दशक था नब्बे का और हिंदी फिल्मों का संगीत करवटें बदल रहा था। 1988 में
"कयामत से कयामत तक" और 1989 में "मैंने प्यार किया" ने लोगों को फिर एक बार कानफोडू संगीत से छुटकारा दिला दिया था।
यह थ्रेड नब्बे के दशक को समर्पित है..
#Songsof90s
1996 में, विशेष फिल्म्स सैफ अली खान और ट्विंकल खन्ना के साथ मिस्टर आशिक नामक एक फिल्म बना रहे थे, फिल्म का ऑडियो भी जारी किया गया था। बाद में विशेष फिल्म्स ने महसूस किया कि फिल्म अच्छी नहीं थी और कलाकारों ने भी महसूस किया कि वे सब बस अपना समय बर्बाद कर रहे थे।
मिस्टर आशिक बंद कर दी गई, और उसी कास्ट के साथ उन्होंने एक नई कहानी फिर से लिखी और इसे 'ये है मुंबई मेरी जान' का नया शीर्षक दिया। महेश भट्ट के फैसले पर पूरी फिल्म को फिर से शूट किया गया था।
सुनिए एक और गीत ..
कयामत से कयामत के द्वारा 1988 में ही गुलशन कुमार यह जान चुके थे कि संगीत का नया दौर आ चुका है। उसके पहले वो कॉपी राइट एक्ट का फायदा उठा कर ऑडियो कैसेट के धंधे में अपनी जगह बना चुके थे।
अब बारी थी एक नया कदम उठाने की।
यह अलबम आते ही साथ इतना हिट हुआ कि गुलशन कुमार को खुद समझ नहीं आया कि हुआ क्या है।
उसके बाद तैयारी हुई गीतों को सामने रखकर फिल्म की कहानी लिखने की।
फिल्म बनी लेकिन वो सिर्फ VHS पर रिलीज की गई थी।
और फिर आती है फिल्म आशिकी जिसने हिंदी फिल्म संगीत को दिए थे नदीम श्रवण और कुमार सानू। कहा जाता है कि इस फिल्म को बनाने का विचार इस एल्बम की अभूतपूर्व सफलता के बाद ही लिया गया था। हिंदी फिल्म इतिहास में अभी तक का सबसे ज़्यादा बिकने वाला एल्बम था यह।
1990 में ही आई थी अनिल कपूर, गोविंदा की आवारगी जिसमे गुलाम अली साहब की ग़ज़ल चमकते चांद को काफी सराहा गया था। मेरा फैवरिट फिर भी मोहम्मद अजीज मुन्ना और लता जी का गाया गीत था।

मोहम्मद अजीज़ को भी गुलशन कुमार की देन माना जाता है।

मैंने प्यार किया की रिकॉर्ड तोड सफलता के बाद सलमान खान की अगली फिल्म का बेसब्री से इंतजार हो रहा था।
फिल्म थी बागी और संगीत निर्देशक वही थे,
आनंद मिलिंद।
आमिर खान की फिल्म दिल उनकी चार फ्लॉप फिल्मों राख, लव लव लव, तुम मेरे हो और अव्वल नंबर के बाद आई थी।
यूं तो तुम मेरे हो और लव३ के गीत भी हिट थे लेकिन दिल ने आशिकी का रिकॉर्ड तोड़ने में कसर नहीं छोड़ी थी।
तुम मेरे हो के गीत ठीक ठाक होते हुए भी फ्लॉप होने का जो कारण था वो आपको इस गीत को *देखने" की बाद समझ आ जाएगा।

महासंग्राम विनोद खन्ना की दूसरी पारी की फिल्मों में से एक है।
माधुरी दीक्षित के साथ दयावान में उनकी केमेस्ट्री को पसंद करने की वजह से एक बार फिर दोनो साथ आए थे।

यह वह समय था जब अमिताभ सिर्फ पैसा कमाने का सोच रहे थे। एबीसीएल के नुकसान से निकलने का शायद यही एक उपाय था उनके सामने जब उन्होंने, जादूगर, तूफान, गंगा जमना सरस्वती और आज का अर्जुन जैसी फिल्में साइन की थी।

फिलहाल सुनते है बिनाका गीतमाला का टॉप सॉन्ग

आनंद मिलिंद, जतिन ललित, निखिल विनय जैसी जोड़ियों के बीच अपनी जगह बनाते हुए राजेश रोशन ने एक अचानक से हिट फिल्म "बहार आने तक" देकर चौंका दिया था।
कारनामा यह भी गुलशन कुमार जी का ही था।
गीत शादियों की डांस पार्टी की खास पसंद हुआ करता था।
आनंद मिलिंद की यह फिल्म कब आई और कब चली गई लोगों को पता भी नहीं चला था लेकिन गुलशन कुमार ने इस फिल्म के गीतों से भी बेशुमार कमाई की थी।
फिल्म थी यादों का मौसम..
मौका निकाल कर सभी गीत सुनिएगा..
इस गीत में आपको सुरेश ओबेरॉय की कमेंट्री सुन सकते हैं..
जिस एक गीत ने कुमार सानू को एक अलग लीग में लाकर खड़ा कर दिया था वो था फिल्म जुर्म का "जब कोई बात बिगड़ जाए" जो वो अपने हर शो में गाते ही गाते हैं।
वो बात अलग है कि मुझे पसंद नहीं लेकिन इस गीत को "नए प्रेमी" बहुत पसंद करते हैं।

जीना तेरी गली में भी लाल दुपट्टा की सफलता देखते हुए VHS के लिए बनाई गई थी। गीतों की बढ़ती हुई लोकप्रियता के चलते उसे थियेटर में रिलीज किया गया था।
सारे गीत रिदम और मेलोडी का बेजोड़ नमूना।
यह वह दौर था जब ढोलक अलग से सुनाई देती थी।
सुनिए सानू दा को..

यह वो फिल्मे थी जो कब आती थी कब चली जाती थी लोगों को पता नहीं चलता था। थिएटर से ज़्यादा कमाई गुलशन कुमार कैसेट बेच कर कमा लेते थे। गीत पहले रिलीज कर दिए जाते थे और पब्लिक कभी कभी उन गीतों को ही देखने थिएटर पहुंच जाती थी।
आनंद मिलिंद की एक और सफल फिल्म...

राजेश रोशन भी बीच बीच में आकर हिट फिल्में देकर जाने वाले संगीतकारों में से हैं जिनको इंडस्ट्री में 48 साल हो चुके हैं।
70 के सुनहरे दशक में जूली जैसी फिल्म में संगीत देने के बाद उन्होंने किशन कन्हैया में भी संगीत दिया था।

सलमा आगा की आवाज़ पसंद आने का कारण वही था जो मुकेश को पसंद करने का कारण।
कुछ अलग सी आवाज़ का होना..
इन्ही दिनों लक्ष्मी प्यारे ने फिर एंट्री मारी थी इस फिल्म के सभी हिट गीतों के साथ।

आदेश श्रीवास्तव का पार्श्व संगीत और बप्पी लहरी के संगीत वाली फिल्म सैलाब के इस गीत को माधुरी के टॉप टेन डांस नंबर में से माना जाता है।
इस जैसा ही गीत महासंग्राम में आप ऊपर भी देख चुके हैं।
यह गीत थिएटर में पैसों की बारिश करवा देता था।

आगे बढ़ने से पहले आपको ले चलता हूं उन लोगो के पास ....

अब चलते हैं 91 की ओर!
मुझे उम्मीद है 90 की कोई ख़ास फिल्म छूटी नहीं होगी।
91 की शुरुआत करते हैं @TandonRaveena की पहली फिल्म से। बालू दादा सलमान की आवाज़ बन चुके थे और मैंने प्यार किया के बाद राम लक्ष्मण के पास काम की कमी नहीं थी।
दिल है कि मानता नहीं कीऑडियो की पहली रिलीज़ पर, सभी गाने मूल रूप से बबला मेहता द्वारा गाए गए थे, लेकिन बाद में मेहता को हटा कर कुमार शानू के साथ रिलीज़ किया गया।
इस गीत के नाम में आपको बाबला ही मिलेंगे और शानू दा किशोर साहब बनने की कोशिश में दिखेंगे।

नदीम-श्रवण, जतिन-ललित, आनंद-मिलिंद के तहलका मचाने के बावजूद भी बीच-बीच में लक्ष्मी-प्यारे आकर एक न एक नाम फोड़ जाते थे। ऐसा ही एक था बम "हम" के रूप में ..
कागज़ कलम दावत में बस गोविंदा ही गोविंदा थे..

कुर्बान मैंने प्यार के बाद साइन की गयी थी लेकिन सलमान ने इसको रिलीज़ नहीं होने दिया था। इसके पहले उन्होंने सनम बेवफा और दूसरी फिल्मों को तरजीह दी थी।
बैगी पैंट, बैगी शर्ट, लंबे बाल, एक अदद मोटर साइकिल, जेब में पचास रूपए, ना फेसबुक, ना व्हाट्सएप, ना कोई वीडियो कॉल।
दीदार करना हो तो माशूका के घर के चक्कर लगाना यही था वो दौर जिसे आप याद कर रहे हैं।
19 साल का था मैं जब मैने प्यार किया था....
साल 91 में "लव" रिलीज़ हुई थी जो अपनी ओरिजिनल फिल्म जैसा कारनामा बॉलीवुड में नहीं दिखा पायी थी।

अजय देवगन की २ मोटर साईकिल पर एंट्री वाली फिल्म लम्हे के साथ रिलीज़ हुई थी। अनिल कपूर नहीं चाहते थे कि वो साथ में रिलीज़ हो लेकिन..
अक्षय कुमार के ज़्यादा पैसा मांगने की वजह से आप आज अजय देवगन को इस फिल्म में देख पाते हैं।

गीत "कभी मैं कहूं" यश चोपड़ा की चांदनी (1989) में पृष्ठभूमि संगीत के रूप में इस्तेमाल किए गए राग से बनाया गया था। चांदनी भी शिव-हरि जी का ही कारनामा था।
सड़क- जिसने लोगों को दीवाना बना दिया था।
वैसे महेश भट्ट के अनुसार जैकी श्रॉफ सड़क के लिए पसंद किये गए थे। मनहर जो जैकी की आवाज़ बन चुके थे, उन्होंने यह गीत भी रिकॉर्ड कर लिया था। यह गाना भी हीरो के गाने "तू मेरा जानू है" जैसा ही है।
फिल्फेमयर के समय बैकग्राउंड में "तुम्हे अपना बना" चल रहा था। जब ज़ेबा को पुरस्कार देने के लिए मंच पर बुलाया गया, तो उन्होंने टिप्पणी की थी कि पाकिस्तान की हर गली में हम इसे कई सालों से सुन रहे हैं और अब वह बॉम्बे की हर गली में यह हिंदी गाना सुन रही हैं।
साजन की ३६ दिनों में शूटिंग पूरी हो जाने के बाद, निर्देशक लॉरेंस डिसूजा ने महसूस किया कि साउंडट्रैक में अभी भी जान नहीं है। नदीम-श्रवण ने इसके बाद "देखा है पहली बार" बना कर दिया था।
इसी साल 1991 में ही मोहसिन खान की फिल्म साथी भी आई थी जिसमे नदीम श्रवण का ही संगीत था। एक गीत जो जॉली मुखर्जी और अनुराधा की आवाज़ में था, ने काफी धूम मचायी थी।

म्यूजिक कंपोजर उषा खन्ना के असिस्टेंट महेश और किशोर ने इस फिल्म से डेब्यू किया था। विपिन सचदेवा जो कि गुलशन कुमार की खोज थे, को सलमान खान की आवाज के रूप में इस्तेमाल किया गया था।

गीत की शुरुआत में लाले दी जान सुनकर रफ़ी साहब याद आ जाते हैं।

आमिर खान, सलमान खान, चंद्रचूड़ के बाद यह रोल विवेक मुशरान के जिम्मे आया था। यह पहली फिल्म थी जिसे मैं बीच में छोड़कर चला आया था।
यह गीत उन दिनों कॉलेज में लड़के लड़कियों के काफी काम आता था..

