🙏🚩🇮🇳
*देशवासियों से निवेदन है कि इस सत्य को पढ़ें।*🙏
हाजी मोहम्मद आमिर खान की फिल्म *लाल सिंह चड्ढा* एक हॉलीवुड फिल्म फॉरेस्ट गंप (जो बॉलीवुड करता है) की एक प्रति है और पूरी तरह से कम्युनिस्ट एजेंडा वाली फिल्म है।
यह फिल्म दर्शक के अवचेतन मन में सेना के प्रति घृणा पैदा 🇮🇳🚩👇
करती है।
आमिर खान इस फिल्म के एक सीन में हीरोइन करीना कपूर से कहते हैं कि...
"मेरी माँ मुझे सेना में जाने के लिए कहती है, लेकिन मुझे किसी को मारना पसंद नहीं है"
अगर आप इस डायलॉग को बार-बार ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको इस डायलॉग की गंभीरता और एजेंडा जरूर समझ में आएगा। यह लोगों 🇮🇳👇
के अवचेतन मन में विचार डालता है कि...
1. सेना में राक्षसी लोग होते हैं जिन्हें लोगों को मारने में मजा आता है।
2. मारने वाले सैनिक देश के दुश्मन, आतंकवादी, जिहादी नहीं बल्कि 'लोग' हैं। यह 'लोग' शब्द से आतंकवादी शब्द को कमजोर करता है।
क्या सेना लोगों को मारती है? या देश के👇🇮🇳
दुश्मनों, जिहादियों और आतंकवादियों को मार डालती है? आप क्या सोचते हो?
3. करीना कपूर इस बिंदु पर एक बहुत ही प्रभावशाली मुस्कान देती हैं,यानी लड़कियों को ऐसे लड़के पसंद आते हैं जो किसी को मारना नहीं चाहते!
दरअसल आमिर खान सीधे तौर पर कह रहे हैं कि मुझे देश के दुश्मनों, आतंकियों 🇮🇳👇
को मारना पसंद नहीं है।
लेकिन वह ऐसा नहीं कह सकता।
इसलिए बोलना है, लेकिन लोगों को घुमाकर बात को पेश करें ताकि उन्हें पता भी न चले और एजेंडा बरकरार रहे।
ये वही मानसिकता है जिसमें वामपंथी कन्हैया कुमार कहते हैं कि सेना जेएनयू कैंपस का'रेप'करती है.
अब आते हैं फिल्म की कहानी पर..🇮🇳👇
हॉलीवुड फिल्म 'फॉरेस्ट गंप' में खलनायक कौन है?
फॉरेस्ट गंप में खलनायक अमेरिकी इंपीरियल सिस्टम है। जो सेना द्वारा दूसरे देश पर कब्जा करना चाहता है। जो अपनी जवानों को इसी मकसद से लड़ने के लिए भेजता है। भले ही वह हीरो की तरह मंदबुद्धि हो।
फॉरेस्ट गंप के इस रीमेक में भारतीय सेना 🇮🇳👇
के बारे में भी यही दिखाया गया है। कारगिल युद्ध वियतनाम युद्ध के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है।
क्या भारत ने वियतनाम युद्ध की तरह ही कारगिल से लड़ाई लड़ी थी? क्या कारगिल पर हमला करने के लिए भारत हजारों मील दूर दूसरे देश गया था?क्या हमारे देश के जिस हिस्से पर दुश्मनों का कब्जा है, 🇮🇳👇
उसे छुड़ाया नहीं जाना चाहिए?
और क्या हमारी सेना में मंदबुद्धि की भर्ती संभव है?
फिल्म का बहिष्कार अपनी जगह है। लेकिन सेना और कारगिल युद्ध के योद्धाओं के अपमान के कारण इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
राजनीति की अपनी जगह है, विचारधारा की अपनी जगह है, लेकिन सेना का 🇮🇳👇
अपमान कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. सेना को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
याद रखें... सेना सीमाओं पर खड़ी है ताकि आप बिना किसी डर के आराम से अपना जीवन जी सकें।
वरना यूक्रेन के नागरिकों की हालत देखिये.
इसलिए आप सभी से निवेदन है कि सेना विरोधी इस फिल्म लाल सिंह चड्ढा का 🇮🇳👇
पुरजोर विरोध करें।
साथियों! ये फिल्म हमारी सेना के बलिदानों का अपमान है। हम अपने सैनिकों पर गर्व करते हैं तो क्या "How is the JOSH & ये दिल मांगे मोर" जैसे वीरता से भरे हुंकारो को भूल जायेंगे? नहीं, कदापि नहीं 😡
#बहिष्कार लाल सिंह चड्ढा 😡
पैसे क्यों बर्बाद करें?
वंदेमातरम् !!*

