ऋषि उवाच Profile picture
॥ओ३म्॥ ॥ परमात्मने नमः ॥ ॥ सनातनधर्म वैदिक की जय हो॥ महर्षि दयानंद और राजर्षि मोदीजी का अनुयायी Telegram - https://t.co/giWuRWlDUL
প্রদীপ্ত মৈত্র (Pradipto Moitra) Profile picture 1 subscribed
Apr 6 11 tweets 3 min read
वामपन्थीओ द्वारा सनातनधर्म पर यह आक्षेप लगाया जाता है की सनातनधर्म में स्त्री को एक वस्तु मानकर विवाह के समय उसका कन्यादान किया जाता है। बोलिवुड के प्रभाव में आया हुआ हिन्दू भी कन्यादान को सत्य मान चुका है।

लेकिन हमारे वैदिक शास्त्र में कन्यादान शब्द है ही नहीं, पाणिग्रहण संस्कार है। इस संस्कार में वर द्वारा अपने दाहिने हाथ द्वारा कन्या का दाहिना हाथ पकडा जाता है।

पाणि का अर्थ है हाथ और वर द्वारा कन्या का हाथ ग्रहण करने के कारण यह संस्कार को पाणिग्रहण कहा जाता है।

कुछ प्रमाण देखते है। आश्वालयन गृह्यसूत्र १.७.३ में पाणिग्रहण का वर्णन है। ऋग्वेद (10.85.6) के विवाहसूक्त के मन्त्र 'गृ॒भ्णामि॑ ते सौभग॒त्वाय॒' बोलकर वर द्वारा अपने दाहिने हाथ से कन्या का दाहिना हाथ ग्रहण करना लिखा है।

इस सूत्र में कन्यादान शब्द नहीं, ना ही कन्यादान की कोई विधि का वर्णन है।

आश्वालयन गृह्यसूत्र एक वेदाङ्ग है।Image
Jan 1 12 tweets 4 min read
महाभारतयुद्ध के बाद भारत का इतिहास क्या रहा?

महाभारतयुद्ध तक का तो भारत का इतिहास ब्राह्मणग्रन्थ और महाभारत आदि ग्रन्थो में सुरक्षित है। परंतु उसके बाद का इतिहास खोजना बहुत ही मुश्कील है। Image महाभारतकाल में सूर्यवंश का प्रभुत्व नहीं दिखता। वह तब बडी सत्ता नहीं रहे थे। महाभारत में सूर्यवंशी बृहदबल मारा गया। उसका पुत्र उरुक्षय, फिर वत्यव्यूह, प्रतिव्योम शासक बने। परंतु उनका प्रभाव सीमित था। अंत में दिवाकर हुआ जो पांडवो के वंशज अधिसीमकृष्ण का समकालिन था। इसके बाद आर्षकाल समाप्त हुआ।Image
Jul 5, 2023 9 tweets 3 min read
क्या हमारे इतिहास के ग्रन्थोमें सतिप्रथा का वर्णन मिलता है?

सती जैसी अमानुषि प्रथा के बचाव में पौराणिक द्वारा अनेक ऐतिहासिक उदाहरण दिये जाते है और सिद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है की प्राचीनकाल से सतीप्रथा प्रचलनमें थी।

इस विषय में कुछ ऐतिहासिक तथ्य है उसे देखते है। सब से प्रचलित उदाहरण माद्री का है - जिसने पाण्डु के साथ सहगमन किया था। वास्तवमें माद्री के मोह के कारण पाण्डु का निधन हुआ था, इस अपराधबोध के कारण माद्रीने मरना पसन्द किया था। वह इस कलङ्क के साथ जीवीत नहीं रहना चाहती थी। इसी लिए उसने मरना पसन्द किया, इसे सती नहीं माना जा सकता।
Jun 9, 2023 5 tweets 2 min read
महिलाए टपोरी लडको के प्रेम में क्यों पड जाती है?

हमने अनेक बार देखा है की अच्छे घर की लडकीया भी एकदम टपोरी या सडकछाप लडको की मीठीमीठी बातोमें फंसकर अपना जीवन नष्ट कर देती है।

इसका कारण हमारे ऋषिओने शतपथ ब्राह्मणमें एक आख्यान द्वारा समझाया है।

शतपथ ३.२.४ की कथा समझते है। Image सोम नामक औषधि को गंधर्वोने चुरा लिया और अपने पास रख लिया। सोम के बिना यज्ञ करना असंभव था।

इस लिए देवताओने सोचा की गंधर्वो को स्त्रीया अधिक पसंद होती है। इस लिए उसको गंधर्वो के पास भेजते है। वह सोम लेकर आ जायेगी।

इस लिए वाणी को गंधर्वो के पास भेजा गया।
May 14, 2023 14 tweets 4 min read
This is how idiots spread propaganda and fool common Hindus. He has zero understanding of the law and the Constitution but pretends to if a legal expert.

