स्वामी विवेकानंद ने जीवन पर्यन्त भारतीयों को गुलामी और विशेषकर मानसिक गुलामी से मुक्त कराने का प्रयास किया. पर सब बेकार. भारत में आज भी स्वामी जी की पहचान शिकागो भाषण ही है क्योंकी इस घटना का सम्बन्ध विदेश से है. स्वामी जी के वेदान्त, गीता ज्ञान,
2/5 धर्मों का अध्ययन, अमेरिका के अन्य नगरों में दिए गए व्याख्यान, इंग्लैंड में उनके प्रखर कार्य, स्वतंत्रता आन्दोलन, शिक्षा चिंतन, युवाओं में चेतना और प्रखरता भरना, उनमें आत्मविश्वास भरना, सुभाष, तिलक, गांधी जैसे कितने लोगों को स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा देना, राष्ट्र भक्ती,
3/5 आदि कार्य इस देश के बच्चो को कभी बताये नहीं जाते. बताएगा कौन...बड़े?..उन्हें खुद नहीं पता.
स्वामी जी को पता था कि उन्हें कब “लम्बे आराम के लिए जाना है”. वो अनेक वर्षों से कहते आ रहे थे कि उन्हें 40 वर्ष से पूर्व शरीर छोड़ देंगे.
4/5 मार्च 1900 को उन्होंने भगिनी निवेदिता से पात्र के कहा भी था, “I don’t want to work. I want to be quiet, and rest. I know the time and the place; but the fate, or Karma, I think, drives me on – work, work.”
#SwamiVivekananda#स्वामी_विवेकानन्द
बस लेट गया था, कि थक गया था
सबने कहा मैं मर गया
जिसे तुमने मृत्यु कहा, वो मेरी रात है
जिसे जन्म कहते हो वो मेरी सुबह
रात को आराम करता हूँ
कि सुबह कार्य कर सकूं
नये शरीर नये रूप में, नये लक्ष्य नये चिंतन में
फिर रात आती है
मैं फिर सो जाऊंगा
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh