मुल्क़ के हालात ख़ित्ते के हालात और आलमी ताक़तों के इशारे तय करते है जिसे मानने में कम से कम मुझे कोई शक़ सुबहा नही है बेशक बर्रेसग़ीर का मुल्क़ कोई सा भी हो.
#भारत_जोड़ो_यात्रा का आग़ाज़ हुआ, पहले क़दम पर ही तनकीद और रक़्स शुरू हो गए, एक मोहतरमा तो ऐसे मूँह खोल कर नज़र आईं कि
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अस्तगफरअल्लाह ,तौबा तौबा.
आज कहते है कि किसी सूबे से नून लीग वालों ने कुछ एमपीए तोड़ कर अपने गैंग में शामिल कर लिए.
इसके लिए हमारी तरफ़ से पंडित नेहरू के चश्मों चिराग़ को बहुत बहुत मुबारक. इस बदलाव पर ख़ुशी या रंज ज़ाहिर करने वाले दानीश्वर साहेबान सनद कर ले कि जात्रा के दौरान
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बहुत से और कोंग्रेसी लोटे हो सकते है
अमेरिका को एबसलूटली नॉट कहने के बाद इमरान खान की पार्टी में लोटे पैदा किए गए और उसकी हकूमत गिराने के साथ साथ तमाम इदारे उसके मुख़ालिफ़ हो गए और क़ौमी असेम्बली के बाहर क़ैदियों वाली गाड़ियाँ खड़ी कर दी गई, टीवी चैनल्ज़ के दफ़ातीर में मसल्लाह
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जवान पहुँच गए
हमारे एक सहाफ़ी दोस्त इमरान के साथ थे उनसे इमरान खान ने पूछा “देखे रियाज़ मुल्क़ में कोई ऐसा तो बाक़ी नही बचा जो मेरे मुख़ालिफ़ ना हो”
इसी के साथ खान साहब चोरों , लूटेरों और ताजिरों को वक़ाफ़ी हकूमत सौंप कर सिर्फ़ एक डायरी उठा कर वजीरे आज़म हाउस से बाहर आ गया...
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लेकिन इसके बाद आवाम का जो ज़लज़ला आया उसने अंकल सैम और लंदन को भी हिला दिया, तहरीकें इंसाफ़ अगर इस लोटा गर्दी से पहले ईलेक्शन में जाती तो मुशकिल से जीतती मगर आज बाक़ी सब साफ़ है
एक वक़्त में इसी यूस बहादुर ने श्रीमती इंदिरा गांधी को पहचान कर मोरारजी पेशाई से कोंग्रेस ख़त्म कराने
की कोशिश की थी और उस वक़्त के लीडरान समझते थे की नेहरू की गूँगी गुड़िया क्या सियासत करेगी.
कल परसों शंघाई कोपरेशन की मुलाक़ातें होने दे फिर लंदन सलाम करने जाएँगे क्योंकि साठ रुपया माहवार मिलना है शायद अमेरिका का दौरा भी हो
एक दम मौसम में बदलाव नज़र आने लगेगा.
शैतान अपनी स्कीमें बनाता है मगर अल्लाह की स्कीम के आगे किसी की नही चलती रब्बुलइज़्ज़त बड़ा कारसाज़ है
7 @parmodpahwaInd ✍️
एक जात्रा समरकंद में भी चल रही है जिसका ज़िक्र करना भी ज़रूरी है और भांड मंडली को हुक्म दिया गया है कि इसकी मुनादी की जाए लेकिन फटा ढोल बूमरेंग हो रहा है
समिट के नेताओं के सम्मान में स्वागत भोज का आयोजन किया गया जिसमें मौ ड़ी साहब ने भाग लेना उचित नही समझा और स्किप कर दिया लेकिन
एक सुपर भक्त ऐंकर के अनुसार बायकाट किया गया.
वैसे अच्छा ही किया जी नही तो जाहिलों की तरह एक तरफ़ बैठे हुए की फ़ोटो वायरल होती और लौंडे मज़ाक़ उड़ाते.