Let's expose his lies one by one. 1. He claims that in India only Muslims, Parsi, Jain, etc are a minority. Hindus are not a minority and hence cannot claim the benefit of minority status.

The fact is - as per Article 29, the minority is based on religion as well as language and script. Image
May 13, 2023 4 tweets 1 min read
यज्ञ करने का स्थान कैसा होना चाहीए?

सनातनधर्म में यज्ञ का अत्यंत महत्व है। यज्ञशाला और वेदिनिर्माण के लिए भी हमारे शास्त्रोमें अनेक नियम बनाये हुए है।

शतपथ ब्राह्मण ३.१.१ में यज्ञस्थल कैसा होना चाहीए उसकी मीमांसा करी गयी है। Image यज्ञ करने का स्थान सबसे ऊॅंचा होना चाहीए। अगर अन्य भूमि यज्ञस्थल से ऊॅंची हुई तो यज्ञस्थल उससे नीचा हो जायेगा।

यज्ञस्थल चौरस होना चाहीए तथा स्थिर होना चाहीए। वह घुमता हुआ नहीं होना चाहीए।

यज्ञस्थल पूर्व या उत्तर की और झूका रहना चाहीए और पश्चिम की तरफ फैला हुआ होना चाहीए।
May 12, 2023 14 tweets 3 min read
क्या पितृयज्ञ और पिण्डदान एक ही है?

आजकल हिन्दूओ में अपने मृत पूर्वजो के नाम पर पिण्ड बनाकर जलमें बहाने का चलन देखा जाता है। इसे पितरों का श्राद्ध बताया जाता है और पितृयज्ञ से जोडा जाता है।

क्या यह पितृयज्ञ का सही अर्थ है?

शतपथ ब्राह्मण २.६.१ में पितृयज्ञ का विस्तृत वर्णन है। Image शतपथकारने पितृयज्ञ करने के दो कारण दिये है।

१. यह यज्ञ करने से मृतप्रायः पितर पुनर्जीवीत हो जाते है। देवताओने यह यज्ञ किया था।

यहाँ सीधा सीधा जीवीत पितरों की बात है। जो पितर रोगग्रस्त या जिर्ण हो गये हो उनको नवजीवन देने के लिए यह यज्ञ करने की बात है।
Apr 20, 2023 6 tweets 2 min read
Dr Mayaben Kodnani was a Pakistani refugee whose family left their ancestral home to escape religious oppression.

Instead of complaining about it, she choose to study and became a genealogist.

She use to treat port patients for free. #naroda #NarodaCase #NarodaPatiya Image Many of her clients were Muslims who use to receive free treatments from her.

But the same people chose to throw her under the bus as she was Minister in the Modi government. Through her, they wanted to target Modi.

They wanted to stop Modi at any cost.
Apr 19, 2023 8 tweets 2 min read
क्या आप को पता है - श्रीरामने आज के दिन रावणवध किया था? असली दशहरा आज है?

रावण का वध अश्विन शुक्ल दशमी को नहीं हुआ था, यह हम इस सूत्रमें देख चूके है।

वास्तवमें चैत्र कृष्ण चतुर्दशी को श्रीरामने रावण का वध किया था, जो आज है। Image पद्मपुराणमें यह तिथि मिलती है और वाल्मीकि रामायण की तिथिओं से मेल खाती है। श्रीराम के जीवन के मुख्य घटनाक्रमो की तिथि - पद्मपुराण के अनुसार देखते है।

चैत्र शुक्ल ९ - जन्म
चैत्र शुक्ल १० - वनवास का आरंभ (आयु २७ वर्ष) Image
Mar 15, 2023 7 tweets 3 min read
गर्भनिर्माण की प्रक्रिया - सनातनधर्म का विज्ञान

बालक माता के गर्भ में कौन सी स्थितिमें होता है और उसकी मनोस्थिति क्यां होती है, वह हंमेशा से सब की जिज्ञासा का विषय रहा है।

आजकल 4D/5D सोनोग्राफी के कारण गर्भ की शारीरिक स्थिति को जानना आसान हो गया है। लेकिन मनोस्थिति को जानना आज… twitter.com/i/web/status/1… Image हमारे ऋषियोंने इस विषय पर गहन चिंतन किया है और अपना ज्ञान का लाभ समाज को दिया है। महर्षि पिप्पलादनें गर्भोपनिषद् में गर्भ की विविध अवस्था का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है।

१. ऋतुकाल में संभोग से उत्पन्न गर्भ एक रात्रीमें एक छोटी बूंद जैसा होता है।

२. सातरात्रीमें वह एक बडे… twitter.com/i/web/status/1…
Nov 21, 2022 9 tweets 4 min read
Yesterday, Islamist and Communist celebrated the birth anniversary of #TipuSultan as #TipuSultanJayanti.