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Aug 6
साथियों! आजकल हमारे गौरव के प्रतीक तिरंगे पर भी घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने तो लंबे समय तक तिरंगा फहराया ही नहीं जबकि इसके पीछे कई कारण और मजबूरियां रहीं।
लेकिन आज भी जहां भगवा मजबूत है तिरंगा वहीं फ़हर सकता है, तिरंगा 31 दिसंबर 1929 को देश का ध्वज बना 🇮🇳👇
लेकिन भगवा उससे पहले हजारों वर्षों से भारत का ध्वज रहा है 1929 से पहले हजार साल के मुगल काल का संघर्ष हो या उससे भी पहले महाभारत का युद्ध हो भगवान कृष्ण और भगवान राम भी भगवा ध्वज को लेकर ही राष्ट्रधर्म के लिए लड़े और छत्रपति शिवाजी महाराणा प्रताप हो या सिकंदर को धूल चटाने 🚩👇
वाले पौरुष हों,हजारों वर्षों से भारत भगवा ध्वज को आगे रखकर राष्ट्र धर्म की रक्षा करते आया। परम पवित्र भगवा ध्वज भारत का नैसर्गिक ध्वज है लेकिन हां 1929 में एक ध्वज बनाया गया शुरू में अवर फ्लेक्स कमेटी ने भगवा ध्वज को ही राष्ट्रध्वज करने का निर्णय लिया था लेकिन सेकुलरिज्म के 🚩👇
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May 25
*वो 20 प्रमाण जो कुतुब मीनार को 'वेधशाला/सूर्य स्तंभ' साबित करते हैं*

_पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा के तहलका मचाने वाले 20 दावे_
1- इसका निर्माण खगोल विज्ञान पर आधारित है।
2- इसे कर्क रेखा के ऊपर बनाया गया।
3- इसे सूर्य की गतिविधि की गणना करने के लिए बनाया गया था🚩👇
4- इस मीनार की छाया 21 जून को 12 बजे जमीन पर नहीं पड़ती है।
5- यह कर्क रेखा से पांच डिग्री उत्तर में है।
6-विक्रमादित्य ने सूर्य स्तंभ के नाम से विष्णुपद पहाड़ी पर यह वेधशाला बनाई थी
7- इस मीनार के ऊपर बेल बूटे घंटियां आदि बनी हैं,जो हिंदुओं से संबंधित निर्माण में होती हैं
🚩👇
8- इसे 100 प्रतिशत हिंदुओं ने बनाया, इसे बनाने वालों के इसके ऊपर जो नाम लिखे हैं उनमें एक भी मुसलमान नहीं था।

9- इसे खगोलविज्ञानी वराह मिहिर के नेतृत्व में बनाया गया था।

10- इस वेधशाला में कोई छत नहीं है।

11- इसका मुख्य द्वार ध्रुव तारे की दिशा की ओर खुलता है।
🚩👇
@naubatrai
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May 23
🚩🙏साभार प्राप्त 🙏🚩

"भविष्य पुराण "में इस्लाम (मुसलमानों) के बारे में "मोहम्मद "के "जन्म " से भी "5 हज़ार वर्ष "पहले ही *महर्षि श्री वेद व्यास जी ने लिख दिया था!*

मुझे आश्चर्य है कि इतना "महत्वपूर्ण ग्रन्थ "जिसमें समय से पहले "सटीक" "स्पष्ट" तथा सत्य 🙏🚩👇
@Sabhapa30724463
"भविष्यवाणियां वेद व्यास जी पाँच हजार वर्ष पहले लिख गए वो आज इतने महान तथाकथित संतों व कथाकारों ने अब तक दुनियाँ वालों को क्यूँ नहीं बताया?

