एक पॉडकास्ट सुना जिसमें हमारे सम्मानित अग्रज और प्रख्यात बुद्धिजीवी भंवर मेघवंशी सर (राजस्थान में) जाति के प्रश्न पर अपनी बेबाक राय रख रहे हैं। इनका कहना है कि #राजस्थान सिर्फ़ भौगोलिक मरुस्थल ही नहीं, बल्कि एक बौद्धिक मरुस्थल भी हैं।
यह आगे कहते हैं,"यहां की शब्दावली ही सामंतवादी है।यहां का टूरिज्म 'रजवाड़ा कल्चर' & स्थापत्य का ही प्रचार करता रहा। यहां कोई सुधार आंदोलन सिर नहीं उठा पाया। दलित-पिछड़ों में उभरती हुई चेतना के बावजूद वे प्रतीक अपने शोषकों के(मूंछ/घोड़ी चढ़ना/सेहरा/तलवार/शेरवानी) ही अपना रहे हैं।"
भंवर सर की बात के साथ असहमति जताना बौद्धिक बेईमानी होगी, झूठ होगा। कोई दोराय नहीं कि हिंदी पट्टी के बाकि राज्यों की तरह राजस्थान भी घोर जातिवाद का गढ़ रहा है।
लेकिन सवाल है कि क्या 'ब्रैंड राजस्थान' का प्रचार सिर्फ राजशाही और FORT-PALACE ARCHITECTURE के कारण है?क्या दुनिया राजस्थान को सिर्फ़ उसके 'रॉयल हैंगओवर' के लिए देखने आती है?क्या राजस्थान को हम सांगानेरी ब्लॉक प्रिंटिंग & मिनिएचर पेंटिंग वाले कलाकारों की मार्फत भी नहीं जानते?
क्या मांगणियारों, बंजारों, मरासियों, भोप और लंगाओं का लोकसंगीत और पारंपरिक नृत्यकला राजस्थान की वैश्विक पहचान नहीं है? भाट-चारणों की किस्सागोई, बिश्नोईयों के प्रकृति-प्रेम के अलावा जैन मंदिरों और गरीब नवाज की अजमेर शरीफ़ दरगाह भी तो राजस्थान की संस्कृति का परिचायक है।
कठपुतली वाले कलाकारों को ढूंढते हुए क्या लोग राजस्थान का रुख नहीं करते? क्या सैलानी पुष्कर जैसे मेले में रेबारी समाज की पशुपालन संस्कृति को देखने नहीं आते हैं? राजस्थान जी.डी. बिड़ला, जमनालाल बजाज और दुनिया भर में फैले मारवाड़ी व्यवसायियों से भी तो जाना जाता है।
अल्लाह जिलाई बाई,दपू खान,मेहदी हसन,जगजीत सिंह,इला अरुण,डागर ब्रदर्स,लाखा खान,गवरी देवी जैसे मौसीकार भी तो जाति/संप्रदाय की सरहद से ऊपर बतौर राजस्थानी कलाकार जाने जाते हैं।राजस्थान से ही मेजर सोमनाथ शर्मा,मेजर शैतानसिंह & वागड़ के गाँधी भोगीलाल पण्डया जैसे देशसेवा के आइकॉन हुए।
जहां तक रही सामाजिक आंदोलन की बात तो राजस्थान के कबीर कहाने वाले दादूदयाल रूढ़िवाद-पाखंडवाद के खिलाफ़ बोले,मीराबाई ने परंपरा को चुनौती दी,गोरखनाथ पंथ का समरसता का संदेश इसी धरा पर फलाफूला,यहीं जांभोजी की वाणी से प्रकृति प्रेम की सीख मिली,यहीं संत पीपाजी ने समाज सुधार की अलख जगाई।
आदिवासियों के प्रति कृतज्ञता यहां कण-कण में है। मेवाड़ रियासत, डूंगरपुर रियासत और राजपीपला रियासत, तीनों ही रियासतों के कोट ऑफ आर्म्स पर भील आदिवासियों को जगह दी गई है। मेघवालों का बलिदान भी इसी इतिहास में दर्ज हैं और मीणाओं के इतिहास को भी सिर-माथे रखा जाता है।
जहां तक रही राजशाही की बात तो रजवाड़े यहां सिर्फ राजपूत ही नहीं,भरतपुर-धौलपुर में जाट रियासत भी रही,भील राजा भी रहे।हवेलियां यहां पटवों की भी मिलती हैं,मारवाड़ियो की भी।
छतरियां सिर्फ क्षत्रीय राजाओं की ही नहीं, यहां रैदास की 8 खंभों की छतरी भी है और लाछा गूजरी की छतरी भी मौजूद है। यहां चेतक घोड़े की छतरी है तो भरतपुर में अकबर की छतरी भी मौजूद है।
रंगीलो राजस्थान में सिर्फ राजपूती केसरिया ही नहीं, कालबेलिया का काला रंग भी शामिल है, मकराना के संगमरमर का सफ़ेद रंग भी शामिल है और रेतीले धोरों का सुनहरा रंग भी बराबर हिस्सेदार है।
इसीलिए राजस्थान के समाजिक परिवर्तन के लिए किसी भी नैरेटिव के सहारे इस समाज को तोड़ने की ज़रूरत नहीं है बल्कि इन बिखरे हुए धागों को एक सूत्र से जोड़ने की ज़रूरत है!

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Aug 31
बूंदी में हमने एक ऐसे परिवार के घर भोज किया जो किसी ज़माने में रजवाड़ों की तलवारों की मूठ (handle/grip) बनाने का काम करते थे। बात तलवारों की होती है तो महाराणा प्रताप की फौज में रहकर तलवार जैसे हथियार बनाने वाले (गाड़िया) लोहार ज़रूर याद आते हैं।

#nomads
महाराणा कभी चित्तौड़गढ़ वापिस हासिल नहीं कर सके पर उनके काफिले के साथ चलते इन गाड़िया लोहारों ने भी प्रतिज्ञा ली कि महाराणा के बिना वापिस चित्तौड़गढ़ नहीं लौटेंगे।तब से आज तक बैलगाड़ियों पर घुमंतू की तरह एक से दूसरे राज्य भटकने वाले ये गाड़िया लोहार अपनी प्रतिज्ञा पर डटे हुए हैं।
अंग्रेज़ों की धूर्तता के चलते ऐसे कई कबीले 'क्रिमिनल ट्राइब' या जन्मजात अपराधी बना दिए गए,नागरिक सुविधाओं से वंचित रखे गए।आज़ादी के बाद आज के ही दिन इन्हें अपराधी के लेबल से 'विमुक्त' तो किया पर कई कमीशनों,कमिटियों के गठन के बावजूद इन्हें केंद्र में कोई आरक्षण या लाभ नहीं मिला।
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Aug 29
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कई साल बाद इस social phenomenon का असल शब्द मिला, 'RAJPUTISATION'. Hermann Kulke, Christophe Jaffrelot, Clarinda Still, Lucia Michelutti जैसे कई विख्यात लेखकों ने इसे राजपूत जीवनशैली के प्रतीकों-टाइटलों का समाजार्थिक तौर पर कथित निचले पायदान के समुदायों द्वारा अपनाया जाना कहा है
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Aug 28
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beenasarwar.com/2013/07/25/raj…
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