I get mixed feelings looking at this video. On the one hand, I feel happy that historical justice will be served to Pauranik whose temples were destroyed.
On other hand feel pity for them. They will again worship a stone which could not protect itself. People use to gargle on it
But so-called Vishveshwar can't do anything about it.
This reinforces my belief that Murtipooja is just a fraud. It can not lad you to Brahm.
There is no mention of it in Veda.
The Sooner we return to the path of Veda, the better it will be. #BabaMilGaye
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Moortipooja is not Vaidik form of worship. The Question of its being superior or inferior arise when we accept it as a form of worship. Yajurveda 40.9 clearly mentions that who worship Moorti falls in Darkness.
Moortipooja is a cheap short cut invented by some fools who cannot perform detail Sadhana as per Vaidik Parampara. But this short cut never takes you to the destination.
Bhakti in itself is futile unless you do Bhakti of ishwara. What is I do Bhakti of my dog? Will I realise Brahm? No. Similarly, bhakti of stone does not yeild any result.So do Bhakti of Ishwara.
मूर्ख! अपने पुराण तो ठीक से पढ लेता तो अपने ही पुराणवाले का गला काट देता!
एक भी महापुरुष तथा ऋषि नहीं है, जिनके चरित्र पर पुराणमें कलङ्क ना लगाया हो।
श्रीराम पर पत्नी की अग्निपरिक्षा, सगर्भापत्नी का त्याग और तापस के वध का कलङ्क, श्रीकृष्ण पर परस्त्री सम्भोग और समूहमैथुन का कलङ्क,
ब्रह्मा पर अपनी पत्नी पर आसक्त होने का कलङ्क, विष्णु पर वृन्दा का बलात्कार करनेका कलङ्क, शिव पर अनुसूया का बलात्कार करनेका कलङ्क, इन्द्र पर अहल्या का बलात्कार करनेका कलङ्क, अग्नि पर शिव के वीर्य हो हाथमें धारण करने का कलङ्क, सूर्य पर अपनी भतीजी से विवाह कर नाक में मैथुन का कलङ्क
वायु पर अञ्जना का बलात्कार करनेका कलङ्क, चन्द्र पर अपनी गुरुपत्नी पर आसक्त होने का कलङ्क, ब्नृहस्पति पर अपनी सगर्भाभाभी से बलात्कार करने का कलङ्क, लिस्ट बहुत लम्बी है।
पराजय का आभास होने पर स्वयं भाग रहे है यह कह कर की अब प्रश्न मत पूछना। अब हमारे पास उत्तर नहीं है।
१. यह रहाँ बृहदारण्यक उपनिषद के मन्त्र २.४.१० का शाङ्करभाष्य। उसमें उनहोंने इतिहास शब्द की व्याख्या करते हुए ब्राह्मणग्रन्थ का प्रमाण दिया है।
आज से हम श्रीमद्देवी भागवत पुराण कि मीमांसा का आरंभ करते है। देवी भागवत पुराण कि मीमांसा का उद्देश उस में जो वेदविरोधी बाते है उसे प्रकाशमें लाना है। हमारा दृढ मत है कि लोग अगर पुराण का मूल पाढ पढेंगे तो अपने आप उसमें से विश्वास उठ जायेगा।