यात्री👨🦰 : सर दिल्ली से लखनऊ का एक रिजर्व टिकट चाहिए.
क्लर्क 👨🏻✈️: ₹ 750/-
ग्राहक : पर पहले तो 400/- था?
क्लर्क : सोमवार को 400/- है, मंगल, बुध व गुरु को 600/- शनिवार को 700/- ! तुम रविवार को जा रहे हो तो 750/- !!
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ग्राहक : ओह! अच्छा लोअर बर्थ दीजियेगा, पिताजी को जाना है.
क्लर्क : फिर 50 रुपये और लगेंगे !
ग्राहक : अरे! लोअर के अलग! साइड लोअर दे दीजिए.
क्लर्क : उसके 25 रुपये और लगेंगे.
ग्राहक : हद्द है! न टॉयलेट में पानी होता है, न कोच में सफ़ाई, और किराया बढ़ता ही जा रहा है ??
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क्लर्क : टॉयलेट यूज का 50 रुपये और लगेगा, शूगर तो नहीं है ना ? 24 घंटे में 4 बार यानी रात भर में 2 बार से ज़्यादा जाएंगे तो हर बार 10 रुपये एक्स्ट्रा लगेंगे.
ग्राहक : हैं! और बता दो भाई, किस-किस बात के पैसे लगने हैं अलग से.
क्लर्क : देखो भाई, अगर फोन चार्ज करोगे तो 10 रुपये
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प्रति घंटा,अगर खर्राटे आएंगे तो25रुपये प्रति घंटा,और अगर किसी सुन्दर महिला के पास सीट चाहिए तो100रुपये का अलग चार्ज है.
अगर कोई महिला आसपास कोई खड़ूस आदमी नहीं चाहती है,तो उसे भी100रूपये अलग से देना पड़ेगा.एक ब्रीफकेस प्रति व्यक्ति से अधिक लगेज पर 20 रुपये प्रति लगेज और लगेगा.
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मोबाइल पर गाना सुनने की परमिशन के लिए 25 रुपये एक मुश्त अलग से.घर से लाया खाना खाने पर 20 रुपये का सरचार्ज़.उसके बाद अगर प्रदूषण फैलाते हैं तो 25 रुपये प्रदूषण शुल्क.
ग्राहक (सर पकड़ के) :- ग़ज़बै है भाई, लेकिन ई-सब वसूलेगा कौन?
क्लर्क : अरे भाई निजी कंपनियों से समझौता हुआ है,
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उनके मार्शल (आदमी) वसूलेंगे.
ग्राहक : एक आख़िरी बात और बता दो यदि तुम्हें अभी कूटना हो तो कितना लगेगा ?
क्लर्क : काहे भाई ?जब रेलवे का निजीकरण हो रहा था तब तो बड़े आराम से घर में बैठे थे! और सोच रहे थे कि हमारा तो कुछ होने वाला है नहीं ? अब भुगतो !!
और..
पब्लिक क्या सोचती है
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निजीकरण का असर सिर्फ कर्मचारियों पर ही होगा? रेल का निजीकरण हर भारतीय पर असर डालेगा !!
और सिलिलाम बोलो....
🤨😜😜🤨😅🤨🤣🤨
7 @AchryConfucious @budhwardee @beg_ilyas
दक्षिण पंथ के तीन पहरूए, बीते तीन दिनों में तीन तरीकों से खेत हुए।
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उग्र राष्ट्रवाद ने दुनिया को दो विश्वयुद्धों में धकेला था।
पहली दुनियावी लड़ाई राजाओ के बीच थी। खुद की निगाह में वे सर्वश्रेष्ठ थे, ताकतवर थे, सो पूरी दुनिया जीतने
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निकल पड़े।नतीजा,एस्ट्रो हंगेरियन एम्पायर,रशियन जार,जर्मन कैसर,और ऑटोमन राज धूलमें मिल गए।इम्पीरियलिज्म खत्म हो गया।
नेशन स्टेट्स बने।भाषा,एथनिसिटी के आधार पर।
अब दूसरी लड़ाई कौमोके बीच हुई।जर्मन राष्ट्रवाद और सुपिरियरटी की हुनक ने जो मंजर बनाया,उसे आगेकी कुछ पीढ़ियोंने याद रखा
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सबक लिए। दुनिया ने एक दूसरे देश की सीमाओं की इज्जत करना सीखा। दूसरी कौम, दूसरे धर्म,दूसरे कल्चर को जैसा है,वैसा छोड़ना सीखा।आर्थिक,सामाजिक,संस्थागत ग्लोबलाइजेशन हुआ।
इतिहास में पहली बार,वैश्विक फोरम बने, चले। वैश्विक अर्थव्यवस्था बनी। तकनीक, विचार साझा हुए। मुद्राएँ मर्ज हुईं।
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आप सभी को ईद उल अज़हा की
शुभकामनाएँ..दबाकर बकरा खाइए..मजे करिए..खुश रहिए...अपनी फूड हैबिट्स के लिए किसी को सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है... विरोधियों को बस उतना ही सीरियस लीजिए जितना भाजपा आडवाणी को सीरियस लेती है..
