तानाशाह से तआल्लुक रखनेवाली हर खबर आग होती है।तानाशाह मसोलनी को,गोली मार कर उसके शव को,उसी मिलान शहर के चौराहे पर लटकाया गया था,जहां से वह दो दमकते सपने दिखाए थे - “हम रोम की महानता को वापस लाएँगे। “ “हम मैदान से भागें तो , हमे यही चौराहे पर गोली मार देना। “ और उसी चैराहे पर
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मसोलनी की लाश , उसकी प्रेमिका की लाश के साथ लटका दी गयी है । मसोलनी के मौत की खबर से ज़्यादा हैबतनाक वह खबर रही जो मुसोलनी की लाश के साथ हो रहा था ,तानाशाह के रुआब , दब दबे और ख़ौफ़ से उपजे पूजा भाव के अंदर दबी मफरत और घृणा की चिनगारी कैसे फूटती है ,उसे इतिहास दर्ज करता है ।
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मुसोलनी और उसकी प्रेमिका क्लारेता पेटाची की लाश चौराहे पर उल्टी कर के लटकायी गयी थी भीड़ में इतनी नफ़रत थी की उसने शव को नीचे उतारा बूटों से रौंदा,एक औरत ने मुसोलनी की लाश को पाँच गोली मारी क्यों की उसके पाँच बच्चों को इसी चौराहे पर गोली मारी गई थी,इतिहास बताता है - एक औरत आई
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उसने अपना स्कर्ट उठाया और मुसोलनी के मुह में पेशाब कर दिया ।मिलान से चली यह खबर हिटलर तक पहुँची ,वह अंदर तक हिल गया , मौत से ज़्यादा ख़ौफ़नाक लगा वह मंजर , जो किसी स्वेच्छाचारी तानाशाह की मौत के बाद उसकी लाश के साथ होता है । इतिहास मौत की खबर से ज़्यादा तवज्जो , मौत के बाद की
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घटनाओं को देता है । इसलिए हिटलर चाहता था मौत के बाद उसकी लाश ही न मिले । इसी लिए वह ज़मीन के अंदर बंकर में गया । मौत की गारंटी के लिए तीन साधन लिया - साइनाइड , बंदूक़ की गोली और पेट्रोल । बिडंबना देखिए यहूदियों के सफ़ाये के लिए यही सारे साधन हिटलर द्वारा अपनाए गये थे ,
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वही साधन एक तानाशाह खुद अपने लिए तय करता है।
ताज़ा घटना है ,श्री लंका की।प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे की महान राष्ट्रवादी सोच और प्रचार भारी भरकम जलसों - जुलोसों के नीचे भुखमरी ,महगायी ,तबाही,बेरोज़गारी की चिंगारी सुलग रही थी,जब बर्दाश्त के बाहर हो गयी तो नतीजा सामने है।
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प्रधान मंत्री इस्तीफ़ा देकर भाग चुका है , उसका घर जला दिया गया है , आगज़नी , लूटपाट जारी है । राज पक्षे के समर्थक जो कल तक , अपने हक की माँग कर रहे प्रदर्शन कारियों पर हमला कर रहे थे , अब ग़ायब हैं ।
नीचे चित्र में - प्रधान मंत्री का जलता घर है #तानाशाह
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भजपइय्या और संघियों का विज्ञान हो या गणित वो कट्टर हिन्दू टाइप का ही होताहै जिसका न सर होता है ना पैर लेकिन होता है।
उत्तराखण्ड की हिन्दू सरकार देवभूमि के बृद्धों के लिये पेंशन योजना लाई है।जिसमें पहली शर्त ये है कि पेंशन उस वृद्ध को मिलेगी जिसका बेटा20वर्ष से कम आयु का होगा।
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अगर बेटा 4000 रू महीना कमाता है तो पेंशन नहीं मिलेगी।
मतलब साफ है कि कमजोर आर्थिक तबके का कट्टर हिन्दू 40 साल से पहले बच्चे पैदा नहीं कर सकता, बयालीस तेतालीस साल की उम्र में पहला बच्चा पैदा करेगा ,तो विश्व हिन्दू परिषद और RSS को दान करने के लिये बाकी के बच्चे कब पैदा करेगा ?