Do you know who was the most trusted ally of Tipu? - Shankaracharya

Let us learn how so called Jagadguru blessed Tipu Sultan, ditching Sanatan Dharma. The Entire Narration has been taken from "The Records of the "Sringeri Dharmasthana" - A Book by Dr. A K Shastry.

The Book has been published by Shringeri Math itself. So, it is authentic history of the matha.
Nov 19, 2022 7 tweets 2 min read
तप्तमुद्रा धारण - एक अवैदिक परम्परा

जैसे ईसाईमें बापिस्ता होता है और मुसलमानोमें सुन्नत करवाते है, वैसे ही दक्षिण भारत के वैष्णव मठोमें धर्म का छापा लगवाने की परम्परा है, जिसे तप्तमुद्रा बोलते है।

यह परम्परा का सनातनधर्म से कोई लेना देना नहीं, केवल अन्धश्रद्धा है। Image इस परम्परामें आचार्य अपने कल्ट को माननेवाले अनुयायी के शरीर पर गरम ताम्बे की मुद्रा छापता है।

यह अमानुषि परम्परा के अन्दर, तांबे को अग्निमें गरम किया जाता है और अनुयायी के शरीर पर लगाया जाता है। सामान्यतः शङ्ख, चक्र, गदा आदि प्रतिको की मुद्रा बनायी जाती है।
Nov 18, 2022 4 tweets 1 min read
सनातनधर्म में आजकाल अनाश्रमी लोगो की संख्या बढ रही है।

ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास यह चार आश्रममें से एक में भी स्थित ना हो, उसे अनाश्रमी कहते है।

अनेक युवान और युवती आजकल अभ्यास करने के बाद विवाह करना नहीं चाहते। अपनी नौकरी करते हुए अविवाहित रहना पसंद करते है। Image वह ब्रह्मचारी नहीं है क्यु की वह आश्रम की मर्यादा का पालन नहीं करते।वह गृहस्थ भी नहीं है क्यु की उनहोने विवाह नहीं किया है। संन्यासी भी नहीं है क्यु की संसार को नहीं छोडा है।

यह लोग आश्रम व्यवस्था को जानेअंजाने में नष्ट कर रहे है। वह स्वयं की मस्ती में है, धर्म से कुछ नाता नहीं।
Nov 16, 2022 8 tweets 2 min read
हिन्दू समाज के पतन का सब से बडा कारण है, हम भोजन सम्बधित आचारशुद्धता को छोड चूके है।

हम जैसा खाते है, वैसा हमारा मन बनता है। पहले के समयमें भोजन पकाते समय शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता था। बिना नहाये किचनमें प्रवेशना भी वर्जीत था। लेकिन आज आधुनिकता के नाम पर बिना नहाये किचनमें प्रवेशना तो छोडो, बिना नहाये भोजन भी बनाया जाता है। किचनमें काम करने से पसीना होता है, इसलिए बारबार नहाना ना पडे महिलाये सुबह नहाये बिना ही रसोई बना लेती है।

जब शुद्धता के साथ भोजन नहीं बनता, तो वह भोजन हमे शुद्ध विचार कैसे देगा?
Nov 15, 2022 13 tweets 3 min read
श्रद्धा और आफताब वाले प्रकरण को भी हम थोडे दिनमें भूल जायेंगे। सवाल यह है की इन सब की जड क्या है? में मेरे विचार रख रहा हूं। १. अधिकारो की बात करना, जिम्मेदारी से मुह मोडना

श्रद्धा को यह मालुम था की वह २५ वर्ष की हो गयी है और अपना निर्णय स्वयं लेना उसका अधिकार है। लेकिन उसे यह मालूम नहीं था की २५ वर्ष के युवा की जिम्मेदारी क्या होती है।
यह बात आजकल के सारे युवा पर लगती है।
Nov 14, 2022 10 tweets 2 min read
ब्रह्मा कौन है?

