थी..... 😎
नोट- बैंकर मित्र अन्यथा न लें।🙏🙏
एक बार एक महिला अपना पसंदीदा रूमाल बैंक में कैश
काउन्टर पर भूल जाती है।
कैशियर यह सोचकर रूमाल अपने पास रख लेता है कि जिसका भी होगा वो आकर ले जायेगा,लेकिन गलती से अपने आदत के मुताबिक कैशियर द्वारा उस रुमाल पर 2 - 4 stamps लग जाता है।
कुछ समय पश्चात वह महिला आकर अपना रूमाल
मांगती है तो कैशियर उसे उसका रूमाल वापस दे देता है।
जैसे ही वह महिला अपने रुमाल पर बैंक का stamps देखती है तो गुस्से में तमतमाते हुए कैशियर को बोलती है.." ये आपने क्या बेवकूफी किया, मेरा कीमती रूमाल खराब कर दिया,दिमाग नाम की चीज़ है भी कि
नहीं आपके पास "।
कैशियर को भी उस महिला की बातों को सुनकर क्रोध आ गया औऱ फ़िर उसने जबाब दिया." आपको किसने
कहा था यहां रूमाल छोडकर जाने के लिए, हम नौकर नहीं हैं आपके.सरकार हमें बैंक का काम करने के लिए तनख्वाह देती है नकि आपके रूमाल की रखवाली करने के लिए, चलिए फुटीए यहाँ से जल्दी "