बॉबी देओल एक इंटरव्यू में बताते है कि 15-16 मेकर्स के साथ बात चल रही थी फिर अचानक से धीरे धीरे सब पीछे हटते गए और अंत में उनके पास काम नहीं रहा! यह एक बानगी है कि आखिर कैसे एक के बाद एक अति लोकप्रिय कलाकार जैसे गोविंदा, सनी देओल, बॉबी देओल धीरे धीरे बेरोजगार होते
चले गए या यह कह लीजिये कि किसी के इशारे पर बेरोजगार कर दिए गए और फिर खान तिकड़ी का उदय होता है! जिस बात को बॉबी देओल धीरे से कहते है उसी बात को गोविंदा आश्चर्य के साथ कहते है! गोविंदा का कोई भी इंटरव्यू उठा लीजिये उन्हें समझ ही नहीं आता है कि आखिर उनके स्टारडम को
कौन खा गया? उनके इंटरव्यू में खीज साफ़ दिखती है! इन सबसे पृथक सनी देओल ने इस विषय पर गरिमामयी मौन धारण कर लिया और कभी कुछ नहीं बोला! बड़ी पीड़ा से कई बार उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कोई भी बड़ी अभिनेत्री उनके साथ काम नहीं करना चाहती है!
सनी देओल फिल्म इंडस्ट्री के
अकेले ऐसे कलाकार थे जिनके अंदर किसी स्टार का भय नहीं था, वे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से विचलित नहीं होते थे वरन दो कदम आगे बढ़कर चुनौती स्वीकार करते थे! जब आमिर खान के सामने कोई फिल्म रिलीज़ करने का सहस नहीं करता था तब 90s में आमिर की "दिल" के साथ सनी की घायल रिलीज़ हुई,
लगान के साथ ग़दर रिलीज़ हुई और राजा हिंदुस्तानी के साथ जीत रिलीज़ हुई और सनी देओल की ये तीनो फिल्मे सुपरहिट रही! अतः जो लोग अंडरवर्ल्ड का पैसा फिल्मो में लगा रहे थे उनके लिए सनी देओल गले की फंस बन चुके थे! कुल मिलाकर सनी देओल "unmanageable" थे, सनी "corruptible" ही नहीं थे! सनी
को अंडरवर्ल्ड ने जबरन बेरोजगार किया अन्यथा 2 बार नेशनल अवार्ड जीतने वाले अभिनेता के पास काम नहीं होने का ओर क्या कारण हो सकता है? सनी देओल के रेस से बहार होने का सबसे अधिक फायदा सलमान खान को हुआ, सलमान सस्ते सनी देओल के तौर पर उभरे! एक के बाद एक एक्शन फिल्मे सलमान खान को मिलने
लगी! वो समय ऐसा था जब एक्शन फिल्मो में पांच सितारों का राज हुआ करता था - सनी देओल, संजय दत्त, अक्षय कुमार, अजय देवगन और सुनील शेट्टी! सनी देओल की कीमत पर सलमान खान स्टार बने! सनी देओल अंडरवर्ल्ड के निशाने पर कैसे आये इसका आगे बताता हूँ!
बात को पूरा समझना है तो क्रोनोलॉजी समझिये!
पाकिस्तान ने एक साजिश के तहत अपने यहाँ फिल्म इंडस्ट्री को पनपने ही नहीं दिया पर भारतीय सिनेमा जगत में उनका "strategical" निवेश सदा से ही रहा! पाकिस्तान में बहुत कम फिल्मे बनती थी और जो बनती थी उनके केंद्र में"इस्लाम" रहता था! कुल मिलकर
पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री शरिया "compliance" रही! अपने यहाँ उन्होंने इस्लाम केंद्रित सिनेमा रखा और मनोरंजन के लिए भारतीय सिनेमा सदा उपलब्ध था ही! पाकिस्तान के भारतीय सिनेमा में "strategical" निवेश ने ही फिल्मो के माध्यम से सॉफ्ट इस्लाम और इस्लामीकरण के दरवाजे खोले!
यही से सिनेमा हिंदू विरोधी बना! आज की फिल्मो में जो हिंदू विरोधी मानसिकता है उसका बीज आज से 50-60 पहले बोया गया था जो समय के साथ वृक्ष बन गया और हिन्दू आस्थाओ का अपमान करना बहुत छोटी सी बात हुआ करती थी!
इसी मिशन का अगला चरण था अरबो की फिल्म इंडस्ट्री का पूर्ण इस्लामीकरण और उस पर जिहादी अथवा जिहादी मानसिकता के लोगो का अतिक्रमण!
मुंबई स्तिथ फिल्म इंडस्ट्री काले धन के शोधन का सरल सुगम और सुरक्षित अड्डा बनी! ISI ने दाऊद इब्राहिम के नाम का इस्तेमाल कर फिल्म इंडस्ट्री पर
कब्ज़ा जमाया । सच्चाई यही है कि सेक्स व्यभिचार अनाचार भ्रष्टाचार के इस संसार को ISI ही नियंत्रित करती है! आज इस विषय पर सोनाली बेंद्रे का बयान है उन्होंने बताया है कि वे आखिर कैसे उस समय के अपने पुरुष मित्र जो कि आज उनके पति है उनके सहयोग से अंडरवर्ल्ड के शिकंजे में फंसने से
बची रही! पर हर कोई सोनाली बेंद्रे जितना भाग्यशाली नहीं होता है! अंडरवर्ल्ड या यह कह लीजिये कि ISI/पाकिस्तान का पैसा फिल्मो में लगता था और खास बात यह थी कि वे केवल मुस्लिम हीरो की फिल्मो में ही पैसा लगते थे! जब सनी देओल उनके सामने फिल्म रिलीज़ करते थे तो उसका सीधा नुकसान
अंडरवर्ल्ड/ISI को होता था! यही से सनी देओल और गोविंदा जैसे लोग निशाने पर आये!
ग़दर की रिलीज़ के समय पाकिस्तान के मीडिया में सनी देओल एक सनसनी बन चुके थे! हर रोज कोई न कोई चैनल सनी देओल को लेकर बहस कर रहा होता था और उन्हें इस्लाम विरोधी और पाकिस्तान विरोधी के रूप में प्रोजेक्ट
कर रहा होता था! सनी देओल के अंडरवर्ल्ड के निशाने पर आने का यह दूसरा कारण रहा! पाकिस्तान में आज भी सनी देओल से नफरत का आलम यह है कि वहां होने वाले कॉमेडी शोज में सनी देओल के डुप्लीकेट को लेकर उनका जमकर उपहास बनाया जाता है!
हिन्दू विहीन फिल्म इंडस्ट्री बनाने के लिए यह जरुरी था
कि सनी देओल, गोविंदा और नाना पाटेकर जैसे महालोकप्रिय कलाकारों को ठिकाने लगाया जाए! पाकिस्तानी "strategical" निवेश ने यह काम बखूबी किया और धीरे धीरे इनको काम मिलना पहले कम हुआ और अब लगभग बंद ही है! आज हर बड़ा स्टार या तो मुस्लिम है या "वोक"! "वोक" यानि कुत्ता - जिनका काम होता है
होली पर पानी बचाओ और दीपावली पर प्रदुषण मत फेलाओ का ज्ञान देना! गोविंदा जैसे संस्कारी हिन्दू अब फिल्म इंडस्ट्री में बहुत क्रूरता के साथ दुत्कारे जाते है!
यहाँ से समय करवट लेता है और युवा उठ खड़ा होता है और कहता है कि अब बहुत हुआ अब और सनातन का अपमान नहीं सहेंगे! बहिष्कार की जो
आंच है उसकी तपिश बहुत दूर तक है ... जी हाँ बहुत दूर तक, इतनी दूर तक कि आम आदमी सोच भी नहीं सकता! पाकिस्तान का 50 साल से बनाया हुआ इकोसिस्टम ढह रहा है! भले ही बहिष्कार और बॉयकॉट जैसी चीजे बहुत बचकानी लगती हो पर इनकी मार बहुत गहरी है! भक्तो ने लाल सिंह चड्ढा के साथ जो तहर्रूश खेला
उसकी धमक पाकिस्तानी मीडिया में सुनाई दे रही है! आतंक और अपमान का टाइटैनिक डूब रहा है और जब आमिर खान जैसे लोग तमाम बात तो कहते है पर अपने किये पर शर्मिंदा नहीं होते और क्षमा याचना नहीं करते तो ऐसा लगता है जैसे डूबते हुए टाइटैनिक पर बैंड बजाया जा रहा है!
बहिष्कार और बॉयकॉट जैसे मिशन कोई राजनैतिक प्रोपेगंडा नहीं है बल्कि समय की जरुरत है! चुन चुन पर बहिष्कार नहीं करना है बल्कि सिनेमा का 99% बहिष्कार करना है ताकि शिकारियों के लिए फिल्म इंडस्ट्री घाटे का सौदा हो जाये और ये लोग इधर से बोरिया बिस्तर बांध कर निकल ले!