रवि के पिता शाम बहल, राजेंद्र कुमार (कुमार गौरव के पिता) के चचेरे भाई थे। शाम बहल और निर्देशक रमेश बहल भाई के थे।
रमेश बहल सोनाली बेंद्रे जी के ससुर हैं जिन्होंने कसमे वादे, पुकार और जवानी जैसी फिल्मे बनायी थी।
फिलहाल सुनिए अमित कुमार की आवाज़ में
राम-लक्षमण की बहारों की मंजिल कब आई कब चली गयी लोगों को याद ही नहीं रहा और इसी बीच में उदित नारायण का एक अच्छा गीत भी चल नहीं पाया था।

यह इसलिए याद है क्यूंकि इसका ऑडियो कैसेट बड़ी मुश्किल से मिला था..

अनु मलिक जी भी रेस में दौड़े जा रहे थे..
रवीना टंडन,आयशा और दिव्या भारती ने फिल्म से इनकार कर दिया था क्योंकि वह स्विम सूट नहीं पहनना चाहती थीं।फिल्म की शूटिंग के समय करिश्मा सिर्फ 16 साल थी और हरीश की उम्र सिर्फ 15 साल थी।
आजा आजा गाने का नमूना डॉली पार्टन के गाने जोलेन से लिया गया था। तुमसे थोड़ा सा मैं दूर हूं गाने का नमूना डेमिस रौ के यू आर माई फासिनेशन गाने से लिया गया है। नदीम श्रवण के पास काम की कमी नहीं थी, कमी अब मौलिकता की होती जा रही थी।
सौगंध अक्षय कुमार की पहली रिलीज है लेकिन उनकी पहली फिल्म 'दीदार' है जहाँ उन्हें फिल्म निर्माता प्रमोद चक्रवर्ती ने करिश्मा कपूर के साथ फिल्म में पेश किया था। जिनकी पहली रिलीज 'प्रेम कैदी' थी। प्रमोद चक्रवर्ती की 'दीदार' में देरी होती चली गयी थी।
फिल्म को आज भी बिन तेरे सनम गाने के लिए याद किया जाता है जो उस समय बहुत हिट हुआ था।
इस फिल्म से ही प्रसिद्ध संगीत जोड़ी जतिन-लालित ने शुरुआत की थी।

साल 1991 को इसी फिल्म के गीत के साथ जो कि पहले नश्तर के नाम से बनने वाली थी और गोविंदा इसके हीरो होने वाले थे के साथ रोक देते हैं..
1992 को लेकर फिर आपके सामने अगले सप्ताह मुलाकात होगी..

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Sep 13
1927 में भगत सिंह को जब दशहरा बम काण्ड में गिरफ्तार किया गया तो दो सप्ताह तक तक उन्हें लाहौर के किले में रखा गया था, जहां उन पर बहुत अत्याचार हुए थे।

#क्रांतिदूत #krantidoot
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जहां ब्रिटिश कैदियों को अच्छा भोजन और वस्त्र दिया जाता था, वहीं क्रांतिकारी कैदियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था।
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Sep 11
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#क्रांतिदूत #krantidoot
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Sep 10
मध्य प्रदेश के मुरैना जिला में चंबल नदी के किनारे स्थित एक बड़े
भूभाग को तोमरधार कहा जाता है। इसी क्षेत्र में चंबल नदी के किनारे बरवाई और रूअर नामक दो गाँव हैं। मुरैना जिला स्वाधीनता से पूर्व ग्वालियर की देशी रियासत में था। बिस्मिल साहब के वंशज इसी गाँव के थे।
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Sep 10
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Sep 9
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Aug 15
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