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अब 45 की उम्र में बच्चा पैदा करने के बाद यदि वो बच्चा चार हजार रूपये कमाने लगे तो जाहिर है कि वो संघियों के अब्बा अडानी और अंबानी को चुनौति देने लगेगा , इसलिये उसके बूढ़े मां बाप को पेंशन क्यों मिलनी चाहिये ?
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बीती रात इतनी गर्मी थी कि ए सी भी सकून की नींद नही दे सका जिसके कारण सुबह उठने में देर हो गई।
क्योकि हमारे आसपास हरियाली बहुत हैं और विभिन्न प्रकार के परिंदे भी बहुतायत मे है तो अपनी बड़ी सी बालकोनी मे हम उनके लिए खाना पानी रखते हैँ जिन्हे देखकर अच्छा लगता है।
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दूसरे कोने में बचे हुए फलो के टुकड़े,दही मे भीगी रोटी और अंडे भी रख देते हैं जिनके लिए कौवो का समूह वक्त पर हाजिर हो जाता हैं।
आज देर हो गई तो दो कमबख्त मारे कौवे मेरी खिड़की पर चोंच मारकर शोर मचाने लगे।
बेशक उनकी भयानक चीख पुकार से अहसास हुआ जैसे कह रहे हो कि हराम खोर खुद तो
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माल अंदर करके आंटी के साथ पसरा पड़ा है,हमारा हिस्सा तो रख देता !
अपनी तमाम संवेदनशीलता उड़ गई, हमने हरी पगड़ी लपेटी,बंदूक उठाई और वही से बोल दिया
"चला जा खोपड़ी के, श्रीलंका बन जा गा नहीं तो"
उसके बाद अभी तक कोई नज़र आया नहीं, वैसे सबसे धूर्त परिंदा ऐसे ही नहीं कहलाता जी 🐵
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सपोज़ आप 20 लोग किसी जंगल में हैं,सामने रास्ते पर 2 तगड़े कुत्ते सोए हैं,तुम भी आगे बढ़ रहे हो,अचानक कोई तुम्हे रोक कर कहे ये कुत्ते नही काले शेर हैं थोड़ी देर आप भी ध्यान से उनके सोते हुए खर्राटे सुने और वह बंदा तुम्हे यकीन दिलादे कि यह कुत्ते के खराटे नहीं बल्कि 1
शेर के गुरराने की आवाज है।
और वह बंदा आप 20 लोगों को उन सोए हुए दो कुत्तों से खतरनाक काले जंगली शेर बता कर इतना डरा दे कि आपको लगने लगे कि अगर इन शेरों की आंख खुल गई तो तुम 20 के 20 को खा जाएंगे,, तब वह आपको सचेत करने वाला बंदा यह और यकीन दिला दें कि उसके पास ऐसे
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हथियार मौजूद है कि वह आप लोगों की रक्षा करेगा और इन शेरों को मारकर या घायल करके आप लोगों को रास्ता पार करा देगा।
और फिर इन डरे सहमे लोगों को कोई एक ओर दूसरा आदमी आकर कहे कि आओ मेरे साथ, डरो नहीं, यह कुत्ते हैं कुछ नही कहेंगे,तो आप किस पर यकीन करोगे और किसे अपना रक्षक चुनोगे।।
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ललनापुर के कट्टर हिन्दू राजा सिंघम शर्मा ने अपनी राजधानी में विष्णु भगवान के तीसरे अवतार वराह को समर्पित एक भव्य मंदिर बनाया, उस मंदिर को लोग बराहसिंघम मंदिर कहते थे!
1700 ई0 में कट्टर हिन्दू राज बचपन की गलतियों के कारण कमजोर पड गया तो,
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यूरोप की गुफाओंमें रहने वाले आदिवासियों ने ललनापुर पर कब्जा कर लिया और मंदिर को तोड कर वहीं पर राजा का महल बना दिया ।
ललनापुर के प्राचीन महान कट्टर हिन्दू इतिहास को वामपंथियों ने गलत लिखा और ललनापुर का नाम लंदन बता दिया और बराहसिंघम मंदिर को बकिंघम पैलेस बना दिया ।
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मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब जा के संघियों ने इस बात को खोज निकाला, अब बकिंघम पैलेस को वापस बराह मंदिर बनाना है और लंदन को ललनापुर !
दीनदयाल यह सब जान के बेहद रोमांचित था, बराह मंदिर न्यास का गठन हो चुका था, चंदे की रसीदें छप कर टेबल पर आ गयीं थीं कि
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