दूसरा इतने सारे पढ़े लिखे दानिश्वर नेताओं के बीच क्या बोलते और उनकी किस बात का जवाब देते(ना जा,ना जाहिल बन)
सड़क पार वाले शरीफ़
से भी मुलाक़ात होने के चांस ना ही समझो क्योंकि मियाँ साहब कह रहे है कि भाई दो चार महीने बाद इलेक्शन में जाना है इसलिए फ़िलहाल तो माफ़ कर !
क्षी ज़िंगपिंग से भी फ़िलहाल कोई मुलाक़ात तय नही है अगर मिले तो वो बाक़ी बचे हुए लद्धाख और अरुणांचल का तक़ाज़ा करेगा ,
ये घटना कम लोग जानते हैं।बात 1919 की है। गांधी पोर्टब्लेयर की सेलुलर जेल के प्रविष्ट हुए। देर तक नाखून चबाते हुए,मुलाकाती कक्ष में इंतजार करते रहे।
सावरकर से मिलने की इजाजत बड़ी मुश्किल से मिली थी।यह मुलाकात बेहद गुप्त होने वाली थी।
उद्देश्य एक ही था।
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सावरकर को जेल छोड़ने के लिए राजी करना।आजादी के आंदोलन के लिए वीर को जेल से छुड़ाना बहुत जरूरी था।
दरअसल गांधी को मालूम था,हिन्दू राष्ट्र बनाने का माद्दा किसीमे है तो वह दामोदर का वीर सपूत ही है।खुद तो वह तो तुष्टिकरण वाली पार्टी में फंसकर रह गए थे।नेहरू ने उन्हें फ़ांस लिया था
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और मनमर्जी फैसला करवा लेता था।
कहता था,मुझे एक दिन प्रधानमंत्री बनना है। मगर गांधी के मन मंदिर मे तो सावरकर की मूरत थी।
ख्यालों में डूबे गांधी की तन्द्रा टूटी।लम्बे,हृष्ट पुष्ट,अतीव तेज से लबरेज उस सुंदर गौरवर्णीय युवक ने जब मुलाकाती कक्ष में प्रवेश किया,तो गांधी उनका सौंदर्य
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नहीं, ये जनता है, जो बिकती नही। बिकते विधायक हैं। कांग्रेस के विधायक.. कर्नाटक से गोवा तक, एमपी से से आसाम तक।
निर्दलीय नही बिकते, छोटी मोटी पार्टियां नही बिकती। क्योकि उनका कोई खरीदार नही। कांग्रेस के बिकते हैं, क्योकि खत्म कांग्रेस को करना है
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क्योकि डर कांग्रेस से है।
क्योकि कांग्रेस वो घास है,जिसके बीज सतह के नीचे, हिंदुस्तान की मिट्टी में है।किसी गांधी का पसीना मिलने की देर है,कि ये लहलहा उठती है।मेहनत से लगाये गए नफरत के पौधे इससे प्रतिस्पर्धा न कर पाएंगे।
इसी का डर है।तो निर्दलीय के दाम नही लगते,छोटे दल के लोग
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नही खरीदे जाते।खरीदा,डराया,फंसाया, मिलाया तो कांग्रेस के विधायकों को जाता है।
ताकि जनता सोचे,बार पूछे कि जब तुम्हारे लोग बिक जाते हैं,तो हम वोट क्यो दें।
भूल जाते हैं कि वो लोग,जो बिकते है,हमारे बीच से है।हमारे समाज,जाति,इलाके,धर्म के हैं। राहुल से अधिक उन्होंने हमारा भरोसा
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पत्नी ने अपने वैज्ञानिक पति @budhwardee को फोन 📞 किया...
