सुधीर चौधरी ने ज़ी न्यूज़ छोड़ दिया है..कहा ये जा रहा है कि उसने अपना खुद का"न्यूज धंधा" चालू करने के लिए रिजाइन किया है..पर अंदर की बात ये है कि उसे धक्के मार के निकाला गया है..पिटाई करने के बाद..पूरा किस्सा मैं बताता हूँ..अंदर की बात..
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हुआ यूँ कि ज़ी ग्रुप का ऑस्ट्रेलिया के
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किसी मीडिया हाउस के साथ कोलैबोरेशन होने वाला है...उसी की पार्टी चल रही थी.. सुधीर भी उसमें इनवाइटेड थे...ठीक वक़्त पर वो अपनी पत्नी के साथ पार्टी स्थल पर पहुंचे.... वहाँ सुभाष चंद्रा ने उन्हें अपने नए पार्टनर से मिलवाया...
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ये हैं हमारे ज़ी न्यूज़ के CEO मिस्टर सुधीर चौधरी...
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हाथ मिलाने के बाद सामने वाले ने गलती से चौधरी को कह दिया - ये जो आपके साथ खूबसूरत महिला हैं,इनसे हमारा परिचय नहीं करवाएंगे ??
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सुधीर चौधरी झेंपते हुए बोले - आई एम रियली सॉरी..ध्यान नहीं रहा। इनसे मिलिए....ये हैं हमारी पत्नी नीति चौधरी...इन्हें आप मेरी परिणीता भी कह सकते हैं..
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इन्हीं से मेरा विवाह हुआ है..मतलब कि इनका भी मुझसे विवाह हुआ है..याने कि इनके पिता मेरे ससुर हैं और इनकी माता मेरी सास..यही बात मेरे माता पिता के मामले में इनपर भी लागू होती है..हमारे देश में पत्नी को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे कि वधु,भार्या,वामा, कलत्र,अंकशायिनी,तिरिया आदि4
अगर मैं पंजाबी होता तो मैं यूँ भी कह सकता था कि ये मेरी बन्नो हैं लेकिन चूंकि मैं हरियाणा से हूँ तो इन्हें अपनी घराड़ी भी कह सकता हूँ...गौर करने वाली बात ये है कि अगर मैं अरब देशों की बात करूं तो इसे ऐसे भी कह सकता हूँ कि ये मेरी दारा हैं..बेग़म हैं।
कई देशों में पत्नी को जनाना
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भी कहते हैं..हमारी सनातन संस्कृति में पत्नी का बहुत महत्व रहा है..वह कभी लक्ष्मी का रूप है तो कभी दुर्गा का..हमारे पुराणोंमें लिखा है कि एक पुरुष का महत्व उसकी सहधर्मिणी से है..पुरातन भारतीय संस्कृतिमें जबकि आजके जमाने से इतर संस्कृत भाषा का प्रचलन अधिक था तब पत्नी को वामांगनी,
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सहगामिनी आदि नामों से भी पुकारा जाता था.... एक पत्नी वही है जो पति के लिए प्राणवल्लभा हो,सहचरी हो,हृदयेश्वरी हो...
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सरल शब्दों में कहूँ तो ये मेरी जीवनसंगिनी हैं...धर्मपत्नी हैं...अर्धांगिनी हैं...
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सूक्ष्म परिचय देने के बाद सुधीर ने पलटकर देखा तो वो व्यक्ति जमीन पर गिरा
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दिन रात टीवी,सड़क,सोशल मीडिया, आस पड़ोस, औऱ हवाओ में जो कुंठा,जो क्रुद्धता फैली हुई है, वह टीचर में भी है।
कुंठा तो किसान, छात्र, पुलिस, बाबू, अधिकारी, व्यापारी और भिखारी में भी है। लेकिन उसे आपको झेलना है। आप हमला करने और जवाबी गाली देने में सिध्दहस्त हो गए हैं।
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लेकिन टीचर को झेलना है, आपके नौनिहाल को, जिसने इस क्रुद्ध समाज मे आंखें बस खोली ही हैं। उसके गाल पर छपा यह निशान, टीचर का हाथ नही- हमारे मौजूदा समाज का डीएनए है।
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यह तस्वीर मेरे शहर में व्हाट्सप पर घूम रही है। सम्बंधित पेरेंट शिकायतें करते फिरेंगे।
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शायद उस टीचर पर कार्यवाही हो जाये। लेकिन इससे कुछ बदलेगा नही।
बदलने की प्रक्रिया कठिन है, सामूहिक है। इसके लिए "ठीक करने' "चूड़ी टाइट करने" "सबक सिखाने" "घुस कर मारने" जैसे केरोसिन से अपनी दिमागी फिजा को बचाने की जरूरत है।
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कोई 13.5 बिलियन वर्ष पहले,टाइम- स्पेस-एनर्जी- मैटर अस्तित्व में आये।एक जोरदार विस्फोट हुआ।इसे बिग बैंग कहते है।जोर की भूम की आवाज आई। टाइम-स्पेस-एनर्जी-मैटर से साउंड निकला- हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे।
लेकिन बना नही सके।
कोई दस बिलियन
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वर्ष पहले एनर्जी और मैटर न अणु परमाणु में ढलना शुरू किया।एलिमेंट्स बने कोई110 प्रकार के -फिर इनने आपस मे जमना-मिलना शुरू किया।गैलेक्सी,तारामंडल,अगणित सूरज चांद बने।सबने मिलकर कहा- हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे।
मगर बना नही सके।
कोई 6 बिलियन साल पहले धरती नाम के प्लेनेट पर अणु परमाणु
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जुड़ने लगे।पानी बना,समुद्र हुआ।उसमे कार्बन नाम का तत्व दूसरो से मिलकर लम्बी लम्बी चेन बनाने लगा।इससे जीवन का जन्म हुआ।पहले वायरस आये,फिर बैक्टीरिया,फिर प्रोटोजोआ,मल्टीसेलूलर जीव -- वायरस चिल्लाया- हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे। सारे जीव चिल्लाए- हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे।
कितना अच्छा महसूस होगा आपको अपने ही घर में ! जब आपके घर गैस सिलेंडर लाने वाला आपको कहेगा कि लाइए बाबूजी/बहन जी, शगुन के ग्यारह सौ रुपए निकालिए,
आपका गैस सिलेंडर आ गया है,.....कितनी शुभ संख्या है 1100 की.......