"लिंड्गच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी सदूषकः !"
"उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनोमम !! 25 !!"
"विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्यामतामम !"🙏🚩👇
"मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति !! 26 !!"
"तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः !"
"इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः !! 27 !!"
(भविष्य पुराण पर्व 3, खण्ड 3, अध्याय 1,

अनुवाद--"रेगिस्तान" की धरती पर एक "पिशाच" जन्म लेगा जिसका नाम "मोहम्मद" होगा, वो एक ऐसे "धर्म "की 🙏🚩👇
Read 8 tweets
May 18
कुछ अलग सा, कुछ हटकर, फिर भी समसामयिक 🙏🚩🇮🇳

*आदत*

एक महिला हैं, वो जयपुर में एक PG ( *पेइंग गेस्ट* ) रखती हैं।
उनका अपना पुश्तैनी घर है, उसमे बड़े बड़े 10 - 12 कमरे हैं।
उन्हीं कमरों में *हर एक मे 3 bed लगा रखे हैं।*

उनके PG में *भोजन* भी मिलता है।
खाने खिलाने की 🙏👇
शौकीन हैं। *बड़े मन से बनाती खिलाती हैं।*

उनके यहां इतना शानदार भोजन मिलता है कि अच्छे से अच्छा Chef नही बना सकता।
आपकी माँ भी इतने *प्यार से* नही खिलाएगी जितना वो खिलाती हैं।

उनके PG में ज़्यादातर नौकरी पेशा लोग और छात्र रहते हैं।

सुबह Breakfast और रात का भोजन तो सब 🙏👇
लोग करते ही हैं।
जिसे आवश्यकता हो उसे दोपहर का भोजन pack करके भी देती हैं।

पर उनके यहां एक बड़ा *अजीबोगरीब नियम है,*
हर महीने में सिर्फ *28 दिन* ही भोजन पकेगा।

शेष 2 या 3 दिन होटल में खाओ,
ये भी नही कि PG की रसोई में बना लो।

*रसोई सिर्फ 28 दिन खुलेगी। शेष 2 या 3 दिन 🙏👇
Read 10 tweets
May 17
साभार प्राप्त 🙏🚩👇

ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे जानकारी:
पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगा नहीं थी और इंसान पानी के लिए बूंद-बूंद तरसता था तब भगवान शिव ने स्वयं अपने अभिषेक के लिए त्रिशूल चलाकर जल निकाला। यही पर भगवान शिव ने 🚩👇
@Sabhapa30724463
माता पार्वती को ज्ञान दिया। इसीलिए, इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा और जहां से जल निकला उसे ज्ञानवापी कुंड कहा गया। ज्ञानवापी का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों मे मिलता है तो फिर ये मस्जिद के साथ नाम कैसे जुड़ गया?

वापी का अर्थ होता है तालाब।
🚩👇
@chhotiradha
@Kashi_Ka_Pandit
@naubatrai
#ज्ञानवापी का सम्पूर्ण अर्थ है ज्ञान का तालाब। काशी की छः वापियों का उल्लेख पुराणों मे भी मिलता है।

पहली वापी: ज्येष्ठा वापी, जिसके बारे मे कहा जाता है की ये काशीपुरा मे थी, अब लुप्त हो गई है।

दूसरी वापी: ज्ञानवापी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के उत्तर मे है।🚩👇
@ShashibalaRai12
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May 16
साथियों! जब प्रभु की इच्छा होती है वे किसी भी तरह प्रकट हो ही जाते हैं। हम सनातनी भाग्यवान हैं कि हमें अपने आराध्य महादेव के भव्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा।ॐ नमः शिवाय

अब चर्चा इसपर हो रही है कि अयोध्या के बाद काशी, मथुरा, कुतुबमीनार और अब ताजमहल, आखिर देश में हो 🙏🚩🇮🇳👇
क्या रहा है।

जबकि चर्चा इसपर होना चाहिए कि आखिर हर मस्जिद के अंदर से मंदिरों के प्रमाण कैसे निकल रहे है ? चर्चा इसपर होना चाहिए कि मंदिरों पर ही मस्जिद क्यों बनाई गई ?

चर्चा तो इस पर भी होनी ही चाहिए कि देश की स्वतंत्रता के बाद 60 वर्ष से अधिक एक ही दल ने शासन किया 🙏🚩🇮🇳👇
उसकी हिन्दुओं के प्रति नकारात्मक भूमिका क्यों रही?और हिन्दुओं के स्वाभिमान को क्यों कुचला?

चर्चा का विषय ये होना चाहिए कि तथाकथित महान मुगलों ने मंदिर क्यों विध्वंस किये ? और जिस दल द्वारा 60 वर्ष से अधिक देश पर एक छत्र शासन किया उस दौरान हिन्दुओं के हत्यारों और 👇🚩🇮🇳🙏
Read 7 tweets

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