#गुमनाम_क्रांतिकारी🚩🙏
अमृत महोत्सव – भारत की स्वतंत्रता में जनजातीय नायकों का योगदान :-
स्वाधीनता का अमृत महोत्सव जनजातीय वीर स्वतंत्रता सेनानियों को एक अरण्यांजलि है. जनमानस में स्वतंत्रता के उस भाव को जागृत करना है, जिसके लिए अनगिनत जनजाति वीर योद्धाओं ने अपना सर्वस्व👇🏾👇🏾
समर्पित किया. उनकी इस शौर्यगाथा को प्रबुद्ध जनमानस तक पहुंचाने का श्रेष्ठ माध्यम लेखन कार्य ही है.
जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास
भारतीय सीमाओं का अध्ययन करें तो स्पष्ट होता है कि इन सीमाओं पर निवास करने वाला समू जनजातीय समाज ही था. जब-जब आक्रांताओं ने भारत में प्रवेश👇🏾👇🏾
करने का प्रयास किया, उनका सामना पहली रक्षा पंक्ति में खड़े वनवासियों से होता था. आक्रमणकारी अलेक्जेन्डर का भारत में प्रवेश और सिबई, अगलासोई, मल्लस जैसी जनजातियों के साथ ‘युद्ध से स्पष्ट’ समझा जा सकता है. वनवासियों की आरंभिक क्रांति आगे चल कर स्वाधीनता आंदोलन बनी. भारत के 👇🏾👇🏾
जंगलों में ऐसे सैकड़ों – हजारों नायक रहे, जिन्होंने स्वाधीनता के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया.
औपनिवेशिक आक्रांताओं के विरूद्ध जो क्रांतिकारी हुए, अमृत महोत्सव में ऐसे गुमनाम जनजातीय नायकों का स्मरण करना है. जिन्हें इतिहास में कोई स्थान नहीं दिया गया. @Sabhapa30724463 👇🏾👇🏾
जिसमें प्रथम क्रांतिकारी #तिलका_मांझी, टंट्या भील, सीताराम कंवर, खाज्या नायक, रघुनाथ सिंह मंडलोई, भीमा नायक, सुरेन्द्र साय, बिरसा मुण्डा, मंषु ओझा, हीरालाल चाँदरी, दिलराज सिंह गोंड, राव अमान सिंह गोंड, शिवराज सिंह गोंड, रणजोत सिंह गोंड, निहाल सिंह कोरकू, राजा ढिल्लन शाह गोंड,👇🏾👇🏾
राजा महिपाल सिंह गोंड, राजा गंगाधर गोंड, राजा अर्जुन सिंह गोंड, देवीसिंह गोंड, भगवान सिंह गोंड, मोरगो मांझी, उम्मेर सिंह गोंड, परशुराम गोंड, बीरसिंह मांझी, सिदू मुर्मू, जोधनसिंह गोंड, लल्लन गोंड, सरवर सिंह गोंड, दुलारे गोंड, दल्ला गोंड, राजा अमान सिंह गोंड, बकरू भाऊ गोंड @sr7696
गुलाब पुढारी, इमरत भोई उरपाती, अमरू भोई, सहरा भोई, झंका भोई, टापरू भोई, लोटिया भोई, इमरत भोई कोंडावाला, इमरत भोई, गंजन सिंह कोरकू, बिरजू भोई और बादल भोई इत्यादि सैकड़ों नाम हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता के आंदोलनों का नेतृत्व किया और अपने प्राणों का बलिदान दिया.
जनजातीय समाज के 👇🏾👇🏾
अनेक वीर योद्धाओं के साथ वीरांगनाओं ने भी देश की आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी, जिन्हें इतिहास में उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाया.. जिनमें प्रमुख रूप से रानी कमलापति, मुड्डे बाई, रानी दुर्गावाती, रैनो बाई. इन वीरांगनाओं ने भारत के अलग-अलग हिस्सों में स्वतंत्रता संग्राम
की बागडोर स्वयं संभाली थी. ऐसी ही अनेक वीरांगनाओं की शौर्य गाथाएं हमारे इतिहासकारों ने हमारे सामने नहीं आने दीं. भारतीय इतिहासकारों ने इन वीरांगनाओं की वीरता को हमेशा नजरअंदाज किया. आज आवश्यकता है कि हम स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के दौरान इन वीर एवं वीरांगनाओं की शौर्य गाथा को 👇🏾
जनमानस तक पहुंचाएं. अमृत महोत्सव पर हम गुमनाम बलिदानियों का स्मरण करें, जिन्होंने अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया.