पहले एक बार दिल से बोलिए ...... धन्यवाद मोदी जी
न न, सुबह सुबह
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अपशब्द मन में मत लाइए, अब पूरी ख़बर पढ़ लीजिए......
जी हां बहनों भाइयों......आज ही के अखबार में एक शुभ समाचार आया है कि मोदी सरकार ने घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में 50 रु का इजाफा कर दिया है इस वजह से देश के कई हिस्सों में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 1100 रु के आसपास पुहच गई है
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सितम्बर 2021 में मोदी सरकार ने एक आंतरिक सर्वे करवाया, जिसमे पता चला कि कि भारत की जनता घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर के 1000 रु देने के लिए भी खुशी खुशी राजी है इसलिए मई 2022 में 50 रु बढ़ाकर घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 1000 के पार पूहंचाई गई
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भक्त गाना गाते हैं कि भाजपा राजमें घोटाले हुए ही नहीं
-राफेल घोटाला
-नोटबंदी घोटाला
-इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला
-दाउद गिरोह से जुड़ी कंपनी से चंदा उगाही
-सहारा बिरला डायरी कांड
-मेहुल चौकसी घोटाला
-नीरव मोदी घोटाला
-जय शाह घोटाला
-पीएमसी बैंक घोटाला
-अरुण जेटली सर का डीडीसीए घोटाला
घोटाला (2016)
-ललित मोदी घोटाला (वसुंधरा के करीबी, 2015 में लंदन भागे)
-भाजपा सांसद विजय माल्या घोटाला (2016 में लंदन भागे)
-मध्य प्रदेश का सबसे महान व्यापमं घोटाला
-मध्य प्रदेश में ही दस हजार करोड़ का डीमैट घोटाला
-राजस्थान में वसुंधरा कार्यकाल में45हजार करोड़ का खनन घोटाला
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-छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के कार्यकाल में36हजार करोड़का चावल घोटाला
-महाराष्ट्र में बीजेपी कार्यकाल में चिक्की घोटाला
-महाराष्ट्र में ही बीजेपी कार्यकाल में191करोड़ का ई-टेंडरिंग घोटाला
-25 हजार करोड़ का एलईडी घोटाला
-90 हजार करोड़ का बैंकिग घोटाला
-सृजन घोटाला
-गुजरात पेट्रोलियम
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सिक्सा,संस्करूती और बोल बचन वैसे तों केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम समझा जाताहै लेकिन हमारे बहु भाषी होने और अल्फ़ाज़ पकड़नेकी सलाहियत ने हमारी ज़िंदगीके सफ़रमें बहुत मदद की है
कहते है क़ि रफ़्तार,गुफतार और दस्तार सबकी अलग होती है और अक्सर इसी कमजोरी/ गलती की वजह से ग़ैर
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मुल्की एजेंट पकड़े जाते है.
वर्तमानमें यदि आप बोलचाल और लिखत में उर्दू के अल्फ़ाज़ ज़्यादा इस्तेमाल करतेहै तो आप बेशक आप दानिश्वर,फ़िलोस्फर या ऊँची हस्ती समझे जाएँगे
यदि अंग्रेज़ी ज़्यादा इस्तेमाल करेंगे तो आपको पढ़ा लिखा तनखवाहदार समझा जाएगा
यदि आपकी बोलीमें पंजाबीका पुट है
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तो आप भरोसे लायक़ मददगार समझे जा सकते है
यदि आप“वज्रपात”को बज्रपात बोलते है और क्लिष्ट आर्टीफ़िशियल हिंदी बोलते है तो बिना देर लगाए आपको महान गोबरपट्टी साम्राज्य का शिरोमणि समझा जाएगा,आपकी आयका साधन दो रुपए टवीट माना जाएगा और यदि अविवाहित युवा है तो जीवनभर आत्मनिर्भर रहना होगा
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