पत्नी : "आप आये नहीं, बाहर डिनर का प्रोग्राम था, लेट हो रहे हैं..." 😒😒😒
पति : "प्रिये, मैं अपनी टीम के साथ एक 'खास प्रयोग' में व्यस्त हूँ" 😎😎😎
पत्नी : "कैसा प्रयोग?" 🤔🤔🤔
पति : "हमने एक विशेष यौगिक C2H5OH
(व्हिस्की) में सामान्य तापमान पर H2O (पानी) और तरल CO2 (सोडा) मिलाया! इस मिश्रण को निम्न तापमान पर पहुँचाने के लिये हमने इसमें अत्यधिक निम्न तापमान वाले ठोस H2O (बर्फ) को भी तय मात्रा में डाला है! अभी हम बाहर से protein (चिकन टिक्का) तत्व के आने का इंतज़ार करते हुये लेबोरेट्री के
वातावरण को nicotine (सिगरेट) की वाष्प से सुवासित कर रहे है! यह प्रयोग 5-6 चरणों तक चलेगा! आने में ज्यादा देर हो सकती है।" 🤓🤓🤓
पत्नी : "ओह, सॉरी, मैंने आपको ख़ामख़्वाह डिस्टर्ब कर दिया, आप अपने काम पर ध्यान दो! मैं अपने लिये खिचड़ी बना लेती हूँ! आप भी कुछ मंगवा कर ख़ा लो।" 🙂
जांघिया बनाने वाली कंपनी जॉकी अपने बने-बनाए माल को लेकर बड़ी मुश्किल के दौर से गुजर रही थी,क्योंकि सारा माल चोरी हो चला जाता था।
ड्यूटी ख़त्म होने पर सारे श्रमिकों की जामा तलाशी और बैग वगैरह की चेकिंग की जाने लगी, लेकिन हाथ नहीं लगा कुछ भी, सब ओके लगा। सुरक्षा के जितने उपाय हो
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सकते थे,उनका बंदोबस्त किया गया।लेखा परीक्षण करने वालों को बुलवाया गया, फिर भी कोई भी पकड़ में नहीं आया,और स्टॉक गायब होता ही रहा।
सारे श्रमिकों के साथ-साथ मैनेजमेंट के लोगों की भी घर वापसी के समय जामातलाशी की जाने लगी,हरेक शख़्स सिर्फ एक अदद जांघिया पहने था,और एक भी ऐसा व्यक्ति
नहीं पकड़ा जा सका जिसके पास एक से ज़्यादा जांघियाएं मौजूद हों।
तभी..
एक दिन, उस गुज्जू ऑडिटर ने सिक्योरिटी डिपार्टमेंट को सलाह दे डाली कि सारे श्रमिकों की जांच ड्यूटी पर आने के वक़्त की जानी चाहिए।और, इस तरह मामला सुलझा दिया गया।
😂
सुब्रह्मण्यम स्वामी लुटियन ज़ोन के बंगले की लड़ाई सरकार से हारे ।
वर्ष की शुरुआत में उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया था । उसके बाद वे बंगला बचाने कोर्ट में जा पहुँचे थे ।
2016 में जब वे मोदीजी की नज़र में उपयोगी कोटे में थे तब उन्हें “ख़तरे में “ वाली
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श्रेणी में बंगला मिला था और बाद में राज्य सभा की सदस्यता भी । स्वामी इसके बाद वित्त मंत्रालय का स्वप्न पाल बैठे और इस दौर के वित्तमंत्रियों की खिल्ली उड़ाते / उनके आर्थिक ज्ञान की शिक्षा का मखौल बनाते हुए ट्वीट छोड़ते रहे । मोदीजी ने पाया कि ये उपयोगी से ज़्यादा हो रहे हैं
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तो इनको “भावहीन” कर दिया । स्वामी उपेक्षित हुए तो विद्रोही हो गए और कबाड़ में जा पहुँचे । अब बंगले से भी गए जबकि गुलाम नबी आज़ाद के बंगले पर आँच तक न आई !
हाईकोर्ट ने भी स्वामी को ख़तरे से बाहर मानकर बंगला ख़ाली करने के लिए कह दिया है ।