पापा लोगों को समझना स्टॉक मार्केट समझनें से भी कठिन होता है, बिलकुल भी समझ नहीं आते!
बात कुछ 15-20 साल पुरानी होगी, जब बचपन में हमारे यहाँ गर्मियों में छत ठण्डा करनें के लिए पानी डाल दिया करते थे! 🧵 #FathersDay2022
आल इंडिया रेडियो पर आकाशवाणी विविध भारती चैनल, इलाहाबाद केंद्र से हर रात 9 बजे समाचार प्रसारित करता था!
ठंडी हवा, छत पर रात का खाना, बिजली चले जानें पर एक मिट्टी के तेल का लारटेन हुआ करता था, जिसकी ढेबरी में कालिख साफ़ कर देने पर वो आज के 100 वाट और LED बल्ब को भी फेल कर देता।
2 साल की उम्र में ही हनुमान चालीसा के 'बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार' से लेकर अंकगणित सिखाना, रामायण और महाभारत की कहानियां, माधव और भीष्म पितामह की गरिमा, भगत सिंह की क्रांति और दुनिया भर का इतिहास और भूगोल, पापा सब कुछ सिखाते!
हर रविवार सुबह टीवी पर रामानंद सागर का 'कृष्णा' हमारे बचपन का बेसिकली Harry Potter रहा!
शिक्षा हमें विरासत में मिली, दादाजी शिक्षक थे, पापा शिक्षक हैं! बचपन से ही उनको बच्चों को स्कूल और घर पर पढ़ाते देखा!
उनके ही स्कूल में 10+2 तक की पढाई होने के कारण नियम संयम, एकेडेमिक्स में हमेशा अव्वल रहनें के प्रेशर नें कम उम्र में ही जिम्मेदारियां लेना सीखा दिया!
कंप्यूटर और साइंस का बैकग्राउंड होने के बावजूद भी पापा से एकाउंटिंग और बैंकिंग सीखने को मिला!
कुछ 5-6 साल के थे तब से ही बैंक और LIC का मतलब समझाना शुरू कर दिया था, मितव्ययिता और नैतिकता की सीख दी.
वो किस टाइम सुबह उठते हैं, हमनें शायद ही कभी देखा, एक तो ये सरे दुनिया के पापा लोग 4 बजे उठ कर कुछ कुछ तो करने लग जाते हैं.
जल्दी नहाकर पूजा पाठ इत्यादि करने के बाद सुबह 6 से शाम 6 तक कत्तई नियम कानून समर्पण से बच्चों को पढ़ाना!
वो आज भी साइकिल से चलते हैं, स्कूटर और कार की बात पर पर्यावरण पर प्रभाव, पेट्रोल की कीमत और अपनी दादी की दी हुई साईकिल वाली कहानी सुनाते हैं!
लकड़ी की तख़्त और जो ज्यादा गर्मी हो तो ज़मीन पर ही सो जाते हैं! खानें में आज भी हरी सब्जियां और सलाद बहुत पसंद है उन्हें! अपनें लिए आज भी कभी कुछ नहीं खरीदते पर हमें कभी भी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी, मतलब एकदम मिनिमलिस्टिक टाइप!
पापा ने हमेशा से ही मेरे लिए सारे फैसले, मेरी सारी इच्छाओं का सम्मान किया, हर उस संसाधन को उपलब्ध कराया जिसनें हमें आगे बढ़ने में मदद की, पापा नें हमेशा सिखाया की अच्छे चरित्र और ईमानदारी से बड़ा कुछ भी नहीं,
कर्म हमेशा ऐसा हो चाहिए जिससे सोते वक़्त नींद अच्छी आये. धर्म, कर्म अध्यात्म, साहित्य और दर्शन तुम्हारी ज़िन्दगी के पांच आधार स्तम्भ होनें चाहिए!
हमेशा ध्यान रहे की जीवन का उद्देश्य क्या है? घर-परिवार, समाज के साथ देश के लिए क्या किया? और लोग तुम्हे किस लिए जानेंगे?
उनके सामनें ये सब बोलना पहाड़ जैसा लगता हैं पर अगर ये पोस्ट घूमते फिरते आप तक किसी तरह पहुँच जाती है तो पापा हमारा नाम, पहचान, अस्तित्व आप से है|
आपकी दी हुई सारी सीख साथ है और हमेशा रहेगी, अब तक आपका सर फक्र से ऊँचा रखा है और आगे भी रहेगा!
और बाकि सब तो ठीक है, सुबह जल्दी उठने की आदत में अभी थोड़ा सुधार आ गया है| अच्छा! लव यू पापा! ❤️
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