बाकी भोजन नही जीव हूं वालों को बताना चाहूंगी कि देशभर में
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कुल72बूचड़खाने हैं जिसे लाइसेंस प्राप्त हैं जिसमें से अकेले यूपी में38बूचड़खाने हैं..इसमें4बूचड़खाने ऐसे भी हैं जिसे सरकार खुद चलाती है..जोकि आगरा, सहारनपुर में है..वहीं दो अन्य प्रस्तावित बूचड़खाने लखनऊ और बरेली में है..अलीगढ़ में हिंद एग्रो आईएमपीपी पहला बूचड़खाना है जिसे1996
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में शुरु किया गया था..यहां यह समझने वाली बात यह है कि खाड़ी के देशों में भैंस के मांस की काफी मांग है और भारत इसके लिए सबसे कारगर देश है..इसकी सबसे बड़ी वजह है कि यहां सस्ता मांस मिलता है और विक्रेताको इस बात का भरोसा मिलता है कि उसे हलाल मांस ही दिया जा रहा है..
यह तस्वीर काशी विश्वविद्यालय के राजा राम मोहन राय के छात्रावास के एक कमरे की है।यह कमरा कामर्स विभाग के छात्र रोहित राणा के नाम आवंटित है और राणा काशी विश्वविद्यालय NSUI के अध्यक्ष हैं।
इन्हें पुलिस पहरे में रखा गया है। इस पहरे को हाउस अरेस्ट
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नही कह सकते,क्योंकि यह हाउस नही है,यह नयी परम्परा की शुरुआत है।ऐसा कभी इतिहास में न हुआ है,न भविष्य में होगा।कारण बताया जा रहा है क़ि बनारस में बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री मोदी आ रहे हैं।
पुलिस कैम्पस में किसके परमिशन से आयी?
कौन है विश्वविद्यालय का कुलपति?
कुलपति
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कितना पढ़ा लिखा है?क्या उसने “कुलपति“ गरिमा का इतिहास पढ़ा है?छात्र,शिक्षण संस्थान और हुकूमत के रिश्तों की जानकारी है कुलपति के पास?
यह जो आज हुआ है,अंग्रेज़ी निज़ाम तक में नहीं हुआ है।इतिहास देख लो।
डीयर कुलपति!
चाहूँ तो अभद्र भाषा में यही बात लिखूँ,लेकिन उस मदरसे का तालिबे
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माई हैण्ड इज़ टाइट इन inglish बट आई लाइक दिस रिसाला 😎
इकॉनमिस्ट के लेख तो ग़ज़ब होने के साथ साथ मुस्तकबील की तस्वीर भी बयां कर देते है मगर इसके फ़ोटो भी अपने आप में पूरी कहानी कहते है बशर्ते कोई समझ सके.
हाल के रिसाले में फ़िरंगी वज़ीर ए आज़म के साथ लिखा है
Clownfall
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मतलब “जोकर का गिरना”
क़सम से देखकर अहसास ए कमतरी होने लगा है . कुछ ऐसा तब भी हुआ था जब जनाब नवाज़ शरीफ़ भाईजान को करपशन के मामले में सजा हुई थी और वो ड्रामा करके, अपना झोला उठा कर मुल्क बदर हो गए थे.
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बेशक आज उनके भाई की हकूमत है मगर फिर भी हिम्मत नही कर रहे कि अपनी आवाम के बीच आकर शक्ल दिखा सके.