इन्हे बेआबरू करके इधर से भगाना है! उसके लिए आप लोगो का लगातार सहयोग चाहिए! #BoycottBollywood
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हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।
तुलसीदास ने सुन्दर कांड में जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी तब लिखा है -
हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।
अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।।25।।
इन उनचास मरुत का क्या अर्थ है यह तुलसी दास जी ने नहीं लिखा पर वाल्मीकि रामायण में
इसका सन्दर्भ आता है |
ऋषि कश्यप के दो पत्नियां दिति और अदिति थीं | अदिति से उन्होंने देवताओं को जन्म दिया और दिति से असुरों का जन्म हुआ | देवासुर संग्राम में देवताओं की पराजय के बाद समुद्र मंथन हुआ और उसमे प्राप्त अमृत से देवता अमर हो गए.| देवताओं ने फिर असुरों को पराजित करके
उन्हें समाप्त कर दिया |दिति को अपने पुत्रों की मृत्यु से बहुत दुःख और क्रोध हुआ |उन्होंने अपने पति के पास जा कर कहा कि आपके पुत्रों ने मेरे पुत्रों का वध किया है , इस लिए तपस्या करके ऐसे पुत्र को प्राप्त करना चाहती हूँ जो इंद्र का वध कर सके | कश्यप ने कहा कि तुम्हे पहले 1000
उनचास मरुत
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सुंदरकांड पढ़ते हुए 25वें दोहे पर थोड़ा रुक गया। तुलसीदास ने सुन्दर कांड में जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी, उस प्रसंग पर लिखा है -
के हवाले कर दिया तो --
वे उनचासों पवन चलने लगे।
हनुमान जी अट्टहास करके गर्जे और आकार बढ़ाकर आकाश मार्ग से जाने लगे।
मैंने सोचा कि इन उनचास मरुत का क्या अर्थ है ? यह तुलसी दास जी ने भी नहीं लिखा। फिर मैंने सुंदरकांड पूरा करने के बाद समय निकालकर 49 प्रकार की वायु के बारे में
जानकारी खोजी और अध्ययन करने पर सनातन धर्म पर अत्यंत गर्व हुआ। तुलसीदासजी के वायु ज्ञान पर सुखद आश्चर्य हुआ, जिससे शायद आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है ।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वेदों में वायु की 7 शाखाओं के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। अधिकतर लोग यही
भगवान कृष्ण कहते हैं---
"चतुर्वर्णयम माया सृष्टाम गुण कर्म विभागसा" अर्थात गुण और कर्म के आधार पर मेरे द्वारा समाज को 4 वर्णो में विभक्त किया गाय हैं...
मनु स्मृति मे कहा गया हैं:::
जन्मना जायते शूद्र: , संस्काराद द्विज उच्चते....
अर्थात मनुष्य शूद्र के रूप में जन्म लेता है अपने कर्म से द्विज बनता हैं...........
सनातन धर्म वेद आधारित हैं और हर कालखंड की समाजिक व्यवस्था का वर्णन हैं जिसमें कही भी मानव का मानव से भेद नहीं हैं....भेद धर्म और अधर्म के आधार पर मिलता हैं......
आर्य कोई जाति नहीं थी बल्कि विशेष कालखंड में पायी जाने वाली जातियों जैसे द्रविड़,मंगोल ,शक,हुन ,कुशन का समूह था जो कबिलाई संस्कृति से निकलकर सभ्य होने के प्रत्येक उपक्रम में शामिल होते थे जो वेद आधारित था यानी जो सनातन धर्म आधारित था...........
ऐसी सत्य घटना साझा कर सकते हैं, जिसे पढ़ते ही हृदय भगवान के लिए व्याकुल हो जाये?
दिनांक: 1 नवंबर 1979।
समय: रात्रि 1 बजे।
स्थान: तिरुपति मंदिर।
पूरा तिरुपति शहर और स्वयं भगवान श्रीमन्नारायण भी शयन कर रहे थे और घनघोर शांत रात्रि थी की इतने में ही…
ठंन्न ठंन्न ठंन्न ठंन्न!
तिरुपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के श्रीविग्रह के ठीक आगे जो बड़ा सा घंट है वो अपने आप हिलने लगा और उस घंट नाद से पूरा तिरुपति शहर एकदम आश्चर्य में भरकर उठ खड़ा हुआ।
मंदिर रात्रि 12 बजे पूर्ण रूप से बंद हो गया था, फिर ये कैसी घंटा नाद की ध्वनि आ रही है?
कोई भी जीवित
व्यक्ति मंदिर में रात्रि 12 के बाद रहना संभव नही, तो फिर किसने ये घंटा नाद किया?
कोई जीव-जंतु मंदिर में प्रवेश नही कर सकते क्योंकि सारे द्वार बंद है, तो फिर ये कौन है?
मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री पी वी आर के प्रसाद के नेत्रो में अश्रु थे क्योंकि केवल वे जान पा रहे