कांग्रेसी और कम्यूनिस्ट दोनो चाहे विधायिका मे हो!चाहे न्यायपालिका मे हो!चाहे कार्यपालिका मे हो!ऐसी ही गंदगी और अन्याय फैलाते है जैसे आज सुप्रीम कोठे के विधायी नैतिकता के विपरीत अवांछनीय टिप्पड़ियों से नूपुर शर्मा के विषय मे फैली हैं!
यदि इन अवांछित टिप्पड़ियो से प्रोत्साहित हो
कोई आतंकवादी नूपुर शर्मा को जान से मार दे (जैसी कि पहले से ही ह़ै)तो क्या ये बेलगाम टिप्पड़ीकर्ता का उत्तरदायित्व नही होगा?
आतंकवाद को प्रोत्साहन देनेवाले हेट स्पीच केवल जनता और जनप्रतिनिधि नही करते इस extrajudicial observation भी उतना ही घृणा फैलानेवाला है
यदिआप नूपुर की सुनवाई
करके उसका भी पक्ष सुनके,उस टीवी चैनल के बाइट को देखते कि किस परिस्थिति मे नूपुर ने कहा और तब निर्णय लेते,पर आपने बिना सुने ही फांसी तो नही दी पर उसकी हत्या का अपरोक्ष लाइसेंस दे दिया।क्या इन भड़काऊ टिप्पड़ियों के लिये यह सुप्रीम कोठे पर एफआइआर नही होनी चाहिये? #शर्मनाक टिप्पड़ी
औरयदि इन विद्वान मियांलाडो केअनुसार ये महिला(नूपुर शर्मा)ही देशमेफैली अराजकता की जिम्मेदार हैतोइन एक्स्ट्रा जुडिशियल टिप्पड़ियोसे भड़केअसंतोष केलिये क्या टिप्पड़ीकर्ता जिम्मेदार नही हैं?नूपुर तोदबावमे माफी मागलेगी जबकि इसकीआवश्यकता नहीहैपर इन टिप्पड़ियो केकर्ता किससे माफीमांगेगे?
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सेवा मे,
@मुख्यन्यायधीश उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली ,भारत
विषय:कृपया दिनां 1.7.22 को मा.सूर्यकान्त और मा.जे.बी.पारदीवाला की बेंच मे नूपुर शर्मा के भारत मे जगह जगह की गयी प्राथमिकियों को एक साथ कर सुनवाई दिल्ली मेकिये जानेकी प्रार्थना लेकर गयी थीं क्योंकि कट्टरवादियों से उन्हे जान
से मारने की और बलात्कार की धमकी मिल रही थी।
प्रार्थना और यक्ष प्रश्न:-आदरणीय जज साहब आप न्याय के सर्वोच्च पद पर संविधान के अन्तर्गत मानवीय सम्मान सुरक्षा एवं जीवनकी रक्षा गुहार की अंतिम आश्रय हैं।कल माननीय जजो ने याचिका पर विचार करने से मनाकर दिया जोउनका अधिकार था।पर जब उस याचिका
पर विचार करना ही नही था तो अनर्गल न्यायिकमापदण्डो के विपरीत टिप्पड़ियों का औचित्य क्या था?क्या ये टिप्पड़िया नूपुर शर्मा की याचिका से सम्बंधित थी?या माननीय जजों के पूर्वाग्रह और विशेष धार्मिक तुष्टीकरण के किसी राजनैतिक संगठन से प्रभावित थीं?
2.याचिकाकर्ता को माननीय जजों नेअहंकारी
ओह माय गॉड और pk पर कोर्ट में केस चला कांजी भाई और pk कोर्ट में हाजिर हुए >>
•वकील : हाँ तो आप दोनों का कहना है कि इन्सान डर के कारण मंदिर जाता है और मूर्ति पूजा गलत है।
कांजी भाई : जी बिलकुल। ईश्वर तो सभी जगह है उसको मंदिर में ढूँढने की क्या आवश्यकता है।
वकील : आप का मतलब है कि मंदिर में नहीं है।कांजी भाई : वहां भी है।
वकील : तो फिर आप लोगो को मंदिर जाना क्यों पाखंड लगता है?
कांजी भाई : हमारा मतलब है मंदिर ही क्यों जाना मूर्ति में ही क्यों?? जब सभी जगह है तो जरूरत ही क्या है पूजा करने की बस मन में ही पूजा कर लो।
वकील-'हा हा हा
कांजी भाई- इसमें हंसने की क्या बात है??
वकील दोनो को घूरते हुए आगे बड़ा और पुछा- एक बात बताइए आप पानी केसे पीते है?
'पानी कैसे पीतेहै?
ये कैसा पागलो जैसा सवाल है जज साहब?कांजी बोला'
वकील लगभग चिल्लाते हुए-मैं पूछता हूँआप पानी कैसे पीते है?कांजी भाई हडबडाते हुए -ज ज ज जी ग्लास से।
बंधुओं!आज एक मजेदार कहानी आप लोगों को सुनाती हूँ...
एक जुम्मन मियाँ थे, एक दिन वह घर में घुसते ही अपनी बेगम के पास जाकर कहने लगे- बेगम जरा हमें दस मिनट के लिए सौ रूपये दीजिए, हम अभी सौ रूपये का दो सौ रूपये बनाकर ले आते हैं |
अमीना बेगम- क्या आपने कोई जादू टोना सीख लिया है?
जिससे सौ रूपये दो सौ रूपये बन जाएंगे?
जुम्मन मियाँ-अरेनहीं बेगम!कोई जादूटोना नहींहै,हमनेतोआज अलगूचौधरी से शर्तबदाहैकि बकरेकी तीन टांग होतीहै,जबकि अलगूचौधरी का कहनाहैकि बकरेकी चार टांग होतीहै,बस इसीपर शर्त लगीहै सौसौ रूपयेकी, बस हमअभी गएऔरअभी शर्तजीतकर सौके दोसौ बनाकर लौट आएंगे!
चलते चलते आइये आज एक सुंदर श्लोक से समापन करते हैं।प्रातः जब हम जागृत होते हैं वह जन्म ही तो होता है और रात्रिकालीन निद्रा मृत्यु!आज किसी ने पूछा था"अनायास मरणम् विना दैन्येन जीवनम्!देहि मे भगवान कृष्ण त्वांहमशरणमगता!अनायास मरणं दो परिस्थितियों मे होता है एक तो अचानक दुर्घटना हो
जाय!या फिर आप मृत्यु के भय से मुक्त हो ईश्वरत्व के सानिध्य मे हों जिसमे बालि जैसा सौभाग्य मिले कि जिस प्राण के जीवन मरण मे असह्य दुःख होता है"जनमत मरत दुसह दुख होई!"पर बालि के लिये "सुमनमाल जिमि कंठ ते गिरत न जानइ नाग!"जैसे हाथी के गले से फूलों की माला गिर गयी हो याफिर कागभुशुंडी
जी की तरह प्रभु के आशीर्वाद से जन्म मरण के दुःख से रहित हो जाय!तब अनायास मरणम् सिद्ध होता है!अब बिना दैन्येन जीवनम्!दरिद्रता दुःखमूल है।नहि दरिद्र सम दुख जग भाई!दरिद्रता चाहे धन की हो या मन की इसका कारण सदैव इच्छा और लोभ ही होता है।जरूरी नही हर धनहीन दरिद्र हो!करोड़पति दरिद्र भी