#प्रथम जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम नायक💪🏾
जिन्होंने सन् 1857 के मंगल पाण्डेय द्वारा बौरकपुर में उठी हुंकार से भी लगभग 70 वर्ष पूर्व @Sabhapa30724463👇🏾
1784 में अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह का शंखनाद किया था, जिसे हम संथाल परगना/जबरा पहाडिया/हूल पहाडिया के नाम से जानते हैं. 1707 में औरंगजेब की मृत्यु उपरांत बंगाल के मुगलों/जागीरदारों/जमिदारों के बाद उपजे ब्रिटिश शासन में जनजातियों के शोषण के खिलाफ सन् 1770 में भीषण अकाल के दौरान
विद्रोह किया. तिलका मांझी ने भागलपुर, बिहार में रखा अंग्रेजों का खजाना लूटकर टैक्स और सूखे की मार झेल रहे जनजाति समाज में बांट दिया. 28 वर्षीय तिलका मांझी ने 1778 में अपने कुछ साथियों के साथ ब्रिटिश टुकड़ी पर चढ़ाई की और तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर, क्लिवलैण्ड को मार गिराया..👇🏾👇🏾
12 जनवरी, 1785 के दिन तिलका मांझी पकड़े गए. भीषण यातनाओं को सहते हुए अंग्रेजी हुकुमत द्वारा फांसी पर चढ़ा दिए गए.
तिलका मांझी बेशक इतिहास की पुस्तकों से गुम हैं. किन्तु संथाली समाज आज भी लोक कथाओं और गीतों में गौरव के साथ उनका स्मरण करता है. तिलका मांझी के विद्रोह के बाद ही 👇🏾👇🏾
1831 का सिंहभूम विद्रोह, 1855 का संथाल विद्रोह बंगाल, बिहार की धरती पर आकार ले पाया. वर्ष 1991 में बिहार सरकार ने भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर तिलका मांझी विश्वविद्यालय किया.
लेखक – डॉ. दीपमाला रावत, विषय विषेषज्ञ, जनजातीय प्रकोष्ठ, राजभवन, भोपाल
(विश्व संवाद केन्द्र काशी)
पश्चिम बंगाल की ममता बानो शायद देश की सबसे होशियार महिला हैं इसीलिए गैर भाजपा वाले राज्य के मुख्यमंत्री उन्हीं को फॉलो करते हैं। मोमता की ये हार्दिक इच्छा है कि वो आजीवन पश्चिम बंगाल की गद्दी पर बनी रहें। लाख चुनाव होते रहें पर @Geetaverma07 👇🏾
जनसंख्या की डेमोग्राफी बदल जायेगी तो चुनाव मात्र एक खानापूरी बन कर रह जायेगा और इसी सोच के तहत उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को अथाह सुविधाओं और नौकरी का लालच देकर पश्चिम बंगाल में न केवल बसाया वरन हिंदुओं के शोषण और पलायन का भी इंतजाम कर दिया। जब बांग्लादेशियों से भी मन नहीं👇🏾
भरा तो रोहिंज्ञाओं के लिए भी द्वार खोल दिये। सरकारी नौकरियों में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए सौ प्रतिशत तक मोमिनों की भर्ती कर डाली। आज नतीजा सामने है बीजेपी के चाणक्य अमित शाह, जेपी नड्डा और मोदी जी पश्चिम बंगाल में लाख रैलियां कर लें👇🏾
👉🏾कभी सोचा है कि यदि भारत मे मुगलों का ही शासन था, तो हम हिन्दू जिंदा कैसे बच गए या हिन्दू कैसे रह पाए ?
क्योंकि मुसल्मान की ये फितरत तो है नहीं कि वो हावी होने के बाद गैर मुस्लिम को जिंदा छोड़ दे ?
🤔..
असल मे हम हमेशा तीन लोगों के लिखे इतिहास को पढ़ते हैं.. @Sabhapa30724463👇🏾
#इतिहास_हमारा_गौरव🚩 #महाराणा_सांगा 🙏
बाबर को हिंदोस्तान का ताज पानीपत जितने से नही मिला बल्कि जब खानवा में उसकी तोपों के सामने सांगा के राजपूत पीछे हटे और फिर कुछ समय बाद सांगा को किसी अपने ने ही विष देकर मार दिया तो बाबर " हिंदोस्तां" का शासक बन बैठा।
इतिहासकार मेवाड़ में 👇🏾
गुहिलोत राजपूतों के शासक बनने का वर्ष 734 ईस्वी को मानते हैं जब नागदा " मेवाड़" के गुहिलोतो की राजधानी बनी ।फिर 948 ईस्वी में राजधानी बनी " अहर" ।1213 ईस्वी में चित्तौड़ " मेवाड़" के गुहिलोतो की राजधानी हुई।
इनके शासन को पहली बड़ी पराजय 1303 ईस्वी में मिली जब अलाउद्दीन खिलजी के
हाथों रावल रतन सिंह को पराजय मिली।
पर हार क्षणिक ही थी और वहां गुहिलोतो ने संघर्ष जारी रखा और 1326 ईस्वी में सिसोदा गांव के गुहिलोत वंशी राणा हम्मीर ने तुर्को को पराजित कर मेवाड़ पुनः गुहिलोतो के लिए जीत लिया। राणा हम्मीर से गुहिलोतो की यह शाखा सिसोदिया के नाम से प्रसिद्ध हुई।👇🏾
👉🏾चीन की दबंगई का जवाब! समुद्र में ताकत दिखाएंगे "भारत" समेत 17 देश, 100 लड़ाकू विमान होंगे शामिल..
