पालघर(महाराष्ट्र) के गोर्वधन इको विलेज में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय #मंथन_शिविर_2022 में देश भर के जनजाति समाज के जन प्रतिनिधि व मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया।इस शिविर में कई स्तर पर चर्चा हुई।खासकर जनजाति समाज के शिक्षा,आजीविका और स्वास्थ्य पर
विशेष रूप से चर्चा हुई।इस चर्चा में नीति आयोग के सलाहकार डॉ वी के पॉल भी ऑनलाइन जुड़े।कई राज्यों ने एफ आर ए पर अपनी प्रस्तुति दी।इस अवसर पर मैंने यह आग्रह किया कि capacity building के साथ मंत्रालय जनजातीय समाज के अंतिम पायदान तक आम आदमी के लिए काम करें। यह मंत्रालय सिर्फ योजना
और लक्ष्य के लिए नहीं बल्कि जनजाति व्यक्ति और समुदाय के लिए है।नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कैसे हो ,इस पर चिंता करने की आवश्यकता है।जनजाति समाज के लिए विकास के साथ साथ उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए भी काम करने की आवश्यकता है।इस शिविर में मेरे मंत्रालय के
राज्यमंत्री श्री बिश्वेशर टुडू जी,केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण पंवार जी,अरुणाचल प्रदेश,असम,त्रिपुरा,आंध्र प्रदेश,उत्तर प्रदेश,तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, प बंगाल,बिहार के कल्याण मंत्रीगण एवं अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित रहे।मैं @goecovillage
It's a matter of great misfortune that in last 75 years when Congress party could never thought of having a tribal person as the Constitutional Head of this country, and now when the present government under the leadership of Shri Narendra Modi has nominated a lady from tribal
community as the Presidential Candidate from NDA, the Congress party is trying to mislead the nation by making frivolous and baseless allegations.
Further, the Ministry of Tribal Affairs is totally committed for upliftment of the tribal communities and at no point the
provisions of FRA 2006 have been diluted. The task of granting compensation under the FRA 2006 rests with the states and MoTA regularly reviews the implementation of the Act with the States at the level of Chief Secretaries.
Hence, the allegation that the present government is