पुराणोमें ब्रह्माजी का अनेक स्थान पर वर्णन मिलता है। ब्रह्मदेव को चतुर्मुखी बताया जाता है तथा उनके हाथमें पुष्प, कमण्डल, माला और वेद दिखाये जाते है। उनहे सफेद दाढीवाला वृद्धपुरुष दिखाया जाता है। उनहे सृष्टिका सर्जक माना जाता है। Image वास्तवमें ब्रह्माजी का यह चित्रण प्रतिकात्मक है। वेद और उपनिषदमें ब्रह्मा शब्द के जो विविध अर्थ होते है उनको समझाने के लिए ऐसा चित्र बनाया जाता है।

ब्रह्मा शब्द किसी व्यक्ति को नहीं पद को दर्शाता है।
Oct 4, 2022 17 tweets 8 min read
क्या #दशहरा के दिन सचमें रावणवध हुआ था?

सामान्यजनो की यह मान्यता है की श्रीरामने #Dussehra के दिन #Ravana का वध किया था। इसी लिए आज के दिन #रावणदहन भी किया जाता है।

लेकिन हमारे कोई भी शास्त्रमें यह नहीं लिखा की रावणवध दशहरा को हुआ था। दशहरा तो छोडो, उसके आसपास भी नहीं हुआ था। Image क्रिष्किन्धाकाण्ड सर्ग २६

श्रीराम सुग्रीव को कह रहे है की कार्तिकमास आने के बाद रावणवध के लिए प्रयत्न करना। तब तक तुम महलमें रहकर आनन्द करो।

दशहरा अश्विनमासमें आता है। कार्तिकमास तक तो श्रीराम क्रिष्किन्धामें ही थे। तो उन्होने दशहरे को रावणवध कैसे कर दिया? Image
Oct 4, 2022 9 tweets 3 min read
क्या मन्दिर लवजिहाद फेला रहे है?

कुछ नवीन वेदान्ति आर्य समाज पर आक्षेप करते है की आर्य समाज के मन्दिरमें लवजिहाद होता है।

लेकिन सत्य यह है की १० में से ९ लवजिहादवाले विवाह पौराणिको के मन्दिरमें ही होता है।

थ्रेड १. यहाँ पर कामाख्या मन्दिरने विवाह करवाया।
Aug 14, 2022 6 tweets 2 min read
शांकरमत को नवीन वेदान्त क्युं कहते है?

प्रछन्न बौद्ध नवीन वेदान्ति स्वयं को वेदान्त परम्परा का जनक बोलते है। लेकिन सत्य यह है की वेदान्त परम्परा तो शंकराचार्य से भी प्राचीन है।

ब्रह्मसूत्र के भाष्यमें शंकराचार्यने भी अनेक पूर्व आचार्यो का वर्णन किया है। वह प्रथम नहीं थे। वास्तवमें वेदान्त पर सब से प्राचीन और विस्तृत कार्य आचार्य बोधायनने किया था। ब्रह्मसूत्र पर उनकी वृत्ति इतनी विस्तृत थी की अनेक आचार्यो को वह संक्षिप्त कर पढाना पडता था।

इस प्रकार वेदान्त के सब से प्राचीन आचार्य बोधायन थे, शंकर नहीं।
Jul 16, 2022 8 tweets 2 min read
हमारे प्रामाणित ग्रन्थ की सूचि

अगर इस सूचिमें कोई नाम जोडना चाहे तो कल दोप्रहर २ बजे तक सूचित करे। @shandilyasmi @TheDharmaTweets @vedaechoesji

चार वेद – मूल

ब्राह्मणग्रन्थ – ऐतरेय, शतपथ और गोपथ

आरण्यक – ऐतरेय उपनिषद् – ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, श्वेताश्वर, छान्दोग्य, बृह्दारण्यक, वज्रसूचिका

मूल दर्शन – (प्रक्षेप दिवाय के) वैशेषिक, न्याय, योग, साङ्ख्य, पूर्वमींमासा, उत्तरमींमासा

वेदाङ्ग –यास्ककृत निरुक्त, अष्टाध्यायी के मूल सूत्र
Jul 11, 2022 8 tweets 3 min read
महुआने हिन्दूधर्म पर जो आरोप लगाए थे, उस के मूल में है करपात्री जैसे ढोंगी धर्मगुरु, जो हिन्दूधर्म में पशुबली का समर्थन करते है। उनके जैसे वाममार्गी साधुओ के कारण सनातनधर्म में पशुहत्या को बढावा मिलता है। महर्षि दयानन्दने वेदोमें पशुबलि नहीं है वह सिद्ध किया। तब करपात्रीजीने अपनी पशुता का प्रदर्शन करते हुए वेदो का विकृत भाष्य लिखा जिसमें उनहोने पशुहिंसा का विधान दिया।

यज्ञ जैसे पवित्र कार्य को हिंसात्मक बना दिया।