"भारत" ऑस्ट्रेलिया में होने वाले एक मेगा हवाई युद्ध अभ्यास में शामिल होगा। इस अभ्यास में भारत समेत 17 देशों के लगभग 100 विमान और 2,500 सैन्यकर्मी भाग लेंगे।
"पिच ब्लैक" अभ्यास👇🏾👇🏾
में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, भारत, जापान, मलेशिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्रिटेन और अमेरिका के लगभग 100 विमान और 2500 सैन्यकर्मी शामिल होंगे।*
रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना (आरएएएफ) 👇🏾👇🏾
"पिच ब्लैक" को रणनीतिक भागीदारों और सहयोगियों की वायुसेना के साथ अपनी "कैपस्टोन" को अंतरराष्ट्रीय कार्य गतिविधि के रूप में मानता है। अभ्यास "पिच ब्लैक" हर दो साल में एक बार होता है और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायुसेना द्वारा आयोजित किया जाता है।
युद्ध अभ्यास आम तौर पर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया
👉🏾किताबों को खंगालने से हमें यह पता चला... कि...👇🏾
(BHU) "बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय" के संस्थापक *पंडित मदनमोहन मालवीय जी* नें 14 फ़रवरी 1931 को Lord Irwin के सामने *भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव* की फांसी रोकने के लिए Mercy Petition दायर की थी ताकि उन्हें फांसी न दी जाये 👇🏾👇🏾
और कुछ सजा भी कम की जाएl Lord Irwin ने तब मालवीय जी से कहा कि आप कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष है इसलिए आपको इस Petition के साथ नेहरु, गाँधी और कांग्रेस के कम से कम 20 अन्य सदस्यों के पत्र भी लाने होंगेl
जब मालवीय जी ने भगत सिंह की फांसी रुकवाने के बारे में नेहरु और गाँधी से बात👇🏾👇🏾
बात की तो उन्होंने इस बात पर चुप्पी साध ली और अपनी सहमति नहीं दीl इसके अतिरिक्त गाँधी और नेहरु की असहमति के कारण ही कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी अपनी सहमति नहीं दीl
Retire होने के बाद Lord Irwin ने स्वयं London में कहा था कि "यदि नेहरु और गाँधी एक बार भी भगत सिंह की 👇🏾👇🏾
👉🏾जापान में लोकप्रिय हो रहा : मिनिमलिज्म (न्यूनतमवाद)
"थोड़ा है, ज्यादा की जरूरत नहीं", के सिद्धांत पर चल रहा है जापान! बड़े घर, बड़ी गाडियां, बड़ी जमीनों को तिलांजलि दे रहे हैं। सीमित कपड़े, न्यूनतम समान की नई राह पकड़ी है यहां लोगों ने, और दावा किया जा रहा है @Geetaverma07 👇🏾
कि वे पहले से अधिक खुश हैं। दिखावटी साजो सामान वे नापसंद करने लगे हैं। यहां जो दिखावे को तवज्जो देता है, उसे असभ्य माना जाता है! और, यह जीवनशैली मजबूरी नहीं, उनके जीने का आसन सलीका है।
इस पृथ्वी पर अहसान है यह उनका। तकनीक और आधुनिकतम मशीनी युग में परचम फहरा कर यदि किसी देश के 👇🏾
लोग ऐसा करने लगे हैं, तो वाकई यह वास्तविक *"प्रतिक्रमण"* है। (जैन धर्म की एक साधना, जिसमें साधक प्रमादजन्य दोषों से निवृत होकर आत्मस्वरूप में लौटने की ओर प्रवृत्त होता है)।
धीरे ही सही, लेकिन पनपते रहेंगे और जिएंगे। *या* सर्वनाश देखते देखते मरेंगे। इन दो विकल्पों में से यदि 👇🏾